रक्षिता और उसकी भाभी

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हेल्लो दोस्तो, पहले तो गुरूजी को मेरी कहानी अन्तर्वासना में प्रकशित करने के लिए धन्यवाद और आप सभी दोस्तों को प्यार जिन्होंने मुझे मेल किया..

आशा करता हूँ सभी चूतों और लौड़ों को मेरी यह कहानी भी पहले वाली कहानियो की तरह ही पसंद आएगी, अगर मेरे किसी भी दोस्त को मेरी पहले वाली सारी कहानियाँ पढ़नी हो तो मुझे मेल करें, मेरा इमेल कहानी के अंत में दिया हुआ है…

आपने कुछ दिन पहले मेरी और रक्षिता की कहानी जयपुर में पतंगबाजी पढ़ी होगी, आज मैं उसके आगे की कहानी लेकर हाजिर हूँ।

मैं अपनी कहानी वहाँ से शुरू करता हूँ जब हमने 14 जनवरी, 2010 को पहली बार चुदाई की थी।

उस दिन शाम को रक्षिता बोलती है- जान, आज तो तुमने सच में जन्नत की सैर करा दी !

मैंने उसे चूमते हुए कहा- जानू, अभी तो इस अप्सरा को पूरी जन्नत की सैर करनी बाकी है !

फिर मैं अपने घर चला गया।

अगले दिन जब उसकी भाभी पड़ोस में गई थी तब 12 बजे मैं चुपके से रक्षिता के कमरे में चला गया और वहाँ दरवाज़ा बंद करके मैंने उसे चूमना शुरू किया। आज उसने गुलाबी रंग का सलवार सूट पहना था .. क्या तो मस्त बला लग रही थी वो …

मैंने चूमते हुए उसके स्तन भी दबा दिए। फिर मैंने उसका कुर्ता उतारा ! पहले तो थोड़ी देर मस्त स्तनों को ब्रा में से ही दबाने लगा फिर ब्रा उतार कर उसके स्तनों को आजाद कर दिया। उसके मोटे मोटे स्तन बड़े शानदार लग रहे थे। मैंने उसके स्तनों का दूध पीना शुरू कर दिया …

उसकी आहें निकलने लगी- आह ओह्ह आह

फिर मैंने कहा- अब तुम मुझे इन कपड़ों से आजाद करो !

तो वो बोली- अभी लो मेरी जान, तुझे अभी नंगा कर देती हूँ…

फिर उसने मेरा टी-शर्ट उतारा और बनियान उतार कर मेरे सीने पर चूमने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। फिर उसने मेरी जींस उतारी और और अंडरवीयर में ही लंड को मसलने लगी। फिर मेरा अंडरवीयर उतारा और लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

मुझे बहुत मजा आया.. जब तक पानी नहीं निकल गया तब तक वो लंड चूसती रही और सारा पानी पी गई।

फिर उसके बाद मैंने उसका कुर्ता उतारा और उसे सिर्फ पैंटी में कर दिया। वो पैंटी में बहुत मस्त लग रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत को मसलने लगा।

उसकी चूत गीली हो चुकी थी मैंने उसकी चूत के पानी को चाटने के लिए उसकी चूत में मुह लगाकर जीभ से चाटने लगा …

उसकी आहें फिर से सुनाई देने लगी…

फिर मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाला और उसकी चुदाई शुरू कर दी। चूत में लंड डालने पर आज उसे ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि आज उसे दर्द नहीं हो रहा था। चूत की चुदाई करीब 15 मिनट चली, फिर उसकी गांड मारनी शुरू कर दी। पहले तो उसे घोड़े के जैसे पलंग पर लेटाया फिर उसकी गांड में अपना मस्त, मोटा लौड़ा डाल दिया। उसकी गांड कसी थी इसलिए मैंने उसकी गांड की आराम से चुदाई की लेकिन आज उसे कुछ ज्यादा ही मजे आ रहे थे और वो गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी। उसकी गांड बिल्कुल लाल हो चुकी थी।

मैंने उसकी गांड के दोनों कूल्हों पर हाथ से मारा जिससे वो और लाल हो गए। जब पानी आया तो इस बार सारा उसकी चूत में ही छोड़ दिया। फिर मैंने कपड़े पहने और जब मैं उसके घर से जाने लगा तो भाभी बोली- रोहित, तुम कब आये ? मैंने तो देखा ही नहीं !

मैं बोला- दस मिनट हुए हैं !

और चला गया …

भाभी को शायद शक हो गया था !

अगले दिन भाभी जब पड़ोस में गई तो मैं फिर आ गया। जब मैं रक्षिता को चूम रहा था तो भाभी ने दरवाजा खटखटाया और बोली- रक्शु, एक बार दरवाज़ा खोल ! मुझे कुछ काम है !

मैं जल्दी से पलंग के नीचे छुप गया। भाभी अंदर आ गई और कमरे की तलाशी लेने लग गई। तो रक्षिता बोली- क्या ढूंढ रही हो भाभी ?

भाभी बोली- तू बैठ ! मुझे जो ढूंढना है वो मैं ढूंढूँगी !

फिर भाभी ने बेड के नीचे देखा और बोली- बाहर आ जा रोहित !

मैं बोला- भाभी, किसी से मत बोलना !

फिर वो बोली- मेरी एक शर्त है !

हम दोनों बोले- वो क्या ?

तू रक्षिता के साथ मुझे भी चोद !

मैं बोला- ठीक है !

भाभी का फिगर बहुत मस्त था, मैं सोचने लगा कि मस्त माल हाथ लग गया।

फिर मैंने भाभी की साड़ी उतारी और फिर ब्लाऊज़ उतार कर चूचियों को चूसने लगा। रक्षिता मेरे कपड़े उतार कर मेरा लौड़ा चूसने लगी।

फिर मैंने भाभी का पेटीकोट उतारा और पैंटी में से ही चूत में खुजली करने लगा ..

भाभी के मुँह से आवाजें आने लगी- आह ! ओह्ह ! मजा आ गया…

भाभी बोली- बहन के लौड़े ! तूने मुझे पहले क्यों नहीं चोदा ? और तेज़ चोद मेरे राजा ! आज तो तूने सच में चुदाई की..

भाभी और मैं लगभग एक साथ झड़ गए।

फिर थोड़ी देर रुकने के बाद रक्षिता बोली- जान, अब मेरी चूत की प्यास भी बुझा दो !

मैं बोला- मैं अपनी जान को चोदो बिना थोड़े ही छोड़ूंगा !

फिर मैंने रक्षिता की चूत में अपना बड़ा सा लंड डाला और उसकी तेज़ स्पीड में चुदाई शुरू कर दी।

वो आह ओह्ह आह ओह्ह की आवाजें निकालने लगी…

मुझे उसकी आवाजें सुनकर बहुत मजा आने लगा, मैंने और स्पीड बढ़ा दी। उसकी भाभी मुझे चूम रही थी और रक्षिता के स्तन दबा रही थी।

मैंने दूसरी बार दो लड़कियों की चुदाई की थी जिसमें मुझे काफी मजा आया। इस चुदाई में मुझे पहले से ज्यादा मजा आया।

रक्षिता की चुदाई होने के बाद भाभी बोली- रोहित, तेरे भैया तो मेरी गांड मारते नहीं हैं ! तू ही मार दे …

मैं बोला- ये लो भाभी ! अभी मार देता हूँ..

फिर मैंने भाभी को घोड़ी की तरह बैठाया और उसकी गांड में लंड डालने लगा … भाभी पहली बार गांड मरवा रही थी इसलिए मुझे थोड़ा ज्यादा जोर लगाना पड़ा। लंड को घुसने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी लेकिन मैं हार मानने वाला कहाँ था… मैंने पूरा जोर लगा दिया, भाभी चिल्लाने लगी- मर गई मैं तो …पर तू घुसा रोहित ..तू मत रुक..

अब मैं और जोश के साथ गांड में घुसाने लगा। आखिरकार मैं उसकी गांड में अपना लंड घुसाने में कामयाब रहा। फिर मैंने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी…

भाभी बोली- मजा आ गया पहली बार गांड मरवाने में ! बहन का लौड़ा, मेरा पति तो मेरी गांड चोदता ही नहीं है…

फिर मैंने उसकी गांड में पानी छोड़ दिया।

तब तक दो बज चुके थे, भाभी बोली- रोहित, हम दोनों चूत और गांड धो कर आते हैं, तू तब तक कमरे में बैठ ! हम एक साथ खाना खायेंगे।

फिर भाभी खाना लगाया और मुझे बोली- रोहित, तू कल आना ! मैं अपनी सहेलियों को बुला कर लाऊँगी।

मैं बोला- ठीक है…

आगे की कहानी पढ़ने के लिए अन्तर्वासना डॉट कॉम हर रोज देखते रहें !

मुझे सभी के मेल का इंतज़ार रहेगा !

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