सास के साथ चरम सुख की प्राप्ति-2

मेरी इस सेक्स कहानी के पिछले भाग सास के साथ चरम सुख की प्राप्ति-1 में आपने पढ़ा था कि मैंने अपनी वासना की पूर्ति के लिए अपनी सास को उनकी मर्जी से चोद दिया था.

सास की चुदाई के बाद मैंने उनसे उनका अनुभव पूछा, तो उन्होंने बताया कि उन्हें बहुत अच्छा लगा और साथ ही उन्होंने बताया कि आज 7 साल के लंबे अंतराल के बाद उनकी जलती जवानी पर किसी मर्द का पानी पड़ा है. यह सुन कर मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन उस वक्त रात के 2.30 बज रहे थे इसलिए ज्यादा विस्तार में पूछे बिना हम दोनों ने कपड़े पहने और अपने अपने बिस्तर पर लेट गए.

अब आगे:

जब सुबह मैं सो कर उठा, तो नज़ारा कुछ और ही था. सुबह उठने के बाद हम दोनों ही एक दूसरे से निगाह नहीं मिला पा रहे थे. मैं तो बनावटी तौर पर सामान्य दिखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरी सास एकदम गुमसुम सी थीं, उनको देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे उनको कोई सदमा सा लगा हो.

मैंने बड़ी हिम्मत जुटा कर अकेले में उनसे बात करने का प्रयास भी किया, लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं बल्कि उनकी आंखों से आंसुओं की धार लग गयी.

यह देखकर मैं बुरी तरह डर गया. मुझे लगा कि कहीं उनकी ये उदासी, सारा भेद तार तार ना कर दे. लेकिन सुबह ऑफिस के लिए देर हो रही थी तो मैं चुपचाप ऑफिस के लिए निकल गया. मेरे मन में मुझे बहुत डर लग रहा था, दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था.

सारा दिन ऑफिस में भी बेचैनी बनी रही, मेरा किसी काम में मन नहीं लगा. हर दस मिनट में सीट से उठ कर कभी वाशरूम चला जाता, तो कभी कैंटीन में जाकर टहलता रहा. मुझे खुद भी याद नहीं कि मैंने कितने ब्रेक लिए. मन में जैसे टाइम बम्ब की सुई घूम रही थी, किसी से कुछ कह भी नहीं सकता था. एक बार मन किया कि घर पर फ़ोन करके पूछ लूं कि सब ठीक है या नहीं … लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी.

जैसे जैसे शाम हो रही थी, घर जाने में घबराहट सी हो रही थी. लग रहा था कि कहीं उन्होंने अपनी बेटी से सब कुछ सच सच न बता दिया हो.

फिर अचानक से दिमाग में आया कि आखिर वो ऐसा कैसे कर सकती हैं, क्योंकि भले ही पहल मैंने की थी, लेकिन बाद में उन्होंने ने भी तो मेरा पूरा साथ निभाया था. इसमें भला मेरा दोष अकेले कहाँ था. बस ये सोच कर मन थोड़ा शांत हुआ. फिर मैंने खुद को उनसे बातचीत के लिए तैयार किया.

मैं घर पहुँचा, तो मेरी वाइफ ने दरवाजा खोला और अन्दर घुसते ही बताया कि आज मम्मी पता नहीं क्यों बहुत अपसैट हैं, पूरे दिन से पूछने पर बता भी नहीं रही हैं.

मैं तो इसकी वजह अच्छे से जानता था, लेकिन फिर भी मैंने अनजान बनते हुए पूछा कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि वो अपसैट हैं. फिर मैंने बातें बनाते हुए कहा- वो जब से आई हैं, तब से इस छोटे से घर में कैद हैं. इसलिए उनका मूड खराब है. पत्नी ने मेरी तरफ सवालिया नजर से देखा. तो मैं अपनी पत्नी से बोला- तुम चिंता मत करो … मैं उन्हें कहीं बाहर घुमा कर लाता हूँ, जिससे उनका मन बहल जाएगा.

यह सुनते ही मेरी पत्नी खुशी खुशी तैयार हो गयी और उसने सासुजी से घूमने जाने को कहा. पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मेरे जोर देने पर वो तैयार हो गईं.

मैं उन्हें लेकर घर के पास एक पार्क में गया. वहां जाकर हम अकेले में बैठ गए. फिर मैंने हिम्मत करके उनसे बात की. पहले तो वो कुछ नहीं बोलीं, लेकिन मेरे बहुत जोर देने पर उन्होंने कहना शुरू किया. वो बोलीं- कल जो कुछ हुआ, वो बेहद गलत हुआ. इस पर मैंने खुद को संभालते हुए उनसे कहा- जो भी हुआ, उसमें हम दोनों में से किसी का भी दोष नहीं था, ये सब परिस्थियों का खेल था. इस पर वो मेरी बात काटते हुए बोलीं- इसके लिए परिस्थियां अकेले ही नहीं, बल्कि हम दोनों खुद जिम्मेदार हैं. हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था, आखिर हमारे बीच सास और दामाद का रिश्ता है.

एक पल के लिए तो मैं सकपका गया, लेकिन फिर सोच कर बोला- सिर्फ सास-दामाद का रिश्ता नहीं है, बल्कि उसके अलावा भी एक रिश्ता है.

इस पर वो थोड़ा चौंक गईं और मेरी तरफ घूरने लगीं.

मैंने फिर उन्हें समझाने वाले लहजे में कहा- हम एक दूसरे के अच्छे दोस्त भी तो हैं. इस पर वो गम्भीर स्वर में बोलीं- हम दोस्त बाद में हैं, पहले तुम मेरे दामाद हो. और दामाद के साथ इस तरह का रिश्ता कभी नहीं हो सकता. फिर दोस्तों के बीच में भी इस तरह के सम्बंध बिल्कुल जायज नहीं हैं. इस पर मैंने उनका हाथ थाम कर उनसे कहा- क्यों दामाद दोस्त नहीं हो सकता क्या? दोस्ती का रिश्ता हर रिश्ते से बड़ा होता है और अच्छे दोस्त का फर्ज एक दूसरे के काम आना भी होता है. इस पर वो बोलीं- लेकिन इस तरीके से? मैं उन्हें बीच में रोकते हुए बोला- क्यों नहीं … क्या ये हमारी जरूरत नहीं है?

इस पर वो एकदम शांत हो गईं. मैं फिर उनके कन्धों पर दोनों हाथ रख कर बोला- क्या पिछले सात सालों में कभी आपका मन नहीं किया था? इस पर वो बोलीं- लेकिन अगर किसी को ये सब पता चल गया, तो सब क्या सोचेंगे? और मेरी बेटी को पता चला, तो फिर वो … मैं उनकी बात बीच में काटते हुए बोला- कौन बताएगा? आप … या मैं? हमारे अलावा किसी तीसरे को जब ये बात मालूम ही नहीं है, तो फिर कौन किसे बताएगा?

वो बोलीं- लेकिन फिर भी.. मैंने उन्हें बीच में ही रोक दिया और कहा- बस कुछ नहीं, ये बात हम दो के अलावा किसी तीसरे तक नहीं जाएगी, बस अब और कुछ नहीं कहिए … और रहा सवाल सही गलत का, तो अपनी खुशी तलाशने में कुछ भी गलत नहीं होता है. आप 7 साल से आग में जल रही थीं. क्या आपको हक़ नहीं है कि आप अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी सकें? आपके शरीर पर आपसे ज्यादा हक दुनिया में किसी का नहीं है, बहुत जी लिए आप सबके हिसाब से … अब आगे की जिंदगी अपनी शर्तों पर जिएं और वैसे भी आप के पास कुछ पल की ही जवानी शेष है और इसे जीने का हक आपसे कोई नहीं छीन सकता … कोई भी नहीं. इस उम्र के निकल जाने के बाद सेक्स की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी.

ये सुन कर उनके चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान आयी. बस वैसे ही मैंने उनके चेहरे पर हाथ फिराते हुए कहा- छोड़िये इन सब चिंताओं को … चलिए आइसक्रीम खाते हैं और अपना मूड ठीक करते हैं. इसके बाद वो थोड़ा रिलैक्स हुईं. फिर हमने टहलते हुए आइसक्रीम खाई और ढेर सारी बातें की.

करीब एक घंटे बाद हम लोग घर पहुँचे. अब उनका मूड पूरी तरह ठीक था, ये देख कर मेरी पत्नी भी बहुत खुश हुई.

घर पहुंचने के बाद हम दोनों ही रात का बेसब्री से इनतजार कर रहे थे. हम सबने ख़ुशी खुशी साथ में खाना खाया और फिर मेरी पत्नी दवाइयां खाकर आराम से सो गई.

रात के साढ़े दस बज गए थे. मेरी पत्नी को सोये हुए आधा घण्टा बीत गया था. उसके सोने के बाद मेरी सास मेरे पास आ गईं. मैंने बिना देर किए उन्हें जल्दी से अपनी बांहों में भर लिया और जोर से उनके गालों को चूम लिया. वैसे ही उन्होंने भी मेरे गालों को चूम लिया और मुझसे लिपट गयीं.

पहले तो दो मिनट हम ऐसे ही लिपट कर लेटे रहे. उसके बाद फिर मैंने उनके गालों को, माथे को और होंठों को खूब अच्छे से चूमा और फिर काफी लम्बा लिपलॉक किया.

उसके बाद मैंने उन्हें अपनी गोद में बिठा लिया और उनके स्तनों को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया. अपनी मदमस्त सास के स्तनों को सहलाते हुए मैंने उनसे पूछा कि आपने सात साल से सेक्स का आनन्द नहीं लिया, क्या आपको कभी अन्दर से तड़प नहीं होती थी?

वो पहले तो शर्मा गईं और कुछ नहीं बोलीं.

फिर मैंने कान में धीरे से कहा- बताओ ना, प्लीज बताओ न. तब वो धीरे से बोलीं- होती थी. मैंने फिर फुसफुसा कर पूछा- तो फिर खुद को कैसे शांत करती थीं.

इस पर वो बुरी तरह शर्मा गईं और उन्होंने मुझे जोर से नोंच लिया. फिर मैंने उनके स्तनों को दबाते हुए उनकी गर्दन को चूमा और कहा- बताओ ना. वो धीरे से फुसफुसा कर बोलीं- बस ऐसे ही. मैंने कहा- कैसे? वो बोलीं- कभी कभार उंगली डाल कर और कभी … क्कभी … पतला बैगन डाल कर.

उनकी हिचकते हुए स्वर में स्वीकारोक्ति सुन कर मेरे तन बदन में आग लग गयी. मैंने जोर जोर से उन्हें चूमना शुरू कर दिया. वो भी धीरे धीरे गर्म हो रही थीं.

फिर मैंने पूछा कि आप इतनी खूबसूरत हैं … तो आखिर सात सालों से ससुरजी ने आपको छुआ क्यों नहीं, कोई परेशानी है क्या? इस पर वो थोड़ी उदास हो गईं और बोलीं कि वो मुझसे उम्र में करीब नौ साल बड़े हैं और पेशे से अध्यापक हैं. वे थोड़े धार्मिक प्रवत्ति के हैं, उनकी उम्र करीब पचास की हो चुकी थी और बेटियों की शादी हो चुकी थी, इसलिये अब वो सेक्स को गलत मानने लगे हैं और पूजा पाठ में ज्यादा ध्यान लगाने लगे हैं. धीरे धीरे उन्होंने सेक्स से बिल्कुल मुँह मोड़ लिया.

ये सुन कर मुझे थोड़ा अजीब लगा. फिर मैंने उनके पेट को सहलाते हुए उनसे पूछा- कल रात को मेरे साथ कैसा लगा? वैसे ही वो छूटते ही बोलीं- सचमुच बहुत मज़ा आया.

मैं उनके पूरे शरीर को सहला रहा था और उनके गालों को अच्छे से चूम रहा था. उन्हें चूमते हुए मैंने धीरे से उनकी मैक्सी ऊपर उठाई और उतार कर अलग रख दी. उन्होंने भी मेरी टी-शर्ट अपने हाथों से निकाल दी और मेरा लोअर भी निकाल दिया. फिर मैंने धीरे से उनकी ब्रा का हुक खोला और उसे निकाल दी. इसके बाद जल्दी से मैंने उनकी पैंटी भी निकाल दी. उन्होंने ने भी जल्दी से मेरे अंडरगारमेंट्स निकाल दिए. हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे से जोर से लिपट गए और एक दूसरे की पीठ को सहलाते हुए एक दूसरे को जोर जोर से चूमने लगे. हम दोनों चूमते हुए लिपट कर लेट गए.

फिर मैंने धीरे से उन्हें अपने ऊपर लिटा लिया और उनके बालों को और चूतड़ों को सहलाने लगा. वो मेरे सीने को चूमने लगीं.

उन्हें सहलाते हुए मैंने उनसे पूछा- ससुरजी पहले आपको अच्छे से खुश करते थे? यह सुनते ही उन्होंने ने मेरे सीने पर धीरे से काट लिया. मैंने भी उनके चूतड़ों को दबा दिया और दोबारा से पूछा. उन्होंने सर हिला कर हाँ में जवाब दिया.

मैंने उनसे पूछा- पहले आप दोनों हफ्ते में कितनी बार सेक्स करते थे? इस पर वो शर्माते हुए बोली कि बच्चे बड़े हो गए थे, तो ज्यादा मौका ही नहीं मिल पाता था. तब भी महीने में एकाध बार ही कर पाते थे. मैं चौंकते हुए बोला- तब तो बहुत दिक्कत थी, इसका मतलब ससुरजी शुरू से इस मामले में ढीले रहे हैं.

यह सुनते ही उन्होंने जोर से मेरे गालों को खींच दिया. मैंने भी करवट लेकर उन्हें अपने नीचे भींच लिया और जोर से अपना शरीर उनके शरीर से रगड़ने लगा. उनके गालों को चूमने लगा और फिर मैंने उनके दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसा.

उन्हें ऐसे रगड़ने में और उससे भी ज्यादा गन्दी बातें करने में बहुत मज़ा आ रहा था. वो भी मेरा पूरा साथ मजा ले रही थीं. वो मेरे लंड को हाथों में लेकर सहला रही थीं और मुझे चूम रही थीं.

तभी मैंने उनसे पूछा कि आपको ससुरजी के साथ सबसे ज्यादा मज़ा कब आया था. इस पर वो बोलीं- कई बार आया था. हालांकि मेरे इस सवाल पर वो शर्मा गयीं. उन्होंने मेरे सीने पर जोर से काट लिया और मेरे सीने से लिपट कर मुँह छिपा लिया.

फिर मेरे जोर देने पर बोलीं- लगभग आज से 8 साल पहले जब सर्दी का मौसम था तब बड़ा मजा आया था. मैंने पूछा- उस दिन ऐसा क्या खास था? वो बोलीं- पता नहीं, पर उस दिन मुझे बहुत मज़ा आया था. मैंने कहा- आप खुल कर बताओ ना … उस दिन क्या किया था … मुझे पूरा किस्सा सुनाओ न?

पहले उन्होंने ना में सर हिलाया, फिर मेरे जोर देने पर वो पहले मुझसे लिपट गयीं. मैंने उन्हें अच्छे से सहलाया और चूमा.

फिर उन्होंने कुछ देर शांत रहने पर सुनाना शुरू किया- आठ साल पहले की बात है, हम दोनों गांव में घर पर अकेले थे, बच्चे शहर में किराए के घर में थे, जोरदार ठंड का मौसम था. काफी दिनों के बाद हम लोग एक साथ थे. ख़ास कर अकेले थे, इसलिए तुम्हारे ससुरजी भी काफी मूड में थे. सुबह सुबह ही उन्होंने मुझे बांहों में कस लिया और पूरे गाल और माथे पर ढेर सारे चुम्बन किए. उसके बाद स्कूल चले गए. मैं भी उनके इस व्यवहार से बहुत खुश व उत्तेजित थी. सारा दिन उनके आने की राह देखती रही और शाम को अच्छे से सज संवर के तैयार हो गयी. शाम को जैसे ही उन्होंने मुझे देखा, वो एकदम मचल गए और घर में घुसते ही मुझे जोर से बांहों में कस लिया.

इतना कह कर सासू माँ रुक गईं, तो मैंने उनके दूध को चूसते हुए कहा- फिर? सासू माँ- मैंने उनसे शर्माते हुए कहा कि कोई देख लेगा. इस पर वो मुझे चूमते हुए बोले कि देख लेने दो. फिर मैं भी उनसे लिपट गयी. उसके बाद हमने साथ बैठ कर चाय पी. वैसे वो शाम को रोज मन्दिर जाते थे, लेकिन उस दिन नहीं गए और मेरे साथ मेरे रसोई के काम में हाथ बंटाया और ढेर सारी बातें की.

फिर जल्दी से हम खाना खा कर रजाई के अन्दर लिपट गए. उन्होंने जल्दी से मुझे अपने नीचे दबा लिया और मेरे गालों को चूमने लगे. मैं भी उन्हें बराबर चूम रही थी, हमने काफी देर स्मूच किया. धीरे धीरे हमने एक दूसरे के कपड़े निकाल दिए और हम नंगे हो कर अपने बदन को आपस में जोर से रगड़ रहे थे.

उन्होंने मेरे दोनों स्तनों को बारी बारी से खूब मसला. मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी. इसके बाद उन्होंने एक एक कर मेरे दोनों स्तनों को खूब चूसा. मैंने भी अपने हाथों से उनके लंड को खूब सहलाया.

मैं उनके ऊपर आ गयी और उनके पूरे शरीर को अच्छे से चूमने के बाद उनके लंड को मुँह में लेकर खूब चूसा. इस दौरान वो मेरे बालों को सहलाते रहे.

मेरी सासू जी मुझे अपनी चुदाई की कहानी बता रही थीं. मुझे बड़ा मजा आ रहा था. मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा था.

तभी कहानी बताते हुए सासुजी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और ख़ूब अच्छे से चूसने लगीं. मेरा लंड चूसने के बाद सासू जी ने आगे बताना शुरू कर दिया

सासू- उनका लंड चूसने के बाद उन्होंने मुझे अपने नीचे भींच लिया और अपना लंड मेरी चूत में खूब रगड़ा. मेरे मुँह से जोर की सिसकारियां निकलने लगीं. फिर उन्होंने अपनी तीन उंगलियां मेरी चूत में डाल कर अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी. इसके बाद उन्होंने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.

सासू माँ के मुँह से ये सुनते ही मैंने भी उनकी गीली चूत को चाटना शुरू कर दिया. सासू माँ भी जोर से सिसकारियां लेने लगीं.

फिर मेरी सासुजी ने आगे बताया- मेरी चूत चाटने के बाद वो मेरे ऊपर आ गए, मैं पूरी तरह पागल हो चुकी थी. मैं अपने पति से बोली कि जल्दी से डालो न. ये सुनकर उन्होंने मुझे जोर से किस करते हुए अपना लंड एक झटके में मेरी चूत में डाल दिया. मेरी बुरी तरह चीख निकल गई, मैं उनकी पीठ को सहलाने लगी और वो धीरे धीरे मेरी चूत में झटके लगाते रहे. मैं जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं. फिर मैं ऊपर आ गयी और खुद से झटके लगाने लगी. वो नीचे से झटके लगा रहे थे और मेरे मुँह से जोर जोर से ‘उन्ह आह..’ की आवाजें निकल रही थीं.

फिर वो मेरे स्तनों को मस्ती से काटते हुए मेरी कमर सहलाने लगे. जिससे मैं एकदम से चिहुंक उठी. उसके बाद उन्होंने मुझे इशारा किया, तो मैं समझ गयी, दरसल उन्हें तम्बाकू खाने का शौक था, मैंने पास में रखी उनकी तम्बाकू की डब्बी उठाई और तंबाकू और चूना निकाल कर अपनी हथेली में ले लिया. अब वो जोर जोर से मुझे गोद में बिठा कर झटके लगा रहे थे और मैं उतनी ही तेजी से अपनी हथेली में तम्बाकू रगड़ रही थी और मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं. तभी तम्बाकू रगड़ कर मैंने अपने मुँह में ले ली, मुझ पर अब बुरी तरह नशा छाया हुआ था. तुरन्त ही तुम्हारे ससुरजी ने अपने होंठों को मेरे होंठों में बुरी तरह फंसा लिया और अपनी जीभ से मेरी जीभ को दबाते हुए सारी तम्बाकू अपने मुँह में खींच ली. हम दोनों अब भयंकर नशे में थे. इधर आपस में होंठ और जीभ बुरी तरह उलझे थे और नीचे मेरी चूत में उनका लंड बुरी तरह फंसा हुआ था. वो जोर जोर से झटके मारे जा रहे थे और नीचे से पट पट की आवाजें आ रही थीं.

तभी उन्होंने मुझे गोद में लिए हुए ही एक जोर का झटका लगाया और एक सांस में हम दोनों ही लोग एक साथ झड़ गए. मेरी चूत और उनके लंड से एक साथ पानी की धार लगी हुई थी. हमारा बिस्तर एकदम गीला हो गया, हम दोनों पूरी तरह निढाल पड़े हुए थे. सचमुच उस दिन बहुत मजा आया था.

अपनी सासू जी की सेक्स कथा सुनकर मेरे अन्दर पूरे शरीर में करंट सा दौड़ रहा था. मैं इस दौरान बराबर उन्हें मसल रहा था और उनके पूरे शरीर को चूम रहा था. उनके पूरे शरीर से अंगारे बरस रहे थे.

वो एकदम मचल कर बोलीं- क्यों देर कर रहे हो, जल्दी से करो ना. मैं भी उनकी चूत में उंगली डाल कर बोला- क्या करूँ? इस पर वो एकदम बदहवास हो कर बोलीं- क्यूं तड़पा रहे हो, जल्दी करो न.

मैंने उनकी चूत चाटने के बाद अपना लंड चूसने के लिए इशारा किया, जिस पर उन्होंने झट से मेरा लंड मुँह में ले लिया और अच्छे से चूसने लगीं.

मुझे बहुत मजा आ रहा था, जिससे मैं उनके बालों को अपने हाथों से सहलाने लगा.

थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उन्हें अपने नीचे लिटा कर अपना लंड एक झटके में ही उनकी चूत में डाल दिया. इससे वो बुरी तरह हिल गयीं … उनके मुँह से जोर जोर से ‘उन्ह … आह..’ की आवाजें निकलने लगीं. मैंने उनके गालों को रगड़ कर चूमना शुरू कर दिया. मैं खूब अच्छे से झटके लगा रहा था और वो भी पूरे जोश में नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा भरपूर सहयोग कर रही थीं.

मेरा लंड उनकी चूत में और होंठ उनके होंठों में बुरी तरह फंसे हुए थे. हम दोनों ने एक दूसरे को कसके बांहों में जकड़ रखा था. तभी उन्होंने मेरी कमर को अपनी टांगों में जकड़ लिया. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद उन्होंने पोजीशन बदलने के लिए कहा.

मैंने फिर उन्हें गोद में बैठा कर झटके लगाना शुरू कर दिया. अब तो वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगीं और मेरी पीठ में नोंचने लगीं.

मेरी सास मदमस्त सिसकारियां लेते हुए लगभग चिल्ला सी रही थीं- हाय दैया … आह … फाड़ के रख दी … आह … चोद दिया … हाय दैया चोद दिया.

मुझे उनकी गर्मागर्म सिसकारियां सुनकर पूरे तनबदन में आग लग रही थी. मैं उतनी ही तेजी से झटके लगाने लगा. इसके बाद फिर मैंने उन्हें डॉगी पोज में … और लंड के ऊपर बिठा कर भी ख़ूब मजा लिया.

इसके बाद मैंने उन्हें अपने नीचे जकड़ कर तेज रफ्तार में जोर जोर से झटके लगाए, जिसके बाद वो बुरी तरह उछल पड़ीं और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए. मेरे लंड का पूरा पानी मैंने उनकी चूत में ही छोड़ दिया, उनकी चूत से भी जबरदस्त धार लग गयी थी. पूरा बिस्तर भीग चुका था. हम दोनों एक दूसरे की बांहों में निढाल पड़े हुए थे.

काफी देर तक ऐसे ही पड़े रह कर एक दूसरे को चूमने के बाद हमने कपड़े पहन लिए.

अब रात के तीन बज चुके थे और मेरी पत्नी की दवाई का असर भी खत्म होने वाला था. इसलिए बिना बात किये हम चुपचाप अपने अपने बिस्तरों में जाकर लेट गए.