दो जवान बहनें पिंकी और रिंकी-3

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प्रेषक : राजवीर

एक दिन पिंकी और रिंकी दोनों स्कूल से आई तो महेश के कमरे से किसी के बोलने की आवाज आई। वो दबे पांव उसके कमरे की तरफ गई और देखने की कोशिश करने लगी तो देखा कि महेश अपने दोस्त सूरज के साथ था और दोनों नंगे होकर अपना अपना लण्ड हाथ में लिए सहला रहे थे। सूरज थोड़ा काला था इसलिए उसका लण्ड भी काला था पर महेश से बड़ा था।

सूरज कह रहा था- अरे यार, अपनी बहन की दिलवा दे, जो मांगेगा वो दूँगा।

तो महेश ने कहा- अरे, मुझे तो ले लेने दे ! अच्छा, अगर मैंने दिलवा दी तो तू क्या देगा।

सूरज ने कहा- जो भी कहेगा, दूँगा।

तो उसने कहा- अच्छा, ठीक है, मैं अपनी बहन की दिलवाऊँगा और तू अपनी बड़ी बहन की दिलवा दे।

सूरज- अबे, उसमें क्या बड़ी बात है ! रंडी है पूरी वो तो ! कई बार उसको उसके दोस्तों से चुदते हुए देखा है। एक दो बार तो स्कूल के टीचर से भी।

उसके बाद सूरज ने कहा- चल पूरा खड़ा हो गया है, थोर चूस और फिर बैठ जा इस पड़।

तो महेश ने कहा- नहीं, आज तू मुझे घोड़ी बना कर मेरी गाण्ड मारेगा।

सूरज ने कहा- चल ठीक है।

फिर महेश सूरज का लण्ड चूसने लगा, उसका बहुत मोटा और लम्बा था इसलिए महेश के मुँह में नहीं आ रहा था। थोड़ी देर बाद सूरज ने कहा- अब चल घोड़ी बन जा।

महेश घोड़ी बन गया। सूरज ने मुँह से थोड़ा थूक निकाला और उसकी गाण्ड और अपने लण्ड पर मसल दिया और गाण्ड के छेद पर लण्ड रख कर धक्का दिया। आधा लण्ड ही अन्दर गया था कि तब तक महेश की चीख निकल गई।

सूरज ने कहा- साले, तेरी गाण्ड का छेद बंद हो गया है।

महेश ने कहा- यार, बहुत दिन बाद मौका मिला है, काफी दिनों बाद तो तू आया है।

यह सुनते ही सूरज ने एक और धक्का दिया और पूरा लौड़ा अन्दर घुसा दिया, कहा- ले हो गई तसल्ली? खुल गया छेद !

फिर धक्के पर धक्का और 15 मिनट बाद वो उसकी गाण्ड में ही झड़ गया। सूरज बैठ गया और महेश लेटा हुआ था। सूरज महेश का लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगा। थोड़ी देर में उसका खड़ा हो गया। तो महेश ने अपना लण्ड सूरज की गाण्ड पर टिकाया और दे दिया धक्का।

एक ही बार में पूरा अन्दर चला गया तो महेश ने कहा- तेरी गाण्ड तो बड़ी ढीली है ! क्या बात है?

तो सूरज ने कहा- हाँ यार, मेरी गाण्ड को लण्ड की आदत सी लग गई है, गाण्ड मारने की भी मराने की भी। बस चूत का सपना है वो तू पूरा कर दे।

कुछ देर में महेशा भी निअपट गया और दोनों कपड़े पहनने लगे।

यह देख कर पिंकी और रिंकी भी बाहर चली गई और जोर से बात करती- बोलते हुए अन्दर आ गई ताकि उन दोनों को मालूम चल जाए कि वो घर में आ गई हैं। उनके आते ही दोनों कमरे से बाहर आये, सूरज ने दोनों को हेलो कहा और चला गया।

उसी दिन उनकी मम्मी महेश को लेकर अपने मायके चली गई। अब वह सिर्फ दोनों बहनें और उनके पापा नवीन घर में थे। रात को दोनों को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मर्द के हाथ लगवाने की आदत लग चुकी थी, भाई तो था नहीं।

पिंकी उठी, बाहर गई उसके पापा के कमरे ली लाइट जल रही थी उसकी दरवाजे की छेद से देखा और फिर रिंकी को बुला कर लाई। उसके पापा अपने झांट के बाल काट रहे थे। गोरा लण्ड लाल सुपारा, दोनों देख के सिहर गई सात इंच का लण्ड देख कर। बाल काटने के बाद वो तेल लाये और लण्ड पर मलने लगे और मलने के बाद मुठ मारने लगे, बोलने लगे- आज रात शांत हो जा बस ! कल तेरे लिए नई चूत का इंतजाम करता हूँ।

और कुछ देर में ढेर सारा वीर्य जमीन पर गिरा दिया।

रात बीती, अगला दिन भी बीत गया, फ़िर रात हुई। रात के गयारह बजे होंगे कि रिंकी-पिंकी को उनके पापा की आवाज सुनाई दी। रिंकी ने धीरे से दरवाजा खोल कर देखा तो कमरे में नवीन के साथ एक जवान लड़की थी और लाइट जल रही थी। रिंकी ने पिंकी को इशारा करके बुला लिया। दोनों दरवाजे के छेद से देख रही थी कि कोई बीस साल से भी कम उम्र की लड़की उनके पापा का लण्ड चूस रही है और वो उसकी चूची मसल रहे हैं। दोनों बिलकुल नंगे थे।

दस मिनट बाद लड़की ने कहा- अब मेरा मुँह दर्द कर रहा है।

तो नवीन ने कहा- अभी और चूस मेरी जान ! चार घंटे न मैं सोऊँगा और न तू। बस यह डंडा तेरे तीनो छेदों में अंदर-बाहर होता रहेगा।

और उसका सर पकड़ के आगे-पीछे करने लगे। फिर लण्ड निकाला और चूचियाँ जोर जोर से मसलने लगे और चूसने लगे। आधे घंटे तक चूस चूस के लाल कर दिया। फिर चूत चूसने लगे और दाने को मसलने लगे। वो लड़की इतनी देर में कई बार झर चुकी थी।

अब उन्होंने अपना लण्ड चूत की छेद पर रखा और एक धक्का दिया फिर बिना रुके दूसरा। और लण्ड पूरा अन्दर चला गया।

उसकी तो चीख निकल गई तो नवीन ने उसके मुँह पर हाथ रखा और कहा- अबे, मेरी बेटियाँ जाग जाएँगी।

तो उसने गाली देकर कहा- बेटीचोद, अपनी बेटी की उम्र की लड़की की इतनी बेरहमी से मार रहा है ! थोड़ा आराम से कर।

नवीन ने कहा- क्या करूँ जान, तुम्हारी जैसी नई चूत कई दिनों बाद मिली है। इसलिए सब्र नहीं हो रहा।

और लण्ड आगे पीछे करने लगे। आधे घंटे चोदने के बाद नवीन ने पूछा- बता कहाँ झरूँ?

तो उसने कहा- पहले मेरी चूत में ही ! बाद में मुँह में।

और फिर नवीन ने ढेर सारा वीर्य उसकी चूत में भर दिया।

उस रात नवीन ने उसकी बार दो चूत और एक बार गाण्ड मारी और सुबह पाँच बजे से पहले ही घर से भेज दिया।

उस दिन रिंकी-पिंकी भी स्कूल नहीं गई, सोचने लगी कि देख कर काम नहीं चलेगा।

दोनों ने ठान लिया कि किसी को पटाया जाये और उससे मजे लिए जाएँ। पर सोचने की बात यह थी कि पटाया किस को जाये।

कहानी जारी रहेगी।

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