जवानी की शुरुआत में स्कूलगर्ल की अन्तर्वासना-4

तो मैंने पहले तो जीभ से उसके लंड के टॉप को छुआ जिससे वो काँप गया। अब अच्छा लगे या बुरा … मुझे चूसना तो था ही … क्योंकि फिल्म में होता है।

इसलिए मैंने अपने होंठों को उसके लंड के चिकने मुंह पे रखा और धीरे धीरे अपने मुंह में लेती चली गयी। सचिन के मुंह से बस जोर की ‘आनहह …’ निकली और उसने आँखें बंद करके सिर ऊपर उठा लिया।

अब मैंने उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और उसका लंड अच्छे तरीके से अंदर बाहर चूसना शुरू कर दिया और उसे मजा आता चला गया।

मैं अपनी जीभ से अंदर ही अंदर उसको सहला भी रही थी और सचिन बस बोलता रहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… सुहानी इतना मजा आ रहा है कि बस मैं बयान नहीं कर सकता, चूसती रहो बस जोर ज़ोर से … अहह!

मैंने लगभग 5 मिनट तक उसका लंड बिना रुके चूसा और फिर हट गयी और खड़ी हो गयी। मैंने कहा- अब अगले स्टेप की बारी तुम्हारी। सचिन ने कहा- ओह हाँ, एक मिनट!

और उसने मेरी पैंटी साइड में उंगली डाल के उतार दी नीचे। अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे हो चुके थे।

उसने कहा- बेड पे टाँगें खोल के लेट जाओ. तो मैं खुश हो के एकदम से बेड पे लेट गयी और सिर के नीचे बड़ा तकिया लगा लिया।

सचिन ने मेरे दोनों पैर पकड़े और एकदम से मेरी टाँगें खोल के चौड़ी कर दी, तो मेरे मुंह से “आउउच्छ …” निकल गयी, मैंने कहा- आराम से यार, अपनी बेस्ट फ्रेंड को तकलीफ दोगे क्या? उसने कहा- आज तो थोड़ी तकलीफ सहनी पड़ेगी तुम्हें सुहानी। मैंने कहा- कोई नहीं, तुम चालू रखो अपना काम।

फिर उसने मेरी कुँवारी अनचुदी गुलाबी चूत को बड़े गौर से देखा और कहा- मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मैं खुद अपनी सबसे अच्छी दोस्त की सील तोड़ूँगा! और उसने मेरी चूत पे किस कर लिया।

मेरे पूरे जिस्म में एक अजीब सा करेंट दौड़ गया और मैंने “स्स …” कर के ऊपर को उचक के आहह … भरी। अब सचिन अपना पूरा मुंह मेरी टांगों के बीच ले आया और धीरे धीरे कुत्ते की तरह जीभ से चाट चाट के मेरी चूत से खेलने लगा. मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं बस ‘उम्मह … उम्महह …’ करते हुए सिसकारियाँ भर रही थी।

फिर अचानाक उसने मेरी चूत की बुड़क भर ली तो मैंने जोश में उचक के अपनी टांगें क्रॉस कर के मोड़ ली और उसका सिर अपनी चूत पे जकड़ लिया। उसने जीभ से चूत के अंदर तक चाटना चालू रखा और धीरे धीरे मेरी चूत गीली होती चली गयी।

मैं अब बहुत बैचनी से इंतज़ार कर रही थी कि कब सचिन का लंड मेरी चूत को चोदता हुआ अंदर समा जाये पूरा। मैंने उसे तड़प के कहा- आहह … उम्महह … सचिन रुको रुको, ये वाला स्टेप अब बाद में कर लेना, इससे अगला स्टेप करो, अब रुका नहीं जा रहा, प्लीज अपना लंड डाल दो, मुझसे काबू नहीं हो रहा खुद पे, प्लीज। मैं पूरे जोश में आ चुकी थी और अब रुका नहीं जा रहा था।

सचिन बेड पे आ गया घुटनों के बल और मेरी टांगों के बीच से मेरे ऊपर आ के झुक गया और मेरे मुंह से कुछ ही इंच दूर था। उसने मेरी आंखों में देखकर कहा- तैयार हो अगले स्टेप के लिए? मैंने हाँ में सिर हिला दिया।

उसने अपना लंड मेरी चूत के दरवाजे पे एक दो बार ऊपर नीचे रगड़ा तो मुझे और बैचनी सी होने लगी। सचिन ने कहा- देखो पहली बार है तुम्हारा भी और मेरा भी … इसलिए पहले ही बता दूँ कि शायद तुम्हें हल्का सा दर्द हो। मैंने कहा- कोई नहीं, थोड़ा सा दर्द तो मैं बर्दाश्त कर लूँगी, तुम लंड डालो। उसने कहा- ठीक है.

और अपना लोहे की तरह सख्त लंड मेरी चूत पे खड़ा कर के धीरे धीरे घुसाने लगा।

शुरू में तो मुझे बस हल्का सा खिंचाव सा ही लगा पर फिर जब उसका लंड मेरी चूत की सील पे जा के अटक गया तब मुझे हल्का हल्का दर्द सा होने लगा और मेरे मुंह से ‘आई … सीईई …’ निकल गयी. तो मैंने उसे बताया- दर्द सा हो रहा है। उसने कहा- थोड़ा सा और होगा!

और उसने और अंदर डालने की कोशिश करी. पर अब दर्द एकदम से बढ़ गया और मैंने उसको छाती पे हाथ रख कर रोकने की कोशिश करी। उसने पूछा- क्या हुआ? मैंने कहा- अभी रुक जाओ, दर्द हो रहा है बहुत। सचिन बोला- ज्यादा हो रहा है क्या? मैं बोली- हाँ काफी चीस हो रही है।

उसने कहा- अब तो एक ही तरीका है फिर। मैंने कहा- क्या? उसने कहा- एक गहरी सांस लो! तो मैंने ली.

फिर उसने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिये और ज़ोर से दबा दिया। फिर उसने एकदम से अपना पूरा लंड घप्प करके मेरी चूत में उतार दिया और उसके लंड की खाल पीछे सरकती हुई अटक गयी और उसका लिंगमुंड मेरी चूत की झिल्ली यानि सील को पूरी फाड़ता हुआ मेरे जिस्म की गहराई में उतर गया और सचिन मेरे ऊपर गिर गया।

मुझे उस पल इतना असहनीय दर्द हुआ हुआ. मेरी आँखें फटी रह गयी और मैं दर्द से करहाते हुए बंद होंठों से बस ‘उम्म … उम्म … उम्मह …’ कर रही थी। उसके होंठ अभी भी मेरे होंठों को सील किए हुए थे, वरना मेरी बहुत ज़ोर की चीख निकल जाती, और शायद मेरे घर तक भी सुनाई दे जाती।

कुछ पल तक वो मेरी ऊपर ही पड़ा रहा इसी हालत में। मेरी आँखों में आँसू तक आ गए थे दर्द के कारण, मेरी सांस तक अटक गयी थी।

फिर लगभग 40-45 सेकंड बाद उसने मेरे होंठ आज़ाद किए। मैंने छूटते ही कहा- आऊ … आहह … उम्हह … सचिन बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज निकालो, मेरी जान निकल रही है। उसने बोला- ऐसे निकाल लूँगा तो दुबारा फिर दर्द होगा, इसलिए अब थोड़ा दर्द बर्दाश्त कर लो, अभी सब सामान्य हो जाएगा। मैंने कहा- ठीक है.

फिर सचिन ने अपना लंड आधा बाहर निकाला और फिर एक दम से घुसा दिया तो मेरी फिर ज़ोर से ‘आहह …’ निकल गयी। सचिन ने कहा- धीरे धीरे दर्द कम हो जाएगा.

और उसने ऐसे आधा बाहर निकाल के फिर डालना चालू रखा और धीरे धीरे चोदता चला गया। उसके हर झटके के साथ मेरी हल्की हल्की ‘सी … सी … अह … अहह …’ निकल रही थी पर वो मुझे ऊपर को झटके देता चला गया और लगभग 2-3 मिनट तक ऐसे ही आराम आराम से चोदने के बाद अंदर पूरा लंड फंसा के उसने बोला- मुबारक हो, अब हम दोनों ने अपनी वर्जिनिटी तोड़ ली है एक साथ। मैं अब निकलता हूँ, थोड़ा आराम कर लो।

उसने अपना लंड निकाला तो मैंने देखा कि उसका लंड खून में लथपथ है। मैं समझ गयी कि मेरी चूत का खून ही उसके मुंह लगा है।

मैं फिर उठी, अपनी चूत का जायजा लिया और देखा कि उसका दरवाजा खुल चुका है और हल्का हल्का खून रिस रहा है। सचिन के बेड की चादर पे भी छींटे है। मैंने अपनी चूत को हाथ से सहलाया और कहा- यार बहुत दर्द हुआ, मुझे तो ऐसा लगा कि तुमने चाकू मार दिया हो मुझे। ब्लू फिल्मों में तो नहीं होता ऐसा। उसने कहा- जब पहली बार सेक्स करते हैं बस तभी होता है। अब आज के बाद नहीं होगा कभी तुम्हें इतना दर्द।

कुछ मिनट तक आराम करने के बाद उसने कहा- चलो फिर से डालता हूँ, तैयार हो जाओ, अब दर्द नहीं होगा और बस मजा आयेगा। मैंने कहा- ठीक है, डालो फिर! उसने मुझे बेड के किनारे कर दिया और मेरी दोनों टांगें हवा में उठा दी एकदम से।

मेरे मुंह से ‘आउच …’ निकली और उसने कहा- ठीक है, मैं लंड डाल रहा हूँ. और अपना लंड मेरी चूत की दरार पे लगाया और बस फिर धीरे धीरे मेरी चूत में घुसाता चला गया, सचिन के मुंह से बस एक ‘उम्महह …’ निकली।

शुरू में तो मेरी हल्की ‘सी … सी …’ सिसकारी निकली पर फिर अजीब सा मजा आया, इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया था कभी भी। मैंने खुशी से ‘ऊउउउ …’ किया और कहा- फिर से करना यार ऐसा! सचिन ने कहा- मजा आया ना? मैंने कहा- हाँ यार, तुम सही कह रहे थे।

अब सचिन ने लंड निकाला और दुबारा उसी तरह डाला और अब थोड़ा जल्दी जल्दी अंदर बहार कर कर के चोदना शुरू कर दिया। मुझे उसके हर धक्के में बहुत मजा आने लगा और मेरे मुंह से हल्की हल्की ‘आहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्महह … हम्म …’ निकलने लगी।

उसका हर धक्का मुझे बेड में ऊपर नीचे तक धकेल दे रहा था पर मुझे मजा बहुत आ रहा था। मैंने उससे कहा- आहह … अहह … अहह … थोड़ा और तेज़ तेज़ कर सकते हो … आहह … अहह … क्या, बहुत मजा आ रहा है। सचिन मुस्कुराया और बोला- अभी लो यार!

और फिर तो बस ज़ोर ज़ोर से पट्ट पट्ट की टक्कर मारते हुए मेरी जाँघों पे ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया। मैं अब पूरे मजे लेते हुए चुद रही थी और ‘आहह … अहह … ऊंहह … उन्नहह …’ कर रही थी। सचिन भी ‘हम्म … हम्म … हम्म …’ दम भरते हुए मुझे चोदे जा रहा था।

हम दोनों बीच में एक दूसरे को होंठों को पुच … पुच … कर के चूम भी रहे थे।

फिर वो थोड़ा सा थक गया तो धीरे धीरे चोदने लगा। मैंने कहा- थक गए हो तो थोड़ा आराम कर लो। वो लंड निकाल के बेड से पैर लटका के बैठ गया।

अब तक मेरी चूत के गीलेपन से उसका लंड बिल्कुल साफ और चिकना कर दिया था। मैंने बैठ के उसको हाथ से सहलाना चालू रखा और अगले स्टेप के बारे में सोचने लगी। फिर मैंने थोड़ी देर बाद कहा- अब अगला स्टेप करो ना!

सचिन उठा और खड़ा हो गया, मैं उसके बेड के किनारे घोड़ी बना गयी के घूम गयी। सचिन ने मेरी चूत पे लंड लगाया पीछे से और बोला- तैयार हो सुहानी? मैंने कहा- बिल्कुल, आज सुहानी पूरी रात चुदवाने को तैयार है, इस बार ज़ोर ज़ोर से धक्के मारना।

उसने अपना लंड सीध में लाकर चूत में घुसेड़ दिया और मुझे आगे को धक्का लगा। मेरे मुंह से बस लंबी सी सुकून की ‘आहह …’ निकली।

अब सचिन ने मुझे पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू कर दिये और मैं भी पीछे के तरफ से उसकी जांघों पे हिलते हुए धक्के मार रही थी और ज़ोर ज़ोर से हिलती हुई चुदवा रही थी और ‘आहह … अहह … बहुत मजा … आ रहा है … सचिन … और तेज़ … और तेज़ …” कर रही थी।

सचिन भी बस अपनी धुन में ‘हम्म … हम्म … उम्महह …’ करता हुआ मुझे चोदता ही जा रहा था। उसके धक्कों से मेरा पूरा बदन बेड में आगे पीछे हिल रहा था। मेरे खुले हिलते बालों को देख के उसने कहा- यार सुहानी, तू खुले बालों में बहुत खूबसूरत लगती है, इन्हें खुला ही रखा कर। मैंने कहा- ठीक है, कोशिश करूंगी आगे से।

धीरे धीरे उसकी और मेरी उत्तेजना अपने शिखर पे पहुँचने लगी और हमारी साँसें तेज़ होने लगी। मैंने कहा- आहह … आहह … अआ … आ … हहस्स … बहुत मजा आ रहा है, ऐसा लग रहा है की मेरे अंदर कोई धमाका होने वाला है, और तेज़ सचिन और तेज़ … प्लीज। सचिन ने कहा- मुझे भी ऐसा ही लगा रहा है. और वो अपनी पूरी गति से धक्के मारता चला गया।

लगभग 2-3 मिनट बाद ही मेरा बदन अकड़ने लगा, एक पल को तो ऐसा लगा की मुझे लकवा मार रहा है, पर उस वक़्त इतना आनन्द आ रहा था कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती, मैं सब कुछ भूल कर पूरे जोश से ‘आहह … आहह … सचिन … और तेज़ … और तेज़ … प्लीज … सचिन प्लीज … ‘ कह रही थी।

उधर सचिन की सांसें भी तेज़ हो चुकी थी और वो भी पूरे लंड को अंदर बाहर कर कर के मुझे चोदे जा रहा था।

फिर अचानक मेरा बदन ऐंठने लगा और मेरे अंदर एक असीमित आनन्द और सुख का धमाका हुआ और मैं कंपकापने लगी. और फिर मेरी चूत में से फच्च … फच्च … कर के एक फव्वारा छूट गया और 2-3 फव्वारे और छोड़ती हुई एकदम ढीली पड़ गयी और बेड पे सीधी होके हाथ आगे फैला के लेटती चली गयी।

उधर सचिन भी मेरी लबालब भरी चूत में फच्च फच्च करते हुए आखिरी झटके मारने लगा और एकदम से उचक के अपना वीर्य मेरी चूत में भरता हुआ मेरी कमर पे ही निढाल होकर गिर गया। फिर वो लंड निकाल के मेरे बगल में आकर गिर गया.

अब हम दोनों ही ज़ोर ज़ोर से हाँफ रहे थे और खिलखिला के मुस्कुरा रहे थे।

आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे अब तक का सबसे चरम सुख दे दिया था और मैं बहुत खुश थी। मेरी चूत से शायद अब भी हल्का हल्का पानी रिस रहा था और सचिन के लंड से भी! हालांकि अब वो उतना सख्त नहीं था और ढीला होने लगा था।

मैं भी सीधी होकर उसकी बगल में लेट गयी और उसकी छाती पे सिर रख लिया। हम दोनों लगभग 10 मिनट तक ऐसे ही चित पड़े रहे बेड पे और आराम करते रहे। मैंने कहा- यार, बहुत मजा आता है सेक्स करने में तो, मुझे नहीं पता था। सचिन ने कहा- सच में यार … मैं इतना साल से हाथ से हिला हिला के वीर्य निकाल लेता था. पर आज जितना मजा कभी नहीं आया।

मैंने कहा- अच्छा, हाथ से ही हो जाता है तुम्हारा काम? सचिन ने कहा- हाँ यार, आज भी तुम्हारे आने से एक दो घंटे पहले फिर से किया था, तभी तो इतनी देर तक चोद पाया अपनी प्यारी दोस्त को। मैंने कहा- थैंक यू सचिन तुमने आज मुझे मुझे सबसे ज्यादा खुशी और मजा दिया है। फिर हम ऐसे ही पता नहीं कब तक पड़े रहे।

कहानी जारी रहेगी. सुहानी चौधरी [email protected]