जीजा ने मुझे रंडी बना दिया-14

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कहानी के इससे पहले वाले भाग में आपने पढ़ा कि जीजा के दोनों दोस्तों ने मेरी चूत और गांड को चोद दिया था और मुझसे चला भी नहीं जा रहा था. मगर उसी वक्त मां भी कमरे में आ गई. वो मेरे बिस्तर को ठीक करने लगी और उसको मेरी ब्रा और पैंटी मिल गई.

साथ ही मां को बेड की चादर पर लगा हुआ मेरी चूत का रस और साथ ही विवेक और अभय सेठ के लंड का रस लगा हुआ मिल गया. मेरी चूत से जो खून निकला था वो भी मां ने देख लिया. मां को शक हो गया कि मैंने उन दोनों सेठों के साथ मुंह काला किया है. वो गुस्से में मुझे गालियां देने लगी.

मेरी मां ने उसी वक्त मेरे जीजा को फोन लगा दिया. मैं डर गई कि जीजा वाली बात भी कहीं मां को पता न चल गई हो. मां को पूरा यकीन हो गया था कि उन दोनों ठेकेदारों ने मुझे बहुत चोदा है. अब मुझे डर था कि कहीं मेरी मां उन दोनों ठेकेदारों और जीजा को बुला कर गाली न देने लगे.

जीजा को फोन लगा कर मां ने उसे स्पीकर मोड पर कर दिया. मां जीजा को भी बुरा भला कहना शुरू कर दिया. वो बोली- दामाद जी, तुम तो बड़े कमीने हो कि तुम दारू पीकर सब कुछ भूल जाते हो. उन दो सेठों को मेरे घर पर ले आये थे. तुमने मुझे भी नहीं बताया कि उन दोनों को यहां पर क्यों लेकर आये थे. तुम ऐसे ही चुपचाप उनको लेकर निकल गये.

जीजा बोले- क्या हुआ मम्मी, कुछ गलती गई क्या उनसे? मां बोली- नहीं कोई गलती नहीं हुई है. मैं तो इसलिए फोन कर रही थी कि मैं उनका ठीक से स्वागत भी नहीं कर पाई. मां के मुंह से ये बात सुन कर मेरी जान में जान आई.

फिर मां बोली- बेटा, उन दोनों दोबारा जल्दी वापस लेकर आना. अबकी बार मैं उनका स्वागत अच्छे तरीके से करूंगी. मुझे अकेले में उनसे कुछ बात करनी है. मैं सोच रही थी कि बंध्या भी अब बड़ी हो गई है. इसको भी कहीं नौकरी-चाकरी लगवा देंगे तो सही रहेगा. इसको छोटी उम्र में ही काम करने का बहुत शौक हो गया लगता है.

जीजा बोले- ठीक है मम्मी. आपकी बात को मैं कैसे टाल सकता हूं. वैसे मैंने कहे बिना ही उनको बंध्या के बारे में बता दिया था. उनको कह दिया था कि इसको ट्रेनिंग करा दें. मैंने उनको घर की स्थिति भी बता दी थी. मैं जल्दी ही उन लोगों को दोबारा से घर में लेकर आऊंगा.

मां बोली- ठीक है बेटा. मैं बंध्या को बोल दूंगी. इसको ट्रेनिंग के लिए भी भेज दूंगी. तुम तो मेरे बेटे के जैसे हो. तुम ही आकर बंध्या को ले जाना. जैसा उनको ठीक लगेगा वैसा सिखा देंगे.

जीजा बोले- हां मम्मी, बिल्कुल सही बात है. आप चिंता न करें. आपका काम हो जायेगा. उसके बाद मां ने फोन रख दिया और बेड पर लेट कर आराम करने लगी.

मैं चुपके से जाकर बाथरूम में घुस गई और जीजा को फोन करके बोली- जीजा, मां को शक हो गया है कि उन दोनों सेठों ने मेरी चुदाई की है. जीजा बोले- तू चिंता मत कर बंध्या. तेरी मां बहुत समझदार है. तूने वो सोने की अंगूठी उनको दिखा दी है ना? मैं बोली- हां, लेकिन आपको कैसे पता?

जीजा बोले- रास्ते में अभय ने ही मुझे बताया था कि तुझे उन्होंने क्या ईनाम दिया है. अब तुझे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. तेरी मां को अब लालच आ गया है. डर मत. एक बार मां को फोन दे.

मैंने जीजा के कहने पर मां को फोन दे दिया. स्पीकर पर लगा था फोन. मुझे जीजा की आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी. वो बोले- मम्मी, अगर आपको कोई ऐतराज न हो तो मेरे पास और भी ऐसे कई बड़े लोग हैं जो हमारे घर पर आना चाहते हैं. अगर बंध्या कहेगी तो मैं उनको भी घर ले आ सकता हूं.

मां बोली- हां बेटा, तुम्हारा ही घर है. तुम जब चाहे आ सकते हो और जिसे चाहे लेकर आ सकते हो. आखिर बंध्या भी तो तुम्हारी ही बेटी के जैसी है. फिर वो बोले- लेकिन मम्मी आज सुबह ही बंध्या ने उन दो सेठों से मिलने से ऐेतराज कर दिया था.

इस बात पर मां ने मेरी तरफ घूर कर देखा. वो बोली- अरे नहीं बेटा, ये तो नासमझ है. इसको पता नहीं है अभी. ये कौन होती है ऐतराज करने वाली. तुम बेहिचक किसी को भी लेकर आ सकते हो. उसके बाद जीजा से कुछ बात हुई और मां ने फोन रख दिया.

फोन रखने के बाद मां मेरी तरफ घूरने लगी. तीखी नजरों से देखते हुए मां बोली- बंध्या तू इतने बड़े लोगों से बात करने मिलने के लिए क्यों नाटक कर रही थी जीजा से? यह बड़े लोग अच्छे होते हैं, आज के बाद दोबारा जीजा से तेरी शिकायत नहीं मिलनी चाहिए मुझे. मेरी बात ध्यान रखना।

मैं बिल्कुल हैरान रह गई मां की बात सुन कर. मां को पता था कि वो दोनों सेठ मुझे चोदने के लिए ही आये थे. इसलिए मां ऐसा बोल रही है.

जीजा के कहने पर मां ने मुझे पूरा ग्रीन सिग्नल दे दिया था. अब तो मेरे पास चूत चुदवाने का परमिट हो गया था. मां को पहले से सब कुछ मालूम था. उस रात को मुझे समझ आ गया कि मेरे जीजा ने मुझे उन सेठों से क्यों मिलवाया था.

फिर कुछ देर के बाद उनका फोन आया- वो बोले, बंध्या मैं तेरे पास बहुत जल्द ऐसे ही 3-4 रईस लोगों को लेकर आने वाला हूं. अबकी बार तेरी तरफ से कोई नखरा नहीं होना चाहिए. तुम्हारी मां को तुम्हारे बारे में सब पता है. तुम्हारी मां ने खुद मुझसे ऐसा करने के लिए कहा है. इस प्लान में तेरी मां भी शामिल है. जब वो लोग आयेंगे तो तेरी मां बहाने से घर से बाहर चली जायेगी. बस तुम ऐसे ही उनको भी खुश कर देना जैसे आज इन दोनों को किया है. वो लोग तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे थे.

मैंने कहा- क्या बकवास कर रहे हो जीजा. मैं फोन रख रही हूं. मैंने उन सेठों से चुदवाया है तो केवल आशीष के लिये. इतने में ही मां ने वो बात सुन ली. वो पीछ से मेरी चोटी पकड़ कर बोली- बंध्या, साली छिनाल, तू कब से ये सब कर रही है? सच बता मुझे.

मैं बोली- मां, मैंने अपने से कुछ नहीं किया है. मैंने सब जीजा के कहने पर किया है. वो बोली- अच्छा, और वो तेरा यार आशीष? मैं जानती हूं कि तू ये सब उसी से सीख रही है.

मैंने कहा- उससे तो मैं प्यार करती हूं लेकिन जीजा के साथ जब चित्रकूट गई थी तो उस रात वहां पर लॉज के मैनेजर से भी चुदवा ली थी मैंने. मां बोली- मुझे सब पता था साली रंडी. तू है ही एक रंडी की औलाद. मैंने कहा- लेकिन मां, मैंने वो सब मजबूरी में किया है.

मां बोली- कोई बात नहीं, अब तेरे जीजा जी जैसे बोल रहे हैं वैसा ही कर. अगर बड़े बड़े लोगों से दोस्ती करेगी तो सब हमारे काम आयेंगे. मैंने कहा- मगर मां, मैं आशीष से शादी करूंगी. वो बोली- शादी तू किसी से भी कर लेकिन जब तक इस घर में है तुझे ये सब करने की आदत डालनी होगी.

मैं मां की बात सुन कर हैरान थी. वो अपन ही बेटी को धंधा करने के लिए परमिट दे रही थी, वो भी मेरे जीजा के कहने पर. मैंने मां से कहा- लेकिन मां, आज जो मैंने किया है उसको करने के बाद मेरे बदन में हर जगह दर्द हो रहा है. मां बोली- कोई बात नहीं सब ठीक हो जायेगा. एक गोली खा ले. मां ने मुझे गोली लाकर दी और मैं गोली खाकर सो गयी.

दोस्तो, ये मेरे जीवन की आपबीती घटना थी जिसमें मैंने आप लोगों से कुछ भी नहीं छिपाया है. मैंने हर एक शब्द वैसे ही लिखा है जैसे मेरे साथ हुआ था. मेरी जिन्दगी में मेरे साथ यही हुआ था. बहुत हिम्मत करके मैंने ये कहानी लिखी है.

मेरे जीजा ने अपने काम निकलवाने के लिए मुझे उन सेठों से चुदवाया दिया था. मेरी मां को इस बात के बारे में पहले से पता था लेकिन चूंकि वो बड़े लोग इसलिए मेरी मां उन लोगों में अपना फायदा देख रही थी. पहली बार उन सेठों ने जब मुझे चोदा था मुझे सोने की अंगूठी दे दी थी. वो सोने की अंगूठी देख कर मेरी मां खुश हो गई थी.

आप लोगों को मैंने पहले भी बताया था कि हमारे घर की हालत ज्यादा ठीक नहीं है इसलिए मेरी मां थोड़ी लालची है और मेरे पिता जी भी काम के लिए अक्सर बाहर ही रहते हैं. इसी का फायदा उठा कर मेरे जीजा ने उन सेठों को मेरे घर में चुदवाने के लिए बुला लिया था.

आशीष को मैं प्यार करती हूं लेकिन उस वक्त के हालात ऐसे थे कि मेरे जीजा ने मुझे रंडी बनने पर मजबूर कर दिया था. मैंने अपनी वास्तविक सच्चाई आप लोगों को बताई है.

आप सभी पाठक हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाते हैं और मुझे अपनी अपनी राय देते हैं, मैं आपसे यही उम्मीद करती हूं कि मेरी सच्ची यह घटना, मेरे जीवन की सच्चाई आप पाठकों को कैसी लगी, मुझे मेरे ईमेल पर अपनी राय लिखकर जरूर भेजें।

मैं आपके द्वारा भेजे गए कमैंट्स को पढ़ती हूं. आपकी राय को पढ़ती हूं, उसी से मुझे उत्साह मिलता है. आगे अपनी सच्चाई आप लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने कमेंट और अपनी राय मुझे मेरी मेल आईडी पर जरूर भेजें। मेरी मेल आई डी है- [email protected]

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