प्यार की शुरुआत या वासना-3

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अभी तक मेरी मामी की सेक्स कहानी के दूसरे भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मामी ने मेरा लंड पकड़ कर मेरी मुठ मारी. अब आगे:

मामी ‘बद्तमीज कहीं का …’ बोल कर गुस्से में वहाँ से चली गई और मैं अपना मुँह बाये उन्हें देखता रहा।

मैं सीधा ऊपर वाले फ्लैट में आ गया और इस बारे में सोचने लगा कि ये मामी को क्या हो गया? अभी तक तो मजे ले रही थी और अब? जितना मैं सोच रहा था, उतना मेरा गुस्सा बढ़ रहा था।

साली … ये मामी अपने आप को क्या समझती है? पहले इस्तेमाल किया फिर फेंक दिया. साला कंडोम समझा है क्या? मैं गुस्से में अपने जिम में जाकर ट्रेडमिल पे दौड़ने लगा और सारी घटना मेरे दिमाग में।

धीरे धीरे मैं दौड़ने में लीन हो गया। आधा घंटा दौड़ने के बाद मैं रुका और पानी पीने लगा जैसे जैसे मेरी सांसें थम रही थी वैसे वैसे मुझे मामी याद आ रही थी। फिर क्या था, दुबारा दौड़ना चालू …

मैं जिम के बाद ऊपर फ्लैट में ही सो गया।

जैसे जैसे शाम हो रही थी, अतिथि आने शुरू हो गए थे. 6 बजे करीब में नीचे आया तो देखा 25-30 लोग जमा हो गये थे. मुझे देखते ही सभी मुझे बधाई देने लग गए.

पर मेरा ध्यान तो कहीं और ही था, जैसे तैसे मैं उनसे बात करता रहा। यह डिनर पार्टी केवल अपने कुछ क्लोज फैमिलीज़ के लिए ही दी थी तो मैं सबको पहचानता ही था। मेरे दोस्तों में से मैंने केवल अखिल और प्रिया को ही बुलाया था और वो दोनों अब तक नहीं पहुंचे थे।

सभी लोग अपनी अपनी गप्पों में लगे हुए थे कि मेरी नजर कमरे से निकलती हुई मामी पर पड़ी. वाह … क्या लग रही थी वो! मेरा दिन का गुस्सा छू मंतर हो गया और लंडराज ठुमके लगाने लग गया।

मामी पास में आयी तो मैंने उन्हें एक स्माइल दी जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मैं फिर परेशान हो गया।

तभी मुझे अखिल और प्रिया आते दिखे, मैं उनको देख खुश होते हुए पास गया तो पहले प्रिया ने मुझे गले से लगा के विश किया. उसी समय मेरी नजर मामी पर गयी. वो किसी से बात करते हुए प्रिया को शून्य भाव से देख रही थी।

मेरे चेहरे पे एक कुटिल मुस्कान आ गयी और मैंने उन्हें देखते हुए प्रिया के कंधे पे हल्का सा चूम लिया। मेरी इस हरकत को केवल दो लोगों ने देखा और महसूस किया. एक तो मामी जो यह देख कर अपनी नजरें फेर ली और दूसरी प्रिया जिसके गालों पे शर्म की लाली आ गयी।

मुझे पता था कि प्रिया मुझ से प्यार करती है और मेरा पहला और अकेला किस भी उसी के साथ था।

खैर, अब अखिल आया और मुझे जकड़ के कान में बोला- साले, हमारा जुगाड़ कहाँ है? मैं हंसा और उसे और प्रिया को लेकर ऊपर फ्लैट में आ गया। वहाँ पहुंच कर मैंने फ्रीज से दो बियर और एक ब्रीज़र निकाल के दे दी. हम तीनों ड्रिंक्स के साथ गप्पें लगाने लगे.

तभी अखिल बोला- कुछ खाने को तो बोल दे! साला पार्टी के चक्कर में दिन से खाना नहीं खाया। मैं हंसते हुए बाहर आया तो नीचे मामी दिखी जो किसी को छोड़ने गेट तक आयी थी.

मैं भागते हुए नीचे गया. इससे पहले कि वो अंदर जाती … मैंने उनका हाथ पकड़ कर खींचा और सीढ़ी के नीचे ले गया और उनको वहीं दिवार पर टिका कर उनकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा। उन्होंने गुर्राते हुए मुझे डांटा … पर मैं नहीं माना और उनके बूब्स जोर से दबाने लग गया।

उन्होंने अपनी पूरी ताक़त से मुझे धकेला और ‘तुझे समझ में नहीं आता बेशर्म … और अगर फिर से ऐसी कोई भी हरकत करी तो तेरे घर वालों के सामने ही तेरा सारा भूत उतार दूंगी. और मेरी तरफ थूक के जाने को हुई.

पर इस बात को सुनकर मेरा गुस्सा सातवें आसमान पे था तो मैंने उनका हाथ खींचा और अपने लंड पर रख दिया और बोला- साली रांड, जब दिन में अपनी चूत में मेरा ये लंड रगड़ रही थी तब कहा थी तेरी ये चुतियापा बातें? यह सुनकर उनके आंसू बहने लगे और मेरी तरफ बेहद नफरत से देख कर उन्होंने अपना हाथ झटका और अंदर चली गयी।

मैं गुस्से से आग बबूला हो गया था और कुछ देर वहीं पर खड़ा सोचता रहा कि साला मुझे ये क्या हो गया है? कुछ ही घंटों में मेरे स्वभाव में इतना बड़ा परिवर्तन मुझे कचोट रहा था. और ऊपर से मामी की दी हुई ये धमकी … वो भी इतना आगे बढ़ने के बाद।

तभी मुझे सीढ़ियों से अखिल उतरता नजर आया. मैं तो भूल ही गया था कि उसने खाने को मंगाया था। मैं उसके सामने नहीं आना चाहता था तो मैं उसके घर के अंदर जाते ही ऊपर छत में चला गया।

सेक्स अभी भी मेरे दिमाग में भरा हुआ था तो ऊपर जाते ही मैंने अपनी बियर एक सांस में गटक ली.

प्रिया मुझे देख रही थी और मेरे गुस्से को भांप गयी। वो उठकर मेरे पास आ कर खड़ी हो गयी और मेरी बांह पकड़ कर अपना सर मेरे कंधे पर रख लिया. मेरी कोहनी उसके 30″ साइज के बूब्स में घुस गयी। मैं तो पहले से ही वासना का मारा हुआ था और ऊपर से उसके अनछुए टाइट बूब्स का स्पर्श मुझे और पागल बनाने लगा।

आज मेरे अंदर का जानवर जाग गया था जो मुझ से बहुत कुछ करा गया था। मैंने कुछ पल उसे घूरा पर उसकी नजर कहीं ओर थी। मैंने अपना हाथ उससे छुड़ा के उसके दोनों कंधों को पकड़ा, इससे पहले कि वो कुछ सोच पाती; मैंने अपने होंठ उसके होंठों से मिला लिए। हम दोनों उस चुम्बन में खो से गए. उसकी आँखें बंद थी.

जैसे ही मैंने चुम्मा तोड़ा, उसकी आँखें खुल गयी और उनमें लाल डोरे खिंच से गए थे. कुछ तो ड्रिंक्स का सरूर तो कुछ जवानी का … और सबसे बड़ा मेरे अंदर के नए पैदा हुए जानवर का जो अब कुछ भी करने को तड़फ रहा था।

अब उसकी आँखों में देखते हुए मैंने उसके बाल हल्के से खींचे तो एक आह के साथ उसके होंठ खुल गए और मैं उन पर टूट पड़ा। वो अपनी गर्दन इधर उधर कर रही थी बचने की कोशिश में … पर मेरे अंदर के राक्षस ने उसे हिलने नहीं दिया और उसके होंठ चूसता चला गया।

ये मेरा किस का दूसरा अनुभव था तो कह सकते हैं कि मुझे किस करना आता ही नहीं था।

कुछ सेकण्ड्स बाद किस टूटी तो उसने मुझे आंसू भरी नजर से देखा।

तभी मेरी नजर दरवाजे पर पड़ी और उसके पीछे मुझे मामी का चेहरा दिखा जो शायद छुप कर हमें देख रही थी। तभी गुस्से और वासना का एक ज्वार मेरे भीतर आया और मैंने प्रिया को पकड़ के खुद से चिपका लिया और खड़े खड़े ही उसकी गर्दन चूमते हुए उसकी पीठ और गांड को दबाने लगा।

मेरी नजर अभी मामी पे ही टिकी थी और उनकी मुझ पे! वो निर्भाव नजरों से मुझे देख रही थी कि तभी मुझे प्रिया की तेज होती धड़कनें सुनाई देने लगी। मैंने अपना एक हाथ उसके कठोर बूब्स पे रख लिया और दबाने लगा, जिससे उसकी दर्द मिश्रित सिसकारी निकल गयी।

उसने उखड़ती साँसों से ‘प्लीज नहीं हहह …’ कहा. पर मैंने उसे अनसुना कर के अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ना चालू कर दिया। वो ‘नहीं … ये गलत है … आहह!’ बोलते हुए अपने पैर थोड़ा खोल कर लेग्गिंग्स के अंदर से ही अपनी चूत मेरे ट्रॉउज़र के अंदर खड़े लंड पे घिसने लगी।

अब मैं थोड़ा झुक कर अपने लंड की पूरी लम्बाई को उसकी पूरी चूत पे रगड़ने लगा और साथ ही मामी को एकटक देखता रहा। मैं- वाह … खुद भी तो तू रगड़ रही है और मुझे सही गलत बता रही है। प्रिया- ऐसा मत बोलो प्लीज … आह आह आह!

मेरी तेज होती रगड़ उसकी आहों से पता चल रही थी। एक पल के लिए मेरी नजर उस पर गयी तो मैंने देखा कि उसके आंसू बह रहे थे. मेरे हाथ उसके बूब्स को और मेरा लंड उसकी चूत को रगड़ रहा था।

मुझे कुछ समझ आता उससे पहले उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधो पे रख दिए और अपनी चूत मुझ से भी ज्यादा तेजी से लंड पे रगड़ने लगी।

मेरा तो बहुत बुरा हाल हो गया था कपड़ों और चूत की रगड़ से मेरा झड़ने की कगार पर था कि तभी वो ‘ नहीं हहह राघव … यह गलत है … हहह’ और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करके कांपने लगी। उसके धक्के अब रुक गए पर मैं लगा रहा और मामी को घूरता रहा।

तभी प्रिया ने आँखें खोली तो मैंने उसे देखा, उसका पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था और मैं अब भी उसके बूब्स और चूत मसलने में लगा हुआ था। वो वैसे ही मेरे कंधे थामे, अपना पूरा बोझ मुझ पर डाले मेरे पूरे लंड को भिगाती रही। उसका पूरा रस उसकी लेग्गिंग से रिस कर मेरे ट्रॉउज़र को लंड के ऊपर से गीला करता रहा। मेरी तेज होती रगड़ से उसके और आंसू बहने लगे तो मैं थोड़ा रुक गया.

हालाँकि 5-10 धक्कों में मेरा काम हो जाना था पर मैं रुक गया और सीधा खड़ा होकर उसके होंठों को चूमने लगा. पर वो मेरा बिल्कुल भी साथ नहीं दे रही थी.

तो मैं थोड़ा पीछे हुआ और वो मुझे देखती हुई पीछे हटी और बिना आवाज़ के आंसू बहाते हुए बाथरूम में घुस गयी।

मैं मामी को देखते हुए दरवाजे की तरफ बढ़ा और उनका हाथ पकड़ के अंदर खींच लिया और एक झटके में अपना लंड बहार निकाल कर उनके हाथ में पकड़ा दिया। उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए बिना किसी विरोध के लंड पकड़ भी लिया। उनकी आँखों में मुझे कोई भाव नहीं दिखा पर उनके हाथ मेरे लंड पर लगते ही मेरे भाव उन्होंने पकड़ लिए होंगे।

कुछ देर मामी वैसे ही मेरा लंड पकड़े खड़ी रही, फिर उनकी नजर नीचे होकर ‘उसे’ देखने लगी. मुझे उनकी पुतलियाँ थोड़ी बड़ी होती दिखी। वो मेरे लंड की धड़कनें साफ़ महसूस कर रही थी। उनके हाथ में मेरा मोटा लंड पूरा नहीं समा रहा था पर अब वो उसे थोड़ा हिलाते हुए देखने लगी।

मैं तो जैसे आसमान की सैर पे निकल गया था. अब उनकी स्पीड थोड़ी बढ़ी और मेरा प्रीकम उनके हाथ से रिस कर फर्श पे गिरने लगा। मेरा लंड गीला होकर और उनके हाथ में पड़कर खुद मुझे ही बड़ा लग रहा था।

मैं उनका दूसरा हाथ अपने टट्टों पे ले गया तो उन्होंने हल्के से विरोध के बाद मेरे बड़े बड़े टट्टे पकड़ लिए. इससे वो थोड़ा सा झुक सी गयी और ऊपर सीधा मेरी आँखों में देखने लगी। मेरी तो आँखें हल्की सी ही खुली थी।

मैंने जोश में अपने हाथ उनके शरीर पर फेरने शुरू कर दिए। वो हल्की सी कसमसाई पर मुझे ज्यादा रोका नहीं और अपने हाथों में पकड़े लंड पे तेज दबाव बना के मुठियाने लगी. इससे उनके कंगन खनकने लगे।

अब मैं ज्यादा दूर नहीं था तो मैंने अपना हाथ उनके 34 साइज के बूब्स पे रख के दबाना चालू कर दिया. उनकी आँखें थोड़ा बड़ी हुई पर वो एकटक मुझे देखती रही और मेरे टट्टे को सहलाते हुए फुल स्पीड में लंड हिलाने लगी। उनके हाथों के कंगन भी उसी तेजी से आवाज़ करने लगे.

तभी मुझे अपना लावा फूटने का आभास हुआ तो मेरे मुँह से ‘आह्ह आह्ह’ की सिसकारी निकल गयी और वो समझ गयी कि अब ‘काम’ होने वाला है। उन्होंने अपने दांत भींचते हुए जोर के झटके दिए और मेरे लंड की दिशा अपने से दूर की तरफ कर दी।

अचानक मेरे लंड से 1 धार छूटी जो 5 फ़ीट दूर जाकर गिरी. अब मामी की नजर मेरे लंड से निकलती धारों पर थी. मैं उनके मम्मे दबाता हुआ झड़ने लगा, मेरे पाँव कांपने लगे। मामी का लंड हिलाना अब बहुत धीमा और लम्बा हो गया पर टट्टे वो लगातार सहलाती रही।

मुझे याद भी नहीं कि मैंने कितना माल बहाया; पर जब लंड ने ठुमकना बंद किया तो वहाँ पूरा फर्श भरा हुआ था। एक सीधी लाइन मेरे पैरों से शुरू हो कर ५ फ़ीट तक जाकर खत्म हो रही थी। मामी आँखें फाड़े मेरे वीर्य को देख रही थी।

तभी मामी ने अपनी एक उंगली मेरे लंड के छेद पर फिराई जिससे एक बूँद चिपक के उनके हाथ पर लग गयी।

मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि यह पहला एक्ट था जो मामी ने अपने आप किया था. अभी तक तो मैं ही उनका सारथी बना हुआ था पर अब वो भी रथ चलाने लगी थी।

तभी बाथरूम में फ्लश की आवाज़ आयी तो मामी सीधी खड़ी होकर भागने को हुई तो मैंने उनकी कलाई पकड़ ली. उन्होंने मुझे देख के ‘प्लीज’ कहा तो मैंने उनका हाथ छोड़ दिया और वो बाहर निकल गयी।

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