गर्मियों की छुट्टियाँ

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प्रेषक : राहुल

मेरा नाम राहुल है और मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैंने अन्तर्वासना की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं, आज मैं अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने मामा के यहां गया था। मेरी मामी मुझे बहुत सुन्दर लगती हैं, उनकी पतली कमर देख कर मेरा लण्ड खडा हो जाता था लेकिन कुछ कर नहीं पाता था।

एक दिन मामी घर में अकेली थी, मैं मौक़ा पाकर उनके पास गया तो देखा कि वो नहाने की तैयारी कर रही थी और उन्होने उस समय केवल पेटीकोट और ब्लाउज ही पहना हुआ था, इसलिये उनके दूध आधे नंगे दिखाई दे रहे थे। मैं यह देख कर रोमांटिक हो गया और मामी को नहाते देखने का जुगाड़ करने लगा।

जैसे ही मामी नहाने के लिए गई, मैं दरवाज़े की झिर्री में से झांकने लगा।

सबसे पहले उन्होंने अपना पेटीकोट उतार दिया और बाल्टी में पानी भरने लगी। उनकी गोरी-गोरी टांगें देख कर मैं तो पागल हो गया और अपने एक हाथ से लण्ड को सहलाने लगा।

अब मामी ने ब्लाउज भी उतार देया उसके बाद ब्रा भी उतार दी। अब मामी के शरीर पर केवल पैन्टी ही रह गई थी। मामी अपने नंगे बदन पर पानी डाल रही थी तो उनके दूध हवा में लटक रहे थे और वो उनको हाथ से सहला रही थी। फिर उन्होंने पैन्टी उतारी तो उनकी बालों वाली बुर सामने दिखने लगी और वो उसको पानी से धोने करने लगी। मामी ने खूब पानी डाल डाल कर अपनी चूत धोई। उनकी चूत मुझे साफ़ दिख रही थी। मामी अपनी चूत में उंगली डाल कर धो रही थी और मज़े भी ले रही थी, शायद उन्होंने काफी दिनों से चुदवाई नहीं थी।

उनको पता ही नहीं था कि मैं यह सब देख रहा हूँ।

अपने ऊपर एक तौलिया डाल कर जैसे ही वो दरवाज़े की तरफ़ बढ़ी, मैं वहाँ से हट कर दीवार के पीछे सट कर खड़ा हो गया।

बाथरूम से एक तौलिया लपेटे निकल कर वो एकदम से अपने कमरे में घुस गई।

मैं यही मौका देखकर उनके कमरे में घुस गया। मुझे अन्दर देखकर वो हैरान रह गई और जल्दी से पलंग की चादर अपने बदन पर डाल ली और मुझ पर गुस्सा करने लगी।

लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी और उनके बदन की चादर को खींच कर अलग कर दिया। उनका गोरा बदन कमरे के अन्धेरे में चमक रहा था।

अब मुझ पर नहीं रहा गया और मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया। वो गुस्से से मुझ पर चिल्लाती रही और मैं उनके गोरे बदन को दबाने लगा।

उन्होंने अपने आप को छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन मैंने अपनी पकड़ को ढीला नहीं किया। फिर मैं उनके मम्मों को दबाने लगा धीरे-धीरे उनका गुस्सा प्यार में बदल गया और उन्होंने विरोध करना बन्द कर दिया।

तो मैंने उनके मम्मों को जोर से मसलना चालू कर दिया। एक को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा। मैं उनके चूचों को बड़ी बेरहमी से दबा रहा था और चूस रहा था।

मामी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रही। फिर मैंने बिना कुछ कहे अपना लण्ड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने झट से मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया। वो अपने मुँह से मुझे चोदने लगी।कुछ देर बाद मैंने लण्ड उनके मुँह से बाहर खींचा और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर लण्ड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर रखा। ऐसे लग रहा था जैसे आग की भट्ठी हो।

मैंने पहला झटका मारा, मेरा लण्ड चार इन्च अंदर चला गया और मामी के मुँह से दर्द भरी आवाज आई।

मैं कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा फिर एक साथ लण्ड को बाहर तक खींचा और एक जोरदार झटके के साथ पूरा लण्ड अन्दर पेल दिया। मामी के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। मामी की चूत बहुत कसी थी क्योंकि मामा ने बहुत दिनों से मामी की चूत नहीं मारी थी और दूसरे मेरा लण्ड भी बहुत मोटा और लम्बा है, मामी को बहुत दर्द हो रहा था।

उनके होंटों को मैंने अपने होंटों से चिपका लिया और उन्हें चूमता रहा। अब उनका दर्द खत्म हो चुका था। मौका पाते ही मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा का पूरा लण्ड उनकी चूत में समा चुका था। उनकी चीख मेरे मुँह में ही दब कर रह गई। उनकी आँखों में आँसू थे। कुछ देर तक मैं ऐसे ही रुका रहा और उन्हें चूमता रहा और एक हाथ से उनके स्तन और दूसरे हाथ से उनके गालों को सहलाता रहा।

कुछ देर बाद मामी सामान्य हो गई और चुदाई का मजा लेने लगी तो मैंने एक ही बार में पूरा लण्ड बाहर खींचा और फ़िर से पेल दिया। फिर तो मामी को मजा आने लगा और मेरा साथ देने लगी। मैं झटके पे झटका मारे जा रहा था और मामी चुपचाप आँखें बन्द किये आनन्द ले रही थी।

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उनकी चूत मैं ही अपना कामरस छोड़ दिया और मैं शान्त हो गया।

मामी को पहली बार ऐसा आनन्द मिला, वो चुदाई से खुश थी।

फिर मैं बाहर चला गया और मामी घर के काम-काज में लग गई। रात को मामा घर पर आ गये। हम सबने खाना खाया और मामा-मामी सोने चले गये।

मुझे रात में नीद नहीं आ रही थी इसलिये मैं चुपचाप उठा और मामी के कमरे में गया, और चुपचाप से मामी को हाथ पकड़कर उठाया और उनको बाहर आने का इशारा किया।

कुछ देर बाद मामी बाहर छ्त पर आ गई। मैंने तुरन्त उनके कपड़े उतार दिये और उनके मम्मे मसलने लगा। फिर मैंने अपना लण्ड उनके मुँह में डाल दिया और वो चपाचप लण्ड को चूसने लगी।

5 मिनट लण्ड चूसने के बाद मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में डाल दिया। 15 मिनट के बाद हम दोनों ही शान्त हो गये और वो वापिस मामा के पास आकर सो गई। मैं भी थक चुका था इसलिए सो गया।

सुबह मेरी आँख देर से खुली और मैं नीचे आया तो मामी ने कहा- तुम्हारे मामा तुम्हारी मम्मी को लेने जा रहे हैं !

मैंने सोचा कि अब तो मम्मी आ रही हैं इसलिए अब तो मामी कि चूत नहीं मिलेगी इसलिये मैं उदास हो गया तो मामी ने कहा- उदास मत हो, मैं ननद जी को सम्भाल लूँगी।

शाम के समय मम्मी भी आ गई, अगले दिन मामा बाहर चले गये, घर पर मैं, मामी और मम्मी थी।

मैंने मामी को इशारा किया कि वो मम्मी को कहीं भेज दें, मामी ने भी हाँ में सिर हिला दिया।

कुछ देर बाद मामी और मम्मी आपस में बातें करने लगी उसके बाद मम्मी अलग कमरे में चली गई और कुछ समय बाद मामी ने मुझे कमरे में आने को कहा तो मैं खुश होकर कमरे में गया। मुझे देखते ही मामी ने अपने साड़ी उतार दी। उसके बाद मामी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और कहा- तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा और लम्बा है, मुझे बहुत पसन्द है।

पहले तो मैं परेशान हुआ, फिर मैंने सोचा कि मुझे चूत चाहिए। मैंने मामी को नंगा कर दिया, मामी तुरन्त मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। अब मेरा लण्ड अकड़ने लगा था लेकिन लण्ड को मामी ने मुँह से नहीं निकाला और मैंने मामी के मुँह में ही पिचकारी छोड़ दी।

फिर मैंने मामी की भी चुदाई की।

मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें।

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