तेरी याद साथ है-3

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प्रेषक : सोनू चौधरी

पता नहीं जब पूरी पैंटी उतर जाएगी और उसकी चूत सामने आएगी तो क्या होगा।

खैर मैंने सोचना बंद किया और फ़िर से देखना शुरू किया।

अब तक पप्पू ने अपने दांतों का कमाल कर दिया था और पैंटी लगभग उसकी चूत से नीचे आ चुकी थी, काली-काली रेशमी मुलायम झांटों से भरी चूत को देखकर मेरा सर चकराने लगा।

पप्पू भी अपना सर थोड़ा अलग करके रिंकी की हसीं मुनिया के दर्शन करने लगा।

रिंकी को जब इसका एहसास हुआ तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छिपा लिया और एक हाथ से अपनी पैंटी को ऊपर करने लगी।

पप्पू ने मौका नहीं गंवाया और उसकी पैंटी को खींच कर पूरी तरह उसके पैरों से अलग कर दिया।

“हे भगवान, अगर मैंने अपने आपको सम्भाला नहीं होता मेरे मुँह से जोर की आवाज़ निकल जाती। मैंने बहुत मुश्किल से अपने आपको रोका और अपने लंड को और जोर से सहलाने लगा।

पप्पू ने जल्दी से अपने होंठ रिंकी की चूत पर रख दिया और एक ज़ोरदार चुम्बन लिया।

“उम्म्म्म…आआहह्ह्ह, नहीं पप्पू, प्लीज़ मुझे छोड़ दो। मैं मर जाऊँगी।” यह कहते हुए रिंकी ने उसका सर हटाने की कोशिश की लेकिन पप्पू भी खिलाड़ी था, उसने अपने सर के ऊपर से रिंकी का हाथ हटाया और अपनी जीभ बाहर निकाल कर पूरी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

“ओह्ह मांह, यह क्या कर दिया तुमने…प्लीज़ ऐसा मत करो…मुझे कुछ हो रहा है…प्लीज़ …प्लीज़..। ह्म्म्म्म्…” रिंकी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं।

पप्पू ने अब अपने हाथो को रिंकी किए हाथों से छुड़ाया और अपनी दो उँगलियों से चूत के होठों को फैलाया और देखने लगा। बिल्कुल गुलाबी और रस से सराबोर चूत की छोटी सी गली को देखकर पप्पू भी अपना आप खो बैठा और अपनी पूरी जीभ अंदर डाल कर उसकी चुदाई चालू कर दी। ऐसा लग रहा था मानो पप्पू की जीभ कोई लंड हो और वो एक कुंवारी कमसिन चूत को चोद रही हो।

“ह्म्म्म्म…ओह मेरे जान, यह क्या हो रहा है मुझे…??? ऊउम्म…कुछ करो न प्लीज़…मैं मर रही हूँ…” रिंकी के पाँव अचानक से तेजी से कांपने लगे और उसका बदन अकड़ने लगा।

मैं समझ गया कि अब रिंकी कि चूत का पानी छूटने वाला है।

“आःह्ह्ह…आआह्ह्ह…आःह्ह्ह…ऊम्म्म्म…मैं गई…मैं गई…आऐईईई…”और रिंकी ने अपना पानी छोड़ दिया और पसीने से लथपथ हो गई। उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसने कई कोस की दौड़ लगाई हो।

पप्पू अब भी उसकी चूत चाट रहा था।

इन सबके बीच मेरी हालत अब बर्दाश्त करने की नहीं रही और इस लाइव ब्लू फिल्म को देखकर मेरा माल बाहर निकल पड़ा।

“आःह्ह्ह्ह्ह…उम्म्म…एक जोर की सिसकारी मेरे मुँह से बाहर निकली और मेरे लंड ने ढेर सारा पानी निकल दिया।

मेरी आवाज़ ने उन दोनों को चौंका दिया और दोनों बिल्कुल रुक से गए। रिंकी ने तुरंत अपना शर्ट नीचे करके अपनी चूचियों को ढका और अपनी स्कर्ट नीचे कर ली। पप्पू इधर उधर देखने लगा और यह जानने की कोशिश करने लगा कि वो आवाज़ कहाँ से आई।

मुझे अपने ऊपर गुस्सा आया लेकिन मैं मजबूर था, आप ही बताइए दोस्तो, अगर आपके सामने इतनी खूबसूरत लड़की अपनी चूचियों को बाहर निकाल कर अपनी स्कर्ट उठाये और अपनी चूत चटवाए तो आप कैसे बर्दास्त करेंगे। मैंने भी जानबूझ कर कुछ नहीं किया था, सब अपने आप हो गया।

रिंकी दौड़ कर बाथरूम में चली गई और पप्पू तड़पता हुआ उसके पीछे दौड़ा।

रिंकी बाथरूम में घुसकर अपनी साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी। पप्पू पीछे से वह पहुँचा और एक बार फिर से रिंकी को अपनी बाहों में भर लिया। रिंकी अब भी उस खुमार से बाहर नहीं आई थी वो भी पप्पू से लिपट गई। मैं अब तक थोड़ा सामान्य हो चुका था लेकिन आगे का दृश्य देखने की उत्तेजना में मेरा लंड सोने का नाम ही नहीं ले रहा था।

मैं थोड़ी देर रुका और फिर दबे पाँव बाथरूम की तरफ बढ़ा। बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचते ही मेरे कानों में पप्पू और रिंकी की आवाजें सुनाई दी।

“नहीं पप्पू, प्लीज़ अब तुम चले जाओ। शायद सोनू हमें छुप कर देख रहा था। मुझे बहुत शर्म आ रही है। हाय राम, वो क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में ! ऊईईई… छोड़ो ना… !!”

‘अरे मेरी जान, मैंने तो पहले ही तुम्हे बताया था कि हमारे मिलन का इन्तेजाम सोनू ने ही किया है, लेकिन वो नीचे अपने कमरे में है…। अब तुम मुझे और मत तड़पाओ वरना मैं सच में मर जाऊंगा.” पप्पू कि विनती भरी आवाज़ मेरे कानो में साफ़-साफ़ सुनाई दे रही थी.

“ओह्ह्ह्ह…पप्पू, अब तुम्हे जाना चाहिए…उम्म्मम…बस करो…आऐईई !!!!” रिंकी कि एक मदहोश करने वाली सिसकारी सुनाई दी और मैं अपने आपको दरवाज़े के छेद से देखने से रोक नहीं सका। मेरा एक हाथ लंड पर ही था। मैंने अंदर झाँका तो देखा कि पप्पू ने फिर से रिंकी की चूचियों को बाहर निकाल रखा था और उन्हें अपने मुँह में भर कर चूस रहा था।

इधर रिंकी का हाथ पप्पू के सर को जोर से पकड़ कर अपनी चूचियों की तरफ खींचे जा रहा था। पप्पू ने अपना एक हाथ रिंकी की चूचियों से हटाया और अपने पैंट के बटन खोलने लगा। उसने अपने पैंट को ढीला कर के अपने लंड को बाहर निकाल लिया। बाथरूम की हल्की रोशनी में उसका काल लंड बहुत ही खूंखार लग रहा था।

पप्पू ने अपने हाथों से रिंकी का एक हाथ पकड़ा और उसे सीधा अपना लंड पर रख दिया। जैसे ही रिंकी का हाथ पप्पू के लंड पर पड़ा उसकी आँखें खुल गईं और उसने अपनी गर्दन नीचे करके यह देखने की कोशिश की कि आखिर वो चीज़ थी क्या।

“हाय राम…” बस इतना ही कह पाई वो और आँखों को और फैला कर लंड को अपने हाथों से पकड़ कर देखने लगी। पप्पू पिछले एक घंटे से उसके खूबसूरत बदन को भोग रहा था इस वजह से उसका लंड अपनी चरम सीमा पर था और अकड़ कर लोहे की सलाख के जैसा हो गया था।

पप्पू ने रिंकी की तरफ देखा और उसकी आँखों में देखकर उसे कुछ इशारों में कहा और उसका हाथ पकड़ कर अपना लंड पर आगे पीछे करने लगा। रिंकी को जैसे उसने अपने लंड को सहलाने का तरीका बताया और वापस अपने हाथों को उसकी चूचियों पर ले जाकर उनसे खेलने लगा।

रिंकी के लिए यह बिल्कुल नया अनुभव था, उसने पप्पू के लंड को ऐसे पकड़ रखा था जैसे उसे कोई बिलकुल अजूबा सी चीज़ मिल गई हो और उसके हाथ अब तेजी से आगे-पीछे होने लगे। पप्पू ने अब रिंकी की चूचियों को छोड़ दिया और उत्तेजना में अपने मुँह से आवाजें निकलने लगा,”हाँ मेरी जान, ऐसे ही करती रहो…आज मेरा लंड खुशी से पागल हो गया है…और हिलाओ… और हिलाओ… हम्मम…ऊम्म्म्म..”

रिंकी ने अचानक अपने घुटनों को मोड़ा और नीचे बैठ गई। नीचे बैठने से पप्पू का लंड अब रिंकी के मुँह के बिलकुल सामने था और उसने लण्ड को हिलाना छोड़ कर उसे ठीक तरीके से देखने लगी। शायद रिंकी का पहला मौका था किसी जवान लंड को देखने का।

रिंकी ने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करना शुरू किया और एक हाथ से पप्पू के लटक रहे दोनों अण्डों को पकड़ लिया। अण्डों को अपने हाथों में लेकर दबा दबा कर देखने लगी।

इधर रिंकी का वो हाथ पप्पू के लंड को जन्नत का मज़ा दे रहा था, उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी।

“हाँ रिंकी…मेरी जान…उम्म्मम…ऐसे ही, ऐसे ही…बस अब मैं आने वाला हूँ…उम्म्म.” पप्पू अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया था और किसी भी वक्त अपने लंड की धार छोड़ने वाला था। पप्पू ने अपने बदन को पूरी तरह से तान लिया था।

“ओह्ह्ह्ह…ह्हान्न्न…बस…मैं आयाआआ…”

रिंकी अपने नशे में थी और मज़े से उसका लंड पूरी रफ़्तार से हिला रही थी। रिंकी की साँसें बहुत तेज़ थीं और उसकी खुली हुई चूचियाँ हाथों की थिरकन के साथ-साथ हिल रही थीं।

मेरा हाल फिर से वैसा ही हो चुका था जैसा थोड़ी देर पहले बाहर हुआ था। मेरा लंड भी अपनी चरमसीमा पर था और कभी भी अपनी प्रेम रस की धार छोड़ सकता था। मैं इस बार के लिए पहले से तैयार था और अपने मुँह को अच्छी तरह से बंद कर रखा था ताकि फिर से मेरी आवाज़ न निकल जाए।

“आआअह्ह्ह…हाँऽऽऽऽ ऊउम्म्म्म… हाँऽऽऽ…” इतना कहते ही पप्पू ने अपने लंड से एक गाढ़ा और ढेर सारा लावा सीधा रिंकी के मुँह पर छोड़ दिया। रिंकी इस अप्रत्याशित पल से बिल्कुल अनजान थी और जब उसके मुँह के ऊपर पप्पू का माल गिरा, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं लेकिन उसने लंड को नहीं छोड़ा और उसे हिलाती रही।

लगभग तीन बार पप्पू के लंड ने पानी छोड़ा और रिंकी के गुलाबी गालों और उसे मस्त मस्त होठों को अपने वीर्य से भर दिया।

जब पप्पू का लंड थोड़ा शांत हुआ तब रिंकी अपनी आँखें ऊपर करके पप्पू को देखने लगी और झट से अपनी गर्दन को नीचे लाकर पप्पू के लंड पर अपने होठों से एक चुम्बन दे दिया।

कहानी जारी रहेगी।

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