मेरी पड़ोसन आंटी

दोस्तो, पिछले भाग में अपने पढ़़ा कि आंटी ने किस तरह मुझसे चुदाई करवाई. अब आप आगे की दास्ताँ सुनिए :

एक बार चुदाई का खेल खेलने के बाद आंटी और मेरी प्यास ज्यादा बढ़ गई. लेकिन दो तीन दिनों तक हमें कोई मौका नहीं मिला. दो तीन दिन बाद एक दिन सुबह सुबह मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था कि अचानक आंटी मेरे कमरे में आ गयीं.

मैं उस समय नहा कर निकला था इसलिए मेरे बदन पर केवल अंडरवियर ही था. अन्दर आते ही आँटी ने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरा मुरझाया हुआ लंड निकाल लिया और मुंह में भर लिया.

आँटी के मुंह में जाते ही मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया.

थोड़ी देर मेरा लण्ड चूसने के बाद आँटी अलग हो गयीं और अपने बड़े बड़े बूब्स के बीच में हाथ डाल कर दो गोलियाँ निकाली और मेरे हाथ पर रखते हुए बोलीं ‘पप्पू ये गोली खाना खाने के बाद एक अभी और एक शाम को ले लेना. तुम्हारे अंकल की आज रात की पारी है मैं तुझे रात को 11 बजे रोशनी बन्द करके इशारा कर दूँगी तू तैयार रहना. आज तुझे नया खेल सिखाऊंगी.’ इतना कह कर आँटी जल्दी से मेरे कमरे से बाहर चली गयीं और मेरी मॉम से बातें करने लगी.

मैंने गोलियों को देखा तो वो गोलियाँ सेक्स पॉवर बढ़ाने की गोलियाँ थी. मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और मैं जल्दी से तैयार हो कर नाश्ते के लिए बैठ गया. नाश्ता करने के बाद मैंने एक गोली खाई और कॉलेज चला गया.पूरे दिन कॉलेज में मेरा मन नहीं लगा.

शाम को भी मैंने जल्दी खाना खा कर गोली खा ली और कमरे में आ कर आँटी के इशारे की प्रतीक्षा करने लगा.

गोलियों का असर शुरू हो चुका था और मेरा लण्ड आँटी की बड़ी बड़ी छातियाँ और सफाचट चूत को याद करके खड़ा हो रहा था. हमारे घर में सब लोग जल्दी सो जाया करते हैं इसलिए मैं अपने आँगन में खड़ा हो कर आँटी के इशारे का इंतजार करने लगा.

जैसे ही आँटी ने लाइट बन्द करके मुझे इशारा दिया मैं तुंरत ही उनके घर में कूद गया. आँटी ने मेरे लिए दरवाजा खुला छोड़ रखा था. मैं पलक झपकते ही आँटी के लिविंग रूम में जा पहुँचा.

आँटी मुझे देखते ही मुझसे लिपट गई और मेरे होठों को अपने होठों में भर कर चूसने लगीं. मैंने भी बिना देर किए अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी जिसे उन्होंने चूसना शुरू कर दिया. मेरे हाथ अब तक आँटी के गाऊन के अन्दर मचल रहे बूब्स तक पहुँच चुके थे.

मैंने उनके बूब्स को दबाना और मसलना चालू कर दिया. कुछ देर तक हम लोग इसी हालत में खड़े रहे और चुम्मा चाटी करते रहे. मैंने खड़े खड़े ही आँटी के गाऊन के हुक खोल दिए और आँटी ने मेरे पजामे का नाड़ा खोल दिया. थोडी ही देर में हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गए.

मैंने आँटी से कहा,’ आँटी आप तो मुझे कोई नया खेल बताने वाली थीं.’ आँटी ने सिस्कारियाँ लेते हुए कहा,’ हाँ राजा …. अभी जल्दी क्या है अभी तो पूरी रात बाकी है. आज तो पूरी रात तुम्हारे लण्ड के नाम है. नए नए तरीके से चुदाई करेंगे और अपनी प्यास बुझाएंगे. बड़ी मुश्किल से ये मौका मिला है.’

आंटी अन्दर से एक दरी ले आयीं और नीचे बिछा कर उस पर सीधी चित्त लेट गयीं. आंटी ने मुझ से कहा कि आ पप्पू अब तू मेरे पैरों की तरफ़ मुंह कर के मेरे ऊपर लेट जा. मैंने भी आज्ञाकारी शिष्य की तरह उनकी बात मानी और उनके पैरों की तरफ़ मुंह कर के उल्टा लेट गया.

अब मेरा मुंह आंटी की खूबसूरत चूत के सामने था और मेरा लंड आंटी के मुंह के बिल्कुल पास. आंटी ने मेरे साढ़े सात इंच लंबे लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. मुझे उनकी इस अदा में जन्नत का मज़ा मिलने लगा. आंटी मेरे मोटे लंड को अपने मुंह मैं अन्दर बाहर करते हुई चूस रहीं थीं.

मैं आंटी की चूत के पास मुंह ले जाकर देख रहा था। तभी आंटी बोलीं,’अरे यार ये देखने की नहीं चूसने की चीज़ है. इसे अपने मुंह में ले और चूस. क्या कभी कोई ब्लू फ़िल्म नहीं देखी क्या. चल शुरू हो जा !’

मैं भी आंटी का आदेश पाते ही आंटी के क्लीन शेव चूत को मुंह में भरने की कोशिश करने लगा लेकिन चूत बड़ी थी और मेरे मुंह में चूत नहीं आ रही थी. मैंने आंटी की फूली हुई चूत की दरार में अपने जीभ डाल दी. अब मैं आंटी की चूत को जीभ से कुरेदने लगा.

थोडी देर चूत में जीभ फिरते ही चूत के मुंह में से पानी आना चालू हो गया, मतलब आंटी की चूत गीली हो गई थी और पानी छोड़ने लगी थी. उनके नमकीन पानी का स्वाद चखते ही मुझे एक नशा सा होने लगा. उधर आंटी मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने मैं लगीं थीं.

अब मेरी समझ मैं आ गया था की आंटी कौन से नए खेल के बारे मैं बात कर रहीं थीं. आंटी की चूत चूसते चूसते मेरी जीभ आंटी की चूत के दाने से टकरा गई. दाने पर जीभ टच होते ही आंटी ने नीचे से चूतड़ उछालने शुरू कर दिए और मेरा लंड मुंह से निकाल कर बोली,’हाँ राजा ! ऐसे ही इस दाने.. को चाटो..चूसो इसे… अपने होठों में भर कर चूस मेरे राजा !’

मैंने फिर से आंटी का कहना माना और उनकी चूत की दरार को ऊँगली से चौड़ा करके दाने को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. दो मिनट बाद ही आंटी की हालत ख़राब हो गई. अपने मुंह से लंड निकाल कर उन्होंने जोर जोर से सिस्कारियाँ लेना शुरू कर दिया.

पूरा कमरा उनकी मदमस्त सिस्कारियों से गूंजने लगा. आंटी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं और जोर जोर से बडबडा रही थीं- शाबाश मेरे राजा.. वाह पप्पू.. तू तो जादूगर है रे… आज तूने मेरी बरसों की ख्वाहिश पूरी कर दी… रुकना मत राजाजजजा चूसता रह… पीजाजजजा मुझे .ले ले पी…पूरा पी’ आंटी ने अब नीचे से चूत उछाल उछाल कर मेरे मुंह पर मारना शुरू कर दिया था. मैं भी आंटी को पूरा मज़ा देने के लिए अपनी जीभ उनकी चूत में घुसाकर जीभ से उनको चोदने लगा.

थोडी ही देर में आंटी झड़ने लगी और मेरे मुंह का स्वाद कुछ बदलने लगा. लेकिन मुझे उनकी चूत से निकलने वाला रस बहुत स्वादिष्ट लगा और मैंने तब तक उनकी चूत को चूसना और चाटना बंद नहीं किया जब तक की आंटी ने ख़ुद मुझे रोक नहीं दिया.

आंटी का काम तो हो चुका था लेकिन मेरा लंड अभी तक वैसा ही खड़ा था. मैंने आंटी से कहा ‘ आपका काम तो मेरी जीभ ने करवा दिया अब मेरे काम का क्या होगा?’

आंटी बोली ‘चिंता मत कर ! पप्पू तूने मेरी इच्छा पूरी की है, मैं भी तेरी हर इच्छा पूरी करूंगी. ला अपना लंड मेरे मुंह के पास ला !’

मैंने तुंरत अपना लंड आंटी के मुंह में डाल दिया. अब आंटी मेरे लंड को बड़े प्यार से मुंह में भर कर चूसने लगीं. कभी मेरे सुपाडे को जीभ से चाटने लगती, कभी पूरे लंड को आइस क्रीम की तरह चाटने लगीं. करीब पाँच दस मिनट तक लंड चूस पर भी मेरा पानी नहीं निकला और उसी बीच मेरी निगाह आंटी की गांड पर गई.

मैंने आंटी से कहा ‘आंटी अगर आप बुरा न माने तो मैं आज आपकी गांड मार सकता हूँ?’

आंटी ने हँसते हुऐ कहा ‘क्यों नहीं मेरे राजा ! तुम मेरे किसी भी छेद में लंड डाल सकते हो. लेकिन मैंने बहुत दिनों से गांड में लंड नहीं डलवाया है इसलिए पहले थोड़ा तेल लगा लो, नहीं तो मेरी गांड के साथ साथ तुम्हारा लंड भी छिल जाएगा.’

मैंने तुंरत तेल की शीशी उठाई और काफी सारा तेल लेकर आंटी की गांड के छेद पर लगाया और अपने लंड पर भी चुपड़ लिया. आंटी ने घोडी बनकर गांड मेरे हवाले कर दी. मैंने उनकी गांड पर निशाना लगाया और अपने लंड पर दबाव डाला.

आंटी को थोड़ा सा दर्द हुआ और आंटी चिल्लाईं ‘धीरे धीरे पप्पू ..धीरे करो’

मैंने आंटी की बात पर ध्यान नहीं दिया अब मैं अपने आपे में नहीं था इसलिए मैंने आव देखा न ताव ज़ोर का एक झटका दिया और अपना आधा लंड आंटी की टाइट गांड के अन्दर डाल दिया.

आंटी दर्द के मारे चीख उठीं. लेकिन पूरे घर में कोई नहीं था इसलिए चिंता की कोई बात नहीं थी. मैंने आंटी के मुंह में अपनी ऊँगली डाल दी और एक और करारा धक्का देकर अपना पूरा लंड आंटी की गांड में डाल दिया.

आंटी दर्द के मारे परेशान हो रहीं थीं इस लिए मैंने धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया. पाँच दस धक्कों के बाद ही आंटी को मज़ा आने लगा. और उनका दर्द कम होने लगा. आंटी की गांड का छेद काफी टाइट था इसलिए मैं भी थोड़े से धक्कों का बाद ही झड़ने की स्थिति में आ गया.

मैंने आंटी से कहा,’ आंटी मेरा रस कहाँ डलवाना है. गांड में या मुंह में?’

आंटी ने तुंरत उत्तर दिया,’नहीं मेरे राजा आज तो तुम्हारा रस मैं अपने मुंह में ही लूंगी !’

मैंने अपना लंड आंटी की गांड में से निकाल कर उनके मुंह में डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगा. आठ दस बार में ही मेरे लंड से पिचकारी छूट गई जो सीधी आंटी के मुंह से होती हुई उनके गले में चली गई.

आंटी ने बिल्कुल भी बुरा नहीं माना और उस रस की एक एक बूँद अपनी जीभ से चाट ली और मेरा लंड पूरा साफ़ कर दिया. अब हम दोनों थोड़ा शांत हो चुके थे.

आंटी ने कहा ‘पप्पू ! अब मैं तुम्हारे लिए दूध लाती हूँ. दूसरी शिफ्ट थोडी देर बाद करेंगे। ‘

दोस्तों दूसरी शिफ्ट की कहानी अगली बार. आप मुझे ज़रूर बताएं कि आप को मेरा अनुभव कैसा लगा.

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