लम्बा टूअर-1

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आप सबको मेरा नमस्कार एवं धन्यवाद कि आप सबने मेरी कहानियाँ पसंद की और ढेरों पत्र लिखे !

आज आपके सामने अपनी नई कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ !

मैं अपने काम से बॉस के घर के ऑफिस में ही था। काफी दिनों से कोई काम आया नहीं था और उधर की तरफ कोई ध्यान भी नहीं था।

करीब एक महीने बाद एजेंट का फोन आया। ऑफिस में इतेफाक से बॉस नहीं थे। मैं फोन लेकर बाहर आ गया और बात करने लगा।

उसने कहा- काम आया है लेकिन दूर जाना पड़ेगा ! पार्टी तो स्थानीय ही है लेकिन वो लेकर साथ जाएगी ! और एक हफ्ते का कार्यक्रम है, अगर तुम जाना चाहो तो बताओ ?

मैं बोला- आना-जाना, रहना सब कौन देखेगा?

बोला- उसमें तुम्हें कुछ नहीं करना ! यह सब तो वही देखेगी जो बुला रही है ! तुम बस उनके साथ रहोगे !

मैं बोला- पैसा?

बोला- तुमको ठीक से मिल जायेगा, दिक्कत नहीं होगी।

मैंने पूछा- कब जाना है?

तो उसने कहा- अगले हफ्ते बुकिंग हो जाएगी ! इसलिए ही तो पूछ रहा हूँ।

और फिर उसने फोन काट दिया।

अब मैं अगले हफ्ते का इंतज़ार करने लगा। तारीख तय हो गई थी, मेरे पास इन्टरनेट से टिकेट आ गये थे, घर से मैं निकल गया स्टेशन पर और काठगोदाम की गाड़ी पकड़ कर अगले दिन नैनीताल आ गया और वहीं स्टेशन पर प्रतीक्षाकक्ष में जाकर फोन का इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी ही देर में फोन आया !

एक साफ़ मगर तीखी आवाज आई- अलोक बोल रहे हो?

मैं बोला- हाँ ! आप?

बोली- आपको बुक किया है ! आप कहाँ हैं?

मैं बोला- मैं स्टेशन पर प्रतीक्षाकक्ष में हूँ !

बोली- ठीक है ! आप वहाँ से निकल कर टैक्सी लो और नैनीताल से तीस किलोमीटर आगे एक जगह है भीमताल ! वहाँ आ जाओ ! कोई दिक्कत हो फोन करना ! और वहाँ पहुँच कर बताना ! मैं आकर तुम्हें ले जाऊंगी।

मैं चल दिया। तकरीबन एक घंटे के बाद पहुँचा और फोन किया। पच्चीस मिनट बाद मैडम आई और अपनी कार से मुझे लेकर अपने फार्म हाउस आ गई। उसके ड्राईवर ने गाड़ी खड़ी की और चला गया।

मैडम बोली- आज आराम कर लो ! थके लग रहे हो ! कल बात करेंगे !

और मुझे एक बड़ा सा कमरा दे दिया। कमरे में एसी लगा था। गर्मी के दिनों में इससे अच्छा और क्या होगा।

नहा कर मैं बैठा ही था कि मैडम की काम वाली आई और बोली- आप नाश्ता यहीं कमरे में करेंगे?

मैं बोला- मैडम कहाँ हैं?

बोली- वो अभी काम से बाहर गई हैं ! बोल कर गई हैं।

मैं बोला- यहीं ले आओ !

वो नाश्ता ले कर आई, वहीं खाया और लेट गया। थका तो था ही, सो गया !

मैडम आ गई, मुझे पता ही नहीं चला।

और वो मेरे कमरे में आई और मुझे जगाया तो पता चला कि दोपहर के दो बज गए थे। मैडम देखने में तो सुंदर थी लेकिन उम्र ज्यादा लग रही थी, यही कोई चालीस साल के आसपास ! मगर हाँ बातचीत में साफ़ ! मुझे बोला- आओ खाना खाते हैं !

और मेज पर खाते हुए बात करने लगीं। उन्होंने मेरे बारे में थोड़ा पूंछा और फिर कहा- आज तुम मेरे कमरे में आ जाना !

और जब काम वाली चली गई तब उसने मुझे कॉल करके अपने कमरे में बुला लिया। मैं गया तो वो बिस्तर पर थी।

बोली- दरवाजा बंद कर लो ! वैसे तो कोई घर पर नहीं है, फिर भी !

दरवाजा बंद करके मैं उसके गया तो बोली- यह बताओ कि क्या तुम दिन भर यहाँ नंगे रह सकते हो?

मैं बोला- आपकी कामवाली ?

बोली- उसकी चिंता मत करो ! वो जब आयेगी तब तुम ठीक से रहना फिर उसके जाने के बाद फ़िर नंगे !

मैं बोला- ठीक है !

तो उसने कहा- मैं कुछ देती हूँ, इसको पहन कर देखो !

उसने मुझे एक पतली चमड़े की बनी एक बेल्ट दी जिसमें चमड़े की ही तकरीबन एक फ़ुट लम्बी पतली जंजीरें सी लटक रही थी, कहा- इसको पहन कर आओ ! अपने सारे कपडे उतार कर और केवल यही पहनना है।

मैं अपने कमरे में गया। वहाँ देखा कि कमरबंद में लम्बी महीन जंजीरें लगीं थी जिससे एक स्कर्ट सी बन गई थी लेकिन नँगा होने की वजह से जंजीरें लिंग पर चोट कर रही थी और ठण्डी भी लग रही थी।

उसे पहन कर उसके कमरे मैं गया तो उसने उठ कर कहा- वाह ! मजा आ गया ! अब बोलो, तुम को क्या लग रहा है?

मैं बोला- अभी तो ठंड लग रही है ! एसी थोड़ा कम हो जाये तो !

आरती मैडम ने तापमान बदल दिया। अब थोड़ा आराम था।

मैडम ने कहा- आओ, अब जरा अंदर की सफाई कर दो !

उन्होंने अपने कपड़े और चड्डी उतार कर नंगी लेट गई, बोली- जाओ अंदर से शेविंग क्रीम, रेज़र और ब्रश लाओ और बाल साफ़ कर दो।

यह तो अपना पुराना काम था सो आराम से काम कर दिया। उनके बाल साफ़ करने के लिए ब्रश से खूब झाग बनाया और उसकी झांटों पर अच्छे से लगा दिया। उसका छेद तक नहीं दिख रहा था। अब सावधानी से रेज़र चलाया। बाल लम्बे थे सो कई बार धोना पड़ा। जब उसकी झांटें साफ़ हुई तो लगा- क्या माल है ! कोई भी घुसने को आ जाये !

फ़िर पानी से उसको धो कर साफ़ कर दिया और पौंछ कर बैठ गया तो बोली- अब क्या इसको रोने दोगे? इसको पुचकार दो !

मैं पहली बार इस तरह की भाषा सुन रहा था, बड़ा अजीब लगा। मैं उनके ऊपर झुका और उनकी चूत को अपनी जबान से रगड़ने लगा। उनको तो पहले से ही गर्मी आ गई थी, पहले ब्रुश चल रहा था, और अब जबान चल रही थी।

उसने अपने हाथ से ही अपनी चूत के दोनों फलकों को खींच कर खोल दिया जिससे मेरी जीभ अंदर तक जाये। अब जीभ अंदर तक जा रही थी और चूत अपना पानी छोड़ रही थी। मैं उसको चाट गया उसकी महक से ही दिमाग पागल हो रहा था ! और कभी कभी तो दाँत से काट भी दे रहा था तो उसको मजा आ रहा था।

आरती अब मुझे बोली- अब घूम कर अपने पैर मेरे सिर की तरफ कर लो ! फिर इसे चाटो !

मुझे लगा वाह, आज मजा आयेगा ! मेरा लण्ड चूसेगी !

लेकिन वो कुछ और ही सोच रही थी। वो मेरे लण्ड को पकड़ कर खींच खींच कर मजा लेने लगी। उसने मेरे लिंग को पकड़ लिया और दबा-दबा कर लिंग को ऐसा किया कि सारा माल मेरा वीर्य निकल कर उसके मुँह में जा गिरा, उसने थोड़ा तो पीया थोड़ा बाहर निकाल दिया।

उसने जब अपना सारा माल निकाल दिया तब मैं भी अपनी उंगली से उसकी चूत को चोदने लगा।

वो मजा लेने लगी, फिर बोली- अब आओ !

मैं अपना लिंग उसकी चूत पर रख कर अंदर डालने ही वाला था कि उसने कहा- नहीं ! वहाँ नहीं !

और फिर अपने स्तन पर हाथ रख कर कहा- यहाँ बैठो !

मेरे लिंग को अपने स्तनों के बीच दबा लिया और कहा- अब रगड़ो !

मैंने उसके स्तनों को खूब चोदा और वहीं पर मेरा पानी निकल गया।

मुझे अब थकान हो गई थी, आरती भी थक गई थी, हम दोनों वहीं लुढ़क कर गिर गए और कब सो गए पता ही नहीं चला।

सुबह आरती जल्दी जाग गई, मुझे जगा कर बोली- जा कर नहा लो ! फ़िर काम वाली आ जायेगी।

मैं गया और नहा कर कमरे में बैठ कर टीवी देखने लगा। काम वाली जल्दी ही चली गई।

मैडम ने दरवाजा बंद किया और बेडरूम में मुझे बुला कर बोली- अब जरा कुछ अलग हो जाये !

उसने नाश्ता में दलिया बनवाया था, खुद तो प्लेट में डाल कर खा गई और मुझे बोला- अब तुम अपना नाश्ता मेरी चूत में भर कर खाओ !

यह मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन मजा तो आता ही है। मैं यह करने बैठा ही था कि आरती खुद ही चम्मच से अपनी चूत पर दलिया डाला और मुझे को खींच कर चूत मेरे होठों पर सटा दी।

मैं उसकी चूत से दलिया खाने लगा, वो चम्मच भर भर कर डालती रही, मैं खाता रहा। फ़िर उसने मुझ से चूत चौड़ाई में खोलने को कहा।

मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत चौड़ी की तो उसने चम्मच भर कर दलिया चूत के अन्दर भर दिया और मुझे कहा कि इसे अपनी जीभ से और होंठों से खाओ !

इस तरह मैं सारा दलिया खा गया।

फिर आरती बोली- क्यों ? मजा आया?

मैं बोला- मैडम, आपको कैसा लगा?

बोली- मजा आ गया ! तुम मजा लेकर काम करते हो ! अब जरा चूत को रगड़ ही दो !

और फिर अपना लिंग उसके चूत मैं डाल कर अंदर-बाहर करने लगा।

उसका पानी निकल रहा था, अकड़ी जा रही थी, बोली- अब नहीं रुका जाता !

और मुझे खींच कर भींच लिया। इतनी जोर से भींचा कि दर्द होने लगा। फिर वह थक कर गिर गई और मुझे एक तरफ करके लेट गई।

मैं भी थका था, अपने कमरे में गया और वहाँ फ्रेश हो कर रसोई में गया, वहाँ फ़्रिज़ से अनार का रस निकाल कर पीया और कमरे में आकर टीवी देखने लगा।

आगे की कहानी अगली बार.

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