दीवाने तो दीवाने हैं-2

प्रेषिका : शमीम बानो कुरेशी

“आ तेरा लण्ड मल दूँ, फिर चूसूंगी !” रशीद तो खुशी के मारे बावला हुआ जा रहा था।

मैंने उसे बिस्तर के पास खड़ा कर दिया। मैं स्वयं बिस्तर पर बैठ गई और उसका लण्ड सहलाने लगी। लम्बा था शायद आठ इंच से अधिक ही होगा। मैं पहले तो उसे मलती रही। आह ! क्या सख्ती थी लौड़े में… जवान जो था… उसमें से अब थोड़ा थोड़ा रस टपकने लगा था।

मैं अपनी जीभ से उसे चाटती भी जा रही थी। मैं जितनी सख्ती से उसे चूसती थी उतना ही वो अपना प्रेम रस छोड़ता जा रहा था। मैं उसे बाखुशी जीभ में उतार कर मजे से उसका स्वाद लेती थी।

“रशीद भाई, मेरी चूत चूसेगा?”

“अरे यह चड्डी और ब्रा तो उतार, मजा आ जायेगा तेरी चूत का तो !”

“सुन रे कुत्ते, मेरी चूत को काटना नहीं, बस लप लप करके चाट लेना !”

“तो घोड़ी बन जा … पीछे से कुत्ते ही की तरह से चाटूँगा।”

मैं घोड़ी बन गई। फिर वो मेरे पीछे आ गया। मुझे अपनी गाण्ड पर ठण्डक सी लगी। वो मेरी गाण्ड सूंघ रहा था, फिर वो मेरी गाण्ड चाटने लगा।

“यह क्या कर रहा है भड़वे…?”

“अरे, कुत्ते की तरह पहले गाण्ड सूंघा और फिर उसे चाट लिया … क्या गलत किया?”

“बावला है साला !” मैं हंस पड़ी।

मेरी चूत बहुत गीली होने लगी थी। पर उसका गाण्ड के छेद को चाटना बन्द ही नहीं हो रहा था। अह्ह्ह ! मैं तो तड़प उठी थी उसका लण्ड खाने के लिये…। तभी उसकी लम्बी जीभ मेरी चूत पर चिपक गई। मुझे बहुत आनन्द आया।

वो मेरी चूत का रस पी रहा था- बानो, साली मजा आ गया … छिनाल, क्या स्वाद है तेरी चूत का !

“तो हरामी रगड़ दे ना ! देख क्या रहा है?

“मेरा लण्ड ! आह इतना सख्त हो गया है कि बस !” रशीद अपने लण्ड की तरफ़ देख रहा था। तभी उसका लण्ड मेरी चूत से टकराया।

“हाय अल्लाह, घुसेड़ दे ना मेरे मौला !”

तभी उसका सुपाड़ा मेरी चूत में घुस गया। मुझे लगा अह्ह्ह्ह हाय रे अम्मी, ये तो घुसता ही जा रहा है।

“भाई जान, कितना लम्बा है रे तेरा लण्ड?”

“बस गया ही समझो !”

“अरे बस, बहुत हो गया …” फिर मैं चीख सी उठी।

“बाबा रे, यह तो बहुत गहराई में चला गया है, कहीं मुँह से बाहर तो नहीं आ जायेगा?”

तभी उसका लण्ड गुदगुदाता हुआ बाहर निकला और फिर गहराई में जाने लगा। हाय, अब तो मैं मजे के मारे मर ही गई।

“साले तेरा लण्ड है या मजे की खान … बहुत अन्दर तक जाकर चोदता है साला। बस जोर जोर से चोद दे !”

“ये ले मेरी बानो, आज तू भी रशीद का लण्ड ये ले, साली … छिनाल … ले खा मेरा लौड़ा…”

इतनी मस्ती लम्बे लण्ड से मिलती है, हाय मैं तो उसकी मुरीद हो गई। उसके कुछ ही धक्कों ने मुझे चरमसीमा तक पहुँचा दिया। फिर मुझे पूरी संतुष्टि का अहसास हुआ और मैं जोर से झड़ गई।

“बस बस कर रशीद… मैं तो बुरी तरह से चुद गई … अब छोड़ दे !”

“अरे बानो मेरा क्या होगा …”

“ओह तो क्या करूँ मैं, चल तो मेरी गाण्ड चोद दे ना … बस?”

उसने जब लण्ड बाहर निकाला तो लगा कि जैसे भीतर से कोई जादूगर रस्सी खींच कर निकाल रहा हो। फिर मुझे एक ओर मस्त गुदगुदी सी और हुई और उसका लण्ड मेरी सैकड़ों बार चुदी चुदाई गाण्ड में घुस गया। पर आप क्या जानें, हर गाण्ड चुदाई अपना एक मजा होता है, हर लण्ड एक प्यारा सा स्वाद।

“ओह्ह … अरे बस कर … क्या पेट में ही घुसा देगा।” फिर से मैं चिल्ला उठी। पर उसका लण्ड प्यार से घुसता ही चला जा रहा था।

“अरे ये जाने कहाँ घुसा जा रहा है मां के लौड़े … बस बहुत हो गया।”

पर उसने अपना पूरा लण्ड घुसा कर ही दम लिया। मुझे लगा कि जैसे किसी ने मेरी गाण्ड में कीला ठोक दिया हो। फिर सहसा मुझे आराम सा मिला और गुदगुदी सी भी हुई। उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। मेरी गाण्ड को राहत सी मिली। पर फिर मेरी आँखें उबल पड़ी। वो तेज गति से फिर पूरा घुस गया। इसी तरह कई बार उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुसता निकलता रहा। इस तरह मेरी गाण्ड मस्ती से चुदने लगी। मुझे अब मजा आने लगा था। फिर मुझे लगा कि रशीद का माल निकलने वाला है। उसके धक्के बहुत तेज हो गये थे, मेरी चूत भी फिर से झड़ने को थी। तभी रशीद जोर से झड़ गया। उसका रस मेरी गाण्ड में भरने लगा। मुझे उसका वीर्य गाण्ड में बहुत भला लगा। उसका लण्ड वीर्य की चिकनाई से फ़िसलता हुआ बहर आ गया।

“रशीद अब तू सीधे लेट जा … मैं भी अपने आप को झाड़ लूँ !”

वो हांफ़ता हुआ सीधे हो गया और मैंने अपनी नरम सी चूत उसके होंठों से लगा दी।

“जोर से चूस ले मेरी जान, मेरे भाई जान !”

उसने जोर से चाटना और चूसना शुरू कर दिया। किनारे लगती हुई नैया सहारा पा कर झड़ने लगी। ओह्ह्ह कितना आनन्द आ रहा था। थोड़ी सी देर में मैं कई बार झड़ चुकी थी। सो मैं निढाल हो कर लेट गई।

“बानो उठ, अब देर ना कर, दस बजे रात तक तो अब्बू आ जायेंगे !”

मैंने जल्दी से उठ कर चड्डी ब्रा सहित अपने कपड़े पहने और जाने के लिये तैयार हो गई। मुझे कोई भी लफ़ड़ा नहीं चाहिये था, किसी के भी आने के पहले मुझे चले जाना चाहिये था।

“तो रशीद भाई जान, अब मुझे अगला तोहफ़ा कब दे रहे हो?” मैंने मुस्कराती हुई बोली। मुझे तो वो भा गया था, साले को यूँ कैसे छोड़ दूँ । पर साथ में कुछ माल ताल भी गिफ़्ट में मिल जाये तो क्या बुरा है। रशीद तो यह सुन कर पागल सा हो गया। उसे तो कानों पर जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था। बानो मेरे से और चुदेगी।

“बानो जान, बस जल्दी ही, जैसे ही पैसे आ जायेंगे … तुम्हारा गिफ़्ट तैयार … पर बानो तुम मेरे घर आ जाओगी ना?”

पहले तो मैंने अपनी नजरें झुकाई, फिर धीरे से मुस्करा कर नजरे उठा कर रशीद को देखा। फिर मेरी एक आंख दब गई और वो खुशी के मारे उछल पड़ा।

आपकी

शमीम बानो