गैरेज में पुताई वाले से

प्रेषक : वही आपका प्यारा सनी

मेरी कभी कोई चुदाई ऐसी नहीं जो मैं लिख दूँ और गुरु जी उसको प्यार ना दें, छापें ना !

उसके बाद सभी पाठकों को जो इस सनी को प्यार करतें हैं। मैं कभी झूठ नहीं लिखता यह मेरे पाठक जानते हैं, अन्तर्वासना के ज़रिये वो जब मुझे याहू चैट पर मिलते हैं, मुझे वेबकैम पर ऑनलाइन नंगा करवा कर मेरी चिकनी सी गांड को प्रेम करते हैं, मेरी लड़कियों जैसी चूची देख उनको यकीन आ जाता है कि मैं कभी झूठ लिख कर अन्तर्वासना पर नहीं डालता।

दोस्तो, जहाँ तक मैं कर सकता हूँ, आपके लिए करता हूँ, जिस जगह मैं जा सकता हूँ और मुझे कोई पाठक चोदने को बुलाये या मुझे चोदने आ सके, मैं उससे ज़रूर मिलता हूं। हाँ, जो दूर हैं उनको वेबकैम पर मजे देता हूँ।

खैर दोस्तो, चलो आगे बढ़ते हैं अपनी नवीनतम चुदाई लिखने जा रहा हूँ, उम्मीद है सभी के लौड़े खड़े करवा दूंगा फिर से !

दोस्तो, कुछ दिनों से मैं प्यासा था, सात-आठ दिन मुझे लौड़े का स्वाद नहीं मिला तो मैं पागलों की तरह मचलने भी लगा क्यूंकि मेरे लौड़े फ्री नहीं थे, शहर में नहीं थे, याहू के ज़रिये भी कोई नहीं मिला तो मैं तड़फ उठा, सोचा कि क्या करूँ?

तभी सोचा- उसी बाग़ में चलता हूँ जहाँ से मैंने कई बार लौड़े हासिल भी किये थे।

लेकिन किस्मत खराब थी, आसपास के लोगों ने पुलिस से शिकायत की कि इस बाग़ में लड़के कारों में लड़की लेकर आते हैं और गंदगी फैलाते हैं, यहाँ कॉल गर्ल भी अपने ग्राहक रात को लेकर आती हैं तो कुछ समलिंगी शौक़ीन अक्सर दिन में भी यहाँ घूमतें हैं। अभी मैं बाग़ की तरफ बाईक मोड़ता ही कि वहीं पुलिस पेट्रोलिंग वालों की गाड़ी खड़ी मिली और कुछ पुलिस वाले गश्त पर बाग़ के भीतर टहल रहे थे।

मेरी वहीं फट गई, मुड़ने के बजाये सीधा निकल गया और घर लौट आया।

फिर दिमाग पर जोर डाला, दुबारा कार निकाली। मेरे सभी घरवाले फ़िरोजपुर जिले में गए हुए थे, मुझे भी दो घंटे बाद ही निकलना था। मैंने कार से शहर से बाहर एक चौंक पर गया, वहाँ पुताई के काम के लिए मजदूर लोग खड़े रास्ता देखते हैं कि कोई काम मिले। मेरी स्विफ्ट कार के दोनों तरफ कितने ही बंदे खड़े हो गए- जी साब ! कहाँ काम करना है?

मैंने लोकल बंदा नहीं चुना, एक भईया था सांवले रंग का, उसकी सेक्सी मूछें थी, मैंने उसको कहा- यहाँ बहुत सर खा रहे हैं, कार में बैठ जा, आगे जाकर तुझसे मजदूरी वगैरा पूछूँगा !

वो बैठ गया। एक किलोमीटर आगे जाकर मैंने कार रोकी- हाँ, अब बता अपना रेट वगैरा /

मेरी नज़र उसकी जिप की तरफ थी।

बोला- दो सौ अस्सी रुपये दिहाड़ी चल रही है, दो बंदे साथ लगाने पडेंगे। बाकी आप दिखा दो जाकर कि घर कितना है ताकि आपको सामान लिखवा दूँ और आप शाम तक खरीद लेना कल सुबह से आकर काम शुरु कर देंगे।

कार के शीशे काले हैं, मैंने कार आगे बढ़ाई, गाडी टेड़े मेडे रास्ते पर डाली ताकि उसको रास्ता याद न हो या उसको ना पता चले। एक पुताई वाले से मैं बाग़ में भी चुद चुका था, वो मैंने अन्तर्वासना पर भेजी थी “एक घंटे में चार” !

पुताई वालों से मुझे लगता कुछ अधिक प्यार है, या इतफाक ! रास्ते में ही मेरी नज़र बेईमान होने लगी। मेरी नज़र उसके जिप के एरिया का जायजा लेकर अनुमान लगा रही थी कि उसका कैसा होगा। मैंने गाड़ी सीधी गैरेज में घुसा दी, जल्दी से निकला और शटर गिरा दिया, पास पड़ा ताला लगा दिया।

वो हैरान-परेशान होने लगा।

मैंने कहा- क्यूँ डर रहा है? मैं कोई तुझे लूट नहीं लूँगा या तेरा चोदन नहीं कर दूँगा ! तू हट्टा-कट्टा है, मैं तुझ पर भारी पड़ सकता हूँ क्या?

तो फिर यह सब क्या?

मैंने गाडी के डेशबोर्ड से पर्स उठाया, उससे कहा- कितनी दिहाड़ी है तेरी?

बोला- दो सौ अस्सी !”यह पकड़ तीन सौ ! तुझे मुझे खुश करना है यहीं पर !

क्या? कैसे?

मैंने उसके लौड़े पर हाथ रख दिया जो पैंट में ही था- समझा?

वो चुप सा हो गया।

देख क्या रहा है? मैंने जल्दी से अपनी टीशर्ट उतारी, वो हैरान सा हुआ- क्या चूची है?

मजा आया देख कर ना? आ, इनको मसल और निप्प्ल चूस !

मैंने अपनी जींस भी उतार दी, अंडरवीयर उतार उसके सामने गांड मटकाई।

मेरी मलाई जैसी गांड देख वो पगला गया, उसने उस पर हाथ फेरा, बोला- क्या सच में तुम मेरे से गांड मरवाओगे?

हाँ और क्या तुझे यहाँ कोई सिनेमा दिखाने लाया हूँ?

मैंने उसका लौड़ा निकाला- हाय तौबा ! ज़ालिम कहाँ छुपा बैठा था यह?

मैंने चुप्पे लगाने चालू कर दिए, वो और पगला हो गया।

मैंने उसके टट्टों को चूसा, उसका काले रंग सांप मानो फूं फूं कर रहा था। उसको सामने घुसने का बिल दिख रहा था। वो एकदम से हैवान बन गया, मैं हैरान रह गया।

उसने मुझे खाट पर पटका, मेरे ऊपर चढ़ गया, कभी मेरे गाल, कभी मेरे होंठ, कभी मेरी गर्दन, फिर मेरे निप्प्ल काटने लगा।

हाय ! क्या हुआ तुझे सच बताऊँ? मैं दीवाना हो गया हूँ ! मेरे जैसे का भी कभी कोई लौड़ा चूसेगा ! विश्वास नहीं होता।

मैंने कहा- क्या यार? तुम सब देहातियों का एक ही फ़िल्मी डायलोग होता है, कभी सपने में भी नहीं सोचेगा, आज सोच ख़त्म कर दी तेरी ! देख कैसे चूसता हूँ।

वो मेरा एक-एक अंग चाटने लगा, मैं भी उसके लौड़े से खूब खेला, वक़्त मेरे पास नहीं था, मैंने कार के डेशबोर्ड पर पड़ा कंडोम का पैकेट खोला और उसके लण्ड पर चढ़ा दिया और टाँगे फैला दी- आओ मेरे साईं ! कर लो तमन्ना पूरी ! फाड़ दो मेरी गाण्ड को !

उसने उसी पल अपना लौड़ा मेरी गान्ड के छेद पर रख एक झटका दिया, उसका काफी लौड़ा घुस गया मेरी गाण्ड के अन्दर ! दो तीन झटकों से उसने पूरा घुसा दिया और रगड़ लगाने लगा।

जब उसके टट्टे मेरी गाण्ड से टकराते, मुझे बहुत आनंद मिलता। उसके बाद मैं घोड़ी बन गया और उसने तेज़ वार करते हुए कंडोम के अन्दर माल निकाला और लुढ़क गया।

बोला- साब, सुख मिला? कोई कमी तो नहीं रह गई?

नहीं ! तुमने मुझे बहुत खुश किया है ! वक़्त कम है, वरना दुबारा डलवाता !

यह मेरा नंबर ले लो साब ! जब कभी इस शहर आओ बन्दे को याद ज़रूर करना !

हाँ दोस्त ! कभी नहीं भूलूंगा ! तुझे मौका ज़रूर मिलेगा !

तो दोस्तो, अपने सनी को फ़िलहाल इज़ाज़त देना। जैसे कोई ऐसी चुदाई मिलगी जो अलग हो, वो लिखूंगा ज़रूर ! हर चुदाई लिखनी मुश्किल है। मुझे आज्ञा दो !

आपका सनी