तेरी याद साथ है-21

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प्रेषक : सोनू चौधरी

मैंने बिना वक़्त गवाए अपने लंड को बाहर खींच कर फिर से एक धक्का मार कर अन्दर ठेल दिया।

फच्च …एक आवाज़ आई और मेरा लंड वापस उसकी चूत की गहराइयों में चला गया और प्रिया के मुँह से फिर से एक सिसकारी निकली।

मैंने बिना रुके अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू किया और मंद गति से उसकी चुदाई करने लगा। मेरे हाथ अब भी उसकी चूचियों से खेल रहे थे जिसकी वजह से प्रिया अपना दर्द भूल कर उस पल का आनंद ले रही थी।

थोड़ी देर वैसे ही चोदते रहने के बाद प्रिया की चूत पूरी तरह मेरा साथ दे रही थी और मज़े के साथ मेरे लंड का स्वागत कर रही थी। अब मैंने अपनी कमर को उठाया और अपने हाथों को ठीक से एडजस्ट करके प्रिया के पैरों को और फैला लिया ताकि उसकी चूत की सेवा ठीक से कर सकूँ।

मैंने एक बार झुक कर प्रिया को चूमा और फिर अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर एक जोरदार धक्के के साथ अन्दर ठेला।

“ह्म्मम्म… सोनू… मेरे मालिक…” प्रिया बस इतना ही कह पाई और मैंने ताबड़तोड़ धक्के पे धक्के लगाने शुरू किये।

“प्रिया…अब तो बस तुम जन्नत की सैर करो।” मैंने प्रिया को इतना कह कर अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ानी शुरू की।

कमरे में अब फच..फच की आवाज़ गूंजने लगी और साथ ही साथ प्रिया के मुँह से निकलती सिसकारियाँ मेरा जोश दोगुना कर रही थीं। मैं मज़े से उसकी चुदाई किए जा रहा था। अब तक जिस दर्द की वजह से प्रिया के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था वही दर्द अब उसे मज़े दे रहा था और उसने मेरे हाथों को अपने हाथों से थाम लिया और अपनी कमर उठा उठा कर चुदने लगी।

“हाँ मेरे रजा…और करो…और करो…आज जी भर के खेलो …हम्म्म्म…उह्ह्ह्ह…” प्रिया अपनी आँखों को बंद करके जन्नत की सैर करने लगी।

“हाँ मेरी रानी… इस दिन के लिए मैं कब से तड़प रहा था… आज तुम्हारी और मेरी हम दोनों की सारी प्यास बुझा दूँगा।” मैंने भी प्रिया का साथ देते हुए उसकी बातों का जवाब देते हुए चोदना जारी रखा।

मैंने अपनी स्पीड अब और बढ़ा दी और गचा गच चुदाई करने लगा। अब तक उसकी चूत ने काफी पानी छोड़ा था और लंड को अब आसानी हो रही थी लेकिन उसकी चूत अब भी कसी कसी ही थी और मेरे लंड को पूरी तरह जकड़ कर रखा था। बीच बीच में मैं अपना एक हाथ उठा कर उसकी चूचियों को भी मसलता रहता जो प्रिया की मस्ती को और बढ़ा रहा था। “आह्ह्हह…आअह्ह्ह…ओह्ह्ह…मेरे राजा… और करो… हम्म्म्म…” प्रिया की यह मस्तानी आवाज़ मेरे हर धक्के के साथ ताल से ताल मिलाकर मुझे उकसा रहे थे।

मैंने और तेज़ी से धक्के देने के लिए अपने पैरों को एडजस्ट किया और निरंतर धक्कों की बरसात कर दी। मैं जब स्पीड बढ़ाई तो प्रिया के मुँह से एक सांस में लगातार आवाजें निकालनी शुरू हो गई…

“हाँ… हाँ… हाँ… मेरे सोनू… ऐसे ही… और तेज़ी से करो… और तेज़… उफ्फ्फ्फ़..” प्रिया मेरा नीचे दबी हुई चुदते चुदते बहकने सी लगी।

मुझे थोड़ी सी मस्ती सूझी और मैंने चुदाई को और रंगीन बनाने के लिए प्रिया को एक ही झटके में उठा लिया और उसे अपनी गोद में ऐसे बिठा लिया कि मेरा लंड अब भी उसकी चूत में ही रहा और उसके दोनों पैर मेरे कमर के दोनों तरफ हो गए। लंड रुक गया था जो प्रिया को मंज़ूर नहीं था शायद।

गोद में आते ही उसने अपनी कमर खुद ही हिलानी शुरू की और लंड को जड़ तक अपनी चूत में समाने लगी। मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया और नीचे से अपने कमर को हिलाते हुए लंड उसकी चूत में डालने लगा।

यह आसन बड़ा ही मजेदार था यारों ! एक तरफ प्रिया की चूत में लंड बिना किसी रुकावट के अन्दर बाहर हो रहा था, वही, दूसरी तरफ उसकी चूचियाँ मेरे मुँह के सामने हिल हिल कर मुझे उन्हें अपने मुँह में लेने को उकसा रही थीं।

मैंने भी देरी न करते हुए उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और चूची को चूसते हुए धक्के मारने लगा।

“उफ्फ्फ… ह्म्म्म… खा जाओ मुझे… उम्मम्म…” चूचियों को मुँह में लेते ही प्रिया ने मज़े में बोलना शुरू किया।

मैंने भी उसे थाम कर उसकी चूची को चूसते हुए जोरदार चुदाई का खेल जारी रखा। हम दोनों के माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई थीं। हम दोनों एक दूसरे को अपने अन्दर समां लेने की कोशिश करते हुए इस काम क्रीड़ा में व्यस्त थे।

तभी प्रिया ने मुझे धीरे से धक्का मारा और मुझे नीचे लिटा दिया और झट से मेरे ऊपर आ गई। मेरे अचानक से नीचे लेटने की वजह से “पक्क” की आवाज़ के साथ लंड उसकी चूत से बाहर आ गया।

“उई ईई ईईईईइ… कितना दर्द देगा ये तुम्हारा…”प्रिया के चूत से निकलते हुए लंड ने चूत की दीवारों को रगड़ दिया था जिस वजह से प्रिया के मुँह से यह निकल पड़ा लेकिन उसने आधी बात ही कही।

“कौन तुम्हें दर्द दे रहा है जान…” मैंने मस्ती भरे अंदाज़ में पूछा।

“यह तुम्हारा…”…प्रिया ने मेरे लंड को हाथों से पकड़ कर हिलाया और मेरी आँखों में देखने लगी लेकिन उसने उसका नाम नहीं लिया और शरमा कर अपनी आँखें नीचे कर लीं।

“यह कौन…उसका नाम नहीं है क्या…?” मैंने जानबूझ कर उसे छेड़ा।

“यह तुम्हारा लंड…” इतना कह कर उसने अपना सर नीचे कर लिया लेकिन लंड को वैसे ही हिलाती रही।

लंड पूरी तरह गीला था और अकड़ कर बिल्कुल लोहे के डण्डे के समान हो गया था।

मैंने थोड़ा उठ कर प्रिया को एक चुम्मी दे दी और फिर उसे अपने ऊपर खींच लिया। प्रिया ने मुझे वापस धकेला और मेरे कमर के दोनों तरफ अपने पैरों को फैला कर बैठने लगी। उसकी बेचैनी इस बात से समझ में आ रही थी कि उसने अपना हाथ नीचे ले जा कर लंड को टटोला और जैसे ही लंड उसके हाथों में आया उसके चेहरे पे एक मुस्कान आ गई और उसने लंड को पकड़ कर अपनी मुनिया के मुहाने पर रख लिया और धीरे धीरे लंड पे बैठने लगी। लंड गीलेपन की वजह से उसकी चूत में समाने लगा और लगभग आधा लंड प्रिया के वजन से चूत में घुस पड़ा।

प्रिया ने अपनी गांड उठा उठा कर लंड को उतना ही घुसाए हुए ऊपर से चुदाई चालू करी।

“ह्म्म्म…ओह्ह्ह्हह…मेरी रानी…हाँ…और अन्दर डालो…” मैंने तड़पते हुए प्रिया की झूलती हुई चूचियों को सहलाते हुए कहा।

“किसने कहा था इतना बड़ा लंड रखने के लिए…हम्म्म्म… मेरी चूत फाड़ दी है इसने और तुम्हें और अन्दर डालना है…” प्रिया अब पूरी तरह खुल चुकी थी और मज़े से लंड और चूत का नाम लेते हुए चुदवा रही थी।

“जैसा भी है अब तुम्हारा ही है जान… इसका ख्याल तो अब तुम्हें ही रखना है न..” मैंने भी प्रेम भरे शब्दों में प्रिया को जवाब दिया।

“हाँ…अब ये बस मेरा है… उम्म्मम्म…कैसे चोदे जा रहा है मुझे… उफ्फ्फफ्फ.. अगर पता होता कि चुदाई में इतना मज़ा है तो कब का तुम्हारा यह मूसल डाल लेती अपनी चूत में !” प्रिया ने ऊपर नीचे उछलते हुए कहा और मज़े से अपने होठों को चबाते हुए लंड को अपनी चूत से निगलने लगी।

“हाँ… और चुदवा लो मेरी जान… पूरा अन्दर घुसा लो …उम्म्म्म… हाँ हाँ हाँ… ऐसे ही।” मैंने भी प्रिया का जोश बढ़ाया और उसकी कमर को थाम कर अपनी कमर हिला हिला कर नीचे से लंड को उसकी चूत में धकेलने लगा।

“ओह मेरे सोनू… आज तुम्हारे लंड के साथ साथ तुम्हें भी पूरा अन्दर डाल लूँगी अपनी चूत में… हाय राम… कितना मज़ा भरा है तुम्हारे लंड में…उफ्फ्फ्फ़ !” प्रिया मेरी बातों का जवाब देते हुए और भी जोश में उछलने लगी।

मैंने उसकी कमर को पकड़ा हुआ था और उसकी उछलती हुई चूचियों का दीदार करते हुए चुदाई का भरपूर आनन्द ले रहा था। हम काफी देर से चुदाई कर रहे थे और सारी दुनिया को भूल चुके थे। हमें ये भी एहसास नहीं था कि घर में कोई भी जाग सकता था और सबसे बड़ी बात कि सिन्हा आंटी प्रिया को ढूंढते ढूंढते नीचे भी आ सकती थी। लेकिन हम इस बात से बेखबर बस अपनी अपनी प्यास बुझाने में लगे थे।

इतने देर से चुदाई करने के बावजूद कोई भी पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा था। मेरा तो मुझे पता था कि दोपहर में ही मेरा टैंक खाली हुआ था तो इस बार झड़ने में वक़्त लगेगा। लेकिन प्रिया न जाने कितनी बार झड़ चुकी थी फिर भी लंड अपनी चूत से बाहर नहीं करना चाहती थी।

आज वो पूरे जोश में थी और जी भर कर इस खेल का मज़ा लेना चाहती थी। प्रिया की जगह उसकी बड़ी बहन रिंकी में इतना ज्यादा स्टैमिना नहीं था।

खैर मैं अपनी चुदाई का खेल जारी रखते हुए उसकी मदमस्त जवानी का रस पी रहा था।

इस पोजीशन में काफी देर तक चुदाई करने के बाद मैंने प्रिया को अपने ऊपर से नीचे उतारा और उसे घुमा कर घोड़ी बना दिया। प्रिया ने झुक कर घोड़ी की तरह पोजीशन ले ली और पीछे अपनी गर्दन घुमा कर मुझे एक सेक्सी स्माइल दी और धीरे से मुझसे बोली- जल्दी डालो ना जान…जल्दी करो !

प्रिया तो मुझसे भी ज्यादा उतावली हो रही थी लंड लेने के लिए। मैंने भी अपना लंड अपने हाथों में लेकर उसके गोल और भरी पिछवाड़े पे इधर उधर फिराया और फिर उसकी गांड की दरार में ऊपर से नीचे तक घिसते हुए उसकी चूत पर सेट किया और उसकी कमर पकड़ ली। मैंने एक बार झुक कर उसकी नंगी पीठे पर किस किया और अपनी सांस रोक कर एक जोरदार झटके के साथ अपना आधा लंड उसकी चूत में पेल दिया।

मैंने सुना था कि घोड़ी की अवस्था में लड़कियों या औरतों की चूत और कस जाती है, इस बात का प्रमाण मुझे अब मिल रहा था। प्रिया की चूत तो पहले ही कसी और कुंवारी थी लेकिन इस पोजीशन में और भी कस गई थी वरना जितने जोर का झटका मैंने मारा था उतने में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस जाना चाहिए था। चूत के कसने की वजह से लंड ने जब अन्दर प्रवेश किया तो प्रिया के मुँह से एक हल्की से चीख निकल गई।

“आऐ ईईइ…अर्रम से मेरी जान…इतने जोर से डालोगे अपने इस ज़ालिम लंड को तो मेरी चूत का चिथड़ा हो जायेगा।” प्रिया ने अपनी गर्दन घुमा कर मुझे दर्द का एहसास कराते हुए कहा।

पर मैं कहाँ कुछ सुनने वाला था मैं तो अपनी धुन में मस्त था और उसकी कसी कुंवारी छुट को फाड़ डालना चाहता था। मैंने एक और जोर का झटका मारा और अपने लंड को पूरा अन्दर पेल दिया।

“आह्ह्ह… जान… प्लीज आराम से चोदो न… हम्म्म्म… मज़े देकर चोदो मेरे मालिक, यह चूत अब तुम्हारी ही है…उफफ्फ्फ्फ़…मार लो…! ” प्रिया मस्ती में भर कर अपनी गांड पीछे धकेलते हुए चुदने लगी।

“हाँ मेरी जान, अब यह चूत सिर्फ मेरी ही रहेगी… और मेरा लंड हर वक़्त इसमें समाया रहेगा…उम्म्म्म…ऊह्ह्ह्ह…दीवाना हो गया हूँ तुम्हारी चूत का… अब तो बिना इसे चोदे नींद ही नहीं आएगी… ओह्ह्ह्ह… और लो मेरी जाने मन… जी भर के चुदवाओ…” मैंने भी चोदते चोदते प्रिया को कहा और अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी लटकती चूचियों को पकड़ लिया।

मेरे ऐसा करने से मेरी पकड़ प्रिया के ऊपर और टाइट हो गई और लंड उसकी चूत में पूरी तरह से समां कर अपना काम करने लगा।

“हाँ… मेरे साजन… हाँ… चोदो मुझे… चोदो… चोदो… चोदो… उफ्फ्फ…” प्रिया अपने पूरे जोश में थी और अपनी गांड पीछे धकेल धकेल कर लंड को निगल रही थी।

प्रिया की हालत देख कर ऐसा लगने लगा था कि अब वो अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच चुकी है और अब झड़ कर निढाल हो जाएगी। मैंने भी अब अपना पानी छोड़ने का मन बनाया और उसकी चूचियों को छोड़ कर उसकी कमर को फिर से पकड़ कर भयंकर तेज़ी के साथ धक्के लगाने लगा। मेरी स्पीड किसी मशीन से कम नहीं थी।

“आआ…अया… आया…सोनू… मेरे सोनू… आज तुमने मुझे सच में जन्नत में पहुँचा दिया…आईई… और चोदो …तेज़…तेज़… तेज्ज़… और तेज़ चोदो… फाड़ डालो इस चूत को… चीथड़े कर दो इस कमीनी के… हाँ…ऐसे ही …और चोदो…मेरे चोदु सनम…चोदो…” प्रिया निरंतर अपने मुँह से सेक्सी सेक्सी देसी भाषा में बक बक करते हुए चुदाई का मज़े ले रही थी और अपनी गांड को जितना हो सके पीछे धकेल रही थी।

“हाँ मेरी जान… ये ले… और चुदा …और चुदा… फ़ड़वा ले अपनी नाज़ुक बूर को…ओह्ह्ह…और ले… और ले… तू जितना कहेगी उससे भी ज्यादा मिलेगा…ले चुदा…!” मैंने भी उसी स्पीड से चोदते हुए उसकी गांड पर अपने जांघों से थपकियाँ देते हुए चूत का नस नस ढीला कर दिया।

“हाँ आआ अन्न… मैं गई जान…मेरे चूत से कुछ निकल रहा है…हाँ…और तेज़ी से मारो…और पेलो… और पेलो… तेज़… तेज़…तेज़… चोदो… चोदो… और चोदो… आऐईईई… ओह्ह्ह्हह्ह.. माँ…मर गई…सोनूऊऊउ !” प्रिया बड़ी तेज़ी से अपनी गांड हिलती हुई झड़ गई और अपने हाथों को सीधा कर के बिस्तर पे पसर सी गई।

मैं अब भी उसे पेले जा रहा था… मैंने उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगाये और मस्ती में मेरे मुँह से भी अनेकों अजीब अजीब आवाजें निकलने लगीं। मैं भी अपनी फ़ाइनल दौर में था।

“ओह्ह्ह्ह… मेरी जान… और चुदा लो… और चुदा लो… तेरी चूत का दीवाना हूँ मैं… मेरा लंड अब कभी तुम्हारी चूत को नहीं छोड़ेगा… हाँ… और लो …और लो… मैं भी आ रहा हूँ… हम्म्म्म… ओह मेरी रानी… चुद ही गई तुम्हारी चूत…और लो…” मैं प्रिया को पूरी तरह अपने कब्जे में लेकर अपना लंड उसकी चूत में पेलता रहा और बड़बड़ाता रहा।

प्रिया लम्बी लम्बी साँसें लेकर मेरा साथ दे रही थी और अपनी गांड को धकेल कर मेरे लण्ड से चिपका दिया।

“ऊहह्ह्ह्ह… ह्म्म्म… ये लो मेरी जान…” मैं जोर से बकने लगा। मुझे यह ख्याल था कि मुझे अपना माल अन्दर नहीं गिराना है वरना मुश्किल हो जाएगी।

मैंने झट से अपना लंड बाहर निकला और अपने हाथों से तेज़ी से हिलाने लगा। प्रिया के चूत से जैसे ही लंड बाहर आया वो घूम गई और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देख कर मेरे करीब आ गई और मेरा हाथ हटा कर उसने मेरे लंड को थाम लिया और एक चुदक्कड़ खिलाड़ी की तरह मेरे लंड की मुठ मारने लगी.. साथ ही साथ एक हाथ से मेरे अण्डों को भी दबाने लगी।

मेरा रुकना अब नामुमकिन था। प्रिया ने अपनी मुट्ठी को और भी मजबूती से जकड़ लिया और लंड को स्ट्रोक पे स्ट्रोक देने लगी।

“आआअह्ह… आअह्ह्ह…आअह्ह्ह… प्रिया मेरी जान… ह्म्म्म…आअह्ह्ह्ह !” एक तेज़ आवाज़ के साथ मैंने अपने लंड से एक तेज़ धार निकली और मेरे लंड का गाढ़ा गाढ़ा सा माल प्रिया की चूचियों पर छलक गया। न जाने कितनी पिचकारियाँ मारी होंगी मैंने…मज़े में मेरी आँखें ही बंद हो गई थीं…

प्रिया अब भी लंड को हिला हिलाकर उसका एक एक बूँद निकाल रही थी और उसे अपने बदन पे फैला रही थी।

जब लंड से एक एक बूँद पानी बाहर आ गया तो मैं बिल्कुल कटे हुए पेड़ की तरह बिस्तर पे गिर पड़ा और लम्बी लम्बी साँसें लेने लगा। प्रिया भी मेरे ऊपर ही अपनी पीठ के बल लेट गई और आहें भरने लगी।

हम काफी देर तक वैसे ही पड़े रहे, फिर प्रिया धीरे से उठ कर बाथरूम में चली गई। मैं अब भी वैसे ही लेटा हुआ था।

जब प्रिया बाहर आई तो बिल्कुल नंगी थी और शायद उसने अपनी चूत को पानी से साफ़ कर लिया था। लेकिन वो मेरे पास आकर थोड़ी बेचैन सी दिखी तो मैं झट से उठ कर उसके पास गया और उसकी बेचैनी का कारण पूछने लगा।

तभी प्रिया ने शरमाते हुए बताया कि उसकी चूत पर पानी लगते ही बहुत ज़ोरों से लहर उठ रही है। उसकी चूत के अन्दर तक तेज़ लहर हो रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर ऊपर वाले बेड पे बिठा दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा।

अचानक से प्रिया की नज़र नीचे चादर पे गई जहाँ ढेर सारा खून गिरा पड़ा था। उसने चौंक कर मेरी तरफ देखा और अपना मुँह ऐसे बना लिया जैसे पता नहीं क्या हो गया हो।

मैं उसकी हालत समझ गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसकी आँखों में आँखें डाल कर उसे समझाने लगा- जान, डरो मत, यह तो हमारे प्रेम की निशानी है… ये तुम्हारे कलि से फूल और आज से मेरी बीवी बनने का सबूत है।” मैंने उसे बड़े प्यार से कहा।

प्रिया ने मेरी बातें सुनकर अपना सार मेरे कंधे पे रख दिया और उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।

“इतना प्यार करते हो मुझसे…” प्रिया ने बस इतना ही पूछा…लेकिन मैंने जवाब में बस उसके होठों को चूम लिया।

फिर मैंने अपने आलमारी से बोरोलीन की ट्यूब निकल कर उसे दी और कहा कि अपनी चूत में लगा लो, आराम आ जायेगा।

उसने मेरी तरफ देखा और अचानक से मेरे कान पकड़ कर बोला, “अच्छा जी, चूत तुम्हारी है और तुम्हारे ही लंड ने फाड़ी है…तो ये काम भी आप को ही करना होगा ना?”

मैं हंस पड़ा और बोला- हाँ जी, चूत तो मेरी ही है लेकिन उसे फाड़ा तो आपके लंड ने है…ता अपने लंड को कहो कि तुम्हारी चूत में घुस कर दवा लगा दे !”

“ना बाबा ना…अगर इसे कहा तो ये फिर से शुरू हो जाएगा।” यह कहकर प्रिया ने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर मरोड़ दिया।

इतनी देर के बाद लंड अब ढीला पड़ चुका था लेकिन जैसे ही प्रिया ने उसे छुआ कमबख्त ने अपना सर उठाना चालू कर दिया। प्रिया यह देख कर हंसने लगी और मैं भी मुस्कुराने लगा। मैंने प्रिया को वहीं बिस्तर पर लिटा दिया और फिर अपनी उँगलियों पे बोरोलीन लेकर अच्छी तरह से उसकी चूत में लगा दिया और फिर आखिर में उसकी चूत को चूम लिया।

“हम्म्म्म…उफ्फ्फ सोनू ऐसा मत करो… वरना फिर से…” इतना कह कर प्रिया ने अपनी नजर नीचे कर ली और मुस्कुराने लगी।

मैं जल्दी जल्दी बिस्तर से नीचे उतरा और अपनी निक्कर और टी-शर्ट पहन ली और प्रिया के कपड़े उसे देते हुए कहा, “जान, जल्दी से कपड़े पहन लो काफी देर हो चुकी है। तुम्हारी मॉम तुम्हें ढूंढते हुए कहीं यहाँ आ जाये।”

मेरी बात सुनकर प्रिया हंसने लगी और अपने कपड़े मेरे हाथों से लेकर पहन लिया। फिर मैंने जल्दी से नीचे पड़ा चादर उठाया और उसे बाथरूम में रख दिया। प्रिया अपनी किताबें समेट रही थी। किताबें लेकर प्रिया दरवाज़े की तरफ बढ़ी लेकिन उसकी चाल में लड़खड़ाहट साफ़ दिख रही थी। हो भी क्यूँ ना…आखिर उसकी सील टूटी थी। मैं पीछे से यह देख कर मुस्कुराने लगा और मुझे दोपहर की रिंकी वाली बात याद आ गई।

सच पूछो तो मुझे अपने आप पर थोड़ा गर्व हो रहा था। एक ही दिन में दो दो चूतों की सील तोड़ी थी मैंने…

प्रिया ने पलट कर मुझे एक स्माइल दी और मेरी तरफ चुम्मी का इशारा करके दरवाज़े से बाहर निकल गई और सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने घर में प्रवेश कर गई।

मैं दरवाज़े पे खड़ा उसे तब तक देखता रहा जब तक उसने अपन दरवाज़ा बंद नहीं कर लिया और मेरी नज़रों से ओझल न हो गई। पता नहीं क्यूँ लेकिन दो दो कसी कुंवारी चूतों की सील तोड़ने के बाद भी मुझे सिर्फ और सिर्फ प्रिया का ही ख्याल आ रहा था।

शायद मुझे सच में प्रिया अच्छी लगने लगी थी। मैं इसी ख्याल से खुश होकर अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके लाइट बंद किये बिना ही बिस्तर पे गिर कर आँखें बंद करके अभी अभी बीते पलों को याद करते करते सो गया।

कहानी का अगला और शेष हिस्सा जल्द ही लिखूंगा…

सोनू…

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