पेरिस में कामशास्त्र की क्लास-5

प्रेषक : विक्की कुमार

अब मुझे योगा की क्लास लेते हुए चौथा दिन था कि क्रिस्टीना की एक महिला दोस्त ने मुझसे पूछा- हमने हिन्दुस्तान के कामशास्त्र के बारे में बहुत सुना है, क्या तुम इसके बारे में कुछ जानते हो?

इसका जवाब मैं देता, उसके पहले ही क्रिस्टीना ने हंसते हुए बताया कि कैसे मैंने उसे दिल्ली एयरपोर्ट पर एक कामशास्त्र की किताब दी थी।

हम यह बात कर ही रहे थे कि कुछ अन्य सदस्य भी आ गये और इस मुद्दे पर अपने भी विचार रखने लगे।

फिर उन्होंने आग्रह किया- क्या आप कल योग की क्लास के बाद कुछ समय कामशास्त्र के बारे में बतला सकते हैं?

तब मैंने क्रिस्टीना की ओर देखा, तो वह बोली- ठीक है, अगर तुम चाहो तो प्रतिदिन पन्द्रह मिनट का समय तो निकाल ही सकते हो।

हम आम हिन्दुस्तानियों के मन में एक गलत धारणा है कि कामशास्त्र या कामसूत्र बहुत गंदी किताब है, जबकि आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व आचार्य वात्सायन ने इस किताब द्वारा यह बताया था कि आम आदमी को अपने को अपना जीवन कैसा गुजारना चाहिये, उसके क्या कर्तव्य होते हैं, वह अपने रोजमर्रा के काम करने बाद मौज कैसे करे, अपने शौक कैसे पूरे करे।

उसका सिर्फ एक अध्याय ही सेक्स की पोजीशन के बारे में बताता हैं। कामशास्त्र ठीक उसी प्रकार लिखी गई थी जैसे अर्थशास्त्र, योगशास्त्र या चिकित्सा शास्त्र। कई इतिहासकारों का यह भी मानना है कि आचार्य चाणक्य ने ही राजनीति से निवृतामान होने के बाद आचार्य वात्सायन के नाम से ही यह महाग्रंथ लिखा था। किन्तु आजकल उसे मस्तराम जैसे सड़कछाप लेखकों ने उसे दुबारा लिखकर बहुत ही विभीत्स तरीके से पेश किया कर दिया है कि, अब आम आदमी “कामशास्त्र” का नाम लेने से पहले आसपास चारों दिशाओं में नजर घुमा लेता है कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। ठीक उसी प्रकार जैसे हम लोग कंडोम खरीदते समय दुकानदार से बहुत धीमी आवाज में बोलते है कि, आसपास खड़ा कोई दूसरा ग्राहक सुन नहीं ले।

फिर काल के थपेड़ों में यह शास्त्र आम आदमी से दूर चला गया, ठीक उसी प्रकार जैसे वास्तुशास्त्र जैसे कई अन्य भारतीय शास्त्रों का हाल हुआ। किन्तु एक जिज्ञासु अंग्रेज सर रिचर्ड बर्टन ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद कर सारी दुनिया में पहुँचा दिया। बाद में फिर कई लेखकों ने इसे कई भाषाओं मे अनुवाद कर अपने हिसाब से लिखकर व चित्रण कर दुनिया के सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में शामिल कर लिया।

हेल्थ क्लब के बाद हमने अपना दिन भर का रुटीन पूरा किया व घर पहुँच कर मैंने कामशास्त्र की किताब पढ़ी ताकि मैं अगले दिन सुबह मैं इस विषय को अच्छी तरह समझा सकूँ।

नियत समय पर योगा क्लास के बाद मेरे सभी शिष्य बड़ी उम्मीद लगा कर बैठे थे कि आज बाबा विक्की के प्रवचन होंगे। चूंकि कामशास्त्र सात भागों में बंटी हुई है अतः मैंने यह तय किया कि मैं आज पहले दिन तो सिर्फ इस्का परिचय दूँगा, फिर आगे से प्रतिदिन एक अध्याय को समझाऊँगा।

पहले दिन मैंने कामशास्त्र के बारे में बताया कि यह किताब आज से करीब दो हजार वर्ष पुराने परिवेश में लिखी गई है अतः अब यह इतनी प्रासंगिक नहीं है, अतः मैं इसमें थोड़ा सा बदलाव लाते हुए माडर्न जमाने के हिसाब से आपसे बात करुंगा।

फिर मैंने कामशास्त्र के ऊपर अपने प्रवचन शुरु किये। अपने आप में बहुत सा उत्साह, विश्वास और क्षमता होने के बावजूद इंसान अपने इच्छित उद्देश्य को पूरा करने में असफल हो जाता है। ऐसा इसीलिए भी होता है क्योंकि मनुष्य के पास अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए सही मार्गदर्शन नहीं होता है। मनुष्य के जीवन में कामुक इच्छाएँ भी बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। इसीलिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि अनुशासित और संगठित तरीके से योजना बनाई जाए। महिला और पुरूष को शादी के बंधन में बांधने से पहले दैहिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्रशिक्षत किया जाना चाहिए। यानि शारीरिक संबंधों के बारे में शादी से पूर्व ही महिला और पुरूष दोनों को ही प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है क्योंकि यह शादी का मूल उद्देश्य भी है। ऐसे में यहीं पर कामशास्त्र यानि कामसूत्र ग्रंथ का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

प्राचीन काल से ही महिला और पुरूष के मिलन बहुत ही गंभीरता से लिया गया है। वेदों में भी सेक्स संबंधों के प्रशिक्षण की बात की गई है। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन गुरूकुल में बकायदा इन विषयों पर भी प्रशिक्षण दिया जाता था। लेकिन उस दौरान इस बात का खास ख्याल रखा जाता था कि ट्रेनिंग तभी दी जाए जब शिष्य अन्य विषयों का जानकार हो चुका होता था और गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने वाला होता था। वेदों और अन्य ग्रंथों में इस बात पर भी खासा जोर दिया गया है कि खुद को कैसे नियंत्रित और अनुशासित किया जाए। इसके बाद ही अंतिम शिक्षा के रूप में कामशास्त्र का प्रशिक्षण दिया जाता था।

जब मैंने उपस्थित सभी से पूछा- क्या आप अपनी सेक्स लाईफ से नाखुश हैं? क्या आप अपनी सेक्स लाइफ में सुधार लाना चाहते हैं? तो आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने उन्मुक्त समाज में रहने के बाद भी उनमें से अधिकांश अपनी सेक्स लाईफ से खुश नहीं थे। तो फिर मैंने उन्हें सलाह दी कि अगर सचमुच ऐसा है तो मेरे द्वारा दी जा रही इन सलाहों को अपनाकर ना सिर्फ अपनी सेक्स लाइफ को रिचार्ज कर सकते हैं बल्कि संभोग के अंतिम चरण तक भी पहुँच सकते हैं।

मैंने कहा- सबसे पहले आप एकदम सहज रहें। माना कि नित नये प्रयोग अच्छे होते है लेकिन जब आप शारीरिक रूप से असहज महसूस करें तो किसी सेक्स के नये आसन की कोशिश नहीं करें। हो सकता है आपके अहसज होने के कारण और नये आसनों को करने की असफल कोशिश के कारण आप संभोग का मजा नहीं कर पाते हो। संभोग के दौरान कुछ भी नया करने की तभी कोशिश करें जब दोनों साथी अपने आपको सहज महसूस कर रहे हों। यदि आप अपने साथी की सहमति या फिर उसके सहज हुए बिना नया प्रयोग करते हैं तो आप अपनी सेक्स लाइफ को खत्म कर सकते हैं।

फिर मैंने बताया कि फंतासियों का प्रयोग करें। अगर आप वाकई सेक्स का भरपूर आनन्द लेना चाहते हैं तो आप अपनी फंतासियों को सेक्स के दौरान प्रयोग करें। यानि आप अपने साथी को उत्तेजित करने के लिए उन तरीकों को अपनाएं जिनके बारे में आप अकसर सोचा करते हैं। आसपास की दुनिया को भूल जाएं। सेक्स के दौरान आप बाहरी दुनिया को भूलकर पूरी तरह से अपने साथी और सेक्स पर ध्यान दें। आप भूल जाएं कि आपका मोबाइल बज रहा है, टाइम क्या हो गया है या फिर कोई मैसेज आ रहा है।

आप सिर्फ अपने साथी पर फोकस करेंगे तो निश्चित तौर पर आप सेक्स का भरपूर आनन्द ले पाएंगे और अपने साथी को बेहतर ढंग से क्लाइमेक्स तक ले जाएंगे। अगर आप सचमुच सेक्स के क्लाइमेक्स को एन्जॉय करना चाहते हैं तो आप पोर्न डीवीडी, मैग्जीन और अन्य पोर्न सामग्री अपने साथी के साथ देख सकते हैं। इससे आप तो एक्साइट होंगे ही साथ ही आपके साथी को भी उत्तेजित होने का भरपूर मौका मिलेगा। आमतौर पर लोग पोर्न सामग्री को बुरा या फिर सेक्स के लिए हानिकारक समझते हैं जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है।

सेक्स के लिये फोर प्ले बहुत जरुरी है। ऐसा नहीं है कि अपना मूड बना तो पैंट खोली व अपनी साथी की स्कर्ट ऊपर की ओर उसकी चूत में सीधे अपना लंड घुसेड़ दो-चार झटके देकर कर अपने लंड का पानी छोड़ दिया। इससे तो अच्छा है कि आप मुठ मारकर ही संतुष्ट हो जाएँ। सेक्स का मजा जब तक नहीं आयेगा जब तक दोनों साथी गर्म नहीं हो जाते हैं। इसके लिये सबसे पहले फोरप्ले करें। इसके कई तरीके हैं। आप उसके नाजुक अंगों को सहलाएँ ताकि आपका साथी उत्तेजित हो उठे उसके हाव भाव से अपने आप समझ आ जायेगा कि अब लिंग को योनि में डालने का समय आ गया है। अब लिंग को योनि में प्रविष्ट कराने के बाद जल्दबाजी नहीं करें। अपने लिंग को हिलाये डुलाये बिना फोरप्ले कुछ समय तक जारी रखें। उसके बाद फिर घर्षण शुरु करें। जब आपको लगने लगे कि वीर्य स्खलित हो सकता है, तो फिर कुछ देर घर्षण रोक देवें, फिर अपना ध्यान कहीं ओर लगा कर फोरप्ले शुरु कर देवें ताकि खेल का मजा लम्बा आता रहे।

यह भी ध्यान रहे कि वीर्य स्खलन के बाद अपना लंड निकाल कर दूसरी तरफ मुँह निकाल कर ना लेट जायें। जिस तरह आप अपनी साथी को ऊँचाई तक ले गये थे, उसी प्रकार आप उसे धीरे धीरे नीचे लाकर ठंडा करने की जवाबदेही भी आपकी है।ताकि संतुष्टिपूर्वक समागम हो सके।

यदि आप शाम के समय थके मांदे घर लौटते हैं, तो फिर हो सकता है कि आप में सेक्स करने का दम ही नहीं बचे तो उसके लिये छुट्टी का दिन या फिर अल सुबह का समय उत्तम रहता है ताकि रात भर की नींद निकालकर तरोताजा होकर मजे ले सकें। यदि आपका वीर्य जल्दी स्खलित हो जाता है, तो आप स्खलन से ठीक पहले घर्षण को रोककर अपना ध्यान कहीं ओर लगा सकते हैं। इसके लिये आप लिंग को योनि में रखे रखे ही टेलीविजन देख सकते हैं या फिर कोई किताब भी पढ़ सकते हैं, या फिर अपनी साथी के शरीर को टटोल सकते हैं। इस प्रकार आपका मन जो लंड को संकेत दे रहा था कि अब वीर्य स्खलन कर दो। वह भटक कर उस संकेत को देना बंद कर देगा। फिर कुछ देर रुककर आप अपने पुराने काम यानि चुदाई में दुबारा लगकर भरपूर आनन्द लें। फिर जैसे ही आपको लगने लगे कि अब वीर्य स्खलन होने वाला है तो फिर रुक जायें। इस प्रक्रिया को आप चाहे जितनी देर तक अपना कर लम्बे समय तक चुदाई का आनन्द ले सकते हैं।

सम्भोग करते समय आप अपने साथी से सेक्सी बातचीत करें भी करते रहे, यानी आप अपने साथी के साथ क्या कर रहे हैं या फिर आपका साथी आपके साथ क्या एक्ट कर रहा है आप उस बारे में बातें करें। इससे आपको अपने साथी को उत्तेजित करने में आसानी होगी। अंतिम चरण के बारे में ना सोचें। अकसर लोग इस सोच में पड़ जाते हैं कि क्या वे अपने साथी को परम आनन्द तक ले जा पाएंगे।इससे आप थोड़ा तनाव में भी आ सकते हैं। यदि आप सेक्स के मजे लूटना चाहते हैं तो आप सेक्स के अंतिम परिणाम के बारे में ना सोचें। सेक्स का क्लाइमेक्स क्या होगा इसके बारे में पहले से ही कुछ भी सुनिश्चित ना करें।

यह तो था पहले दिन का प्रवचन।

फिर आगामी दिनों में कामशास्त्र के ऋषि वात्सायन द्वारा लिखित कामशास्त्र के सभी सातों अध्यायों को। यह संस्कृत में लिखा गया था। पर मैंने इसे अंग्रेजी में समझाने की कोशिश की, वहीं क्रिस्टीना उसे फ्रेंच में अनुवाद कर देती, ताकि सबको समझ में आ जाये। मैंने शिष्यों की रुचि बरकरार रखने के लिये मुझे कामाशस्त्र के दूसरे अध्याय को सबसे अंत में समझाना उचित लगा, क्योंकि इसी अध्याय में हैं संभोग के विभिन्न आसन।

अगले दिन पहले अध्याय “साधारणम” (भूमिका) के बारे में बताया। इस पहले अध्याय के भी पांच भाग हैं।

इसके अगले दिन नम्बर आया, तीसरे अध्याय ” कन्यासंप्रयुक्तकं” (About the Acquisition of a Wife) का, जिसके भी कुल पांच भाग हैं।

फिर चौथा अध्याय, “भार्याधिकारिकं” (About a Wife) में मात्र दो ही भाग हैं।

पांचवे अध्याय “पारदारिकं” (About the Wives of Other People) में छह भाग हैं।

इसी प्रकार छठेः अध्याय “वैशिकं” (About Courtesans) में कुल छः अध्याय हैं।

अब अंतिम सातवें अध्याय “औपनिषदिकं” (On The Means of Attracting Others to One’s Self) में हैं मात्र दो भाग।

फिर सबसे अंत में मैंने कामशास्त्र के दूसरे अध्याय “सांप्रयोगिकं नाम द्वितीयम् अधिकरणम्” (On Sexual Union) जिसमें संभोग के आसनों के बारे में बताया गया है, को समझाना शुरु किया। इसके भी कुल दस भाग हैं।

पहला भाग “प्रमाणकालभावेभ्यो रतअवस्थापनम्” (Kinds of Union According to Dimensions, Force of Desire, and Time; and on the Different Kinds of Love),

दूसरा भाग “आलिङ्गनविचारा” (Of the Embrace),

तीसरा भाग “चुम्बनविकल्पास्” (On Kissing),

चौथा भाग “नखरदनजातयः” (On Pressing or Marking with the Nails),

पांचवाँ भाग “दशनच्छेद्यविहयो” (On Biting, and the Ways of Love to be Employed with Regard to Women of Different Countries),

छठा भाग “संवेशनप्रकाराश्चित्ररतानि” (On the Various Ways of Lying Down, and the Different Kinds of Congress),

सातवां भाग “प्रहणनप्रयोगास् तद्युक्ताश् च सीत्कृतक्रमाः” (On the Various Ways of Striking, and of The Sounds Appropriate to Them),

आठवां भाग “पुरुषोपसृप्तानि पुरुषायितं” (About Females Acting the Part of Males),

नवां भाग “औपरिष्टकं नवमो” (On Holding the Lingam in the Mouth),

व अंतिम भाग “रतअरम्भअवसानिकं रतविशेषाः प्रणयकलहश् च” (How to Begin and How to End the Congress। Different Kinds of Congress, and Love Quarrels) है।

इस अध्याय का मेरे सभी शिष्यों को इन्तजार था। जब मैंने इस विषय पर बोलना शुरु किया तो बीच में एक महिला ने बेबाक होकर कहा- गुरुजी यह तो प्रेक्टीकल का विषय है, इसमें थ्योरी पढ़ाने से कैसे काम चलेगा।

मैं अवाक रह गया, पर उसकी बात तो सही थी, । तभी क्रिस्टीना मेरी तरफ से बोली- आप लोग क्या चाहते हो?

तो सभी ने एक समवेत स्वर में कहा- प्रेक्टीकल।

फिर उन सबने पांच मिनट तक फ्रेंच में बातचीत की व फिर मुझसे कहा- हम सबकी यह इच्छा है कि इस विषय पर आप हम प्रेक्टीकल ट्रेनिंग दें, ठीक वैसे ही जैसे की आप हमें योगा की दे रहे हैं।

उन्होने तीन दिन के लिये उन्हीं में से एक व्यक्ति जिसका मकान काफी बड़ा था, उसी के यहाँ हाल मे शाम को आठ से अगले तीन दिनों तक के लिये जगह की व्यवस्था कर ली।

यह मेरे लिये अनोखा अनुभव था। मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि यह सब कैसे होगा। कुल मिलाकर छह जोड़े शाम को आने के लिये तैयार हुए, व सातवां जोड़ा हमारा था। पर मैं इस मुद्दे पर घबराया हुआ था, कारण इस बारे में मानसिक रूप से तैयार नहीं था। यह तक तो ठीक है कि मैंने अपने जिंदगी में कुल जमा चार चूतें मार रखी हैं, पर उससे क्या, मैं तीसमारखां तो नहीं हो गया। मैं किसी लड़की के सामने तो नंगा होकर जा सकता हूँ, पर किसी पुरुष व वह भी झुंड के सामने तो नंगा होना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था।

मैंने उनसे पूछा- तुम प्रेक्टीकल कैसे चाहते हो? क्या कोई एक जोड़ा डेमो देगा, व बाकी सब देखेंगे। या फिर सभी जोड़े सामूहिक रूप से आसन करेंगे।

विचार विमर्श के बाद यह तय रहा कि उनमें से कोई भी एक जोड़ा डेमो देगा। क्रिस्टीना व मैं उस जोड़े की विभिन्न आसन बनाने में मदद करेंगे।

शाम को ठीक आठ बजे हम सभी सातों जोड़े निर्धारित जगह पर पहुँच गये।

हमारा मेजबान पति पत्नी हम सभी के स्वागत में तैयार खड़े थे। मकान की दूसरी मंजिल पर एक हाल में सभी के लिये उचित व्यवस्था कर रखी थी। माहौल उत्तेजक था। हाल में जमीन पर में दो लाईनों में से प्रत्येक में तीन-तीन बिस्तर कुल जमा छः, सामने की तरफ डेमो के लिये एक पलंग व एक टेबल रखी थी, ताकि जमीन पर लेटे हुए व्यक्ति को भी समझ ऊँचाई पर लगे पलंग को देखकर आसानी से दिख व समझ में आ जाये कि क्या हो रहा है।

इन्तजाम को देखकर समझ में आ गया था कि ये सब के सब पक्के चोदू हैं व कामाशस्त्र सीखे बिना मानेंगे नहीं।

यह देख मैंने क्रिस्टीना से पूछा- कैसे शुरु करें?

तो उसने एक जोड़े को आगे बुलाया व मुझसे कहा- तुम बोलना शुरु करो। तुम जो भी स्टेप्स बताओगे, उसी के अनुसार ये आसन लगाकर सबको डेमो देंगे।

मुझे परेशान देखकर मुझे कहा- तुम चिन्ता मत करो, मैं सब सम्हाल लूंगी।

अब मैंने सबसे पहला बताया कि आप अपने साथी को कैसे उत्तेजित करें। महिलाओं के किस अंग पर हाथ या जीभ फेरने से वह उत्तेजित होती है, व पुरुषों के किस अंग को छूने पर उनका लंड खड़ा हो जाता है।

मैं जो भी बतलाता उसे वह जोड़ा एक्टिंग कर सबको बतलाता। जो महिला डेमो दे रही थी, वह भी क्रिस्टीना के टक्कर की थी। एक बार तो मेरा मन उस पर आ ही गया था कि रोज रोज रबड़ी मलाई खाने से बदहजमी हो जाने से बचने के लिये कभी मुँह का स्वाद बदल भी लेना चाहिये, पर क्रिस्टीना मुझे पहले ही कह चुकी थी कि यहाँ पेरिस में ना तो तुम किसी लड़की को फंसाने की कोशिश करना। यदि कोई लड़की तुम्हें फंसाने की कोशिश करे तो भी सावधान रहना, क्योंकि मैं थोड़ी जल्लु किस्म की लड़की हूँ।

अरे भाई मुझे भी किस पागल कुत्ते ने काटा, जो मैं अपने हाथों मे पकड़े हुए क्रिस्टीना के दो शानदार स्तनों को छोड़कर उन अनजाने स्तनों की ओर दौड़ लगाऊँ, जिनके मुझे पता नहीं कि वे मेरे हाथ में आयेंगे या नहीं।

अब मैंने कामशास्त्र के आसनों के बारे में बताना शुरु किया। तीन दिनों तक शाम को चली इस क्लास में मेरे सभी शिष्यों ने भरपूर मजे लेकर सीखा। पर सिर्फ मैं व क्रिस्टीना ने ही सबके सामने कपड़े नहीं खोले। बाकी सभी ने आसन करने की कोशिश की।

मेरे ख्याल से काम शास्त्र की इस प्रेक्टीकल क्लास के बारे में भविष्य में फिर कभी बात करेंगे। आज की मुलाकात बस इतनी, कल कर लेना बाकी बातें चाहे जितनी।

बस अब एक अंतिम बात, मुझसे आपसे में से अधिकांश साथी ई-मेल भेजकर पूछते हैं कि यह सच्ची घटना है या कहानी।

मित्रो, मैं एक बार फिर दोहरा दूँ कि यह घटना अक्षरशः सत्य है। इसका एक भी शब्द गलत नहीं है। क्योंकि इस तरह की घटनाएं तो आप में से भी कई लोगों के साथ हुई होगी, बस फर्क इतना होता है कि शहरों के नाम पेरिस के बजाय पटियाला व इस्तान्बुल की जगह इसहाकपुर हो सकता है। व ये घटनाएँ हवाई जहाज के बजाय ट्रेन में होती रहती होंगी।

दोस्तो, लंड और चूत आपस में मिलने के लिये शहर के नाम नहीं वरन एकांत तलाशते हैं। वे तो छोटे से गांव के गन्नों के खेतों में भी उसी प्रकार एक दूसरे से मिल लेते हैं, जैसे कि महानगरों में रहने वाले किसी क्लब में अपने चुदाई के पार्टनर को खोज निकालते हैं।

प्रिय मित्रों व सहेलियों, अगर आपको मेरी आपबीती पसंद आई हो व मेरे मित्र बनना चाहते हों तो कृपया बेहिचक आगे बढ़ें, मेल करें व मुझसे फेसबुक अकाऊँट पर भी मिलें। मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी होगी। आपके द्वारा की गई तारीफ का एक भी शब्द मेरा खून व वीर्य दोनों को बढ़ाने में सहायक होगा।

“दास्तान ए क्रिस्टीना” के आगे के किस्से के साथ ही आपसे फिर मिलने के वादे साथ। आपके पत्र के इन्तजार में आपका प्रिय मित्र।

विक्की कुमार