मुन्नू की बहन नीलू-2

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कहानी का पिछ्ला भाग: मुन्नू की बहन नीलू-1

मैं सोचता रहा- क्या यह सपना तो नहीं? नीलू मेरे बगल में क्या वाकई में नंगी लेटी है?

मैंने उसकी झांटों पर ऊँगली फिराई, वो थोड़ी कसमसाई और बोली- क्या करते हो? थोड़ा रुक जाओ !

दोस्तो, एक बात तो है, थोड़ा रुकने में अपना कुछ नहीं जाता है। लौंडिया को पहले खूब तड़पाओ और फिर उसे जी भर के चोदो। खूब उछल-उछल के चुदेगी।

मैं उसकी चूत पर हाथ फेरता रहा और मन ही मन बोला- मुन्नू भाई ! देख तेरी बहन कैसे मेरे बगल में नंगी लेटी है, अभी उसने मेरा लंड चूसा, मैंने खूब उसकी चूत चाटी और अब थोड़ी ही देर में मेरा लंड उसकी बुर में होगा। क्या कहता है..। पेल दूँ इसकी चूत में अपना मूसल?

मैंने नीलू का हाथ अपने हाथों में लिया और धीरे से उसका हाथ अपने सोये हुए लंड पर रख दिया। मेरा लंड थोड़ा सा कांपा और फिर उसके हाथ का स्पर्श पाकर उठने की कोशिश में लग गया। नीलू धीरे धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी। थोड़ी सी देर में ही मेरा लंड एक मीनार की तरह खड़ा हो गया- कभी कभी तो उसे देखते हुए ही डर लगता है- काला रंग और नौ इंच लम्बा और काफी चौड़ा ! उफ़ !

नीलू की थोड़ी फट रही थी, उसने पूछा- अज्जू, ये मेरी फाड़ देगा क्या? मैं तो मर ही जाऊंगी ! तुम बस थोड़ा सा ही डालना।

मुझे हंसी आ गई। में बोला- नीलू मेरी जान, एक बार घुस गया तो बस तुम उसे छोड़ोगी नहीं ! और घुसाओ कहती रहोगी।

मैंने उसकी ओर करवट ली और उसकी चूत में अपनी मध्यमिका (बीच की ऊँगली) डाल दी। धीरे से अन्दर डाली और फिर में उसे अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी शायद झिल्ली फट गई थी इसलिए थोड़ा खून आने लगा। मैं उसकी परवाह न करते हुए उसकी चूत को अपनी ऊँगली से चोदता रहा। नीलू बस चीखती रही- अज्जू- अज्जू- अज्जू- उई मम्मी मम्मी।

मैंने उसका एक मम्मा अपने मुँह में लिया और लगातार ऊँगली करता रहा। एक बात तो है। आप जब भी ऊँगली करें, लौंडिया को ज़रूर देखें- उसके चेहरे के भाव से आपको और मज़ा आएगा। मैं पूरी गति से उसकी चूत में ऊँगली करता रहा।

शायद वो झड़ने वाली थी, उसने कहा- अज्जू, मेरे अन्दर कुछ हो रहा है ! रुको, क्या हो रहा है?

मैंने कहा- नीलू डार्लिंग ! तुम निचुड़ रही हो।

एक लम्बी चीख मारी उसने और निढाल हो गई- अब बस करो, अब बस करो ! कहकर वो पेट के बल होकर लस्त पड़ गई।

पहली बार मैंने उसकी पीठ निहारी। सुन्दर, सुडौल दूध की तरह। उसके दोनों बाहें तकिये के इर्द-गिर्द थीं। और मुँह एक तरफ था। मैंने उसके बाल एक तरफ किये और उसके ऊपर जाकर उसके गर्म गर्म गालों को चूमने लगा।

वो बोली- अज्जू तुम बड़े वो हो।

मैंने उसकी बगलें चूमनी शुरू की। उसके पीठ के एक एक हिस्से को अपनी साँसों से नहलाता रहा। और फिर धीरे से कमर तक पहुँचा। उसके दोनों चूतड़ बिल्कुल गोल थे- गोरे गोरे चूतड़ों पर मैंने अपने होंठ रख दिए। फिर एक एक कर उसकी दोनों टांगों को अलग किया और अपने घुटनों के बल उसके टांगों के बीच में बैठ गया। फिर अपनी उँगलियों से धीरे से उसकी जाँघों को सहलाते हुए उसकी चूत को गुदगुदाने लगा।

वो चिंहुक पड़ी- अज्जू, प्लीज़, रुक जाओ न थोड़ा !

लेकिन साब, मेरा लंड रुके तब ना। मैंने सोचा कि थोड़ा रुक ही जाता हूँ। मैंने उसके चूतड़ दबाने शुरू किये। ऐसा लग रहा था मानो आटा गूंध रहा हूँ। कितने मुलायम थे उसके वो दोनों चाँद। मैंने उसको खूब दबाया। जब दोनों को एक साथ दबाया तो उसकी गुलाबी गांड दिख गई। मैंने तो पहले से ही सोच रखा था कि नीलू की गांड ज़रूर मारूंगा। उसको थोड़ा और दबाकर मैं उस पर लेट गया। उसका पूरा बदन अपने बदन से ढक दिया। दोनों हाथों के उँगलियों में अपने हाथ की उंगलियाँ फंसा दी और मेरे लंड उसकी चूत के मुँह पर था।

एक बात तो सही है- पानी और लंड अपना रास्ता खुद-ब-खुद बना लेते हैं।

पता नहीं कैसे- मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

नीलू बोली- यह तुम्हारा मूसल भी ना ! कितना मोटा है। मुझे ज्यादा दर्द तो नहीं होगा ना?

शुरू करें?

और इस पर मैंने एक झटका दिया और मेरा पूरा सुपारा उसकी चूत में चला गया।

वो बोली- अज्जू ! आहिस्ता !

मैंने एक झटका और दिया, लंड को थोड़ी तकलीफ हुई। फिर मैंने कहा- नीलू, चलो तुम्हें कुतिया बनाकर चोदता हूँ।

वो घुटनों के बल बैठी। मैं उसके पीछे अपने घुटनों के बल बैठा, उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा और फिर उसकी चूत के मुँह के पास अपना लंड ले गया और एक जोर का झटका दिया। पूरा नौ इंची उसमें समां गया। नीलू ऐसे चीखी कि बस क्या बताएं। मैंने उसकी कमर पकड़कर धका-पेल चोदना शुरू किया।

नीलू सिर्फ- आह आह अज्जू अज्जू हाय रे मैं मर गई। निकालो इसे बहुत मोटा है।

और मैं बस चोदता रहा। बिस्तर के ठीक सामने आईना था। मैंने कहा- नीलू जानू अपने आपको आईने में तो देखो।

नीलू ने देखा और कहा- हम दोनों क्या लग रहे हैं !

वाकई में- आप चोदते हुए कभी आईने में देखोगे तो जोश दूना हो जाएगा।

खैर !

मैंने एक हाथ नीचे डालकर उसका एक मम्मा दबाया। वो और उछली फिर मैंने अपना दूसरा हाथ भी इस्तेमाल किया। उसको धीरे से चोदते हुए मैं घुटने के बल खड़ा हुआ। उसको भी खड़ा किया और उसको पकड़कर उसे ऊपर-नीचे करके चोदने लगा। मैं झटका दे रहा था और दोनों हाथों से उसके मम्मे भी दबा रहा था।

उसके मुँह से जो आहें निकल रही थी- बार बार कह रही थी- अज्जू और करो। उफ़ क्या मज़ा आ रहा है। फाड़ डालो मेरी इस निगोड़ी चूत को। बहुत परेशान करती है। इसको खूब सजा दो- तुम्हारी नीलू को काफी परेशान करती है। और चोदो मुझे। खूब चोदो मेरे राजा। मेरा सारा पानी निकाल दो आज मेरी चूत से अज्जू।

और फिर वो भी ऊपर नीचे करने लगी। मैंने फिर से उसको कुतिया बनाया और पूरे जोर से चोदना शुरू किया। पूरा बिस्तर हिल गया। पूरे कमरे में सिर्फ फच-फच की आवाज़ के साथ नीलू की आहें सुनाई दे रहीं थीं- अज्जू-अज्जू, मम्मी, उई मेरी माँ, थोडा रुको अज्जू मुझे दर्द हो रहा है।

मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है या नहीं।

खूब आ रहा है।

इतनी गति से चुदते वक़्त उसके मम्मे एक पैन्डूलम की तरह झूल रहे थे। अगर शरीर से बाहर निकल पाते तो शायद दो किलोमीटर दूर जाकर गिरते। मैंने काफी संभालने की कोशिश की लेकिन यह राजधानी ट्रेन ऐसी दौड़ रही थी कि सिर्फ अपना आखिरी स्टेशन पर ही रुकने वाली थी। मैंने तकरीबन इस तरह उसे आठ मिनट तक चोदा।

शायद वो फिर झड़ने वाली थी, बोली- अज्जू और तेज़ करो और तेज़।

मैंने कहा- ले नीलू और चुद-और चुद रानी। यह चूत तो होती ही चुदने के लिये। और यह लंड भी तुम्हारा है मेरी बिल्लो। और चुद !

ऐसा कहते मैं उसे और स्पीड से चोदने लगा।

नीलू बोली- अज्जू, मुझे फिर वही हो रहा है। और करो।

मैंने कहा- ले मेरी जान ! निचुड़ जा।

अब लगा कि जैसे मैं भी फटने वाला हूँ, मैंने कहा नीलू- मेरा रायता भी निकलने वाला है- कहाँ डालूँ? चूत के अन्दर, पीठ के ऊपर, तुम्हारे चेहरे पर या फिर तुम पीना चाहती हो।

उसने कहा- मुझे नहीं पता, कुछ भी करो। आखिरी मिनट में मैंने अपना लंड निकला और उसकी चूतड़ों की मांग पर रख दिया। लंड का सारा रायता उसकी मांग से बहकर उसकी झांटों पर जाने लगा। मैंने उसकी मांग पर खूब लंड रगड़ा। ऐसा करते हुए मैंने उसकी गुलाबी गांड देखी और मन ने कहा- ऐसी लौंडिया की अगर गांड नहीं मारी तो क्या किया !

नीलू बिस्तर पर गिर चुकी थी और तेज़ साँसे ले रही थी। मैं उसके बगल में लेट गया और उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा।

वो उचकी- छूओ मत मुझे ! बस छोड़ दो ऐसे ही।

मैंने मुन्नू को देखा- देख मुन्नू तेरी जिज्जी की मैंने क्या हालत बना दी। क्या चुदती है यार तेरी बहन। जो भी इसका पति बनेगा साला ऐश करेगा। मुँह में लेती है, कुतिया की तरह चुदती है, अब गांड भी मरवाने वाली है। सुन्दर लौंडियों को चोदने का अलग ही मजा है।

अगली कहानी में आगे से नीलू को चोदूँगा।

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कहानी का अगला भाग: मुन्नू की बहन नीलू-3

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