किस्सा है एक रात का

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प्रेषक – अभि

हाय दोस्तों

एक बार फिर आपके लिए इस साईट पर आया हूँ।

आपने इतना प्यार दिया है, तभी तो एक और कविता लिख पा रहा हूँ।

तो दोस्तों, मामला है एक सेक्स भरी रात का,

किस्सा है ये एक चुदाई की रात का।

उस रात मेरे मन में जाने क्या झमेला था,

क्योंकि मैं घर पर एकदम अकेला था।

अकेलेपन में मैं तन्हाई के गीत गुनगुना रहा था,

और बीच-बीच में अपने लंड को भी हिला रहा था।

क्योंकि किसी कन्या का ख़्याल आते ही ये दिल बड़ा हो जाता है,

यह मासूम लंड भी, उसकी तमन्ना समझते हुए ख़ुद ही खड़ा हो जाता है।

अब है तो खड़ा होगी ही,

छोटा है तो बड़ा होगा ही।

अचानक मुझे लगा कि कोई बुदबुदा रहा है,

दिमाग गन्दा हो तो लगता है कि कोई चुदवा रहा है।

मैंने दरवाज़ा खोला तो वहाँ एक गोरी थी,

उसके मम्मे और गाँड देखकर लग रहा था कि आज तक कोरी थी।

-मैंने उसे अपना घर में अन्दर बुला लिया,

ठंड बहुत थी, सो मैंने कुन्डा लगा लिया।

मैंने माज़रा पूछा तो पता चला, वो रास्ता भूल गई थी,

मेरी हिम्मत भी उसकी हालत देखकर खुल गई थी।

मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया था,

क्योंकि उसे चोदने का इरादा पक्का कर लिया था।

वो मेरी बाँहों में आकर शरमा रही थी,

और मेरी साँसों की गरमी से वो भी गरम हुई जा रही थी।

मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके मम्मों पर धर दिया,

इन हाथों ने ही उसका सारा काम कर दिया।

मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत पे था,

मेरा ध्यान उसकी सूट पे था।

आख़िर उसकी जवानी को जो सँवारना था,

इसलिए उसका सूट भी उतारना था।

मैंने उसकी कमीज़ उताकर उसके मम्मे दबाने शुरु कर दिए,

सलवार को अलग कर दिया और शॉट लगाने शुरु कर दिए।

वो आहें भर के मज़ा दे रही थी,

या यूँ कहें कि लड़की होने की सज़ा ले रही थी।

मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर था,

ये भी मज़े का एक और मंज़र था।

वो कह रही थी कि चोदते रहो-चोदते रहो और चूत को फाड़ डालो,

आज अपने लंड के झंडे मेरी चूत में गाड़ डालो।

मैं भी पूरे दम से उसे चोदे जा रहा था,

और चूत-चुदाई के इस खेल में दोनों को मज़ा आ रहा था।

मेरे लंड से पानी निकला तो वह सन्तुष्ट हो गई,

नंगी ही वो मुझसे लिपट करके सो गई।

थोड़ी देर बाद उसने मेरे लंड को पकड़ लया,

मुझे कुछ समझ आता, इससे पहले ही अपने होठों से जकड़ लिया।

वो मेरे लंड को चूस रही थी इसलिए लंड बड़ा हो गया,

एक बार फिर से ये लंड चुदाई के लिए खड़ा हो गया।

अब उसे अपनी गाँड मुझसे मरवानी थी,

उसकी चूत की तरह उसकी गाँड भी सुहानी थी।

मैंने भी पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी गाँड में डाला,

और एक ही बार में उसकी गाँड को फाड़ डाला।

उसकी चीख़ ने मुझे झिंझोड़ दिया,

साथ ही मेरे लंड ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया।

अब मुझे पता चला मैं कहाँ था,

जिसमें मैं था वो एक दूसरी ही जहाँ था।

मैंने गाँड और चूत दोनों ही मारी थी,

लेकिन यारों सच तो यह है कि मैंने सपने में मुठ मारी थी।

मेरा अंडरवियार एकदम गीला हो गया था,

मुठ इतनी ज़ोर से मारी कि लंड भी नीला हो गया था।

यारों सपना ही सही लेकिन मज़ा तो किया,

अपने लंड को चूत के अन्दर तो दिया।

कोई जिए या कोई मरे,

आप कृपया मुझे टिप्पणी मेल करें।

मेरा लंड हमेशा आ*की गाँड के पीछे है,

ग़ौर से देखो मेरा मेल आईडी नीचे है

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