अब दिल क्या करे-2

कहानी का पहला भाग: अब दिल क्या करे-1

मैं बिल्कुल नंगा बाथरूम में खड़ा अपना बदन पोंछ रहा था कि अचानक दरवाजा खुला और साथ ही मेरे कानों में रेशमा की आवाज सुनाई पड़ी।

“ओह..माय..गोड.. !” रेशमा अपने मुँह पर हाथ रखे मेरी तरफ देख रही थी।

तभी मुझे भी ध्यान आया कि मैं नंगा हूँ। मैंने नीचे देखा तो मेरा लंड अपने पूरे शवाब पर तन कर खड़ा था। रेशमा भी अवाक निगाहों से मेरे लंड की तरफ ही देख रही थी। मैंने झट से तौलिया अपने नंगे बदन पर लपेटा और बाहर जाने लगा पर जैसे ही मैं रेशमा के पास से गुजरने लगा तो एकदम से तौलिया फिर से खुल गया। तौलिया खुलता देख रेशमा की हँसी छूट गई और वो हँसती हुई कमरे से बाहर निकल गई।

मैं भी थोड़ा शर्मिंदा सा महसूस कर रहा था सो मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और फिर बारिश में ही अपने घर की तरफ चल दिया। आज एक बात तो हुई थी कि रेशमा की जवानी मेरी नजर में चढ़ गई थी। उस रात को मैंने सपने में रेशमा को चोद दिया था।

अगले दो तीन दिन मेरा और रेशमा का सामना नहीं हुआ। फिर चौथे दिन रेशमा का फोन आया।

“भाई… कहाँ हो?”

“अभी तो ऑफिस में ही हूँ… बोलो कुछ काम था क्या?”

“काम था भी और नहीं भी…”

“मतलब?”

“मतलब यह कि मम्मी घर पर नहीं है और मैं अकेली बोर हो रही हूँ।”

“तो…?”

“तो क्या… आ जाओ मूवी देखेंगे…”

“रिशु… बहुत काम है… आना मुश्किल होगा।” मैंने रेशमा को टालते हुए कहा जबकि उसके अकेले होने की बात सुन कर ही लंड महाराज सर उठाने लगे थे।

“प्लीज भाई आ जाओ ना… बहुत बोर हो रही हूँ…”

“ओ के… मैं कोशिश करता हूँ…”

मेरी हाँ होते ही रेशमा खुश हो गई। वैसे मैं भी तो उस दिन से ही रेशमा से अकेले में मिलने के मौका की तलाश में था। मैं बॉस को जरूरी काम का बोल कर ऑफिस से निकल लिया और पन्द्रह मिनट के बाद मैं रेशमा के घर के दरवाजे पर था।

जैसे ही मैंने दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा ऐसे खुला जैसे रेशमा दरवाजे पर खड़ी मेरा ही इन्तजार कर रही थी।

दरवाजे के अंदर जाते ही रेशमा मेरे गले से लग गई और मुझे आने के लिए धन्यवाद किया।

“आंटी कहाँ गई हुई हैं…?”

“वो तो महोल्ले की औरतों के साथ आज वृन्दावन गई है देर रात तक ही आएँगी।”

“तो अब तुम्हारा क्या इरादा है…?”

“इरादा तो मूवी देखने का है अगर तुम हाँ करो तो…”

“ओह.. सिर्फ मूवी..”

“क्यों भाई इरादा तो नेक है तुम्हारा…?”

रेशमा ने जिस ढंग से मुझ से पूछा तो मैं सकपका गया। मन में तो आ रहा था कि कह दूँ कि तुम्हें चोदने का इरादा है, पर मैं चुप रहा।

मेरी हालत देख कर रेशमा हँस पड़ी।

मैं जाकर सोफे पर बैठ गया। रेशमा रसोई में गई और दो गिलास में कोल्डड्रिंक डाल कर ले आई। पहले तो वो दूसरे सोफे पर बैठने लगी फिर पता नहीं क्या सोच कर मेरे ही सोफे पर आकर बैठ गई।

“रिशु… इस ड्रेस में तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो..!” मैंने रेशमा की तारीफ करते हुए अपना हाथ रेशमा की जांघ के पास जानबूझ कर रखा तो रेशमा ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया।

“भाई, सभी लड़कियों को ऐसे ही पटाते हो क्या…?”

“हा हा हा… अब तुम्हें भी पटाने की जरुरत पड़ेगी क्या?” मैंने उसकी जांघ पर अपने हाथ का दबाव थोड़ा और बढ़ाते हुए पूछा।

वो कुछ नहीं बोली बस उसकी आँखें बंद हो गई और मुँह से आह निकल गई।

मेरे लिए तो इतना इशारा ही काफी था। मैंने अपना हाथ रेशमा की जांघ से उठा कर उसके पेट के नंगे हिस्से पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा।

रेशमा के मुँह से सिसकारी निकल गई और उसका बदन कांपने लगा था। लड़की पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। मैंने कोल्डड्रिंक का गिलास साइड में रखा और रेशमा को पेट से पकड़ कर अपने पास खींचा तो शरमाते हुए उठ कर रसोई में भाग गई।

अब कोई गुंजाइश बाकी नहीं बची थी कि रेशमा भी चुदना चाहती थी।

मैं उठ कर रसोई में गया तो रेशमा वहाँ दिवार से लग कर खड़ी थी और लंबी लंबी साँसें ले रही थी। मैंने रेशमा के पास जाकर रेशमा के कंधे पर हाथ रखा तो वो शरमाते हुए मुझसे लिपट गई।

मैंने रेशमा का चेहरा ऊपर उठाया तो रेशमा की आँखें बंद थी और होंठ कांप रहे थे। मैंने झट से अपने होंठ रेशमा के कांपते होंठों पर रख दिए।

रेशमा ने एक बार तो छूटने की कोशिश की पर मेरी पकड़ ढीली नहीं थी सो वो फिर से मुझ से चिपक गई और चुम्बन का आनन्द लेने लगी।

चुम्बन लेते लेते मेरे हाथ रेशमा की चूचियों को सहलाने लगे। रेशमा अब मस्ती के मारे बदहवास सी होती जा रही थी। असली काम का समय नजदीक आ चुका था। अब देर करना ठीक नहीं था। मैंने रेशमा को अपनी बाहों में उठाया और वापिस उसको ले जाकर सोफे पर लेटा दिया।

वो रेशमा जो मुझे कम ही पसंद थी आज बहुत हसीन लग रही थी।

रेशमा को सोफे पर लेटाने के बाद मैंने मेरे होंठ रेशमा की टांगों के नंगे हिस्से पर रख दिए और चूमते चूमते रेशमा की स्कर्ट को ऊपर करने लगा।

रेशमा शर्म के मारे मुझे स्कर्ट ऊपर उठाने से रोक रही थी पर मेरे चुम्बन रेशमा की आग को ज्वालामुखी बनाने में लगे थे। रेशमा की सिसकारियाँ ड्राइंगरूम में गूंजने लगी थी। मैं जीभ से चाटते हुए उसकी चूत तक पहुँच रहा था। गुलाबी रंग की पैंटी में रेशमा की चूत से निकले पानी का एक बड़ा सा दाग पड़ चुका था।

मैंने रेशमा की दोनों टाँगें खोली और उसकी टांगों के बीच में आकर उसकी जांघों को चाटने लगा। रेशमा मस्ती के मारे सर इधर उधर पटक रही थी। मैंने हाथ स्कर्ट के अंदर डाल कर रेशमा की पैंटी उतार दी।

बिना बालों वाली सील बंद कुँवारी चूत मेरी नजर के सामने थी। एक बार तो मैं चूत को देखता ही रह गया। बहुत दिनों के बाद कोई सीलबंद कुँवारी चूत मेरे लंड को नसीब होने वाली थी। वो तो पहले से ही अकड़ कर फटने को हो रहा था।

मैंने अपने होंठ रेशमा की रस से भरी कुँवारी चूत पर रखे तो रेशमा मस्ती के मारे पानी पानी हो गई।

“भाई… मैं मर जाऊँगी… आह्ह्ह…ये क्या कर दिया भाई तुमने… ओह्ह्ह भाईईईई…. मुझ से सहन नहीं हो रहा है… कुछ करो जल्दी से… ओह्ह्ह… आह्ह्ह !!!”

सहन तो अब मुझ से भी नहीं हो रहा था, मैंने खड़े होकर झट से अपने कपड़े अपने बदन से अलग किये और नंगा होकर रेशमा के सामने था। मैं अब सोफे पर बैठ गया और रेशमा को खड़ा करके उसके भी दोनों कपड़े मतलब टॉप और स्कर्ट उतार कर एक तरफ रख दिए। रेशमा का नंगा बदन देखा तो देखता ही रह गया। वो अजंता की किसी मूर्त से कम नहीं लग रही थी। छोटी छोटी चूचियाँ भी उसके पतले से बदन पर क़यामत लग रही थी।

रेशमा को जब एहसास हुआ कि वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी है तो वो अपनी आँखों पर हाथ रख कर शर्म के मारे दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गई। मैंने उसको पीछे से अपनी बाहों में जकड़ा और उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए।

रेशमा सीत्कार उठी थी।

मैंने हाथ आगे ले जा कर रेशमा की चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मेरा मोटा और लंबा लंड रेशमा की गांड में गड़ रहा था। मैं रेशमा के कानों की लटकन को चूम रहा था, उसकी गर्दन को चूम रहा था और रेशमा मदहोश हो रही थी।

मैंने अपने हाथ को नीचे रेशमा की चूत पर ले जा कर उसको अपनी उंगली से सहलाया तो रेशमा मस्ती के मारे मुझ से चिपक गई और उसने भी हाथ नीचे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी।

कण्ट्रोल करने की स्थिति में मैं भी नहीं था अब।

मैंने रेशमा को गोदी में उठाया और सामने रखी एक मेज पर लेटा दिया। तेल या क्रीम ढूंढने का समय नहीं था सो थोड़ा सा थूक रेशमा की चूत पर डाला और अपना लंड रेख कर लंड को छोटी सी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा।

चूत बहुत टाईट थी, जैसे ही मैंने लंड को थोड़ा अंदर की तरफ घुसाने की कोशिश की तो दर्द की लकीरें रेशमा के चेहरे पर नजर आने लगी।

मैंने लंड हटा कर थोड़ा सा थूक और लगाया रेशमा की चूत पर और फिर लंड को सेट करके एक जोरदार धक्का लगा दिया। फट की आवाज के साथ लंड का मोटा सुपारा रेशमा की नाजुक चूत को छेदता हुआ अंदर घुस गया और साथ ही रेशमा की घुटी हुई चीख कमरे में गूंज गई।

वो तो मैंने सही समय पर रेशमा के मुँह पर हाथ रख दिया नहीं तो पूरी कॉलोनी को रेशमा की चूत के फटने की खबर हो जाती।

“आह्ह्ह्ह्ह भाई… निकाआअल्ल्ल्ल्लो बाहर…. बहुत दर्द हो रहा है भाई… फट गई मेरी तो…ओह्ह उईईइ मर गईईइ…” रेशमा दर्द के मारे तड़प रही थी।

मैं भी कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था, मुझे पता था कि लड़की अगर ऐसे एक बार लंड के नीचे से निकल जाए तो फिर दुबारा लंड के नीचे आसानी से नहीं आती। मैंने रेशमा को जकड़ रखा था और वो छूटने को छटपटा रही थी।

मैंने मौका देखा और एक जोरदार धक्का लगाया और लंड को दो-तीन इंच अंदर घुसा दिया। रेशमा की चूत सच में बहुत टाईट थी। मेरा लंड ऐसा हो रहा था जैसे किसी शिकंजे में जकड़ दिया गया हो।

तभी मुझे रेशमा की चूत से कुछ गर्म गर्म रिसता हुआ महसूस हुआ। जिसका साफ़ मतलब था की किला फतह हो चुका था। मैंने जोश में आकर लगातार दो-तीन धक्के लगाकर पूरा लंड रेशमा की चूत में घुसा दिया। रेशमा की आँखों से आंसुओं की धारा और चूत से खून की धार बह रही थी।

मैं जानता था कि अब आगे क्या करना है। मैं रेशमा पर झुक कर उसकी चूची को मुँह में लेकर चुम्भलाने लगा। रेशमा दर्द के मारे तड़प रही थी और मुझे दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी।

दो-तीन मिनट बाद रेशमा थोड़ा शांत हुई तो मैंने लंड को धीरे धीरे अंदर-बाहर करने लगा। रेशमा हर धक्के पर आह्ह्ह ओह्ह्ह उईईई मर गईई कर रही थी। लंड अब चूत में अपनी जगह बना चुका था और रेशमा की चूत ने भी बहुत सारा पानी छोड़ दिया था जिससे लंड अब आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। अब रेशमा की दर्द भरी आहें मस्ती भरी सिसकारियों में बदल गई थी।

“आह्ह धीरे भाई… धीरे उम्म्मम्म… तुम बहुत जालिम हो भाई… ओह्ह्ह उईईइ आह्ह्ह चोदो मुझे और जोर से चोदो…”

मैं भी रेशमा की चिकनी टांगों को अपने कंधे पर रख कर पूरे जोश के साथ रेशमा की चुदाई कर रहा था। लंड अब सटासट अंदर-बाहर हो रहा था। रेशमा भी गांड उठा उठा कर लंड को अपनी चूत में ले रही थी।

लगभग दस मिनट की चुदाई के बाद रेशमा का बदन अकड़ने लगा और आठ दस धक्कों के बाद ही वो जोरदार ढंग से झड़ने लगी। इतनी गर्म और टाईट चूत चोदते चोदते मैं भी अब झड़ने के कगार पर था।

“ओह्ह्ह जोर जोर से फाड़ दे भाई… आह्ह्ह मैं गई भाई मैं गईई… जोर जोर से चोद भाई… जोर जोर से चोद मेरे राजा… चोद मुझे आह्ह्ह उईईइ आआआह्ह्ह !!”

“ले मेरी रानी… ले चुद मेरे लंड से… मेरा लंड तो निहाल हो गया तेरी चूत में घुस कर… क्या मस्त चूत है मेरी रानी तेरी… ले चुद और चुद… अब तो तुझे हर रोज चोदा करूँगा…”

मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी थी। रेशमा का पानी निकल जाने से अब फच्च फच्च की आवाज कमरे में गूंजने लगी थी। मेरा बदन भी अकड़ने लगा था।

मैं रेशमा के बदन पर झड़ना चाहता था पर फिर जैसे शैतान हावी हो गया और मैं झर झर करके रेशमा की चूत के अंदर ही झड़ने लगा, मैंने पूरा माल रेशमा की चूत के अंदर ही झाड़ दिया। रेशमा की चूत मेरे वीर्य से लबालब भर गई।

रेशमा मस्ती के मारे मुझ से बुरी तरह से लिपट गई, उसकी टाँगें अब मेरी कमर के इर्दगिर्द लिपटी हुई थी और बाहों से उसने मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा रखा था। मैं भी उसके ऊपर लेटा हुआ हांफ रहा था।

करीब दस मिनट के बाद हम दोनों उठे तो रेशमा को इस बाद का एहसास हुआ कि मैंने वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया है तो वो परेशान हो गई।

पर मैंने उसको टेबलेट के बारे में बताया तो वो थोड़ी नोर्मल हुई। उसने मेरा लंड और अपनी चूत साफ़ की और फिर लड़खड़ाते क़दमों से बाथरूम में घुस गई।

पाँच मिनट के बाद वो वापिस आकर फिर से मेरी गोद में बैठ गई। मैं उसके होंठो को चूसने लगा और उसकी चूचियों को सहलाने लगा। कुछ देर बाद ही हम दोनों फिर से चुदाई के सागर में गोते लगाने को तैयार थे। शाम को पाँच-छ: बजे तक हमने तीन बार चुदाई का आनन्द लिया।

उसके बाद उसकी मम्मी का फोन आ गया कि वो एक घंटे तक घर पहुँच जाएंगे। मैं भी उठा और बाथरूम में फ्रेश होकर कपड़े पहन कर तैयार हो गया।

जब मैं रेशमा के घर से निकलने लगा तो रेशमा मुझसे लिपट गई और मुझे थेंक्यू बोला।

मैं भी उसके होंठो पर एक प्यारा सा किस लेकर अपने घर की तरफ चल दिया।

अगले कुछ महीनों तक हम दोनों जब भी मौका मिलता चुदाई करते रहे। उसके बाद रेशमा की शादी एक एन.आर.आई. लड़के से हो गई और वो उसके साथ विदेश चली गई। आज भी वो मुझे बहुत याद आती है।

कहानी कैसी लगी जरूर बताना…

आपका अपना राज