चूतड़ टिकाने का टैक्स

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प्रेषक : शशि कुमार

मैं आपको एक सच्ची घटना बताता हूँ। मैं और मेरी पत्नी पटना गये थे। वहाँ से लौटने के क्रम में हम लोगों को रिजर्वेशन नहीं मिला। गाड़ी में काफी भीड़ थी।

हम लोग एक फ्रेंडशिप क्लब चलाते हैं, हम आपस में काफी खुले और सेक्सी विचारों के हैं। अतः मैंने अपनी पत्नी से कहा- चलो यार, इस भीड़ में ग्राहक खोजते हैं।

पत्नी बोली-हाँ !

मेरी पत्नी काफी सेक्सी है, उसके चूतड़ काफी फ़ूले हुए थे। चूचे बड़े-बड़े और मस्त कि कोई देख ले तो मसले बिना न रहे।

वह सलवार और कुरता पहने हुए थी, कुरते के गले से चूचे आधे दिख रहे थे।

हम लोग किसी तरह गाड़ी में चढ़े, मैं गेट पर रह गया, वह अंदर चली गई। लगी खोजने किसी मुर्गे को !

अंततः कोई मिल ही गया !

उसने देखा की खिड़की के पास दो नेता किस्म के दोस्त बैठे हैं। वहाँ थोड़ी देर खड़ी रही फ़िर बोली- भाई साहब, थोड़ी जगह मिलेगी चूतड़ टिकाने के लिए?

उन दोनों ने पहले देखा, फ़िर एक बोला- लेकिन मैडम टैक्स लगेगा !

मेरी मैडम बोली- मिलेगा !

वे दोनों हँसने लगे,

फिर दोनों ने अपने बीच में जगह बना कर कहा- आइए मैडम !

मेरी पत्नी दोनों के बीच में बैठ गई। जाड़े का मौसम था, गाड़ी ख़चाख़च भरी हुई थी इसलिए ठण्ड उतनी नहीं लग रही थी।

लेकिन गाड़ी जैसे ही चलने लगी, वैसे ही हल्की-हल्की ठण्ड लगने लगी। अब मैडम से उन दोनों की बात होने लगी।

मैडम- अब ठण्ड लगने लगी है।

“मैडम, क्या आपके पास कम्बल नहीं है?”

“है ! लेकिन हमारे पति के पास है, वो जो गेट पर खड़े हैं। जाकर लाना पड़ेगा।”

“छोड़िये जी ! क्या लाइएगा ! हम लोग के पास है ना ! इसी से काम चल जायेगा !”

उन दोनों ने एक बड़ा कम्बल निकाला और तीनों ने ओढ़ लिया। अब बात और आगे बढ़ने लगी।

“मैडम, आप कहाँ जायेंगी?”

वह बोली- रांची !

“हम लोग भी वहीं जा रहे हैं। आपके पति क्या करते हैं?”

“मैं उनके साथ मिल कर एक फ्रेंडशिप क्लब चलाती हूँ !”

“तब तो आपका बड़ा मस्त काम है !”

“आप लोग क्या करते हैं?”

“हम लोग ठेकेदार हैं !”

“मैडम, ठेकेदार का मतलब जानती हैं आप?”

मेरी पत्नी बोली- नहीं !

“तो जान लीजिए- ठ- ठग, क- कमीना, द- दारुबाज,र- रंडीबाज !”

तीनों आपस में खुल गए थे। उन दोनों का शरीर गठीला और लम्बा था। मैडम अच्छी तरह जानती थी क़ि लम्बे आदमी का लंड लम्बा और मोटा होता है और वह खुद लम्बे और मोटे लंड की आशिक थी लेकिन एक नहीं कम से कम दो या तीन एक साथ !

जब ट्रेन रात में बारह बजे गया स्टेशन पर पहुँची तो ठण्ड बढ़ चुकी थी और तीनों आपस में सट गए थे, दोनों के हाथ मैडम की जांघों पर बढ़ चुके थे, मैडम मस्त हो रही थी।

धीरे-धीरे दोनों मेरी मैडम की जांघों को सहला रहे थे। मैडम भी कम छीनाल नहीं थी, उसने भी अपने दोनों हाथ दोनों के लंड पर रख दिए और ऊपर से ही लंड को सहलाने लगी, दोनों के लंड लम्बे और मोटे होने लगे।

मैडम धीमे से बोली- क्या मस्त लंड हैं।

दोनों जांघ सहलाते-सहलाते मैडम की मस्त और फ़ूली बूर सहलाते हुए बोले- क्या मस्त चूत है मैडम आपकी !

मैडम भी महा चुदक्कड़ थी, बोली- ट्रेन में तो सब हो नहीं सकता है, लेकिन जितना होगा हम लोग करेंगे।

मैडम बोली- देखो, बूर के पास सलवार थोड़ी फटी होगी, अंगुली घुसाओ और थोड़ी और फ़ाड़ कर बूर का मजा लो। मुझे भी अपने लंड का मजा दो, चलो अपना-अपना लंड निकालो !

दोनों ने अपने मूसल जैसे मोटे आठ इंच लम्बे लंड निकाल कर मैडम को पकड़ा दिए।

“क्या मस्त चोदू लंड हैं ! ये तो मेरी बूर, गांड और मुँह फाड़ देंगे।”

तीनों काफी सेक्सी मूड में हो गये और सेक्सी बातें करने लगे। मैडम लंड सहला रही थी और दोनों बूर सहला रहे थे। मैडम की बूर एकदम चिकनी थी, एक ने मैडम की बूर में अंगुली घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगा। दूसरा मैडम का चूची पकड़ कर मसलने लगा।

मैडम की चूची भी मस्त और सेक्सी थी। मैडम पूरे जोश में आ गई और गन्दी-गन्दी बातें करने लगी, बोली- मैं चुदाई की शिक्षक हूँ, तुम लोगों को चोदना सिखाऊँगी। सीखोगे?

दोनों बोले- हाँ !

“तो मेरे क्लब में चलना होगा ! चलेंगे? मैं अपने पति के सामने तुम लोगों को चोदना सिखाऊँगी। मेरा पति भी सेक्सी और चुदक्कड़ है, जिस औरत को एक बार चोद दिया वह उसका गुलाम हो गई। उसका भी लंड नौ इंच लम्बा और मोटा है।

इस तरह दोनों ने मैडम की बूर और चूची को रगड़-रगड़ कर लाल कर दिया। कुछ देर बाद मैडम की बूर पानी छोड़ने लगी। मैडम भी जोश में दोनों का लंड खूब जोर से सहलाने लगी और उन दोंनो के लंड भी पानी छोड़ गए। तीनों पस्त होकर शांत हो गये और सो गए।

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