Drishyam, ek chudai ki kahani-26

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हेल्लो, अब आगे की हिन्दी सेक्स कहानी पढ़िए और मजे लीजिये!

आरती समझ गयी की कमल भैया उसको ललचा फुसला कर चोदना चाहते थे। पर आरती की माँ ने आरती को घुमा फिरा कर यही कहा था की लड़की को अपना सर्वस्व सिर्फ अपने पति को शादी के बाद ही देना है।

आरती समझ गयी की माँ यह कह रही थी की लड़की को पहली बार अपने पति से ही चुदवाना चाहिए। भाभी से बात करने के बाद आरती के मन में चुदवाने की प्रबल इच्छा जाग उठी थी, पर दो कारणों से आरती नहीं चुदवा पायी।

पहला कारण यह की माँ ने मना किया था। दुसरा कारण यह था की आरती को चुदवाने का कोई मौक़ा ही नहीं मिला। आरती का कमल भैया को छोड़ और कोई लड़के से किसी भी तरह का सम्बन्ध या दोस्ती नहीं थी, जिससे उसे ऐसा कुछ मौक़ा मिले।

पर कमल की नजर आरती के ऊपर सटीक थी। आरती की युवानी पुर बहार खिली हुई थी। उसमें एक किशोरी से सरलता, एक युवती की चंचलता और एक औरत की मादकता थी। वह कोई भी कपडे पहनती तो उसके सारे अंग कामुकता से भरे हुए निखर उठते। आरती लम्बाई में कुछ कम थी पर उसका चेहरा, उसकी कमर, उसके उरोज, उसके नितम्ब और उसकी जांघें देख कर अच्छे से अच्छा आदमी भी एक नजर और डालना चुकता नहीं था।

कमल बार बार आरती को इशारों इशारों में स्त्री पुरुष के जातीय संबंधों के बारे में बताता रहता था। कभी वह आरती के कपड़ों के बारे में टिपण्णी करता जैसे “अरे तुम्हारा ब्लाउज तो तुम्हारी छाती का उभार मस्त दिखा रहा है। तुम्हारा स्कर्ट तो तुम्हारे पीछे की गोलाई को कितना बढ़िया उजागर कर रहा है”, इत्यादि। आरती समझती पर चुप रहती। शायद कहीं ना कहीं उसे उन टिप्पणियों में भी कुछ उत्तेजना का अनुभव होता था।

कई बार आते जाते कमल आरती को अकेला पा कर कोने में ले जा कर उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके बूब्स मसल देता, तो कई बार आरती को पकड़ कर उसकी गाँड़ पर हाथ लगा कर आरती को अपनी बाँहों में खिंच लेता और आरती की गाँड़ के गालों को दबा देता। घबड़ा कर हड़बड़ाने के अलावा आरती कमल की इन हरकतों की किसी से कोई शिकायत नहीं करती थी।

आरती बस यही कहती ,”भैया, यह क्या कर रहे हो? ऐसा मत करो। कोई देख लेगा।”

जब कभी मौका मिलता तो कमल आरती के ब्लाउज में हाथ डालकर आरती की करारी सख्त चूँचियों को दबाने की कोशिश करता। ज्यादातर तो आरती वहाँ से खिसक जाती, पर कई बार कमल आरती को जकड लेता और आरती के ब्लाउज में हाथ डालकर आरती की करारी सख्त चूँचियों को मसल देता और निप्पलेँ उँगलियों के बिच में दबा कर उन्हें पिचक देता। आरती का हरबार यही विरोध रहता था, “भैया, यह क्या कर रहे हो? ऐसा मत करो। कोई देख लेगा।”

कमल को आरती की ऐसी प्रतिक्रया से लगता था की अगर वह आरती को छेड़ता है तो आरती को कोई ज्यादा प्रॉब्लम नहीं है। बल्कि कमल यह भी सोच रहा था की अगर घर में कभी कोई और ना हो और अकेले आरती को पकड़ा जाये तो वह आरती को चोदे बगैर नहीं छोड़ेगा। इसी लिए कमल आरती के साथ अकेले घर में रहने का मौक़ा ढूंढता रहता था। पर कई महीनों से उसे ऐसा मौक़ा नहीं मिला।

कमल आरती को कहता, “आरती यह क्या हरबार तुम मुझे रोकती रहती हो। अरे कुछ मौज मस्ती तो किया करो। देखो यही उम्र है मस्ती करने की। तुम मुझे रोकती हो तो मैं अपना मन मसोस कर रह जाता हूँ क्यों की घर में कोई ना कोई होता है।”

आरती ने शरारत भरी मुस्कान करते हुए पूछा, “अच्छा? अगर मैं तुम्हें घर में अकेली मिल जाउं तो क्या कर लोगे?”

कमल ने कहा, “अगर तुम मुझे किसी दिन घर में अकेली मिल गयी ना, तो फिर समझ लेना की मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं। मैं क्या करूंगा? मैं सब कुछ कर लूंगा। फिर तुम चिल्लाना मत, समझ गयी?”

आरती ने हँसते हुए कहा, “देख लेंगे जब ऐसा वक्त आया तो। अभी तो तुम सपने देखते रहो।”

आरती के इस जवाब ने कमल को काफी दिलासा दिलाया। उसे कहीं ना कहीं यह विश्वास होता जा रहा था की अगर उनको अकेले घर में रहने का मौक़ा मिला तो आरती उससे चुदवाने के लिए शायद मानसिक रूप से तैयार हो रही थी।

एक दिन शाम आरती कॉलेज से जब कमल के साथ वापस आयी तो घर में सिर्फ कमल की माँ थी। वह भी एक थैला लिए बाहर जा रही थी कुछ सामान खरीदारी करने के लिए। शायद सब्जी और कुछ और सामान लाने के लिए निकल ही रही थी।

कमल के भाई भाभी कहीं एक दिन के लिए बाहर गए थे और दूसरे दिन आने वाले थे। पापा कोई दोस्त के यहां गए थे और देर रात आने वाले थे। कमल ने देखा की आरती को फंसाने का इससे बढ़िया अवसर मिल नहीं सकता था। माँ को कम से कम दो घंटे तो लगेंगे ही।

कमल माँ को प्रणाम कर दूसरे माले पर अपने कमरे में चला गया। आरती को देख माँ ने कहा, “मैं महीने भर का सामान लेने जा रही हूँ। आते कुछ देर हो सकती है। तुम फ्रेश हो कर के एकाध घंटे बाद अरहर की दाल और दूसरे कुकर पर चावल हम चार जनों के लिए उबाल देना और सब्जी काट कर रख देना। मैं वापस आ कर बाकी का काम कर लुंगी।” और कुछ देर जैसे हर माँ अपनी बेटी को घर में क्या क्या करना है यह पुरे विस्तार से समझाती है ऐसे समझाकर कमल की माँ बाजार जाने के लिए चल पड़ी।

आरती फटाफट अपने कमरे में गयी और बाथरूम में जाकर हाथ मुंह धो कर कपडे बदले और चोली घाघरा और ऊपर चुन्नी डाल कर वह अपने कमरे में से निकल कर नीचे रसोई में पहुंची।

मामी के कहने के अनुसार शायद मामी को डेढ़ दो घंटे तो लगेंगे। आरती कोई गाना गुनगुनाती हुई रसोई में एक के बाद एक अलग अलग सामग्री निकालने में जुट गयी।

कमल दूसरे माले पर अपने कमरे में जा कर खिड़की से निचे माँ को आरती से बात करते हुए देख रहा था। कुछ ही समय में माँ निकल जायेगी और आरती उसके साथ अकेली होगी। कमल का मन यह मौक़ा पा कर नाच उठा।

आरती को अकेले में पकड़ने का इससे अच्छा और कोई मौक़ा कमल को नहीं मिलने वाला था। पर बार बार निचे झाँकने पर जब कमल ने देखा की माँ तो पता नहीं आरती से क्या क्या लम्बी बातें कर रही थी तो अकुला कर वह वापस बिस्तरे पर बैठ गया और चुपचाप माँ के जाने का इंतजार करने लगा। माँ के जाने पर वह आरती के साथ क्या क्या करेगा उसकी कल्पना में कमल खो गया।

जब आरती रसोई में काम करने की कोशिश तो कर रही थी पर घर में कमल और उस के अलावा कोई और नहीं था, तो अब क्या होगा यह सोच कर आरती की छाती जोर जोर से धड़क रही थी। उसे पूरा यकीन था की इस मौके को कमल छोड़ेगा नहीं और कुछ ना कुछ बहाना करके कमल आरती को पकड़ लेगा और आगे पता नहीं क्या हो?

आरती के मन में एक अजीब तूफानी द्वन्द चलने लगा। वह उस परिस्थिति को रोकने के लिए कुछ कर नहीं सकती थी। वह मामी को जाने से शायद रोक सकती थी। पर अगर वह रोकती तो मामी को क्या कह कर रोकती? फिर तो घर में घमासान ही छिड़ जाता।

कमल क्या करेगा या नहीं करेगा आगे क्या होगा? इस विचार सोचते ही आरती का बदन रोमांच से काँप उठा। अगर कमल ने उसे पकड़ लिया तो आरती पहली बार किसी मर्द की मर्दानगी महसूस कर पाएगी। पिछले कुछ दिनों से तो कमल आरती के साथ सिर्फ ऊपरछल्ली छेड़खानी ही कर रहा था। पर अब कमल को घर में आरती के साथ कुछ देर अकेले रहने का पहली बार मौक़ा मिला था।

आरती को लगभग यकीन था की अगर कमल आरती को अकेलेमें पायेगा तो पहले की तरह कुछ छेड़खानी कर उसे छोड़ नहीं देगा। हर बार तो कमल को किसी के आ जाने का डर सताये रहता था। पर इस बार तो घर में और कोई था ही नहीं।

इस बार कमल के मन में आया तो वह आरती को चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। फिर तो वह आरती को चोदने के अपने सारे सपने पुरे करेगा। आरती का पूरा बदन यह सोच कर सिहर उठा। कैसा होगा कमल का लण्ड? कैसे वह उस लण्ड को मेरी चूत में डालेंगे? इन्हीं विचारों में आरती खोई हुई थी। उसे कुछ डर था। पर उससे कहीं ज्यादा रोमांच था।

कॉलेज में आरती की सहेलियां आरती को उनके जीवन की पहेली चुदाई के बारे में बतातीं थीं और उनको सुनते ही आरती की चूत गीली हो जाती थी। आरती को भी उस शाम शायद कमल वह अनुभव कराएंगे। कैसे आरती उस समय कमल से निपटेगी?

क्या आरती को कमल की कामुक चेष्टाओं का जम कर प्रतिरोध करना चाहिए, ताकि वह आरती का सील तोड़ ना सके और इस तरह आरती माँ के आदेश का अक्षरशः पालन करना चाहिए? या फिर क्या आरती को उतना ही विरोध करना चाहिए जितना कमल नजरअंदाज कर आखिर में आरती को अपनी ताकत से वश में कर आरती को उस के जीवन के पहले सम्भोग का आनंद दे सके?

यह द्वंद्व आरती के दिमाग में चल रहा था और वह तय नहीं कर पा रही थी। दिल कहता था “आरती चुदवाले यार! किसको पता चलने वाला है?” तो दिमाग कहता था, “आरती अपने आप को रोक, कमल से चुदवाने में ना सिर्फ माँ के आदेश का उल्लंघन होगा पर बादमें तू जब शादी करेगी तब क्या अपने पति को तू अपने सील तोड़ने का मौक़ा दे पाएगी, जिसका की हर पति को हक़ है?”

आरती इस द्वन्द का तोड़ नहीं निकाल पा रही थी। आरती ने वही किया जो अक्सर ज्यादातर युवतियां इस आयुसंध्या पर इस मानसिक अवस्था में करती हैं। बिना कुछ सोचे समझे, “जो होगा देखा जाएगा” यही सहज रास्ता निकाल आरती अपने रसोई में कुछ काम करने का स्वांग करती हुई अपने मन ही मन में चोरी चोरी कमल के आने का इंतजार करने लगी।

कमल ने जब देखा की माँ जा चुकी थी, तब वह निचे उतरा और चुपचाप बिना आवाज किये रसोई में काम कर रही आरती को पीछे से एकदम जकड़ लिया। आरती यह उम्मीद नहीं कर रही थी। वह यह सोच रही थी की कमल भैया आएंगे, पहले आरती का हाथ थामेंगे, कुछ अनुनय विनय करेंगे और फिर आगे बढ़ेंगे।

पर आरती को लगा जैसे कमल आरती को अपनी बपौती जागीर समझते हों ऐसे पीछे से उसे जकड कर अपनी हवस पूरी करने के लिए ही आरती पर जबरदस्ती कर रहे थे। आरती को यह भाया नहीं। पर वह कमल के सिकंजे में आ चुकी थी। कमल के कसे हुए लम्बे मोटे शशक्त बदन के सामने छुटकी आरती का कमजोर विरोध कहाँ टिक पाता?

पढ़ते रहिये, कहानी आगे जारी रहेगी!

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