दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-4

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कहानी का पहला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-1 कहानी का तीसरा भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-3

जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैंने देखा कि, मेरा मोटा लण्ड तन कर कड़क हो कर खड़ा था और लुंगी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था.

इतने में बुआ जी कमरे में आईं. मैंने झट से आँखें बंद कर लिया.

थोड़ी देर बाद आँख खोल कर देखा कि, बुआ जी की नज़र मेरे खड़े हुए मोटे लण्ड पर टिकी थीं. हैरत भरी निगाहों से मेरे लम्बे और मोटे लण्ड को देख रही थीं.

कुछ देर बाद उन्होंने आवाज दे कर कहा, दीनू बेटा उठ जाओ, अब घर चलना है!

मैंने कहा, ठीक है! और उठकर बैठ गया मेरा लण्ड अब भी लुंगी से बाहर था.

बुआ जी मेरी ओर देखते हुए बोलीं, दीनू बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या?

मैंने मुश्किल से कहा, नहीं तो बुआ जी क्यों क्या हुआ?

वो बोलीं, नीचे तो देखो! क्या दिख रहा है? जब मैंने नीचे देखा तो मेरा लण्ड लुंगी से निकला हुआ था.

मैं शर्म से लाल हो कर अपना लण्ड चड्डी में छूपा लिया. ऐसा करते समय बुआ जी हँस रही थीं.

हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे. रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई. घर आकर मैंने कहा कि, मैं बाज़ार होकर आता हूँ और फिर बाज़ार जाकर 1 विस्की की बोतल ले आया.

जब घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे. मुझे आया देख कर बुआ जी ने आवाज दी, बेटा आकर खाना खालो.

मैं बोला, बुआ जी अभी भूख नहीं है थोड़ी देर बाद खा लूँगा.

फिर मैंने पूछा, माँ और सुमन कहाँ हैं? (क्योंकि माँ और सुमन ना तो रसोई घर में थे नहीं आँगन में थे)

बुआ जी ने कहा कि, हमारे रिस्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन है! इसलिए भाभी और सुमर रिस्तेदार के यहाँ गए है और सुबह 5-6 बजे लौटेंगे.

मैंने कहा, ठीक है! बुआ जी अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विस्की पी सकता हूँ.

बुआ बोलीं, ठीक है! तुम आँगन में बैठो मैं वही खाना लेकर आती हूँ. मैं आँगन में बैठ कर विस्की पीने लगा.

करीब आधे घण्टे बाद बुआ जी खाना लेकर आईं, तब तक मैं 3-4 पेग पी चुका था और मुझे थोड़ा विस्की का नशा होने लगा था.

बुआ जी और मैं खाना खाने के बाद, हम दोनों बुआ जी कमरे में आ गए. मैंने पैंट और शर्ट निकाल कर लुंगी और बनियान पहन ली. बुआ जी भी साड़ी खोल कर केवल नाईटी पहनी हुई थीं.

जब बुआ जी खड़ी होकर पानी लाने गईं तो, मुझे उनके पारदर्शी नाईटी से उनका नक्शा दिखाई दिया.

उन्होंने नाईटी के अन्दर, ना तो ब्लाऊज़ पहना था ना ही पेटीकोट पहना था! इसलिए लाईट की रोशनी के कारण उनका जिस्म नाईटी से झलक रहा था.

जब वो पानी लेकर वापस आईं. हम बैठ कर बातें करने लगे.

बुआ जी: दीनू, क्या तुम शहर में कसरत करते हो?

दीनू: हाँ, बुआ जी रोज सुबह उठकर कसरत करता हूँ.

बुआ जी: इसलिए तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदरुस्त है.

क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो, खास तौर पर शरीर के निचले हिस्से पर?

दीनू: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसो का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूँ!

बुआ जी: हाँ आज मैंने तुम्हारे शरीर के अलावा अन्दर का अंग भी दोपहर को देखा था, वाकईं काफ़ी मोटा लम्बा और तन्दरुस्त है! हर मर्दों का इस तरह का नहीं होता है.

बुआ जी की बात सुन कर मैं शर्म के मारे लाल हो गया. पूरे मकान में हम दोनों अकेले थे. और इस तरह की बाते कर रहे थें.

मैंने भी बुआ जी से कहा, बुआ जी आप भी बहुत सुन्दर हो! और आपका बदन भी सुडौल है.

बुआ जी: दींन मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढ़ाओ! तुमने तो अभी मेरा बदन पूरा तरह देखा ही कहाँ है?

मैंने बोला, आपने तो मुझे दिखाया ही नहीं? और मेरे शरीर के निचले हिस्से का दर्शन भी कर लिया!

इतना सुनते ही वो झट से बोलीं. मुझे कहाँ! अच्छी तरह से तुम्हारा नीचे का दर्शन हुआ.

चलो एक शर्त पर तुम्हें मेरे अंदरूनी भाग दिखा दूँगी, अगर तुम मुझे अपना नीचे का मस्त दिखाओगे तो!

मैंने झट से लुंगी से लण्ड निकल कर उन्हें दिखा दिया. बुआ जी भी अपने वादे के अनुसार नाईटी ऊपर कर के अपनी चूत दिखा दीं, और मुस्कुराती बोलीं राजा बेटा खुश हो अब!

हाय! बड़ी जालिम चूत थी. चूत देखते ही मेरा लण्ड तन कर फड़फड़ाने लगा.

कुछ देर तक मेरे लण्ड की ओर देखने के बाद बुआ जी मेरे पास आईं, और झट से मेरी लुंगी खोल दीं.

फिर खड़े होकर अपनी नाईटी भी उतार दीं और नंगी हो गईं. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा.

जब मैं पलंग पर बैठ कर बुआ जी की मस्त रसीली चूची को देख रहा था, तो मारे मस्ती के मेरा लण्ड चूत की और मुँह उठाए उनकी चूत को सलामी दे रहा था.

बुआ जी मेरी जाँघों के बीच बैठ कर दोनों हाथों से मेरे लौड़े को सहलाने लगी. कुछ देर सहलाने के बाद अचानक! बुआ ने अपना सर नीचे झुका लिया और अपने रसीले होंठों से मेरे सुपाड़े को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया.

मैं एकदम चौंक गया! मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था की ऐसा होगा?

बुआ जी, यह क्या कर रही हो? मेरा लण्ड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है?

चूसने के लिए और किस लिए! तुम आराम से बैठे रहो और बस लण्ड चूसाई का मज़ा लो. एक बार चूसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.

बुआ जी मेरे लण्ड को लोलीपॉप की तरह मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं बता नहीं सकता हूँ! कि लण्ड चूसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था.

बुआ जी के रसीले होंठ मेरे लण्ड को रगड़ रहे थे. फिर, बुआ जी ने अपना होंठ गोल कर के मेरा पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और मेरे आण्ड को हथेली से सहलाते हुए, सिर ऊपर नीचे करना शुरु कर दिया.

मानो! वो मुँह से ही मेरे लण्ड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैंने भी अपनी कमर हिला कर बुआ जी के मुँह को चोदना शुरु कर दिया.

मैं तो मानो सातवें आसमान पर था! बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोड़ी ही देर मे लगा कि, मेरा लण्ड अब पानी छोड़ देगा.

मैं किसी तरह अपने ऊपर काबू कर के बोला, बुआ जी मेरा पानी छूटने वाला है!

बुआ जी ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नहीं दिया बल्कि, अपने हाथों से मेरे चूतड़ को जकड़ कर और तेज़ी से सिर ऊपर-नीचे करना शुरु कर दिया.

मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लण्ड उनके मुँह मे पेलने लगा. कुछ ही देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और, बुआ जी ने गटगट करके पूरे पानी को पी गईं.

सुबह से काबू में रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि, उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके ठुड्डी पर फैल गया.

कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूची पर भी जा गिरी. झड़ने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर बुआ जी के गालों पर रगड़ दिया.

क्या खुबसुरत नजारा था! मेरा वीर्य बुआ जी के मुँह गाल होंठ और रसीले चूची पर चमक रहा था.

बुआ जी ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंठों पर फिरा कर, वहाँ लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूची को मसलते हुए पूछा- क्यों दींन बेटा? मज़ा आया लण्ड चुसवाने मे!

मैं बोला- बहुत मज़ा आया बुआ जी! तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दिया मेरी जान! आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मों के लिए गुलाम हो गया.

कहो! क्या हुक्म है?

बुआ जी बोलीं, हुक्म क्या! बस अब तुम्हारी बारी है.

मैं कहा- क्या मतलब? मैं कुछ समझा नही!

बुआ जी बोलीं, मतलब यह कि अब तुम मेरी चूत चाटो!

यह कह कर, बुआ जी खड़ी हो गईं और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आईं. मेरे होंठ उनकी चूत के होंठों को छूने लगी.

बुआ जी ने मेरे सिर को पकड़ कर, अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगड़ने लगी.

मैंने भी उनकी चूतड़ को दोनों हाथों से पकड़ लिया और, उनकी गांड सहलाते हुए उनकी रसीली चूत को चूमने लगा.

बुआ जी की चूत की प्यारी-प्यारी खुशबू मेरे दिमाग मे छाने लगी!

मैं दीवानों की तरह उनकी चूत और उसके चारों तरफ़ के इलाके को चूमने लगा. बीच-बीच में मैं अपनी जीभ निकाल कर उनकी रानों को भी चाट लेता.

बुआ जी मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए अपनी चूत को फ़ैलाते हुए बोलीं- हाँय राजा अह्!

जीभ से चाटो ना! अब और मत तड़पाओ राजा! मेरी बुर को चाटो! डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर! अन्दर डाल कर जीभ से चोदो!

अब तक उनकी नशीली चूत की खुशबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था. मैंने उनकी चूत पर से मुँह उठाए बिना, उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया.

उनकी जाँघों को फैला कर, अपने दोनों कंधो पर रख लिया और फिर आगे बढ कर, उनकी चूत के होंठों को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया.

बुआ जी मस्ती से बड़बड़ाने लगी! और अपनी चूतड़ को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया.

अब बुआ जी के चूतड़ पलंग से बाहर हवा मे झूल रही थी! और उनकी मखमली जाँघों का पूरा दबाव मेरे कंधो पर था.

मैंने अपनी जीभ पूरी की पूरी उनकी चूत में डाल दिया और, चूत की अंदरूनी दीवारों को जीभ से सहलाने लगा.

बुआ जी मस्ती से तिलमिला उठीं, और अपनी चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगी.

हाय! राजा, क्या मज़ा आ रहा है?

अब अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करो ना! चोदो राजा चोदओ! अपनी जीभ से चोदो मुझे! हाय! राजा तुम ही तो मेरे असली सैंया हो!

पहले क्यों नहीं मिले! अब सारी कसर निकालूँगी. हाय! राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से!

मुझे भी पूरा जोश आ गया और बुआ जी की चूत में, जल्दी जल्दी जीभ अन्दर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा.

बुआ जी अभी भी जोर-जोर से कमर उठा कर, मेरे मुँह को चोद रही थीं. मुझे भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा.

मैंने अपनी जीभ कड़ी कर सिर आगे पीछे कर के, बुआ जी की चूत को चोदने लगा.

उनका मज़ा दोगुना हो गया. अपने चूतड़ को जोर-जोर से उठाती हुए बोलीं- और जोर से बेटा! और जोर से! हाय! मेरे प्यारे राजा आज से मैं तेरी रण्डी बुआ हो गई.

जिंदगी भर के लिए चुदाऊँगी तुझसे! अह्हह! उईई माआ!’

वो अब झड़ने वाली थीं. वो जोर जोर से चिल्लाते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चेहरे पर रगड़ रही थीं.

मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लप-लपा कर उनकी चूत पूरी तरह से चाट रहा था, और बीच बीच में अपनी जीभ को उनकी चूत मे पूरी तरह अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.

जब मेरी जीभ बुआ जी की भगनाशा से टकराई तो, बुआ जी का बाँध टूट गया और मेरे चेहरे को अपनी जाँघों में जाकर कर उन्होंने अपनी चूत को मेरे मुँह से चिपका दिया.

कुछ देर बाद उनका पानी बहने लगा और, मैं उनकी चूत की दोनों फाँकों को अपनी मुँह मे दबा कर उनका अमृत-रस पीने लगा.

मेरा लण्ड फिर से लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था.! मैं उठ कर खड़ा हो गया और, अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बुआ जी को पलंग पर सीधा लेटा कर उनके ऊपर चढने लगा.

उन्होंने मुझे रोकते हुए कहा- ऐसे नहीं मेरे राजा! चूत का मज़ा तुम चूस चूस के ले चुके हो! आज मैं तुम्हें दूसरे छेद का मज़ा दूँगी.

मैंने कहा- बुआ जी मेरी समझ में कुछ नहीं आया?

बुआ जी बोलीं- आज तुम अपने मोटे तगड़े लम्बे लौड़े को मेरी गांड में डालो, और उठ कर बैठ गईं.

मेरे हाथ को हटा कर, अपने दोनों हाथों से मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए, अपनी दोनों चूचियों के बीच दबा-दबा कर लण्ड के सुपाड़े को चूमने लगीं.

उनकी चूची की गर्माहट पकड़ से मेरा लौड़ा और भी जोश में आकर सख्त हो गया.

मैं हैरान था! इतनी छोटी सी गांड के छेद में मेरा लण्ड कैसे जाएगा?

मैं बोला- बुआ जी इतना मोटा लण्ड तुम्हारी गांड में कैसे जाएगा?

बुआ बोलीं- हाँ, मेरे राजा! गांड मे ही जाएगा, पीछे से चोदना इतना आसान नहीं है. तुम्हें पूरा जोर लगाना होगा.

इतना कह कर, बुआ जी ढेर सारा थूक मेरे लण्ड पर लगा दिया और, पूरे लण्ड की मालिश करने लगीं, पर बुआ जी गांड मे लण्ड घुसाने के लिए ज्यादा जोर क्यों लगाना पड़ेगा?

बुआ बोलीं- वो इसलिए, राजा! कि जब औरत गर्म होती है तो, उसकी चूत पानी छोड़ती है जिससे लौड़ा आने-जाने मे आसानी होती है.

पर गांड तो पानी नहीं छोड़ती इसलिए घर्षण ज्यादा होता है और, लण्ड को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है.

गांड मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है. पर राजा मज़ा बहुत है! मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी बहुत मजा आता है. इसीलिए गांड मारने के पहले पूरी तैयारी करनी पड़ती है.

मैंने कहा- क्या तैयारी करनी पड़ती है? बुआ जी मुस्कुरा कर पलंग से उतरीं और अपने चूतड़ को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वेसिलीन की शीशी उठा लाईं.

ढक्कन खोल कर, ढेर सारा वेसिलीन अपने हाथों में ले लीं और, मेरे लौड़े की मालिश करने लगी. अब मेरा लौड़ा रोशनी में चमकने लगा.

फिर मुझे शीशी दे दीं और बोलीं- अब मैं झुकती हूँ और तुम मेरे गांड में ठीक से वेसिलीन लगा दो! और वो पलंग पर पेट के बल लेट गईं और अपने घुटनों के बल होकर अपने चूतड़ हवा में उठा दिया.

देखने लायक नजारा था! बुआ के गोल मटोल चूतड़ मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थे. मुझसे रहा नहीं गया और, झुक कर चूतड़ को मुँह में भर कर कस कर काट लिया.

बुआ जी की चीख निकल गईं. फिर मैंने ढेर सारा वेसिलीन लेकर उनकी गांड की दरार में लगा दिया.

बुआ बोली- अरे मेरे भोले सैंया! ऊपर से लगाने से नहीं होगा. उंगली से लेकर अन्दर भी लगाओ और अपनी उंगली पेल पेल कर अपने गांड के छेद को ढीला करो.

मैंने अपनी बीच वाली उंगली पर वेसिलीन लगा कर, उनकी गांड में घुसाने की कोशिश की. पहली बार जब नहीं घुसी तो दुसरे हाथ से छेद फैला कर दुबारा कोशिश की, तो मेरा उंगली थोड़ी सी उंगली घुस गई.

मैंने थोड़ा बाहर निकाल कर झटका दे कर डाला तो, घपाक से पूरी उंगली धंस गई. बुआ जी ने एकदम से अपने चूतड सिकोड़ लिया जिससे की उंगली फिर बाहर निकल गई.

बुआ बोलीं- इसी तरह उंगली अन्दर-बाहर करते रहो कुछ देर तक! मैं उनके कहे मुताबिक़ उंगली जल्दी से अन्दर-बाहर करने लगा. मुझे इसमें बड़ा मजा आ रहा था.

वो भी कमर हिला-हिला कर मजा ले रही थीं. कुछ देर बाद बुआ जी बोलीं- चलो राजा! आ जाओ मोर्चे पर और मारो गांड अपनी बुआ की.

मैं उठ कर घुटनें के बल बैठ गया, और लण्ड को पकड़ कर बुआ की गांड के छेद पर रख दिया. बुआ जी ने थोड़ा पीछे होकर लण्ड को निशाने पर रखा. फिर मैंने उनकी चूतड को दोनों हाथों से पकड़ कर धक्का लगाया.

बुआ जी की गांड का छेद बहुत टाइट था.

मैं बोला- बुआ जी मेरा लण्ड आप की गांड में नहीं घुस रहा है. बुआ जी ने अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ों को खींच कर गांड की छेद को फैला दिया और दुबारा जोर लगाने को कहा.

इस बार मैंने थोड़ा और जोर लगाया, और मेरा सुपाड़ा उनकी गांड की छेद में चला गया. बुआ जी की कसी गांड को चीरता हुआ मेरा आधा लण्ड बुआ जी की गांड में दाखिल हो गया.

बुआ जी जोर से चीख उठी- उई माँ! दुखता है मेरे राजा! पर मैंने उनकी चीख पर कोई ध्यान नहीं दिया, और लण्ड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया.

मेरा 9′ का लौड़ा उनकी गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर दाखिल हो गया. बुआ जी फिर चीख उठीं.

वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थीं. मैंने आगे को झुक कर उनकी चूची को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा.

लण्ड अभी भी पूरा का पूरा उनकी गांड के अन्दर था. कुछ देर बाद बुआ जी की गांड में लण्ड डाले डाले उनकी चूची को सहलाता रहा.

जब बुआ जी कुछ नार्मल हुए तो अपने चूतड हिला कर बोलीं- चलो राजा! अब ठीक है!

उनका सिग्नल पाकर मैंने दुबारा सीधे होकर उनकी चूतड पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया. बुआ जी की गांड बहुत ही टाइट थी.

इसे चोदने में बड़ा मजा आ रहा था. अब बुआ भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मजा लेने लगीं. उन्होंने अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया.

बुआ जी की मस्ती देख कर मैं भी जोश में आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ्तार बढ़ा दी. मेरा लण्ड अब पूरी तेजी से उनकी गांड में अन्दर-बाहर हो रहा था.

बुआ जी भी पूरी तेजी से कमर आगे पीछे करके मेरे लण्ड का मजा ले रही थीं.

लण्ड ऐसे अन्दर-बाहर हो रहा था मानो इंजन का पिस्टन. पूरी कमरे में चुदाई का थप थप की आवाज गूँज रही थी.

जब बुआ जी के थिरकते हुए चूतड से मेरी जाँघें टकराती थी तो लगता कोई तबलची टेबल पर थाप दे रहा हो.

बुआ जी पूरी जोश में पूरी तेजी से चूत में उंगली अन्दर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी.

हम दोनों ही पसीने पसीने हो गई थे पर कोई भी रूकने का नाम नहीं ले रहा था.

बुआ मुझे बार बार ललकार रही थी- चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बुआ की गांड. आज फाड़ डालो इसे. शाबाश मेरे शेर, और जोर से राजा और जोर से. फाड़ डाली तुमने मेरी तो.

मैं भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा बाहर खींच कर झटके से अन्दर डालता तो उनकी चीख निकल जाती. मेरा लावा निकलने वाला था.

उधर बुआ भी उंगली से चूत को चोद चोद कर अपनी मंजिल के पास थी. तभी मैंने एक झटके से लण्ड निकाला और उनकी चूत में जड़ तक ठुंस दिया.

बुआ जी इसके लिए तैयार नहीं थीं. इसलिए उनकी उंगली भी चूत में ही रह गई थी. जिससे उनकी चूत टाइट लग रहा था.

मैंने बुआ जी के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों में समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.

वो भी संभल कर जोर जोर से अहह उह्ह करती हुई चूतड आगे-पीछे करके अपनी चूत में मेरा लण्ड लेने लगी.

हम दोनों की साँसें फूल रही थीं. आखिर मेरा ज्वालामुखी फूट पड़ा और मैं बुआ की पीठ से चिपक कर बुआ की चूत में झड़ गईं. हम दोनों उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से सो गए.

उस रात मैंने बुआ की चूत कम से कम चार बार और चोदा.

सुबह करीब 10 बजे सुमन (दोस्त की बहन) ने मुझे उठा कर चाय दी और कहा दीनू भैया फ्रेश हो कर नाहा धो लो और मैं नाश्ता बनाती हूँ.

घर में केवल उसे देख कर कहा- माँ और बुआ जी कहाँ गए? वो बोली वो दोनों कब के खेत चले गए हैं.

यहाँ आवाज होगी, इसलिए माँ रात की नींद खेत में ही पूरी करेंगी और वो लोग शाम से पहले लौटने वाले नहीं हैं.

मैं फ्रेश होकर नाहा धो कर नाश्ता करने लगा. सुमन अपने काम में लग गई. मैं कमरे में आकर किताब पढ़ने लगा. मुझे कहीं बाहर जाना नहीं था इसलिए मैं केवल तौलिया और बनियान में था.

करीब एक घंटे बाद सुमन अपना काम निबटा कर कमरे में बिस्तर ठीक कर आई और मुझसे बोली भैया आप उधर कुर्सी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना है.

मैं उठ कर कुर्सी पर बैठ गया और वो बिस्तर ठीक करने लगी.

चादर पर पड़े मेरे लण्ड और बुआ और बुआ जी की चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे. सुमन झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी.

मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे रह गई!

थोड़ी देर बाद सुमन उठी गई और मेरी तरफ देखती हुई अदा से मुस्कुरा दी.

फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आँख मार कर बोली- लगता है रात बुआ जी के साथ जम कर खेल खेला है. मैं हिम्मत कर के बोला- क्या मतलब?

वो मुझसे सटती हुई बोली- इतने भोले मत बनो. जानबूझ कर अनजान बन रहे हो.

क्या मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हें?

मैंने कुछ नहीं कहा और केवल मुस्कुरा दिया और मैंने गौर से देखा उसको.

मस्त लौंडिया थी! साँवली से रंग, छरहरा बदन! उठी हुई मस्त चूचियाँ!

उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर में दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूची और उभर कर सामने आ गई थी.

वो बात करते करते मुझसे एकदम सट गई, और उसकी तनी तनी चूची मेरी नंगी बाहों से छूने लगी.

यह सब देख कर मेरा लण्ड जोश में फड़फड़ा उठा. मैंने सोचा कि, इसे ज्यादा अच्छा मौका फिर नहीं मिलने वाला. साली खुद ही तो मेरे पास चुदवाने आई हुई है.

मैंने हिम्मत करके उसे कमर से पकड़ लिया और अपने पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला- चल सुमन थोड़ा सा खेल तेरे साथ भी हो जाए!

वो एकदम से घबरा गई और अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी, पर मैं उसे कस कर पकडे हुए चूमने की कोशिश करने लगा.

वो मुझ से दूर हटने की कोशिश करती जा रही थी पर वो बेबस थी, पर साथ में चिपकी भी जा रही थी.

इसी दौरान मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 9′ का फनफनाता हुआ लौड़ा आजाद हो गया.

मैंने कहा- देखो मजे लेने है! तो चलो बिस्तर पर और उसे अपने बाहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा कर, अपना लण्ड उसकी गांड में दबाते हुए मैंने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढ़ा दिया और उसे दबोच लिया

दोनों हाथों से चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला- नखरे क्यों दिखाती है?

खुदा ने हुस्न दिया है और क्या मार ही डालोगी?

अरे हमे नहीं दोगी तो क्या आचार डालोगी, चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मजा लेते हैं.

कहते हुए उसके ब्लाउज को खींच कर खोल दिया. फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर घुसा दिया, और उसकी चिकनी चिकनी जाँघों को सहलाने लगा, धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया.

पर वो तो दोनों जाँघों को कस कर दबाए हुए थी, और साथ में मस्ती से हाय हाय भी कर रही थी.

मैं उसकी चूत को ऊपर से कस कस कर मसलने लगा और उंगली को किसी तरह चूत के अन्दर डाल दिया.

उंगली अन्दर होते ही वो कस कर छटपटाते हुए, और बाहर निकालने के लिए कमर हिलाने लगी. उससे उसकी चूत चुदने जैसी होने लगी. इससे उसका पेटीकोट ऊपर उठ गया.

मैंने कमर पीछे कर के अपने लण्ड को नंगे चूतड की दरार में लगा दिया. क्या फूले फूले जवान चिकने चूतड थे.

अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूची पर से हटा कर उसके चूतड को पकड़ लिया और अपने लण्ड से उसकी गांड की दरार में रख कर!

उसकी चूत को मैंने उंगली से चोदते हुए गांड की दरार में, लण्ड थोड़ा थोड़ा धंसा दिया था!

कुछ ही देर में वो ढीली पड़ गई, और जाँघों को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे पीछे कर के चुदाई का मजा लेने लगी.

क्यों रानी मजा आ रहा है? मैंने धक्का लगाते हुए पूछा.

हाँ भैया, बहुत ही मजा आ रहा है. उसने जाँघें फैला दी जिससे कि मेरी उंगली आसानी से अन्दर-बाहर होने लगी.

उसके मुँह से मस्ती भरी उई उई निकालने लगा.

फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली- हाय जी इतना मोटा लण्ड. चलो मुझे सीधा होने दो, फिर चोद देना, कहते हुए वो चित लेट गई.

अब हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थे. मैंने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा लिया और लण्ड को उसकी जाँघ पर रगड़ते हुए चूचियों को चूसने लगा.

पत्थर जैसी सख्त! थी उसकी चूची. एक हाथ से उसकी चूची मसल रहा था और दुसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत को चोद रहा था.

वो भी लगातार मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी जाँघों पर घिस रही थी. जब हम दोनों पूरी जोश में आ गए तब सुमन बोली- अब मत तडपाओ! भैया, चोद ही डालो न अब मुझे.

मैंने झटपट उसकी साड़ी और पेटीकोट को कमर से ऊपर उठा कर उसकी चूत को पूरा नंगा कर दिया.

वो बोली- पहले मेरे सारे कपड़े तो उतारो तो ही तो चुदेगी मेरी चूत!

मैं बोला- नहीं तुझे अध नंगी देख कर जोश और डबल हो गया है, इसलिए पहली चुदाई तो कपड़ों के साथ ही होगी.

फिर मैंने उसकी टांगें अपनी कंधों के ऊपर रखी, और उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और बोली- आईय! शुरू हो जाओ न भैया.

मैंने कमर आगे करके जोर दार धक्का दिया, और मेरा आधा लण्ड दनदनाता हुआ उसकी चूत में धंस गया.

वो चिल्ला उठी. आहिस्ते! भैया आहिस्ते! अब दर्द हो रहा है और उसने अपनी चूत को सिकोड़ ली और, मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल आया.

मैंने उसकी सख्त चूची को पकड़ कर मसलते हुए, फिर अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर एक और शॉट लगाया.

मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया, और कुछ देर तक मैंने कुछ हरकत नहीं की और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.

उसकी आँखों से अब भी आँसू निकल रहे थे. थोड़ी देर बाद वो थोड़ा शांत हुई, और अब मैंने दुसरा शॉट लगाया तो मेरा बचा हुआ लौड़ा भी जड़ तक उसकी चूत में धंस गया.

मारे दर्द के उसकी चीख निकल गई और बोली- बड़ा जालिम है! तुम्हारा लौड़ा. किसी कुँवारी छोकरी को इस तरह से चोदोगे तो वो मर जाएगी. सम्भाल कर चोदना.

मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए, धीरे-धीरे लण्ड चूत के अन्दर-बाहर करने लगा. चूत तो इसकी भी टाइट थी!

दोस्तों, यह थी मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी जो मैंने आपके सामने रखा! आशा करता हूँ कि इस कहानी से आप लोग अत्यधिक रोमांचित हुए होंगे. अपने विचारों से हमें अवगत कराएं!

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