गाँव वाली सेक्सी चाची की चुत चुदाई-1

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दोस्तो, मेरा नाम पीके है. मैं मुम्बई से हूँ. मेरी उम्र 20 साल है. मैं अन्तर्वासना की हिंदी सेक्स कहानी की इस साइट को पिछले 3 साल से पढ़ता आ रहा हूँ. पहली बार ये साइट मुझे मेरे भाई के दोस्त के मोबाइल में देखी थी, मैं तब से इस साइट पर सेक्स कहानी पढ़ रहा हूँ.

अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियां मस्त और गर्म होती हैं, बहुत सारी कहानी झूठी भी रहती हैं … मगर उनमें भी इतना सेक्स भरा रहता है कि लंड खड़ा हुए बिना रहता ही नहीं है.

मैंने जिस भी लेखक से कहानी के बारे में पूछने के लिए ईमेल किया, तो उन्होंने अपनी उक्त कहानी को उनके जीवन की एक सच्चाई बताई, साथ ही ये भी कहा कि शब्दों को बदला गया है, मगर सच्ची घटना को ही लिखा है. मैंने उनसे जानने की कोशिश की कि क्या आप एक पेशेवर लेखक हैं, तो उन्होंने बताया कि अन्तर्वासना मेरी कहानी को बड़े ढंग से सम्पादित करके ही पाठकों के लिए प्रकाशित करती है. उनकी इस तरह की बातों से मुझे लगा कि मैं भले ही कोई कहानी लिखने वाला नहीं होऊं, पर मेरी बात को सभी पाठकों तक पहुंचाने का काम बड़ी कुशलता से किया जाता है.

मैं दिखने में तो सांवला सा हूँ, पर बड़ा दिलवाला हूँ. साथ ही मैं चुदाई का बहुत बड़ा शौकीन हूँ. जब भी कोई भाभी या लड़की को देखता हूं, साला मेरा लंड खड़ा हो जाता है.

मुंबई की मेट्रो की भीड़ में बस मैं यही देखता रहता हूँ कि कहीं कोई भाभी सामने खड़ी हो जाए और मैं पीछे से मजे ले लूं. ऐसे तो मैंने बहुत से लड़कियों के साथ मजा लिया है, किसी को चोदा है तो किसके साथ सिर्फ ऊपर ऊपर से हाथ सेंके हैं. क्योंकि हर समय कोई रूम या जगह ही नहीं मिल सकता था.

ये बात मेरी चाची की है. अभी ठंडी के मौसम में मैं जब गांव गया था … ये तब की घटना है. मुझे गांव जाना पसंद है. मेरे गांव की दूरी भी बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए उधर जाने आने में मुझे कोई अधिक समय नहीं लगता है.

वहां गांव में हमारी दादी, चाचा और चाची के साथ चाचा जी का एक लड़का ही रहते हैं. चाची की उम्र लगभग 30-32 साल की रही होगी. चाची दिखने में सांवली हैं और उनका फिगर शायद 34-30-36 का रहा होगा. चाची दिखने में बहुत भरे हुए शरीर की मालकिन हैं.

मैं अकेला ही ठंड के मौसम में छुट्टी मनाने गांव चला गया था. सुबह बस में बैठ कर कुछ घंटे के सफर के बाद मैं गांव वाले घर में पहुंच गया. वहां पर सभी ने मेरा बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया.

मैं सभी से मिलने के बाद जब चाची के पास आया, तो चाची को देख कर मेरा लंड पैंट में ही उछलने लगा. उनका फिगर ही इतना मादक है कि कोई भी एक बार देखे, तो मुठ मारने पर मजबूर हो जाए. मैं उनकी चुदाई के सपने देखने लगा था … लेकिन मुझे डर भी लगने लगा था कि अगर उन्होंने मना कर दिया, तो इज्जत का भोसड़ा बनेगा सो बनेगा ही … अलग से गांड की सिकाई फ्री में हो जाएगी.

इसलिए मैं उनको बस देख कर लंड हिला कर रह गया. इसी वजह से मैंने उन पर ज्यादा ट्राय भी नहीं मारी.

खैर शाम को मैंने सबके साथ चाय नाश्ता किया और गप्पें लड़ाने लगा. चाचा, उनका बेटा, चाची और दादी सब बैठ कर हंसी मजाक कर रहे थे. मैं चाची के सामने बैठ कर उनके हिलते हुए चुचे देख रहा था.

एक दो बार चाची ने भी मुझे उनके चुचे ताड़ते वक़्त देख लिया … पर उन्होंने कुछ नहीं कहा. मेरी चाची आजकल पहले से ज्यादा सेक्सी लगने लगी थीं.

जब रात को सोने का समय हुआ तो मैंने देखा कि उस रात उन्होंने ब्लू कलर की नाइटी पहनी थी.

रात गहराने और ठंड अधिक होने की वजह से हम सब सोने लगे. मुझे अलग कमरा दिया गया था और चाची चाचा दूसरे कमरे में थे. चाचा का बेटा दादी के पास सोया हुआ था. पहले मुझे लगा कि हम सब साथ सोएंगे, पर ऐसा नहीं हुआ. रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी. मुझे अपनी सेक्सी चाची का बदन याद आ रहा था. मेरा हाथ बार बार लंड पर जा रहा था.

मुझे नींद नहीं आई और रात के लगभग एक बजे मैं उत्सुकतावश उठ गया. मैं उठा और चाचा चाची के कमरे के बाहर जाकर अन्दर झांकने की कोशिश करने लगा. मैंने दरवाजे के की-होल से देखने की कोशिश की, मगर मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया. अन्दर से कुछ मादक सिस्कारियों की आवाजें आ रही थीं.

मैं अपने अन्दर से बहुत कसमसा रहा था कि मुझे कुछ देखने को क्यों नहीं मिल पा रहा था. लेकिन आपको तो मालूम ही है कि जिधर चाह होती है, उधर कोई न कोई राह निकल ही आती है. मैंने कमरे में अन्दर देखने का एक जरिया ढूंढ ही लिया. कमरे में एक खिड़की थी और मैं उस खिड़की के पल्ले को किसी तरह साइड में करके अन्दर झांकने लगा. नाईट बल्ब की रोशनी में मैंने जो देखा, उसको देखकर मैं पागल सा होने लगा.

कमरे के अन्दर चाची पूरी नंगी थीं और पैर फैला कर लेटी थीं. चाचा उनके ऊपर कपड़े पहने हुए ही चढ़े जा रहे थे. मैं चाची के चुचे देख पा रहा था. चाची के बड़े बड़े चूचे किसी आम जैसे रसीले और बहुत भारी लग रहे थे. काश मैं चाची की चुत भी देख पाता, पर चाचा चढ़े थे इसलिए नहीं देख सका. उस रोशनी में मैंने चाची के सिर्फ चुचे ही देखे.

तभी चाचा ने अपनी पैंट निकाल कर लंड को बाहर करके सीधा उनकी चुत पर लगा दिया और धक्के मारने लगे.

ये क्या चुतियागिरी थी … मैं भौंचक्का रह गया कि सिर्फ लंड निकाला, डाला और चोदने में लग गए … इसमें क्या मज़ा है.

मुझे लगा था कि पहले चाचा चाची को किस करेंगे, उनकी चुत चाटेंगे, चुचे दबाएंगे, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. वह सिर्फ लंड पेल कर चुत चोदने लगे. मैं बाहर लंड निकाल कर हिला रहा था. चाची की चुचियां साफ़ ऊपर नीचे होती दिख रही थीं और उन्हें देखकर मैं उत्तेजित हो रहा था.

कोई 3-4 मिनट के बाद चाचा एकदम से रुक गए और चाची के ऊपर ही ढेर हो गए. मुझे लगा कि अब चाचा पोजीशन बदलेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ. चाचा का लंड झड़ चुका था. वो दो पल के बाद चाची के बाजू में लेटकर कपड़े पहनकर सो गए.

चाची को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि वह सतुंष्ट हो गयी हैं. पर मैं भी क्या कर सकता था. मैं जल्दी से दौड़ कर अपने कमरे में आ गया. बस कमरे में आकर मैंने लंड निकाला और चाची की चुदाई याद करके मुठ मार कर सो गया.

सुबह उठने पर पता चला कि चाचा किसी जमीन के सिलसिले में दूसरे गांव चले गए हैं और घर में उनके अलावा हम बाकी के लोग ही रह गए थे.

अब मेरा शैतानी दिमाग तेजी से चलने लगा कि चाची की चुदाई कैसे की जाए.

सुबह फ्रेश होने और नाश्ता हो जाने के बाद चाची ने मुझसे पूछा- खेत पर मेरे साथ चलोगे, तेरे चाचा भी बाहर गए हुए हैं? मैं भी इसी ताक में था कि मैं कैसे उनके साथ समय बिता सकूं. इसलिए मैं चाची के साथ चल दिया.

सभी खेत आदि तो गांव से बाहर जंगल की ओर थे. उधर एकदम सुनसान था. दिन में बहुत मस्त मौसम था और मस्त नजारे थे. जंगल के बाहर झील थी, उसे देखकर मेरा तैरने का मन किया. असल में मैं रास्ते में यही सोच रहा था कि चाची की कैसे चोदा जाए, पर कुछ सूझ नहीं रहा था.

चाची आगे आगे गांड हिलाती हुई जा रही थीं और मैं उनके पीछे पीछे उनकी गांड को देखता हुआ चल रहा था. उनकी साड़ी उनके कूल्हे की दरार में ऐसे फंसी थी कि दरवाजे में खिड़की का परदा अटका हो.

खैर हम दोनों कुछ देर बाद खेत पर आ गए. खेत के कामों में मैं उनको मदद करने लगा. एक घंटे की मेहनत के बाद हम दोनों वहां बनाए हुए एक छोटे से कमरे में रुक गए. मुझे नहीं मालूम था कि रात को खेत की निगरानी के लिए इधर ही रुकना है या अभी ही वापस घर जाना है. मैंने चाची से पूछा भी नहीं.

मैंने देखा कि वो कमरा, लकड़ी से बनाए जाने वाली एक झोपड़ी की तरह था. उसमें चारपाई पड़ी थी. हम दोनों उस चारपाई पर बैठकर गप्पें लड़ाने लगे.

चाची मुझसे मेरी पढ़ाई और गर्लफ्रेंड के बारे में पूछने लगीं. मैंने मना कर दिया- चाची मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. मैं बस एकटक उनके पसीने से भीगे हुए जिस्म को देख रहा था. ऐसे ही दिन का सारा काम निपटा कर हम घर जाने लगे.

रास्ते में झील के किनारे आकर मैंने चाची से कहा- मुझे नहाना है.

चाची मेरी जिद पर कुछ बोल ना सकीं और इजाजत देते हुए बोलीं कि ज्यादा गहराई में मत जाना. पानी ठंडा भी होगा. तुम सम्भल कर नहाना.

मैंने चाची की बात मान ली और नहाने की तैयारी करने लगा. चाची उधर एक पेड़ के नीचे बैठने जाने लगीं. मैंने अपने कपड़े निकाले और सिर्फ अंडरवियर पहनकर पानी में छलांग लगा दी और मस्ती करने लगा. चाची मुझको दूर से ही देख रही थीं.

पर अचानक से पता नहीं उनको क्या सूझा, वो भी पानी के पास आ गईं. मैं सोचने लगा कि शायद चाची का मन भी नहाने का हो गया है … पर पानी में नहीं उतरीं. बल्कि वो मेरे पर पानी उड़ाने लगीं और हंसने लगीं. मैं भी उन पर पानी उड़ाने लगा. पानी की वजह से उनके चुचे भीग गए थे.

मैंने सोचा कि आज यही अच्छा मौका है … चाची मस्ती कर ही रही हैं, मैं उनकी चुत में आग लगा देता हूँ. मैं चाची की चूचियों को देखता हुआ अपने लंड पर हाथ मारने लगा, उसको खड़ा करने लगा.

चाची मुझे लंड से खिलवाड़ करते देख रही थीं. अचानक से चाची बोलीं- चलो बहुत देर हो रही है. मैं तो खुद पानी से बाहर आकर अपना खड़ा लंड चाची को दिखाना चाहता था.

मैं जैसे ही पानी से बाहर आया, चाची की नजर मेरे लंड पर पड़ी. चाची सिर्फ मेरे लंड के आकार को देख रही थीं, जो अंडरवियर में से साफ़ तना हुआ दिख रहा था.

चाची के काफी पास आकर मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ चाची?

चाची एकदम से हड़बड़ा गईं और ‘कुछ नहीं …’ बोल कर पलट कर चलने को कहने लगीं. मैंने कपड़े पहने और हम दोनों घर की तरफ चल दिए. मैंने सोचा कि आज के लिए बस इतना काफी है … आगे वो खुद गर्म होकर अपनी चुत मुझे सौंप देंगीं.

घर आने के बाद पता चला कि चाचा अभी तीन दिन नहीं आएंगे. मैं तो खुशी के मारे उछल पड़ा. मैंने सोचा आज पक्का चाची की चुत ले लूंगा.

रात को खाना खाने के बाद सब एक ही रजाई में घुसे हुए टीवी देख रहे थे, कोने में मैं था, उसके बाद चाची का लड़का, उसके बाद चाची और दादी मां थीं. थोड़ी देर बाद चाची का लड़का सो गया, तो चाची ने उसे उठाकर बेड पर सुला दिया. वो खुद नाइटी पहनकर मेरे बाजू में आकर बैठ गईं और टीवी देखने लगीं.

मैंने चाची से बात करते करते धीरे से अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया और हाथ सहलाने लगा. चाची ने कोई विरोध नहीं किया, तो मेरी हिम्मत बढ़ने लगी. मैं अभी चाची से बिल्कुल सट कर बैठ गया और उनके जिस्म की गर्मी सेंकने लगा.

दादी मां भी कुछ देर बाद सो गईं और मुझे उनका डर भी नहीं था. इतने बुढ़ापे में उनको क्या दिखने वाला था.

मैंने धीरे से हाथ को चाची की पीठ पर रखकर सहलाने लगा. चाची भी मुझसे सट गईं. मैं नाइटी के ऊपर से ही चाची की ब्रा का स्ट्रिप ढूंढ रहा था, पर मुझे कुछ मिला ही नहीं … शायद चाची ने ब्रा नहीं पहनी थी. मैं आगे और करने ही वाला था, तभी चाची ने टीवी ऑफ करके सोने की कह दिया. मेरा मुँह तो करेले जैसा बन गया. चाची ने मेरे सारे अरमानों पर पानी फेर दिया.

तभी चाची बोलीं- आज चाचा नहीं हैं, तू आज मेरे साथ सो जाना … क्योंकि रात को मुझे अकेले सोने में डर लगता है. मैंने भी फटाक से हां कर दी.

झट से अपने कमरे में जाकर मैंने बनियान और चड्डी पहनी और पैन्ट शर्ट उतार कर आ गया.

मैं चाची के कमरे में जाकर उनके बेड पर बैठ गया.

आज मुझे चाची की चुदाई का मौका मिलने वाला था, ये सोच कर मेरे लंड ने आतंक मचा रखा था.

अगले भाग में मैं आपको अपनी चाची की चुदाई की कहानी को विस्तार से लिखूँगा. आप अपने मेल मुझे जरूर भेजिएगा. [email protected]

कहानी का अगला भाग: गाँव वाली सेक्सी चाची की चुत चुदाई-2

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