जालंधर के होटल में

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दोस्तो, राहुल हरियाणा से फ़िर हाज़िर है आपके लिए एक रोमांच और सेक्स से भरपूर कहानी ले कर…

सभी मर्द अपने लंड को हाथ में दबा के और लड़कियाँ अपने वक्ष को दबा के और अपनी चूत में ऊँगली दे कर बैठें !

अपनी कहानी शुरू करने से पहले मैं पाठकों को बता दूँ की मेरी कहानी कोई झूठी या मन से बनाई हुई नहीं है यह उतनी ही सच्ची है जितनी की सेक्स की जरुरत…

और एक बात प्लीज़ कोई भी पाठक ग़लत नाम से मुझे मेल ना भेजे !

मेरी पिछली कहानी को पढ़ के कुछ लड़कों ने लड़कियों के नाम से मुझे मेल भी भेजी सिर्फ़ यही जानने के लिए कि मैं सच बोल रहा हूँ या झूठ … तो दोस्तो, मैं आपको अपनी कहानी बता रहा हूँ तो इसका ग़लत मतलब न निकालें !

अभी कुछ दिन पहले जब मेरी दूसरी कहानी “पड़ोस की कुँवारी छोकरी” अन्तरवासना पर आई थी तो उसके बाद मुझे एक मेल आई। मेल भेजने वाली लड़की का नाम था जसमीत कौर जो एक पंजाबी परिवार से थी। उसने बताया कि वो एक होम गर्ल है और कॉलेज में पढ़ती है। उसने मेरी कहानी पढ़ी और उसे सेक्स करने की इच्छा हुई। उसका पहली बार था, वो अपने घर वालों से भी डरती है लेकिन सब कुछ करना भी चाहती है। इस तरह हमने २-३ दिन मेल से ही बात की।

उसने मुझसे मेरा सेल-नम्बर लिया और फ़िर मुझे एक दिन काल किया। उसकी आवाज में क्या जादू था दोस्तो ! मैं तो दीवाना हो गया उसकी आवाज का !

उसने मुझे अपने बारे में सब कुछ बताया और कहा कि उसके पास कोई जगह नही है और वो करना भी चाहती है। लेकिन उसकी एक शर्त थी कि सब कुछ गुप्त और सुरक्षित होना चाहिए। तो फ़िर क्या था जैसे कि मेरा नियम है एवेरी थिंग विल बी सीक्रेट एंड सेफ…

मैंने उसे विश्वास दिलाया और फ़िर उसने मुझे बताया कि वो जालंधर सिटी की रहने वाली है। उसने मुझसे अगले ही दिन आने को कहा। मैं भी उसके कहे अनुसार सुबह ६ बजे ही वह पहुँच गया और पहुँच कर मैंने एक होटल में कमरा बुक किया और उसे फ़ोन से सम्पर्क किया। उसने मुझे कहा कि वो कॉलेज टाइम में मेरे पास आएगी। उसने मुझे १० बजे का टाइम दिया,

मैं फ्रेश हुआ और कुछ देर रेस्ट किया। उसने मुझे १० बजे कॉल की और एक पार्क में आने को कहा मैं उसके बताये हुए स्थान पर गया… वो एक बेन्च पर पार्क में अकेली बैठी थी। उसने जींस और टॉप पहना हुआ था, उसकी हाईट ५’४” होगी और उसके बाल बहुत लंबे और काले नागिन की तरह, आँखे काली काली और बड़ी बड़ी, गाल कश्मीर के सेब की तरह लाल-लाल, होंठ गुलाब की पंखुडियों की तरह गुलाबी और उसके स्तन पूरे भरे हुए, टॉप फाड़ कर बाहर आने को थे। अगर ठीक से कहूं तो उसका फिगर कुछ ३६-३०-३६ रहा होगा।मैं तो देखते ही फ्लैट हो गया और काफी देर तक उसे देखता ही रहा। फ़िर मैं उसके पास गया और बैठ कर हमने कुछ देर बात की और उसके बाद हम दोनों होटल की तरफ़ चल दिए। होटल पहुँच कर हम दोनों कमरे में गए। वहाँ हमने कुछ देर बात की और धीरे धीरे मैं उसकी आँखों में मदहोश हो गया। फ़िर मैंने उसके गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख दिए और काफी देर तक उसे समूच किया।

इसी दौरान मेरे हाथ उसके बड़े और नर्म-नर्म स्तनों पे चले गए। मैं उसके स्तन बड़े ही आराम से दबा रहा था और उसकी आँखों में मदहोशी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी। मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाला और उसके कबूतरों को ब्रा की कैद से आजाद करवा दिया। अब मेरे हाथ उसके आजाद कबूतरों को बड़े ही जोरों से दबा रहे थे। फ़िर मैंने देर ना करते हुए उसके टॉप को उतार दिया… वाह ! उसके स्तन जितने नर्म थे उतने ही तने हुए थे और उसके चुचूक भी कड़े और हल्के गुलाबी थे।

फ़िर मैंने उसके एक स्तन को मुँह में लिया और छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा। वो बहुत ही मदहोश हो चुकी थी और सेक्सी आवाजें निकाल रही थी- ऊऊ ऊह्ह्ह ह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह! म्म्म्म्मूऊ ऊउस्स्स।

इतने में मुझे अपने लंड पे कुछ महसूस हुआ, उसका हाथ मेरे लंड को टटोल रहा था। मैंने अपनी जींस उतार दी और लंड उसके हाथ में दे दिया। फ़िर उसने मुझे बिस्तर पे लिटा दिया और नीचे झुक कर मेरे लंड को चूमा और उसे मुँह में ले लिया। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई छोटा बच्चा लोलीपोप को चूसता है। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। काफी देर तक उसने मेरा लंड चूसा जब तक मेरा वीर्य नही निकल गया।

उसके बाद मेरी बारी आई, मैंने उसे बेड पे लिटाया और उसकी जींस को उतारा। उसने अपने पूरे बदन की वैक्सिं की हुई थी, शायद मेरे लिए खास !

उसने अन्दर एक काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी। फ़िर मैंने उसकी पैंटी को भी उतार दिया, क्या मज़ेदार चीज थी उसकी चूत ! उसकी चूत को देखते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया … उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था और उसके चूत के होंठ भी गुलाबी थे। मैंने जैसे ही उसकी चूत को छुआ, वो एक दम से कराह उठी। मैंने धीरे से उसकी चूत में ऊँगली डाली और उसके होंठों को रगड़ा ! उसकी चूत बहुत टाइट थी, वो सही थी कि उसका पहली बार है…

फ़िर मैंने उसकी चूत को चूमा और मुझसे रहा नहीं गया, मैं उसकी चूत को चूसने लगा…

वो पागलों की तरह आवाजें निकालने लगी, पूरा कमरा सेक्सी आवाजों से गूंज रहा था कुछ इस तरह ऊऊह्ह्ह आआह्ह्ह ऊऊफ़्फ़्फ़् म्म्म्म्स्स प्ल्ज्ज धिरेईईए!

फ़िर हम दोनों 69 की पोज़िशन में थे और एक दूसरे को चूस रहे थे। वो 2 बार झड़ चुकी थी। फ़िर उसने मुझसे कहा कि राहुल प्लीज़ अब बर्दाश्त नहीं होता फक्क मी वैरी हार्ड ! अपना लंड मेरी प्यासी चूत में घुसा दो।

अब मेरा लंड उसकी चूत में घुसने के लिए तैयार था। मैंने एक तकिया उठा कर उसकी गांड के नीचे रखा और अपना लंड उसकी चूत के मुँह पे लगा के जोर से धक्का दिया। मेरा लंड अभी थोड़ा सी ही अन्दर गया था कि वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और उसे फ़िर से एक धक्का दिया। मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था। उसकी चूत में से ब्लीडिंग हो रही थी, वो चिल्ला नहीं पा रही थी क्योंकि उसके होंठ मेरे होंठों में थे।

थोड़ी देर तक मैं उसके वक्ष के साथ खेलता रहा, कुछ देर में वो शांत हुई तो मैं फ़िर एक जोर से धक्का दिया और पूरा लंड उसकी चूत में था। इस बार वो थोड़ा सा तड़पी लेकिन सब कुछ सामान्य था। फ़िर मैंने अपना खेल शुरू किया- मेरे लंड के धक्कों से पूरे कमरे में फ़्फ़्फ़ फ़्फ़्फ़्फ़् की आवाजें आ रही थी और वो अपनी गांड उठा-उठा के मेरा साथ दे रही थी और साथ में कह रही थी राहुल डार्लिंग फक्क मी ! मेरी चूत की प्यास बुझा दो फक्क मी हार्ड !

कुछ देर तक चोदने के बाद वो एक झटके क साथ मेरे से चिपक गई, शायद वो झड़ चुकी थी और 4-5 झटकों के बाद मैं भी झड़ गया। फ़िर हम कुछ देर तक बेड पे एक दूसरे के साथ चिपक कर लेटे रहे। उसके बाद उसने मुझे एक जोर से किस किया और कहा कि आज मैं बहुत खुश हूँ, लेकिन अभी कुछ और करो !

मैं उसे अपने गोद में उठा के बाथरूम में ले गया और वहाँ शॉवर के नीचे हमने एक बार और चुदाई की, उस दिन हमने तीन बार चुदाई की।

शाम को जब वो जाने लगी तो मुझे कस के अपनी बाहों में जकड़ के बोली- राहुल डार्लिंग ! यू आर सो स्वीट… टुडे आई ऍम वैरी हैप्पी… मैं तो वैसे ही डरती थी… इसमें तो बहुत मजा आया…

उसने मेरी फीस मुझे दी और अपने घर चली गई, मैं भी कुछ देर आराम कर के अपने घर के लिए निकल लिया।

तो दोस्तो यह थी मेरी जालंधर सिटी की दास्ताँ..

अब आप इसे सच समझें या झूठ, यह तो आप पर है… लेकिन मेरे एक एक लफ्ज में सच्चाई है।

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