होटल राजदूत की मोना-1

प्रेषिका : मोना सिंगल

मित्रो, यह मेरी आप बीती है ! यह मेरी कौमार्यभंग यानि सील टूटने की कहानी है जो मैं अपने होटल के एक ग्राहक के माध्यम से उसी के शब्दों में आपके पास पहुँचा रही हूँ !

कहानी कुछ इस तरह है:

मेरा नाम रवि है और वर्ष 2009 में जब मैं 24 वर्ष का था तब एक बड़ी कम्पनी में काम करता था। उन दिनों ऑफिस के काम से हर माह मुझे पेमेंट लेने के लिए चंदरपुर में तीन या चार दिन की यात्रा करनी पड़ती थी। चंदरपुर में मैं हमेशा होटल राजदूत में ही ठहरता था।

जब मैं पांचवी बार चंदरपुर गया और उसी होटल राजदूत में कमरे के लिए गया तो पाया कि वहाँ के सब कमरे भरे हुए थे, सिर्फ दो डबल बेड के कमरे खाली थे, जिनका किराया बहुत ज्यादा था और मुझे ऑफिस से इतनी प्रतिपूर्ति नहीं होनी थी इसलिए मैं वहाँ से दूसरा होटल ढूँढने को जाने लगा, तभी उस होटल के प्रबंधक ने मुझे एक नियमित ग्राहक होने के कारण उन दो कमरों में से एक कमरा सिंगल बेड के किराये में देने का प्रस्ताव रखा तो मैं मान गया।

प्रबंधक ने कहा कि होटल में जब भी कोई सिंगल बेड का कमरा खाली होगा तो वह मुझे उसमें शिफ्ट कर देगा। यह कह कर प्रबंधक ने मेरा सामान 201 नम्बर कमरे में रखवा दिया। मैं काम के सिलसिले उसी समय मार्किट चला गया और उस दिन का कार्य करने के बाद शाम को होटल लौट आया।

होटल के रिसेप्शन से मैं चाबी लेकर कमरे को खोल कर अपना बैग साइड टेबल पर रखा और बाथरूम में पेशाब करने गया। मैंने अभी पेशाब करना शुरू ही किया था कि मुझे महसूस हुआ कि बाथरूम में कोई और भी था !

मैंने पलट कर देखा तो पाया कि एक 19-20 वर्ष की लड़की नहाने वाले टब में बैठी हुई थी और मुझे देखते ही वह सिमट कर अपने बदन को परदे के पीछे छुपाने की कोशिश कर रही थी।

मैं पहले तो कुछ घबराया और सोचने लगा कि कहीं मैं किसी गलत कमरे में तो नहीं पहुँच गया था, लेकिन फिर सोचा कि मैं तो उसी 201 नंबर कमरे में था जिसकी चाबी मुझे दी गई थी और हो न हो वह लड़की ही गलत कमरे में थी।

उस लड़की से निपटने से पहले मैंने पेशाब किया और फिर मुड़ कर उस लड़की के सामने खड़ा हो कर पूछा कि वह कौन थी !

मेरे प्रश्न के जवाब में उस लड़की ने उसी तरह टब में बैठे हुए ही बताया कि उसका नाम मोना है और वह उस होटल में रूम निरीक्षक का कार्य करती थी और अपना काम समाप्त करके इस खाली कमरे में स्नान करने आई थी और उसे कदापि मालूम नहीं था कि यह कमरा किराये पर ग्राहक को दिया हुआ था !

मैं वहीं खड़ा कुछ देर मोना के गोरे जिस्म को निहारता रहा, उसके आधे मम्मे टब के पानी में थे और आधे पानी से बाहर थे, उसकी काले चुचूक पानी के अंदर से भी साफ़ दिखाई दे रहे थे और गोरी सुडौल जांघें तथा टांगों की झलक टब के हिलते पानी में भी चमक रही थी !

मेरे मन में मोना का पूरा बदन देखने की लालसा जाग उठी और उस लालसा को पूरा करने के लिए मैंने उसे डांटते हुए उसकी शिकायत उसके प्रबंधक से करने की धमकी दी।

मोना घबरा गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी, उसने कहा कि वह आगे से ऐसा कभी नहीं करेगी। उसने कहा कि वह होटल के स्टाफ को विशिष्ट निर्देश भी दे देगी कि मैं जब तक उस होटल में रहूँगा तब तक मुझे कोई भी असुविधा नहीं हो।

मेरे आनाकानी करने पर वह यकायक नग्न हालात में ही टब से बाहर आ कर मेरे पैर पकड़ कर माफ़ी मांगने लगी और उसने बताया कि अगर मैं शिकायत करूँगा तो उसकी नौकरी चली जायेगी !

मैंने उसके कन्धों को पकड़ कर उसे उठाया तो वह शर्माती हुई नग्न ही मेरे सामने खड़ी हो गई। मैंने उसे तौलिया दिया और उसका हाथ पकड़ कर कमरे में लाकर बेड पर बिठाया। तौलिया थोड़ा छोटा था इसलिए अगर नीचे का बदन ढकती थी तो ऊपर का हिस्सा नंगा हो जाता था और ऊपर के हिस्से को ढकती तो नीचे से नंगी हो जाती थी !

मैं उसकी इस दुविधा को दूर करने के लिए मुस्कराते हुए उसे उसकी पेंटी लाकर दी तो उसने झट से उसे पहन ली और ऊपर के बदन को तौलिए से ढक लिया। फिर मैंने उसे उसकी ब्रा दी तो उसने झट से खड़ी होकर उसे भी पहन लिया और तौलिए को नीचे के बदन पर बाँध लिया !

फिर भी वह मुझे कुछ विचलित सी लगी तो मैंने उसे कहा कि वह व्याकुल ना हो, और उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे सोफे तक ले गया और अपनी गोद में बिठा लिया !

फिर प्यार से उसके गालों पर हाथ फेरते हुए उसे कहा कि अगर वह मेरी शर्त मानेगी तो मैं उसकी शिकायत प्रबंधक से नहीं करूँगा।

जब उसने शर्त के बारे में पूछा तो मैंने कहा कि जब तक मैं उस होटल में रहूँगा तब तक रोज शाम को वह मेरे कमरे वाले बाथरूम में ही मेरे सामने नहाया करगी और जैसा मैं कहूँगा वैसा ही करेगी !

वह इस डर से कि मैं प्रबंधक से शिकायत न कर दूँ इसलिए झट से हाँ कह कर मेरी शर्त मान गई और उठ कर अपने सलवार और कमीज़ पहन कर चली गई !

मैं अपना काम करने बैठ गया और अगले दिन मैंने जिन जिन व्यक्तियों से मिलना था उन्हें फोन कर नियुक्ति ले ली !

रात को जब मैं सोने लगा तो मुझे उसके नहाने का दृश्य याद आने लगा और उसकी ज़रूरत महसूस हुई, लेकिन थके होने के कारण मुझे जल्द ही नींद आ गई।

मैं सुबह उठा और तैयार होकर काम के लिए निकल गया तथा शाम 5 बजे तक उस दिन का सारा काम समाप्त करके वापिस होटल पहुँच गया। जब अपने कमरे में पहुँचा तो मोना को कमरे में बैठा हुआ पाया, मैं समझ गया कि वह क्यों आई है लेकिन फिर भी मैंने मजाक मे उससे पूछा कि क्या उसे मुझ से कोई काम था।

तो वह बोली- मैं तो किया हुआ वादा निभाने आई हूँ !

उसकी बात सुन कर मैं मुस्कराया और उसे कहा कि वह वहीं खड़े खड़े ही मेरे सामने अपने सारे कपड़े उतार कर ही बाथरूम में जाए और मैं एक फोन करके उसे नहाते हुए देखने के लिए वहीं आ जाऊँगा !

मेरी बात सुन कर वह उठ कर बेड के पास जा कर खड़ी हो गई और अपनी कुर्ती व सलवार उतार कर बेड पर रख दी और सिर्फ ब्रा और पैंटी में कुछ देर के लिए खड़ी मुझे देखती रही, मुझे फोन पर व्यस्त देख कर उसने अपनी ब्रा उतार कर कुछ देर अपने हाथ में पकड़ कर घुमाती रही फिर जब उसने मेरी ओर से कोई भी प्रतिक्रया नहीं दिखी तो उसने अपनी पैंटी भी उतार दी और दोनों वस्त्र मेरे ऊपर फेंक कर कूहले मटकाती हुई बाथरूम की ओर चल दी !

उसकी इस हरकत पर मैं बहुत ही आनंदित हुआ और समझ गया कि वह मेरी इच्छा शीघ्र ही पूरा कर देगी। मैंने फोन बंद किया और उठ कर उसके पीछे पीछे बाथरूम मे चला गया और अपने मोबाइल से उसकी नग्न फोटो खींचने लगा तथा उसके पास जाकर जब वे फोटो उसे दिखाईं तो वह शरमा गई।

इसके बाद जब वह झुक कर टब में पानी भरने लगी तो मुझे पीछे से उसकी बहुत ही सुन्दर, पतले होंटों वाली, गुलाबी चूत के दर्शन हुए ! गोरे रंग की बिल्कुल किसी षोडशी की अनछुई चूत जैसी, चूत के ऊपर के हल्के बाल भूरे रंग के थे और उसके गोरे रंग पर बहुत ही सुंदर लग रहे थे !

यह नज़ारा देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके नज़दीक जा कर उसकी चूत की फोटो खींची, फिर आगे बढ़ कर उसे घुमा कर अपने सामने खड़ा करा और उसे निहारने लगा ! वह एक बार तो घबरा गई लेकिन तब मैंने उससे झट से पूछ लिया कि अगर मैं उसके बदन को हाथ लगाऊँ तो उसे कोई एतराज तो नहीं होगा?

वह बोली कि अगर मैं उसे कोई कष्ट नहीं पहुँचाऊँगा और उससे कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा तो वह मेरे छूने पर कोई विरोध नहीं करेगी।

तब मैंने उसे पूछा कि क्या मैं उसके मम्मों को छू और पकड़ सकता हूँ तो उसने सिर हिला कर हाँ कर दी।

उसकी अनुमति मिलते ही मैं उसके सफ़ेद, गोल, मुलायम और ठोस मम्मों को अपने दोनों हाथों में लेकर प्यार से सहलाने लगा। उसके मम्मों पर काले रंग की निप्पल अत्यंत खूबसूरत लग रहीं थीं, मैं उन निप्पलों को अपनी उँगलियों और अंगूठे के बीच में लेकर हल्के हल्के मसलने लगा तो वह थोड़ा कसमसाने लगी और कहा कि मैं ऐसा मत करूँ क्योंकि उसको घबराहट हो रही है।

मैंने उसके मम्मों को छोड़ दिया और उसके बदन के अलग अलग हिस्सों से हाथ फेरते हुए उसकी चूत के बालों के ऊपर फेरने लगा तो उसने मेरा हाथ झटक दिया और कहा- प्लीज़ इसे मत छूओ !

मैंने उससे अलग हो कर उससे पूछा कि क्या वह अपनी चूत को अपने ही हाथों से खोल कर मुझे नज़दीक से दिखाएगी, तो वह टब के किनारे पर बैठ गई और अपनी टाँगें चौड़ी कर के अपनी उँगलियों से चूत के दरवाज़े खोल कर मुझे अंदर तक के दर्शन करा दिये, मैं तो उसकी गुलाबी चूत का नज़ारा देखता ही रह गया !

उस चूत के बाहर के होंठ थोड़े फूले हुए थे लेकिन अंदर के होंठ पतले व छोटे छोटे थे! उसका लाल रंग का भग-शिश्न लगभग मटर के दाने के बराबर था और उसकी योनि के अंदर की झिल्ली फटी हुई नहीं थी !

इस मनमोहक दृश्य से यह प्रमाणित हो गया था कि वह एक कुंवारी चूत थी और उसकी सुंदरता देख कर मैंने खुली हुई चूत की बहुत सी तस्वीरें भी खींच ली !

अब मेरा मन उस कुंवारी चूत पाने व फाड़ने के लिए तड़प उठा। मैंने झुक के मोना की चूत को चूमा और उसके भग-शिश्न को अपनी जीभ से सहला दिया।

इस अचानक हुए आक्रमण से मोना आह्ह्ह… करती हुई सिहर उठी, उसने मुझे धक्का दे कर अलग किया और टब के पानी में नहाने को बैठ गई।

इस प्रसंग से और उसके नहाते हुए गीले बदन को देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया और मुझे अपने को संभालना मुश्किल हो गया था। अपने को हल्का करने के लिए मैंने अपनी पैंट उतार कर अपने जांघिये में से आठ इंच लंबा और दो इंच मोटा लौड़ा निकाला और उसके सामने ही मुठ मारने लगा !

वह यह देख कर चौंक गई और नहाना बंद करके मेरे लंबे व मोटे लौड़े को आँखें फाड़ फाड़ कर देखने लगी।

तभी लौड़े के अंदर हुई झनझनाहट की वजह मेरी आँखे बंद हो गई और मेरे लौड़े से रस की तेज धार निकली और उसके कंधे पर जा गिरी।

जब मेरी आँखें खुलीं तो देखा कि वह थोड़ा मुड़ कर उस रस को साफ़ कर रही थी, तभी मेरे रस की दूसरी धार उसके मम्मे पर जा पड़ी, वह हड़बड़ा कर पीछे हटी और टब में लेट गई !

इतने में मेरी आँखें फिर बंद हो गई और मेरे लौड़े से निकली बाकी की रस की सारी पिचकारियाँ टब के पानी में जा गिरी !

जब मैंने आँखें खोलीं तो देखा कि वह उंगली से मेरे रस को उठा कर चख रही थी, तब मैंने उससे पूछ लिया- कैसा स्वाद है?

तो वह शर्मिंदा हो कर जल्दी जल्दी उस रस वाले पानी से ही नहाने लगी।

मैं उसे वहीं नहाते हुए छोड़ कर कमरे में आकर कपड़े उतार कर बेड पर लेट गया और उसका इंतज़ार करने लगा !

कहानी जारी रहेगी।

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प्रकाशित : 25 मई 2013