वो पूस की एक रात-2

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मैंने हाथ बढ़ाया, जैसे ही उसने रूमाल लेना चाहा… मैंने कसकर उसे खींच लिया और सीने से दबोच कर छिपकली की तरह चिपका लिया।

इससे पहले वो कुछ बोलती मैंने उसके होंठ अपने होंठों से कस दिए। उसकी सलवार पैरों पर नीचे जमीं पर गिर चुकी थी, वो छूटने के लिए मचल उठी..

मैंने होंठों को चूसना जारी रखते हुए उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया…

पांच मिनट में ही मैंने जान लिया कि उसकी चूचियाँ तन चुकी थी… मतलब साफ़ था- इक बलिष्ठ मर्द से रगड़वा कर वो चिकनी मादा उत्तेजित हो चुकी थी !

पर जैसे ही उसके होंठों को मैंने आजाद किया, वो बोली- नहीं ! यह क्या कर रहे हो…? मैं कुंवारी हूँ … राधा ! मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ ! मुझसे शादी कर लेना ! मैं तैयार हूँ ! पर यह प्यार का रस आज पिला दो मुझे …. ! प्लीज़ ! मैं उसके नंगे चूतड़ों और चूचियों को कस कर मसलने लगा, वो उत्तेजित हो चुकी थी ..

शायद पहली बार किसी मर्द का इतना निकट स्पर्श मिला था उसे… वो बोली- माही, प्यार तो मुझे भी हो गया है तुमसे पहली ही नज़र में ! पर यह अभी गलत है.. वो बोले जा रही थी पर खुद पर उसका बस नहीं चल रहा था। उसका शरीर और यौवन चीख चीख कर मर्दन चाह रहा था… पर उसका मन गवाही नहीं दे रहा था।

उसने मुझे धकेल कर सलवार उठानी चाही तो मैंने उसे पकड़ कर गोद में उठा लिया मैंने मन में सोच लिया… इसने अगर चूत ना भी दी तो कोई बात नहीं, गोल चिकनी गांड से ही मन भर लूंगा।

मैं बोला- मेरे प्यार का विश्वास करो ! तुम्हारी मर्जी के बिना मैं तुम्हारा कुंवारापन नहीं लूंगा ! पर अपनी गांड से तो तुम अपना प्यार मुझे दे ही सकती हो।

मन तो उसका भी था कि मैं उसको यौवन का मजा दूं। इसलिए थोड़ी ना नुकुर के बाद वो गांड मरवाने के लिए तैयार हो गई… पर बोली- लेकिन मेरी गांड में तो लगी होगी… मैंने धोई कहाँ है??

मैं उसे बाग़ में बनी कोठरी में ले गया। उसमें मोबाइल की लाइट से मैंने देखा तो एक चारपाई और इंजन पम्पसेट का कुछ पुराना सामान पड़ा था। किस्मत से ग्रीस का एक डिब्बा मेरे हाथ लग गया, मेरी तो जैसे मुराद पूरी हो गई। मैंने उसे चारपाई पर पेट के बल लेटने को कहा। पर वो चाहती थी कि मैं खड़े खड़े ही सब निपटा दूं। पर मेरे समझाने पर वो शर्माते हुए लेट गई। मैंने कहा कि मैं उसी गांड साफ करूंगा !

वो शरमा रही थी और अपनी गांड कस कर सिकोड़े थी। मैंने दोनों हाथों से उसकी दरार झुक कर फैला दी फिर रूमाल उंगली पर लपेट कर वो काम किया जो हगने के बाद उसे पानी से करना था। अच्छी तरह साफ़ करने के बाद एक अंगुली पर थूक लगा कर उसकी गांड में धीरे से मैंने सरका दी। वो कसमसाई ! आधी उंगली डाल कर मैंने बाहर खींच ली।

मेरा लंड उसकी गोरी गांड मारने को मरा जा रहा था, मेरे सर पर राधा का जादू छा चुका था ! गांड से उंगली निकाल कर मैंने अपने मुँह में डाल ली। उसकी गंध उस समय मुझे खुशबू लग रहा थी। बिना देर किये मैं उसकी गांड की दरार पर झुक गया और अपनी जबान उसकी गांड पर फिराने लगा। छी …यह क्या करते हो ? वो बोली- यह तो गंदी है…. ! हाय राम क्या मेरी वो भी चाट लोगे.. ? मादक आवाज थी उसकी !

अरे रानी ! तुम तो मेरे मुँह में मूत दो तो मैं उसे भी पी जाऊंगा अमृत समझ कर ! मैं वासना से भर कर बोला और बेतहाशा उसकी ताज़ा हग चुकी गांड को क़स कर चाटने लगा। उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी थी- ऊओह ऊह सी सी ऊफ्फूह ओफ्फोह …

वो बिना कहे चूतड़ों को ऊपर की ओर उठाने लगी, मैं समझ गया कि यह अब मस्त हो रही है और चूतड़ों को और अन्दर तक चटवाना चाह रही है।

मैंने भी अपनी जबान उसके गंधाते छेद में घुसेड़ दी। उसको करंट लगा जो अभी तक गांड सिकोड़े थी उसने गांड को बिलकुल ढीला कर दिया।

मैंने दोनों उँगलियों से गांड को फैलाया और अन्दर गहराई तक जबान डाल कर उसकी गांड चाटने लगा।

वो पागल हो गई ! पहली बार उसे ये मजा मिला था शायद ! माही…. अआह…सी ..सी और चाटो मेरी गांड और अन्दर तक प्लीज़ और फाड़कर चाटो ! वो बोली।

मैं जितनी जबान गांड में डाल सकता था, डाल कर गांड का रस चाटने लगा।

वो खूब चूतड़ उठाने लगी है, यह देख कर मैंने डिब्बे से अंगुली भर ग्रीस निकाली और उसकी गांड में भर दी। हाय राजा लंड डाल दिया क्या …? वो बोली। अभी कहाँ मेरी रानी ! अभी तो गांड को चिकनी और ढीली कर रहा हूँ.. मैंने उसे मस्ती दिलाई। अब देर मत करो… प्लीज़ जल्दी डाल दो… चाट चाट कर गांड में खुजली कर दी है तुमने … प्लीज़ डालो ना.. वो बेचैन हो उठी।

मैंने दो उंगलियाँ गांड में घुमा कर निकाली और लंड को गांड के मध्य में रख कर राधा से बाहर को जोर लगाने को कहा। जैसे ही उसने गांड में बाहर को जोर लगाया मैंने कस कर धक्का मारा !

वो चीख पड़ी ! लंड का अगला हिस्सा गांड के अन्दर चला गया था। हाय मार डाला ..फट गई ! वो चिल्लाई- हाय मोरी अम्मा …मैं मर जाऊंगी …प्लीज़ मत करो…

वही बातें जो सभी लौंडिया शुरुआती चुदाई में कहती हैं … पर शायद उसे पता नहीं था कि मर्द का लंड जब तनता…है तब लावा उगल कर ही शहीद होता है .. मैं बोला- अभी मजा आने लगेगा मेरी रानी.. ! और उसके चूतड़ों को कस कर सहलाने लगा, लंड का सुपारा ही अन्दर था !

मैंने मोबाइल की रोशनी में देखा- उसकी गांड का भूरा छेद खुल कर लंड के चारों ओर तना हुआ था ! मैंने चूतड़ों को दोनों हाथों से जकड़ कर जोर का एक धक्का लगाया.. सो ही आधा लंड अन्दर गांड में उतर गया …..

उसने कोशिश की पर चूतड़ों को टस से मस भी ना कर सकी… चिल्ला कर रह गई राधा … मैंने गांड के नीचे हाथ लगाया तो कुछ गीला से लगा देखा तो खून निकल आया था।

वो रो पड़ी थी पर मैंने उसकी चूचियों सहित सारे गोरे जिस्म को सहलाना जारी रखा … ऊंह आंह …ऊंह ! वो कराह रही थे पर मुझे जोश दे रही थी !

धीरे-धीरे उसे अच्छा लगने लगा ! फिर वो खुद ही बोली- थोड़ा और कस कर डालो ! अब ठीक लग रहा है ! मैंने झुक कर एक चुम्मी उसके गाल पर ली और गति बढ़ा दी।

वो मीठे दर्द को सहती रही चुदाई का मजा लेती रही …फाड़ दो मेरी… आज जवानी का मतलब जाना है… मेरे कसरती लंड के धक्कों ने उसकी गांड का स्प्रिंग बिल्कुल ढीला कर दिया और आखिर में वही हुआ…. उसकी गांड में दूध दही की बाढ़ आ गई ! मैं झड़ रहा था, उसकी चूत भी टपक रही थी !

लेकिन हमारा प्यार परवान चढ़ चुका था… मौक़ा मिला तो कैसे राधा की चूत की सील तोड़ी ! यह भी बताऊंगा !

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