कच्ची कलियाँ

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प्रेषक : गर्म चम्पू

हाय दोस्तो, मेरा नाम रमेश है, मैं अन्तर्वासना की कहानियों का नियमित पाठक हूँ। मेरी एक कहानी भतीजी की चुदाई अन्तर्वासना पर पहले प्रकाशित हो चुकी है। मैंने और कहानियाँ भेजने का वादा किया था, लेकिन समय पर भेज नहीं पाया क्योंकि इसी बीच मुझे जयपुर शिफ्ट होना पड़ा, इसके लिए मैं लंड झुका कर माफ़ी चाहता हूँ। खैर अब मैं आपको मेरी दूसरी कहानी भेज रहा हूँ, अच्छी लगे तो भी और अच्छी न लगे तो भी मेल जरूर करना।

हमारे कारखाने में शीला नाम की लड़की काम करती थी, कद पाँच फुट तीन इंच, गोरी और बदन भरा भरा, उसके बोबे संतरे के आकार के एकदम कसे थे। भोली इतनी कि जब मैंने उसे चूमना चाहा तो उसने कहा कि इससे तो मैं गर्भवती हो जाऊंगी क्योंकि एक बार मेरी कजिन बहिन ने मेरी चाची की चड्डी पहन ली थी तो उसके भी गर्भ ठहर गया था।

खैर अब मैं अपनी असली कहानी पर आता हूँ, उसको हमारे यहाँ काम करते हुए करीब एक महीना हो गया था, इसी बीच काम समझाने के बहाने मैं उसे रोज छूता था, कभी उसके बोबे को, कभी पीछे से चूतड़ों को, लेकिन वो कोई विरोध नहीं करती थी, लेकिन मेरा लंड तो उसको छूने से पैंट फाड़ कर बाहर आने लगता था।

एक दिन जब वो मशीन पर काम कर रही थी, मैं उसके पीछे जाकर चिपक कर खड़ा हो गया, मेरा लंड उसकी पीठ पर लगा हुआ झटके पे झटका खा रहा था। वो आगे झुक कर काम कर रही थी, चूंकि उसने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसकी कुर्ती में से उसके बोबे पूरे के पूरे मुझे दिखाई दे रहे थे। जी तो चाह रहा था कि उसकी कुर्ती में अभी हाथ डाल कर उन्हें जोर से दबा दूँ लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। फिर भी मैंने पीछे खड़े खड़े ऊपर से उसकी कुर्ती में हौले से फूंक मारी तो उसने चौंक कर ऊपर मेरी ओर देखा और धीरे से मुस्कुराकर वापिस अपने काम में लग गई। मैं समझ गया कि इसको पटाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा।

दूसरे दिन मैंने उसके पास जाकर उसके गालों को छूकर एक पप्पी देने का इशारा किया, लेकिन उसने शरमाकर मना कर दिया, लंच के वक्त जब सब खाना खाने जाते थे, तब मैं कारखाने में अकेला ही रुकता था, उनके आने के बाद मैं खाना खाने जाता था। उस दिन जब सब लंच पर चले गए तब मैंने उसे काम के बहाने स्टोर रूम में आने को कहा क्योंकि वहाँ बाकी की लड़कियाँ खाना खा रही थी। जब वो आई तो मैंने उसे पकड़ा और चूमना चाहा तब उसने कहा कि किस करने से गर्भ ठहर जाता है।

मैंने अपना सर पीट लिया, मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं थी, तो मैंने उसे कहा- चलो मुँह लगाने से गर्भ ठहर जाता है लेकिन हाथ लगाने से तो कुछ नहीं होता !

तो उसने कहा- हाँ ! हाथ लगाने से तो नहीं होता !

इतना सुनते ही मैं उसके पीछे गया और उसकी बगलों से हाथ डाल कर उसकी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर जोर से दबाने लगा।

दोस्तो, क्या चूचियाँ थी ! इतनी सख्त जैसे कच्चे अमरुद हों !

उसने छुड़ाना चाहा लेकिन मैंने उसे छोड़ा नहीं तो उसने कहा- प्लीज, दर्द होता है ! धीरे धीरे करो !

इतना सुनते ही मैंने उसकी कुर्ती में हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। अचानक वो मुझसे छूट कर बाहर भाग गई और बाकी लड़कियों के पास जा कर बैठ गई।

उसके बाद तो उसका मेरी तरफ देखना और शरमाकर मुस्कुराना मेरे लंड पर बिजलियाँ गिरा रहा था।

दूसरे दिन फिर मैंने उसे लंच में स्टोर रूम में बुलाया तो वो शरमाकर मेरे पास आ कर खड़ी हो गई। मैंने उसकी चूचियों को खूब दबाया। वो शी शी करती रही। मैंने पीछे से अपना लंड उसके चूतड़ों पर लगा रखा था और उसको समझा रहा था कि गर्भ चोदने से ठहरता है।

तो उसने कहा- वो कैसे?

तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर पैंट के ऊपर से ही अपने लंड पर रख दिया तो उसने कहा- आप गंदे हो !

और यह कहकर भाग गई।

उसके बाद तो रोज ही वो लंच टाईम में मेरे पास आ जाती और मैं उसके स्तनों और चूतड़ों को दबाते रहता। अब मैंने अपना लंड भी उसके हाथ में देना चालू कर दिया था, जिसे वो पकड़कर धीरे धीरे दबाती रहती या सहलाती रहती। अब उसे भी मजा आने लगा था। मैंने उसकी चूत पर भी ऊपर से हाथ फेरना शुरू कर दिया था। एक सप्ताह में तो मैंने उसकी बुर को उंगली से चोदना भी शुरू कर दिया लेकिन उससे ज्यादा मौका ही नहीं मिल रहा था। मैं उसकी कुंवारी बुर में अपना लंड डाल कर उसकी सील तोड़ने के लिए तड़प रहा था।

आखिर दो दिन बाद मैंने उसे सुबह सात बजे कारखाने में आने के लिए राजी कर ही लिया। हमारे यहाँ स्टाफ और लेबर नौ बजे आते हैं।

दूसरे दिन वो सुबह पौने सात बजे ही कारखाने में आ गई। चूँकि मैं उस वक्त कारखाने में ही सोया करता था इसलिए जैसे ही वो अन्दर आई, मैंने दरवाजा बंद किया और उसे अपनी बाँहों मैं लेकर चूमने लगा। पहली बार मैंने उसकी कुर्ती को उतार कर उसके छोटे छोटे अमरूदों को देखा, उसकी घुन्डियाँ एकदम गुलाबी रंग की तथा सामने की ओर तनी हुई थी।

मैंने उसे गोदी में बैठाया और उसकी एक चुन्ची को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरी को हाथ से मसलने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।

मैंने अपना एक हाथ सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर रख कर उसकी गद्दी जैसी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। उसकी सिसकारियाँ और तेज होती जा रही थी। मैंने उसे गोद में उठाया और बिस्तर पर ले गया और धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे उतार दिया। जैसे ही उसकी चड्डी उतारने लगा, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मैं इसे नहीं उतारने दूंगी !

मैंने कहा- इसे नहीं उतारोगी तो कैसे चोदूँगा ?

तो उसने कहा- मुझे नहीं पता ! पर मैं इसे नहीं उतारूंगी !

और रोने लगी।

मैंने कहा- कोई बात नहीं !

और उसकी चड्डी में हाथ डाल कर उसकी चूत को मसलने लगा। धीरे धीरे उसके दाने को सहलाया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी, उसकी चूत गीली होने लगी।

मैंने अपनी उंगली उसमे डाली तो उसको मजा भी आने लगा। जब उसकी चूत एकदम गरमा गई, तब मैंने उंगली निकाल ली।

उसने कहा- क्या हुआ? रुक क्यों गए?

मैंने कहा- अब मैं अपना लंड तुम्हारी चूत में डाल कर चोदूंगा !

तब उसने कहा- जो करना है, जल्दी करो !

तो मैंने कहा- जब तक चड्डी नहीं उतारोगी, मैं नहीं करूंगा !

तो उसने कुछ नहीं कहा और अपनी टांगे सीधी करके लेट गई और अपने हाथों से अपनी आँखे बंद कर ली। मैं समझ गया और धीरे से उसकी चड्डी उतार दी।

वाह क्या चूत थी ! चूत पर सिर्फ मुलायम से बाल आने शुरू ही हुए थे, एकदम फूली हुई गद्दी जैसी चूत को देख कर लंड फटने की हालत में हो गया। मैंने उसकी टांगें घुटनों से मोड़ी तो उसकी चूत की फांक कटे हुए लाल अंजीर की तरह दिखने लगी और बीच में जैसे किसी ने चेरी का छोटा सा टुकड़ा रख दिया हो।

मैंने अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उस पर थोड़ी वैसलीन लगाई, थोड़ी उसकी चूत पर और चूत के अन्दर लगाई। उसके बाद मैंने अपना छः इंच लम्बा और दो इंच मोटा लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और बिना दबाव दिए उसके ऊपर लेट गया। फिर उसके होठों को अपने होठों में दबा कर तथा हाथों से उसके कंधो को पकड़ कर धीरे से अपने लंड का दबाव उसकी चूत में दिया।

जैसे ही लंड का सुपारा उसकी संकरी चूत में घुसा, वो नीचे दबी हुई छटपटाने लगी और अपनी गर्दन को इधर उधर हिलाने लगी। लेकिन मैंने उसे कस कर पकड़ा हुआ था, मैंने एक झटका और लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी बुर में घुस गया।

वो बुरी तरह पसीने में भीग गई और रोने लगी। लेकिन मैं जानता था कि अगर इस बार इसको छोड़ दिया तो दोबारा यह मेरे नजदीक भी नहीं आएगी, मैंने अपना लंड सुपाड़े तक बाहर निकाला और एक जोरदार झटका और दिया तो खच की आवाज के साथ मेरा पूरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।

वह जोर से उछली, उसका मुंह एकदम लाल हो गया और वो मेरी पीठ में नाखून गाड़ने लगी। मैंने धीरे धीरे उसके बालों में हाथ फिराया और उसको धीरे धीरे सहलाने लगा। जब उसका मुंह छोड़ा तो वो जोर जोर से रोने लगी और मुझे धक्के देने लगी।

मैंने उसे समझाने की कोशिश की तो उसने कहा- आज के बाद मैं आपके पास कभी नहीं आउंगी !

मैंने उसे सहलाना चालू रखा और थोड़ी देर बाद अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और धीरे से वापस अन्दर धकेला तो उसने कहा- आप उठो ! मुझे कुछ नहीं करवाना !

मैंने उसके बोबे दबाये, धीरे धीरे उसके गालों को होठों से सहलाते हुए अपना लंड उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा। वो मुझे धक्के देती रही और मैं उसको प्यार से चोदता रहा।

थोड़ी देर बाद उसने अपने हाथ मेरी पीठ पर कस लिए और मुझसे चिपक गई। मैं समझ गया कि अब रास्ता साफ़ है !

तो मैं जोर जोर से अपना पूरा लंड बाहर निकाल-निकाल कर उसे चोदने लगा। दो मिनट बाद ही उसने मुझे जोर से कस लिया, मुंह से आह ह ह ह ह ह ह आह ह ह ह ह ह करने लगी। वो झड़ चुकी थी मैं भी झड़ने वाला था इसलिए मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसके पेट पर और चूचियों पर अपना सारा रस छोड़ दिया।

उसने उठने की कोशिश कि लेकिन ओह करते हुए वापिस लेट गई। मैंने उसे सहारा देकर उठाया तो बेड की हालत देख कर चौंक उठी और कहा- ये इतना खून कहाँ से आया?

तो मैंने कहा- ऐसा पहली पहली बार होता है, अब दुबारा करेंगे तो नहीं होगा !

तो उसने कहा- आज के बाद मैं कभी भी आपके पास नहीं आउंगी !

मैंने कहा- ठीक है, अभी तो सफाई करके कपड़े पहनो !

मैंने उसे सहारा देकर उठाया उसे कपड़े पहनने में मदद की, उसकी चूत पर रूई लगाई और दर्द की दवाई दे कर घर भेज दिया और कहा- आज तुम आराम करो, कल फिर बात करेंगे !

तो दोस्तो, तीन चार दिन बाद ही उसके फिर खुजली उठी और मैंने उसे फिर कई बार चोदा !

यह थी मेरी दूसरी सील तोड़ने की कहानी, आशा है आपको पसंद आई होगी ! अगर नहीं भी आई हो तो कृपया मुझे मेल जरूर करें !

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