भाई की साली की चूत चुदाई -2

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रात करीब 8:30 बजे होंगे, वो पलंग पर बैठ कर टीवी देख रही थी और रजाई से ढकी थी, उसके आगे बच्चे बैठे हुए थे, मैं भी जाकर उसकी बगल में बैठ गया और अपने को भी ढक लिया रजाई से। उसने वही पहना हुआ था और मैंने निक्कर और टी-शर्ट पहना हुआ था।

कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया। उसने हटा दिया और इशारे से कहा कि कोई देख लेगा, पर मैंने फिर हाथ रख दिया, इस बार उसने नहीं हटाया। फिर मैंने अपना मोबाइल निकाल कर उसमें कम आवाज करके ब्लू फिल्म चला दी, अब उसका ध्यान टीवी से हट कर मेरे फोन पर आ गया था। मैंने फिर उससे पूछा- शादी से पहले भी किसी से किया है क्या? उसने धीरे से कहा- किसी को बताओगे तो नहीं न? मैंने कहा- नहीं बताऊँगा, बता दो। उसने कहा- हाँ, एक लड़के के साथ किया है 2 बार, उसके बाद सिर्फ पति के साथ ही !

इस बीच मैंने उसका हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया और अपना हाथ उसकी चूत पर ले आया। हमें यह सब करता कोई देख नहीं पा रहा था। अब फिल्म में ये दृश्य चल रहा था कि लड़की की चूत लड़का चाट रहा था। उसने मेरे से पूछा- इसमें मजा आता है क्या? मैंने कहा- हाँ, बहुत मजा आता है, तुम अपने बाल साफ़ कर लेना, फिर यह मजा दूंगा। उसने कहा- कैसे साफ़ करुँगी? मैंने कहा- वो भी मैं कर दूंगा, तुम फिकर मत करो।

अब लड़की लड़के का लंड चूस रही थी। वो इस सीन को अच्छे से देख रही थी, मैंने उससे कहा- इसमें भी मजा आता है ! करोगी ऐसे? उसने कुछ नहीं बोला और उसमें चुदाई चालू हो गई। हमारी नहीं मोबाइल में चल रही फिल्म में।

और उसने कस के मेरा लंड पकड़ लिया। बच्चे अब खाना खाने के लिए चले गए कमरे में सिफ मैं और वो थे। मैंने अपना लंड निक्कर से बाहर निकाल लिया। मैंने उसका सर दबा कर कहा- थोड़ा सा चूस लो और मजा लेकर देखो ! और मुझे भी मजा दो। पहले तो उसने मुँह बनाया और मना किया, तब मैंने उसकी चूत को मसलते हुए कहा तो कहा- अच्छा करती हूँ।

पानी की बूंदे तो निकल ही रही थी, जैसे ही मुँह लगाया, उसे नमकीन लगा, कहने लगी- नमकीन सा स्वाद आ रहा है। मैंने कहा- अच्छा लगा ना? और करो !

फिर वो अच्छे से कभी चाटती तो कभी टोपा चूसती, पूरा अंदर तक नहीं ले पा रही थी फिर भी मजा आ गया था। मैं उसकी चूचियाँ दबाने में लगा हुआ था, तभी किसी की आवाज आई फिर और वो जाने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- आज सबके सोने के बाद ऊपर आ जाना ! उसने कहा- ठीक है, देखूँगी। रात हो गई 2 बज गए, वो सीढ़ियों के रास्ते आते नहीं दिखाई दी, लंड भी बुरी तरह से खड़ा हुआ था, सूसू लगी तो मैं करने गया, तभी देखा कि वो भी सूसू करके बाहर खड़ी थी।

मैं देखते ही उसे पकड़ कर बाथरूम के अंदर ही ले गया, दरवाजा लगा कर उसके होंठों पर होंठ रख दिए और चूचियाँ कस के दबाई कि वो कसमसा कर रह गई। और फिर हाथ पीछे ले जाकर उसके गांड की गोलाइयों को भी अच्छे से मसल रहा था, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसने कहा- कोई देख लेगा, चलो ऊपर चलते हैं।

तो मैं पहले ऊपर चला गया और फिर थोड़ी देर बाद वो भी ऊपर आ गई, आते ही उसे मैंने दीवार के सहारे उल्टा खड़ा कर दिया अपना लंड उसकी गांड की दरार में लगा कर हाथों को आगे ले जाकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और वो सिसकारियाँ लेने लगी- आ आह ह्ह्ह आराम से करो ! वो हाथ पीछे ले गई और मेरा लंड पकड़ लिया। फिर मैंने उसे सीधा किया और होंठों पर होंठ रख दिए। रात को टाइम था, कोई ऊपर था नहीं, हल्की ठण्ड थी, कोई देख नहीं सकता था, दीवार भी इतनी ऊँची थी।

मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसके हाथ मेरे चूतड़ों पर थे जो मुझे अपनी चूत की ओर धकेल रही थी।

मैंने उसकी पजामी नीचे कर दी और नंगी हुई गांड को रगड़ने लगा। फिर मैंने उसको अलग किया और अपनी निक्कर और अंडरवियर नीचे कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मेरा लंड उसके सामने आ गया, जिसे उसने देखते ही हाथों में ले लिया, दबाने लगी और आगे पीछे करने लगी। मैंने उसे चूसने को कहा तो वो घुटनों के सहारे बैठ गई और टोपे से चूसना शुरू करते हुए आधा लंड चूसने लगी। मैं उसका सर पकड़ के लंड और अंदर घुसाने लगा।

थोड़ा ही और घुसा था कि उससे किया नहीं गया, उसने लंड बाहर निकाल दिया और गहरी सांस लेने लगी। फिर मैंने उसे खड़ा किया और दीवार के सहारे हाथ रख के खड़े होने को बोला, वो वैसे ही खड़ी हो गई।

फिर मैंने अपना लंड सहलाया और गांड के छेद और चूत पर लंड को रगड़ने लगा, कुछ देर ही किया था कि उससे रहा नहीं गया और कहने लगी- अब कर दो, अब रहा नहीं जा रहा।

वो दोनों हाथ दीवार के सहारे टिका के खड़ी हो गई, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धक्का दिया, शादीशुदा थी तो चुदी तो पड़ी थी पहले से ही, इसलिए आराम से चला गया पर चार इंच तक जाकर एक और धक्का देना पड़ा तो पूरा लंड उसकी चूत में गया।

फिर मैं उसकी कमर पकड़ के धक्के देने लगा। 10 मिनट में उसका पानी झर गया। मैं उसे चोदता रहा, फिर मैंने अपना लंड निकाल कर उसे सीधा किया और उसकी एक टांग उठा कर जांघों को हाथ से पकड़ लिया और अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। कुछ देर धक्के लगाता रहा और उसे दर्द होने लगा, वो कहने लगी- निकाल लो अब, मुझे दर्द हो रहा है। पर मैंने नहीं सुना और उसे चोदने में लगा रहा। फिर 5 मिनट बाद उसकी चूत में ही पानी उगल दिया मेरे लंड ने।

फिर मैंने अपना लंड निकाल लिया, उसके बाद दोनों के कपड़े ठीक किये, मैंने उसे पकड़ के जोरदार किस दी और फिर पहले उसे भेज दिया, नीचे उतर के उसने मुझे आने का इशारा किया कि कोई नहीं है आ जाओ, और मैं भी नीचे आ गया और फिर रात भर चैन की नींद सोया।

सोनी यहाँ एग्जाम देने आई थी, उसे देहली में एग्जाम देना था, सो घरवालों ने मुझे उसके साथ भेजा।

दो दिन बाद हम यहाँ से देहली निकल गए। एग्जाम काफी थे इसलिए बार बार आने से अच्छा वहीं कुछ दिन रुकने की योजना बनी। उसने यहाँ कुछ देखा नहीं था इसलिए घरवालों ने मुझे उसके साथ भेजा।

हमने एक ही होटल में एक ही कमरा बुक किया। अगले दिन पेपर था इसलिए कुछ नहीं किया। मैं ठीक टाइम पर उसे छोड़ आया और पेपर ख़त्म होने पर ले आया।

अगले पेपर में 3 दिन का टाइम था। सो मस्ती करने का टाइम मिल गया हमें। मैं शेविंग किट लाया और सबसे पहले उसकी चूत के आसपास के बाल साफ़ करने थे। मान नहीं रही थी पर फिर भी जोर देने पर सलवार उतार ही दी और फिर बाथरूम में जाकर बैठ गई। मैंने उसे टाँगे खोलने को कहा, धीरे धीरे शरमाते हुए उसने टाँगे खोल ही दी।

मैंने बड़े बड़े बाल तो कैंची से काट दिए, फिर चूत पर थोड़ा सा फोम का झाग लगा कर रेजर से बाल हटाना शुरू किया, धीरे धीरे बाल साफ़ होते गए और उसकी चूत साफ़ होती गई, मेरा लंड खड़ा होता गया। कुछ देर एकदम नई चिकनी चूत बन गई, बस चूत के ऊपर एक हलकी लाइन जैसी छोड़ दी वैसी मुझे अच्छी लगती है।

उसके बाद हम साथ में नहाये, मैंने उसे अच्छे से सहला सहला के नहाया उसमें वो गर्म हो गई थी, उसने भी मेरे लंड पर साबुन लगा लगा के सख्त बना दिया। फिर नहा कर वैसे ही नंगे बाहर आये और मैंने उसे शीशे में उसकी नई नवेली चूत दिखाई, वो भी एक बार देख कर शर्मा गई और बोली- आज से पहले मैंने ऐसे कभी नहीं देखा था अपने को ! फिर मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और हाथों से उसकी चूचियाँ दबाने लगा, वो मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी।

मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसकी चूत पर होंठ रख दिए। उसके मजे की कोई सीमा न रही और वो अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी। मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और जीभ से उसकी चूत चोदने लगा।

10 मिनट उसकी चूत जीभ से चोदने पर उसने पानी छोड़ दिया। मैं उसके बगल में जाकर लेट गया और चूचियाँ दबाने लगा और एक को मुँह में लेकर चूसने लगा।

एक एक करके मैं उसकी चूचियाँ चूसता रहा वो फिर से गर्म हो गई, फिर हम 69 स्टाइल में आये एक दूसरे को चूसते रहे। फिर मैंने उसे डोग्गी स्टाइल में बैठा दिया, चूत गीली थी ही इसलिए आराम से अंदर चला गया। फिर क्या था धक्के पर धक्का और 10 मिनट में उसने फिर पानी छोड़ दिया और मैंने भी स्पीड तेज कर दी तो 5 मिनट बाद मेरा भी पानी उसकी चूत में चला गया। फिर हम आराम से लेट गए। कुछ देर बाद मैंने कहा- एक बार पीछे से डालने दो। उसने मना किया- नहीं, बहुत दर्द होता है ! मेरी सहेली कह रही थी उसकी जान निकल गई थी, मैं नहीं करवा रही !

जैसे तैसे करके मैंने उससे हाँ बुलवा ही दी, फिर मैंने पहले कपड़े से सब साफ़ किया, थोड़ा तेल लेकर उसकी गांड पर लगाया और अपने लंड पर भी लगाया। जैसे ही अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखा वो आगे चली गई और फिर से मना करने लगी। मैंने फिर से उसे मना लिया, मान नहीं रही थी। इस बार मैंने उसे लिटा दिया और उसके छेद पर लंड रख के उसके हाथों को कस के पकड़ लिया और एक जोर से धक्का दिया और आधा लंड उसकी गांड में चला गया।

उसकी एक तेज चीख निकल गई, शायद जो भी कमरे के बाहर से जा रहा होगा उसने सुन लिया होगा।

मैंने उसके होंठों पर हाथ रख के एक और धक्का दिया, थोडा और रह गया, उसने अपने हाथ मेरे से छुड़ा लिए थे और मेरे पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा रही थी। कुछ देर बाद मैंने आखिरी धक्का भी दे दिया और पूरा लंड उसकी गांड में डाल दिया, फिर थोड़ा रुक कर धक्के लगाने लगा।

कुछ देर में उसको भी मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी, फिर 10 मिनट उसकी गांड चोदने के बाद उसने कहा- अब दर्द सहन नहीं हो रहा है, निकाल लो।

मैंने भी गांड से निकाल के उसकी चूत में डाल दिया और 10 मिनट चूत में धक्के लगा के उसके ऊपर सारा माल गिरा दिया, फिर हम दोनों सो गए। रात में नींद खुली तो एक बार और उसकी चूत मारी।

हम वहाँ दो हफ्ते रहे और इन दो हफ्तों में मैंने उसे सब तरह से चोद दिया था, सुबह उठ कर उससे अपना लंड चुसवाता था और रात को सोने से पहले उसे चोदता था। फिर अपने शहर वापस आकर वो अपने गाँव अपने पति के पास चली गई। तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी यह कहानी, मेल करके जरूर बताइए।

हम अगर आपसे मिल नहीं पाते, ऐसा नहीं है की आप हमें याद नहीं आते, माना जहा के सब रिश्ते निभाए नहीं जाते, लेकिन जो दिल में बस जाते है वो भुलाये नहीं जाते !

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