मौसी की बेटी की कामुकता

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

हल्लो, मैं श्याम … आप सब को मेरा नमस्कार !

मेरी मौसी (दूर की) की लड़की प्राची (सालगिरह की अनोखी भेंट) के साथ मेरे सेक्स की कहानी आप ने पढ़ी होगी … इस बार मैं आप को प्राची की बड़ी बहन दीक्षा और मेरी सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

दीक्षा दिखने में तो सेक्सी थी लेकिन थोड़ी गुस्से वाली और जब देखो तब सबके ऊपर हुक्म चलाती थी, इस लिए मेरी उससे ज्यादा पटती नहीं थी, कालेज में भी कोई उसका करीबी दोस्त नहीं थे।

छुट्टियों के दिन थे। एक दिन हम सब पिकनिक पर गए हुए थे। अचानक दीक्षा ने कहा- चलो सब नदी में नहाते हैं। लेकिन सब ने मना कर दिया क्योंकि मेरे अलावा किसी को तैरना नहीं आता था। तो वो रूठ गई और कहने लगी- आप सब को आना है तो चलो, वरना मैं अकेली ही जाती हूँ। थोड़ी देर बाद मौसी ने कहा- श्याम जा देख दीक्षा ठीक तो है और हो सके तो उसको मनाकर साथ ले आ।

नदी सिर्फ़ 3-4 मिनट ही दूर थी। मैंने वहाँ जाकर देखा, तो वो घुटनों तक पानी में बैठ कर खेल रही थी। मुझे ताने कसने का मौका मिल गया, मैंने कहा- मुझे तो लगा तुम तैरती हुई दूर निकल गई होगी! तो उसने कहा- जानती हूँ, तुम बहुत स्मार्ट बनते हो … मुझे तैरना सिखाओ … मैंने कहा- उसके लिए गहरे पानी में जाना पड़ेगा। “तो ठीक है …” मैंने कहा- मौसी ने मुझे यहाँ तैरना सिखाने नहीं, तुम्हें बुलाने भेजा है … तो वो बोली- ठीक है मैं आती हूँ लेकिन मुझे एक बार उधर गहरे पानी में ले चलो … मैंने पूछा- तुम डरोगी तो नहीं? वो बोली नहीं …

मैंने उसका हाथ पकड़ा और गहरे पानी में ले गया। जब पानी गले तक आ गया तो मैंने कहा- चलो अब वापस चलते हैं … दीक्षा मना करने लगी और बोली- प्लीज़, मुझे तैरना सिखाओ … मैंने कहा- आज नहीं, फ़िर कभी, लेकिन वो नहीं मानी।

मैंने कहा- ठीक है … मैं तुम्हें कमर से पकड़ता हूँ, तुम धीरे-धीरे अपने पैर और हाथ हिलाओ … लेकिन वो नहीं कर पा रही थी। तो मैंने कहा- कमर भर पानी में चलते हैं, मैं तुम्हें मेरे दोनों हाथ पर उल्टा लेटाता हूँ ताकि तुम्हें हाथ-पैर हिलाने में आसानी हो सके …

अभी उसके कमर के नीचे का भाग मेरे दांए हाथ में था और छाती के नीचे का भाग बांए हाथ में था। वो हाथ-पैर हिलाने लगी … लेकिन मेरा हाल ख़राब होने लगा, क्योंकि मेरे हाथों में एक भीगी-सेक्सी लड़की थी, पानी में होते हुए भी मैं उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर रहा था, मुझे शरारत सूझी, मैंने उसे पानी में छोड़ दिया, वो डर गई और इधर उधर हाथ मारने लगी … पानी इतना गहरा नहीं था इस लिए मैंने उसे खड़ा कर दिया … लेकिन वो डरी हुई थी इसलिए मुझसे लिपट गई.

मुझे और क्या चाहिए था … मैं भी उसे चिपक गया। मैंने उसके निप्पलों को अपनी छाती पर महसूस किया। उसकी भारी-भारी साँसों ने मुझे मदहोश कर दिया … मेरे हाथों ने उसे और कस लिया, मेरा लंड भी खड़ा हो गया … मदहोशी में कब मेरा हाथ उसके गांड पे चला गया पता ही नहीं चला … उसे भी शायद मज़ा आ रहा था.

कुछ पल के बाद उसने उसका हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और मेरी तरफ़ मुँह उठाया और मुझे देखने लगी … मैं भी उसे देखता ही रहा और उसके ऊपर झुकने लगा … और … हल्के से उसके नरम गीले होठों को मेरे होठों ने छुआ … दोनों के शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई … एक दूसरे से और ज़ोर से लिपट गए और किस करने लगे। उसके हाथ मेरे बालों में और मेरे हाथ उसकी पीठ और गाँड पर चल रहे थे।

अब मैं एक हाथ उसकी कमर से होते हुए उसकी जांघों को सहलाने लगा और धीरे से उसकी चूत को कपड़े के उपर से ही सहलाने लगा … उसे यह बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए कोई विरोध नहीं किया … हम दोनों एक दूसरे को जम के किस कर रहे थे और सहला रहे थे. लेकिन अचानक उसने मुझे पानी में धकेल दिया और बोली- जल्दी चलो देर हो गई है और कोई भी आ सकता है … हालात को समझते हुए हम दोनों वहाँ से निकल लिए और रात को मेरे रूम में मिलने की योजना बनाई।

शाम को करीब 6 बजे घर पहुंचे। मौसी, प्राची, दीक्षा ने मिलकर खाना बनाया। खाना खाने के बाद सब टीवी देखने बैठ गए। साढ़े दस के बाद सब सोने चले गए। मैं भी ऊपर अपने कमरे में आ गया। कपड़े निकाले और हर रोज़ की तरह नंगा ही सो गया।

तक़रीबन साढ़े बारह बजे मेरी रूम का दरवाजा खुला … दीक्षा ही थी … मैं झट उठा दरवाजे को लॉक किया और एक दूसरे की बाँहों में समा गए … जम कर चुम्मा-चाटी हुई। दस मिनट बाद मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स दबाने लगा … दीक्षा मचल उठी … धीरे से मैंने उसका नाईट गाउन उतार दिया … उसने नीचे कुछ भी पहना हुआ नहीं था … अब हम दोनों नंगे थे। वो अपने आप को मेरे सामने नंगा देख थोड़ी शरमा गई। क्योंकि दीक्षा पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी खड़ी थी … हमेशा उखड़ी-उखड़ी रहने वाली दीक्षा आज कोमल सेक्सी और खुश दिख रही थी।

अब मैं उसने कान और गर्दन को चूमने लगा और उसके स्तनों को बारी-बारी से मसलने लगा … उसके चूचुक एकदम कड़क थे … उसके साथ खेलने का मज़ा आ रहा था … उसके मुँह से आह्ह्ह्ह … ऊऊउम्म्म जैसी सिसकारियाँ निकल रहीं थीं।

अब मैं उसके निप्पलों को चाटने लगा और एक हाथ उसकी जाँघ पर घुमाने लगा। दीक्षा भी मेरे लण्ड को सहला रही थी … अब दीक्षा एकदम गर्म हो गई थी और मेरे बालों को हल्के से खींच रही थी। मैं निप्पल और बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और उसी समय मेरी बीच वाली उंगली से उसकी चूत को सहलाने लगा और आखिर में उंगली को घुसा ही दिया उसकी गर्म चूत में और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा.

उसको मज़ा आ रहा था … उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगीं थीं … एकदम से उसका सारा शरीर कड़क हो गया … शायद वो झड़ने वाली थी … मैंने झट से अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया ताकि मैं उसका पहला पानी पी सकूँ, और जीभ से चाटने लगा … जैसे ही मैंने मेरी जीभ उसकी कुँवारी चूत में डाली, उसने अपना पानी छोड़ दिया …

अब मेरा लण्ड उसकी चूत के लिए बेक़रार था … मैंने पूछा- लण्ड को चूत में लेने के लिए तैयार हो? उसने सिर हिलाकर हामी भर दी … मैं उसके पैरों के बीच खड़ा हो गया और लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा … तो वह बोली- श्याम ज़ल्दी करो अब नहीं रहा जाता …

मैंने लण्ड को दीक्षा की चूत के छेद पर सेट किया … साथ ही उसके होठों को चूमने लगा … और एक हल्का सा झटका मारा … पूरा सुपाड़ा उसकी बुर में घुस गया, उसके मुँह से ज़ोर की आह निकल पड़ी- दुखता है … मैंने कहा- सिर्फ़ कुछ पल की बात है … और मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही बाहर निकाले बिना अन्दर हिलाने लगा …

दीक्षा को भी अच्छा लग रहा था तो मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और लौड़े को थोड़ा आगे-पीछे किया और ज़ोरदार झटका मारा … उसकी चीख मेरे मुँह में ही घुटकर रह गई … मैंने मौक़ा देखते ही दूसरा झटका मारा, इस बार सात इंच तक लण्ड अन्दर घुस गया … दीक्षा छटपटाने लगी, आँखों से पानी बहने लगा … दर्द के मारे वो काँप रही थी, मैं ऐसे ही पड़ा रहा और एक हाथ से उसके बूब्स को सहलाने लगा।

2-3 मिनट बाद उसका शरीर थोड़ा ढीला पड़ गया … अब मैंने उसके मुँह से अपना मुँह हटा लिया ताकि वो आराम से साँस ले सके, मैंने उसके एक बूब पर अपनी जीभ फेरनी चालू कर दी और दूसरे को मसलने लगा … कुछ ही पलों में उसने भी साथ देना चालू कर दिया। उसकी गांड धीरे-धीरे हिलने लगी … अब मेरा रास्ता आसान था, मैंने भी मेरी गांड हिलानी चालू कर दी … मेरा लण्ड दीक्षा की बुर में अन्दर-बाहर होने लगा … और मैंने उसकी बुर के अन्दर अपना पूरा लण्ड डाल दिया …

उसके मुँह से सिसकारियों का सिलसिला निकल रहा था … जो मुझे और भी अधिक कामुक बना रहा था। अब मैंने मेरे पिस्टन की गति बढ़ा दी। अब दीक्षा भी मुझे गाँड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी … 4-5 मिनट बाद उसका शरीर अकड़ गया … उसने पानी छोड़ दिया.

लेकिन मैंने अपना काम चालू ही रखा। धीरे-धीरे मेरे लण्ड की गति बढ़ती जा रही थी … मेरा लण्ड उसकी चूत में काफी द्रुत गति से अन्दर-बाहर हो रहा था। आखिर मेरे झड़ने का वक्त आ ही गया, मेरी साँसें तेज़ होने लगी … पूरा शरीर पसीने से तर था … दीक्षा भी चौथी बार झड़ रही थी … और मैं भी झड़ गया। मैंने अपना सारा वीर्य दीक्षा की चूत में डाल दिया … हम-दोनों एक-दूसरे से चिपक कर ऐसे ही दस मिनट तक लेटे रहे।

उस रात हम भाई बहन ने एक बार और जमकर चुदाई की और सो गए।

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी अच्छी लगी होगी … प्लीज़ आपकी टिप्पणी अवश्य भेजें।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000