मैं कैसे बन गई चुदक्कड़-4

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दोस्तो, आपकी कोमल फिर हाज़िर है अपनी जवानी की कहानी के अगले भाग के साथ. अभी तक आप लोगों ने मेरे बारे में तो सब जान ही लिया होगा कि किस तरह से मैं एक सामान्य लड़की से एक चुदक्कड़ लड़की बन गई. आप लोगों का प्यार मुझे मिलता रहा तो ऐसे ही अपनी सच्ची कहानी आप तक पहुँचाती रहूँगी. तो बढ़ते हैं मेरी कहानी के अगले हिस्से में:

जोन्स ने मुझे गोद में उठाया और ऊपर के रूम में ले गया और पलंग के पास ले जा कर खड़ा कर दिया. उसने अपनी शर्ट उतार के फेंक दी. उसकी बॉडी बिल्कुल चमक रही थी वो मुझसे इतना लम्बा था कि मैं केवल उसके पेट के थोड़ा ऊपर तक ही आ रही थी. उसने अपनी पैन्ट भी उतार के फेंक दी. वो किसी दानव की तरह मेरे सामने खड़ा था. अनायास ही मेरी नज़र उसकी चड्डी पर पड़ी. सफ़ेद रंग की चड्डी के अंदर से ही उसका लंड देखा तो मेरी हवा निकलने लगी.

उसने मेरे टॉप को पकड़ा और एक झटके में उतार के फेंक दिया और नीचे झुक कर मेरी लैगी भी निकाल दी. मैं बस ब्रा चड्डी में खड़ी थी. उसने मेरे दोनों हाथ ऊपर किये और ब्रा भी निकाल दी मेरे दोनों बड़े बड़े दूध आजाद हो गए. उसने मेरे गुलाबी निप्पल को उंगली से छुआ और बोला- वाओ ब्यूटी!

फिर वो मेरी चुत को चड्डी के ऊपर से सहलाने लगा. मैं बस उसके शरीर को ही देखे जा रही थी. मेरा सारा नशा हवा में उड़ चुका था. उसके शरीर के सामने मेरा शरीर कुछ भी नहीं था. वो किसी राक्षस की तरह मुझे लग रहा था. उसका वजन 130 किलो से कम नहीं रहा होगा.

मैं इतना तो समझ चुकी थी कि ये आज मेरा बैंड बजा देगा. मेरा शरीर बिल्कुल सामान्य लड़की की तरह ही है, न पतली ही थी और न ही मोटी थी ज्यादा!

उसने मेरे दूध को चूसना शुरु कर दिया और एक हाथ से दूसरे दूध को मसलने लगा. मैं आह आअह आआअ अह्ह ऊऊऊ ऊईई ईई उईई आआअ आआअह्ह् कर रही थी. मुझे कुछ अच्छा भी लग रहा था और कुछ दर्द भी हो रहा था.

तभी उसने एक हाथ मेरी चड्डी के अंदर डाल दिया और मेरी चुत की दरार को अपनी एक उंगली से रगड़ने लगा. वो पूरा मेरे ऊपर झुक गया था, एक हाथ मेरी कमर में डाल के मुझे सम्हाला हुआ था. वो बेदर्दी से वो मेरा दूध चूस रहा था.

उसने अपनी एक उंगली मेरी चुत के छेद में डाली तो मैं एकदम से उछल गई और चिल्लाई- उईईई ईईई! उसने मुझे हिलने नहीं दिया और एक पूरी उंगली चुत में डाल दी. मुझे लगा कि वो मेरी चुत की गहराई नाप रहा था.

उंगली निकालते हुए बोला- वाओ स्माल पुसी. अब उसने मेरे एक पैर को उठा के अपनी कमर में टिका लिया और अपने हाथ से मेरी जांघों को सहलाते हुए मेरी गांड तक ले गया और थोड़ा गांड सहला कर उस पर एक तमाचा लगा दिया. फिर उसने मुझे सीधा खड़ा कर दिया और थोड़ा नीचे झुक कर अपने सीने को मेरे दूध तक लाया और अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पे ले जा कर मुझे अपनी ओर खींचा. मेरे दोनों दूध उसके सीने से चिपक गए.

अब वो जोर जोर से अपना सीना मेरे दूध पर रगड़ने लगा. मेरे दूध में इतना दबाव लग रहा था कि ऐसा लग रहा था कि फट न जाये. मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी और मैं जोर जोर से चिल्ला रही थी मगर जैसे उसे बहुत मजा आ रहा था.

कुछ देर बाद उसने मुझे आजाद किया और अपनी चड्डी उतारने लगा. जैसे ही मैंने उसके लंड को देखा, मेरी आँखें फटी की फटी रह गई. 10 इंच से लम्बा लंड फनफना के मेरे सामने आ गया. इतना विशालकाय काला लंड देख मेरी तो गांड फट गई.

उसने मेरा हाथ पकड़ा और हाथ में लंड थमा दिया. वो इतना मोटा था कि ठीक से हाथ में भी नहीं आ रहा था. मैं बहुत डर गई कि ये कैसे जायेगा मेरी चुत में. उसने मेरे सर को झुका कर अपने लंड में लगाने की कोशिश की मगर मैं हट गई. तो उसने जोर लगा के मुझे झुकाया और मेरे सर को पकड़ के मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया और मेरे सर को अपने हाथों से आगे पीछे करने लगा. मेरे मुँह में पूरा लंड समा ही नहीं रहा था, लंड पूरा मेरे गले के नीचे तक उतर रहा था. ऐसा लग रहा था कि मुझे उल्टी न हो जाये. मेरे मुँह से बस आअक्क आअक्क आअक्क की आवाज आ रही थी.

5 मिनट ऐसा करने के बाद उसने मुझे उठाया और मेरी चड्डी उतार दी. अब मैं भी नंगी थी. उसने मेरी चुत को हाथ से सहलाया और चुत के नीचे से अपना हाथ डाल के मेरी गांड तक ले गया. फिरर वैसे ही उठा के मुझे पलंग पर पटक दिया और कूद के वो भी पलंग में आ गया. मेरे पैर फैला कर उसने मेरी चुत में अपना मुँह लगा दिया और जीभ से चाटने लगा.

उसके ऐसा करने से कसम से मुझे बहुत मजा आने लगा. मैं आआ आअह अह ऊईई उम्म माँअह आअह्ह किये जा रही थी. उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों पैर को पूरी तरह फैला दिया जिससे चुत एकदम खुल गई. वो जीभ से मेरी पूरी चुत चाट रहा था.

ऐसे में मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाई और मेरा पानी निकल गया, उसको भी वह पूरा चाट गया.

पानी निकलने के बाद भी वो बस चुत चाट रहा था तो मैं कुछ ही देर में फिर से गर्म हो चुकी थी. फिर वो उठ कर मेरे ऊपर आ गया और मुझे अपनी बांहों में कस के जकड़ लिया और एक हाथ से लंड को चुत में सेट किया. मैं जानती थी कि इतनी आसानी से लंड अंदर नहीं जा सकता.

वो भी माहिर इंसान था, एक हाथ से लंड पकड़ के जोरदार धक्का मारा. मैं जोर से चिल्ला उठी ऊऊऊउई उमाआआ … आआ! उसने मुझे जोर से दबा लिया और दूसरे ही धक्के में पूरा का पूरा लंड मेरी चुत की गहराई में उतार दिया. वो बहुत बेरहम टाईप का था. मैं दर्द में चिल्लाई जा रही थी मगर वो नहीं माना और दनादन चुदाई चालू कर दी. मैं अपना सर पटकने लगी, मेरा चेहरा लाल हो गया. ये मेरे दर्द की सीमा थी.

वो हर धक्के में लंड को पूरा अंदर तक पेल रहा था, उसकी हर चोट में लंड बच्चेदानी से टकरा रहा था, उसने मेरी जांघों को इतना जोर से दबाया हुआ था कि वहाँ से नीला पड़ गया था.

10 मिनट तक ऐसे से चोदने के बाद वो उठा और मुझे खींच के बिस्तर के बाहर ले गया मेरे होंठों को चूमते हुए उसने मेरे दोनों हाथ अपने गले में फंसा लिए और झटके से मेरे दोनों पैरो को पकड़ के उठा के अपनी कमर में फंसा लिए और लंड चुत में टिका कर एक बार में पूरा लंड अंदर पेल दिया. वो मेरे कूल्हों को दोनों हाथों से पकड़ के मुझे उछालने लगा. पूरा खड़ा लंड मेरी चुत के अंदरूनी भाग तक घुस रहा था. इतना लम्बा मोटा लंड मुझसे बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था.

ऐसे ही चोदते चोदते उसने एक उंगली गांड के छेद में लगा दी. अब साथ साथ मेरी गांड भी चुद रही थी. आज तक मेरी गांड में लंड नहीं गया था, मेरी गांड अभी तक कुंवारी ही थी इसलिए मेरा दर्द और ज्यादा हो गया.

वो अपने होंठों से मेरे होंठों को जम कर चूस रहा था.

करीब 10 मिनट के बाद उसने मुझे नीचे उतारा और फिर से पलंग में फेंक दिया और मुझे पेट के बल लिटा दिया. वो झट से मेरे ऊपर आ गया और मेरे गांड में लंड टिका कर अपने पैरों से मेरे पैरों को फैला दिया और मेरे ऊपर लेट कर मुझे कस के जकड़ लिया. उसने जोर लगाकर अपना लंड अंदर धकेला तो तुरंत लंड मेरी गांड के अंदर घुस गया. पहली बार मेरी गांड में लंड गया था, मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था.

मैं फिर से जोर जोर से चिल्लाने लगी और उसने पूरी ताकत लगा के चुदाई चालू कर दी. उसके धक्के इतने तेज़ थे कि मेरी चूतड़ों की बैंड बज रही थी. वो बिल्कुल किसी सेक्स मशीन की तरह तेज़ी से मुझे चोदे जा रहा था. वो जोर जोर से हांफते हुए धक्के मार रहा था.

उसने मेरी पीठ पे अपने दांतों से काटना शुरु कर दिया. उसे मेरी चुदाई में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि मेरी गांड एकदम टाईट थी. मगर मैं उसके धक्के को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी क्योंकि वो बिल्कुल जानवरों की तरह मेरी गांड चुदाई कर रहा था. मैं लगभग बीस मिनट से लगातार चुद रही थी.

फिर उसने मुझे सीधा लेटा दिया और फिर अपना बड़ा लंड मेरी चुत में डाल के चोदने लगा. कुछ देर बाद मेरा पानी निकलने लगा. अब मुझे भी दर्द कम हुआ और अच्छा लगने लगा. इस चुदाई में मैं झड़ चुकी थी पर मजा नहीं मिल पा रहा था.

करीब 10 मिनट बाद उसका शरीर ढीला होने लगा, उसने तुरंत लंड निकाला और मेरे मुँह में ठूँस दिया और अपना पूरा माल मेरे मुँह में डालने लगा. मुझे बहुत गन्दा लग रहा था मगर मैं कुछ भी नहीं कर पा रही थी. मेरे पूरे मुँह में उसका गाढ़ा वीर्य भर गया और मजबूर होकर उसको मैं निगल गई.

जब तक उसका एक एक बून्द वीर्य नहीं निकल गया, उसने मेरे मुख से लंड नहीं निकाला और मैं बस उसके वीर्य को निगलती गई.

फिर वो लंड निकाल के बगल में लेट गया. मेरी गांड बहुत तेज़ दर्द कर रही थी. मैं उठी और बाथरूम चली गई, वहाँ पानी से अपने मुँह को साफ़ किया, फिर अपने चुत को देखी तो एकदम लाल पड़ चुकी थी, जगह जगह उसके काटने के निशान थे.

मैं रूम में आई तो वो सो चुका था. मैंने भी अपनी चड्डी पहनी और चादर ओढ़ के लेट गई. मगर मुझे नींद आ नहीं रही थी, पूरा जिस्म दर्द कर रहा था. फिर किसी तरह से मुझे नींद आ गई. शाम को 5:30 बजे मेरी नींद खुली तो देखा कि वो बगल में नहीं था.

मैंने उठ के खिड़की से देखा तो अँधेरा होने को था. फिर मैंने देखा तो जोन्स स्वीमिंग पूल में नहा रहा था.

मैं उसे देख कर यही सोच रही थी कि आज तो पहला दिन है, अभी तो पूरी रात बाकी है और कल का पूरा दिन … और रात पता नहीं! तब तक ये मुझे कितना चोदने वाला था.

फिर करीब 9 बजे हम दोनों ने खाना खाया और मैं रूम में चली गई. करीब 10 बजे जोन्स रूम में आया और तुरंत मुझे नंगी करके चुदाई चालू कर दी. उस रात उसने 3 बार चुदाई की. फिर अगली सुबह 8 बजे नींद खुली, जोन्स सो रहा था, मैं बिल्कुल नंगी ही थी.

मैं बाथरूम गई और फ्रेश हो गई और नीचे आ गई. नौकर से चाय मंगाई और सोफे में बैठ के चाय पीने लगी. उस वक्त मैंने एक छोटी सी क्रीम कलर की नाईटी पहनी थी, अंदर कुछ भी नहीं!

नौकर मुझे बहुत गौर से घूर रहा था. जब मैंने उसे देखा तो वो वहाँ से चला गया.

फिर मैं स्वीमिंग पूल के किनारे टहलने लगी.

इतने में मैंने नौकर को देखा तो अपने पास बुलाया और उसका नाम पूछा. उसने अपना नाम किशोर बताया. उसकी उम्र 40 साल के करीब की थी. वो किसी गाँव का लग रहा था.

बॉस का फार्म हाउस शहर से दूर सुनसान इलाके में था, यहाँ ज्यादा लोग आते भी नहीं थे।

कुछ देर बात करने के बाद मैं रूम में चली गई.

फिर दोपहर में हमने खाना खाया और सोफे में बैठी थी और जोन्स रूम में चला गया. मैं फिर से पूल की तरफ टहलने चली गई. मैं अभी भी उसी नाईटी में थी. मैंने देखा मगर किशोर कहीं दिख नहीं रहा था. मैंने सोचा कि कहीं गया होगा.

इतने में पीछे से …

दोस्तो, इसके आगे की कहानी अगले भाग में जरूर पढ़िए. [email protected]

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