अभी चुदाई बाकी है

प्रेषक : आदित्य

नमस्कार दोस्तो, आजकल के दौर में सारे लड़कों की चांदी है क्योंकि आजकल की लड़कियाँ जल्दी ही चोदने देती हैं।

मैं अपनी पहली चोदन-कार्यक्रम का वर्णन यहाँ कर रहा हूँ शायद इससे मुझे और भी चोदने का मौका मिले।

मेरा नाम आदित्य है, जमशेद्पुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल है और मैं एमबीए कर रहा हूँ।

मेरे चोदन की शुरुआत आज से तीन साल पहले हुई जब मैं +2 में था।

मेरी ट्यूशन के सामने वाली घर में एक लड़की रहती थी, देखकर ही मन खुश हो जाता था, हालांकि तब मैं सेक्स के बारे में ज्यादा सोचता नहीं था।

क्या दिखती थी वो ! एक दम झक्कास ! लम्बे बाल, एकदम गोरा रंग, 34 इन्च का वक्ष और 36 के कूल्हे !

मैं साइंस का छात्र था और वो कामर्स की। मैं उसे लाईन मारने लगा, अपनी कोचिंग की लड़कियों से पता चला कि उसका नाम अर्चना है।

मैं कोचिंग की लड़कियों से ही उसको मेरे बारे में बताने को कहता क्योंकि वो सब एक ही कॉलेज में पढ़ती थी।

धीरे धीरेरे वो भी मुझे देखकर मुस्कुराने लगी पर मेरी उससे बात करने की हिम्मत नहीं हुई।

एक दिन मेरी कोचिंग की एक लड़की से पता चला कि वो भी मुझे पसन्द करती है क्योंकि मैं शाहिद कपूर जैसा दिखता हूँ जो उसका पसंदीदा अभिनेता है।

तब कोचिंग भी बन्द होने वाली थी सो मैंने उससे बात करने की ठान ली और एक दिन उसके घर के सामने जाकर खड़ा हो गया।

वो कालेज जाने के लिये निकली तो मैं भी उसी ऑटो में उसके साथ बैठ गया। जब वो उतरी तो मैंने उसे अपने मन की बात कह दी।

उसने कहा- मैं बाद में सोचकर बताऊँगी।

और मैंने उसे अपना नम्बर दे दिया।

अगले दिन मैं उसके फोन का इन्तजार करने लगा।

और फिर उसका फोन आया भी, उसने कहा- आई लव यू !

फिर हम मिलने लगे। हमारे यहाँ एक पार्क है ‘जुबली पार्क‘ वहाँ हम घण्टों बैठे रहते, मैं उसके होंठों को चूमता, हाथों पर चूमता पर इससे आगे वो कुछ करने नहीं देती थी।

+2 के रिजल्ट के बाद मैंने उसे कहा- मैं पढ़ने के लिए बेंगलौर जा रहा हूँ और अब हम कभी नहीं मिलेंगे।

वो रोने लगी, कहने लगी- मत जाओ ना !

लेकिन मुझे जाना पड़ा पर हम फोन पर बातें करते, वो पूछ्ती- कब आओगे?

मैं कहता- करने दोगी तो जब कहोगी आ जाऊँगा।

एक दिन उसने कहा- ठीक है, आ जाओ ! जो चाहिये दूँगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं भी छुट्टियों में आ गया और उससे मिला उसी पार्क में। हमने घण्टों एक दूसरे के होंठों को चूमा और फिर मैंने पूछा- बोलो कब दोगी?

वो बोली- जब चाहिये।

अगले दिन मैंने भी अपने दोस्त से कह कर उसके फ्लेट की चाभी ले ली और उसे वहाँ ले गया। मैं अपने साथ दो कन्डोम ले गया।

फ्लेट में जाते ही मैंने उसे चूमना शुरु कर दिया। वो भी मुझे चूम रही थी।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और बुरी तरह से उसके होंठों और गले को चूमने लगा। मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी तो उसकी काले रंग की ब्रा सामने आई, मैंने वो भी उतार दी और उसकी चूचियों पर टूट पड़ा।

क्या चूचियाँ थी, एकदम सख्त पर चिकनी और उस पर एकदम गुलाबी चुचूक ! मैं तो पागल हो गया और उसकी चूचियाँ मेरे पागलपन का शिकार हो रही थी। अर्चना के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी, कह रही थी- रुक जाओ !

पर मैं कहाँ रुकने वाला था। फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा भी खोल कर उसको भी हटा दिया। वो काली पैन्टी पहने हुई थी। मैंने उसे भी निकालना चाहा, उसने मुझे रोकना चाहा पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने आखिर उसे निकाल ही फ़ेंका और फिर जो दिखा वो तो कमाल था- गुलाबी रंग की चूत, चूत का दाना जैसे अनार का दाना ! अन्दर की पंखुड़ियाँ जैसे गुलाब की पंखुरियाँ ! बिल्कुल साफ, शायद आज ही साफ की थी।

मैंने पूछा तो बोली- हाँ, तुम्हारे लिये ही की है।

और फिर मैंने उसे हाथ से छुआ, एकदम गर्म थी वो और उसमें से हल्की-2 रस की धारा निकल रही थी। मैं थोड़ी देर हाथ से ही उसे मसलता रहा और वो सिसकारियाँ लेती रही।

फिर मैंने अपना मुँह उसमें लगा दिया।

वो उछ्ल पड़ी, बोली- यह क्या कर रहे हो? छोड़ दो, अजीब लग रहा है।

मैंने कहा- इसी में तो मजा है जान !

और मैं उसे चूसने लगा। क्या स्वाद था दोस्तो ! और उसमें वो मादक सुगन्ध ! मेरे तो होश ही उड़ चुके थे। उसकी एक एक फाँक को में अपने होंठों से चूस रहा था और वो बस “आह आह ! उफ़ मां ! आह आह ! उफ़ उफ आह छोड़ दो ! और मत करो ! आह !“ कर रही थी।

कुछ देर बाद उसने अपनी दोनों जांघों से मुझे जकड़ लिया और जोर जोर से सिसकारती हुई झड़ गई।

मैंने उसे कहा- मेरा लण्ड चूस !

पर वो मना करने लगी।

मैंने कहा- मैंने भी तो चूसी ना तुम्हारी ! अब तुम मेरा भी चूसो, प्लीज !

वो मान गई और घुटनों पर आकर मेरा लण्ड मुँह में ले कर चूसने लगी। मुझे परम सुख मिल रहा था। पहली बार लण्ड की चुसाई हो रही थी और एक लड़की जो पूरी तरह नंगी थी, घुटनों के बल बैठ कर मेरा लण्ड चूस रही है, यह बात मुझे और भी जोश दे रही थी।

फिर में उसके मुँह में ही झड़ गया।

फिर मैंने फ्रिज से बीयर निकाली और एक गिलास बनाया। वो जानती थी कि मैं बीयर पिता हूँ, तो कुछ नहीं बोली।

मैंने उसे भी पूछा तो उसने ना कह दिया और बोली- हो गया ना? अब मैं कपड़े पहन लूँ?

मैंने कहा- अभी कहाँ हुआ जान ! अभी तो मुख्य मजा बाकी है, अभी चुदाई बाकी है।

यह बात वो भी जानती थी तो मुस्कुराने लगी।

बीयर के खत्म होने तक मेरा लण्ड फिर तैयार हो गया था। मैं उसकी चूचियों पर थोड़ी बीयर गिरा कर अपने होंठों से चाट-चाट कर उसे पीने लगा। वो मेरा सर पकड़कर सिसकारियाँ भर रही थी। फिर मैंने उसके होठों पर एक लम्बा सा चुम्बन किया, उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। उसके पैरों के पास जाकर उसके दोनों पैरों को ऊपर किया, अपने लण्ड पर कन्डोम लगाया और सुपारा चूत के छेद पर रख दिया।

वो बस आँखें बन्द करके जोर-जोर से साँस भर रही थी।

मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके होंठों पर चुम्बन करते हुए पूछा- डाल दूँ अन्दर?

वो सिसकारते हुए बोली- हाँ डाल दो।

फिर मैंने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ा और एक जोर का धक्का मारा। मेरा लण्ड थोड़ा सा अन्दर गया और वो चीख पड़ी, कहने लगी- बहुत दुख रहा है आदी, निकाल लो प्लीज !

मैं बोला- कुछ नहीं होगा।

और कुछ देर यूँ ही बिना हिले रहा और फिर उसके होठों पर अपने होंठ रखे और एक जोर का धक्का मारा। मेरा आधे से ज्यादा लण्ड अन्दर चला गया। उसकी चीख मेरे मुँह में दब कर रह गई। कुछ देर बाद मैंने एक और धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड अन्दर चला गया और मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा।

जैसे ही मैंने देखा कि उसे भी मजा आ रहा है तो मैं उसकी कमर को कस कर पकड़ कर चोदने लगा। मुझे जो मजा आ रहा था वो मेरी जिन्दगी का सबसे हसीन पल था। मेरा लण्ड उसकी रस भरी चूत की गहराई में खेल रहा था।

चूत की दीवारों का स्पर्श लण्ड को और मुझे पागल बना रहा था। वो भी अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चोदन का मजा ले रही थी। सारा कमरा उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था और मुझे भी जोश आ रहा था।

फिर मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा और पीछे से उसकी चूत में लण्ड डाल दिया और उसकी दोनों चूचियों को पीछे से पकड़ कर उसको अपनी पूरी ताकत से चोदने लगा।

इस बीच वो एक बार झड़ गई और मेरा लण्ड उसकी चूत की चिकनाई पाकर और भी तेज होने लगा।

फिर मैंने उसे सीधा किया और उसके दोनों पैरों को अपने कन्धों पर उठाकर उसे चोदने लगा।

मेरा लण्ड अपनी पूरी मर्दानगी दिखा रहा था। वो पसीने–पसीने हो रही थी। उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी। फिर मैं उसके ऊपर गिर गया और उसे अपनी बाहों में जकड़ कर चोदने लगा। फिर उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और सिसकारते हुए झड़ गई।

अब मेरा भी आने वाला था तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर गिर गया।

उसकी चूत से मेरा रस बहने लगा जो उसके रक्त से गुलाबी हो गया था।

वो मुझे चूमने लगी और बोली- कैसा लगा?

मैंने कहा- बहुत मजा दिया तुमने मुझे ! जान आई लव यू !वो बोली- तुमने भी मुझे बहुत प्यार दिया ! आई लव यू टू ! अब मुझे छोड़ कर मत जाना, तुमको जब चाहिये मैं दूँगी लेकिन मेरे पास रहो।

और फिर हम एक दूसरे के बदन से खेलने लगे। कुछ देर बाद मेरा लण्ड फिर लड़ने को तैयार हो गया और मैंने एक बार और चोदने की इच्छा जाहिर की तो उसने अपनी दोनों टाँगें उठाकर अपनी चूत का द्वार मेरे लिये खोल दिया और मैंने भी उसे जी जान से चोदकर उसकी सुन्दर, अकल्पनीय चूत का मान रखा।

फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और मैंने उसे घर के पास छोड़ दिया।

अब उसकी शादी हो चुकी है फिर भी हम कभी-कभी चुदाई का मौका निकाल लेते हैं।

यह दास्तान लिखते हुए खुद मुझे मुठ मारनी पड़ी। आशा करता हूँ आपका भी यही हाल हो।

मेरे जीवन में चुदाई की बहुत सी घटनाएँ हैं, वे भी बताऊँगा। यह कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताएँ।