प्यासी उर्वशी

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प्रेषक : करन सिंह

सभी आदरणीय पाठकों को मेरा अभिवादन। मैं अन्तर्वासना का एक नियमित सदस्य हूँ और मैं आपको अपनी सच्ची कहानी सुना रहा हूँ। मैं आपको यह अपनी पहली कहानी अन्तर्वासना पर भेज रहा हूँ।

यह कहानी तीन साल पहले की है, सुनील मेरा बिजनेस पार्टनर था। एक दिन उसने एक लड़की को डिनर पर बुलाया और रेस्टोरेन्ट में बैठा कर मेरे पास आ गया। रेस्टोरेन्ट हमारे ऑफ़िस के पास ही था इसलिये वो जल्द ही मेरे पास आ गया और मुझे भी साथ चल्ने के लिए कहने लगा।

मैंने बोला- मैं क्या करूँगा यार वहाँ जाकर ! वह तो तुम्हारी गर्ल फ़्रेन्ड है तुम ही मस्ती करो।

सुनील बोला- नहीं यार, चलो, उसके साथ उसकी एक सहेली है, तुम उसके साथ सेटिंग कर लेना।

उसके द्वारा काफ़ी दबाव डालने के बाद मैं उसके साथ चला गया। मैं जाकर देखता हूँ कि सुनील की गर्ल फ़्रेन्ड उर्वशी बहुत ही खूबसूरत थी। एक बार तो मैं भी हैरान रह गया कि इतनी खूबसूरत लड़की इसे कहाँ से मिल गई।

मैं उसके बगल में बैठ गया और बातें करने लगा। मैं तो उसकी सहेली अनीता को फ़ोकस कर रहा था इसलिये मेरा दिमाग उसकी तरफ़ लगा हुआ था। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं कि मेरी सेटिंग उसके साथ हो जाए।

मुझे यह मालूम हुआ कि उवशी यहाँ होस्टल में रह कर नौकरी करती है और अनीता अभी कॉलेज में पढ़ रही है।

डिनर के बाद वो दोनों चली गई। सुनील मेरे से बोला- क्या हुआ? कुछ सेटिंग हुई या नहीं।

मैंने बोला- यार कुछ हो नहीं पाया।

सुनील बोला- कोई बात नहीं, मैं उर्वशी को बोलकर तुम्हारी सेटिंग करा दूँगा।

मैं बोला- ओके।

इसके बाद लगभग छः माह बाद सुनील बोला- मैं बंगलोर जा रहा हूँ साथ में उर्वशी भी जा रही है।

मैं बोला- फिर तो पूरी मस्ती करोगे?

बोला- नहीं यार ! वो बोल रही है कि मेरे लिये अलग से कमरा बुक करना।

इस बीच उर्वशी मुझे फोन करती थी और मिलती रहती थी। जब वो लोग बंगलौर जा रहे थे तो मैंने उर्वशी को बोला- आप लोग जा रहे हो, सभी कुछ मंगलमय हो, आपकी यात्रा सुखद रहे।

बंगलोर से आने के बाद उर्वशी मेरे लिये उपहार लेकर आई, लेकिन सुनील मेरे लिये कुछ नहीं लाया।

मैंने पूछा- यार तुम मेरे लिये कुछ लेकर नहीं आये?

बोला- यार एक ही बात है, अब कुछ ही दिन में मैं उर्वशी से शादी कर लूँगा।

मैं बोला- यह क्या कह रहे हो, तुम तो एन्गेज़्ड हो।

बोला- मैं उर्वशी से शादी करूँगा।

मैं बोला- उर्वशी को मालूम है कि तुम्हारी एन्गेजमेन्ट हो चुकी है?

बोला- अभी नहीं मालूम लेकिन मैं उसे यह सब बता दूंगा।

मैं बोला- यह बात गलत है, तुम उसे साफ़ साफ़ कहो अगर वो आपके साथ वो राजी हो, तभी आप उससे मिलो वरना उससे मिलना छोड़ दो।

यहीं से मेरी और सुनील की खटपट होने लगी।

मैंने उर्वशी को बता दिया कि सुनिल की एन्गेजमेन्ट हो चुकी है। उसे बहुत दुख हुआ लेकिन उसने दृढ़ता के साथ के साथ कहा- सुनील मेरे साथ ही शादी करेगा।

इस बीच उर्वशी के फोन काफ़ी आने लगे थे मेरे पास और वो बोलती थी- आ जाओ, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।

मैं भी उससे अकसर मिलने लगा। अब वो कुछ दिन के लिये अपने घर जा रही थी। मैं उसे जब छोड़ने गया तो उसने मुझसे बोला- आप मुझे मेरे घर पर फोन करना।

उसके कहने का अन्दाज़ ऐसा था कि उसकी सेक्सी आँखों में मैं डूब गया और उस रात मैं बिल्कुल सो नहीं सका।

अगले दिन मैंने उसे दिन को दो बजे फोन किया। एक ही बेल पर उसने फोन उठा लिया और बोली- मुझे मालूम था कि आप फोन करोगे।

मैंने पूछा- कब वापस आ रही हो?

उसने बोला- जब आप कहो।

मैं बोला- कल ही आ जाओ।

तो वो अगले दिन ही लौट कर आ गई और आने के बाद मुझे फोन किया- मैं आ गई हूँ। कब मिलने आ रहे हैं?

मैं बोला- मैं आपके होस्टल के गेट पर मिलता हूँ।

फिर उसके बाद हम डिनर करने गये, मैंने उससे पूछा- यह बताओ कि आपने मुझे इस तरह से क्यों देखा था उस दिन स्टेशन पर?

तो वो मुस्कुरा दी और बोली- आई लव यू !

मैं एकदम से चौंक गया।

उर्वशी बोली- मैंने तो आपको उसी दिन अपने दिल में बैठा लिया था जिस दिन आप मुझसे पहली बार मिले थे।

मैं बोला- ओह, तो आपने पहले क्यों नहीं बोला।

बोली- आप क्यों नहीं समझे कि एक लड़की लड़के को अपने पास क्यों बुलाती है।

फिर हम लोग खूब मिलते रहे। लेकिन सिर्फ़ बागों में। चूमाचाटी भी खूब करते थे।

एक दिन मैंने उसे कहा- मैं देहरादून जा रहा हूँ एक दिन के लिये, आकर मिलते हैं।

बोली- मैं भी चलूँ?

मैं तो चाहता ही यही था। फिर अगले दिन हम लोग देहरादून के लिये रवाना हो गये। शाम की बस थी, अन्धेरा होने पर मैं बस मैं उसके साथ चूमाचाटी कर रहा था लेकिन बार-बार वो मना करती रही। मैं थोड़ी देर के लिये रुक जाता और फिर शुरू हो जाता।

लगभग रात के दस बजे हम देहरादून पहुँच चुके थे। कही डिनर का भी पता भी नहीं था। मैं सीधे होटल पहुँचा और एक रूम बुक कराया। होटल भी अच्छा था। उसके चार्जेज सात सौ रुपये थे।

उर्वशी बोली- मैं भी इसी में रहूँ आपके साथ?

मैं बोला- अगर नहीं रहना हो तो नीचे जाकर एक रूम और बुक कर लेते हैं।

बोली- कोई बात नहीं। इसी में शेयर कर लेंगे।

फिर वो फ़्रेश हुई और मैं भी फ़्रेश होकर बेड पर लेट गया। अब हमने सेक्स की बातें आरम्भ कर दी। धीरे धीरे मैंने उसकी जांघ पर अपना हाथ रख दिया और कंधों को सहलाया। उसने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी। लेकिन मैं फिर भी टॉयलेट के बहाने उठा और देखा के टॉयलेट मैं उसकी ब्रा और पेन्टी उतार कर रखी हुई थी। अब मैं भी रेलक्स होकर बेड पर आ गया, मैंने भी अपना अंडरवियर उतार कर बाथरूम में छोड़ दिया था।

मैंने दोबारा से अपना एक हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और बातें करने लगा। उसने भी मुस्करा कर उत्तर दिया। फिर मैंने उसकी चूचियों पर अपना दूसरा हाथ रख दिया और उसे दबाने लगा और जांघों पर मसलने लगा।

वो बोली- यह क्या कर रहे हो?

मैं बोला- कुछ नहीं होगा।बोली- यह सब अच्छा नहीं है।

मैंने कहा- मैं सिर्फ़ ओरल करूँगा !

तो वो ओरल के लिये राजी हो गई।

फिर मैं उसके पेट को चूमने लगा। धीरे धीरे मैं उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा। अब वो भी बहुत गर्म हो रही थी। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। मैंने धीरे से उसका नाड़ा खोल दिया और उसकी चूत पर हाथ लगाया। वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और चिपचिपा रही थी।

मैंने धीरे से अपनी एक अंगुली उसकी चूत में डाली। फिर धीरे धीरे मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिये। फिर मैंने उसकी चूचियां चूसनी आरम्भ की। उसके गुलाबी उरोज के निप्पल अब पूरी तरह से कड़क हो चुके थे। वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी।मैंने उसको बोला- मेरा लण्ड को चूसो।

वो बोली- नहीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

फिर मेरे समझाने पर उसने लण्ड को खूब चूसा। उसके चूसते चूसते दस पन्द्रह मिनट में मैं झड़ गया। मेरा सारा माल उसके मुख में था।

वो बोली- क्या करूँ?

मैंने बोला- अगर पीना है तो पी लो ! नहीं तो बाथरूम में थूक दो।

बोली- आज पीकर देखती हूँ।

फिर मैं उसके मुख में लण्ड दबाता रहा और वो मेरे लण्ड को अपने हाथ से भी फिर से मुठ्ठ मारने लगी।

मेरा नौ इन्च का लण्ड फिर से तैयार था, उसे चोदने को लण्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा था। वो भी पूरी तरह से चुदने के लिये तैयार थी। चुदाई से पहले हम दोनों में एक शर्त लगी कि पहले कौन झड़ेगा?

वो बोली- मैं आपको दस मिनट में झड़ा दूंगी।

मैं बोला- नहीं कर सकती।

मैं डाल कर भूल गया, वो चिल्लाती रही- करो नाआअ ! चोदो ! अब मुझसे नहीं रहा जा रहा।

मैं बोला- अभी तुम झर जाओ, मैं तो बाद मैं ही करूंगा।

बोली- नहीं मेरी फ़ाड़ो जल्दी से।

फिर वो मेरे ऊपर आ गई और खूब उसने शॉट लगाए और मैं भी अब पूरी तरह से मज़े ले रहा था, मैंने भी खूब जबरदस्त धक्के लगाये। फिर उसकी चूत में झड़ गया।

वो बोली- आपने मुझे दो बार डिस्चार्ज करवा दिया।

फिर यह सिलसिला पूरी रात चला, मैंने उसे पूरी रात में छः बार चोदा। अब मैं पूरी तरह से टूट चुका था और मेरा पूरा शरीर थक गया था।

मैं सुबह छः बजे सोया था और ग्यारह बजे उठा। तब मैं फ़्रेश हुआ फिर उर्वशी भी फ़्रेश होने गई। उसने मुझे भी अन्दर बुला लिया और फिर अन्दर भी हम दोनों ने बहुत मज़ा लिया और दिन भर फिर हम लोग चुदाई ही करते रहे। बहुत मज़ा आया।

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