दिलकश मुस्कान -2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

मैं पूरी फिल्म में उसके उरोज सहलाता-दबाता रहा। उसे भी शायद अच्छा लग रहा था, तभी तो वो मेरा हाथ नहीं हटा रही थी। इस तरह फिल्म देख कर हम वापस आ गये। यह हमारे रिश्ते की नई परिभाषा थी।

एक दिन मैं कॉलेज से वापस आया तो उसे देखा वो अकेली थी घर में, हम दोनों बैठ गये साथ साथ !

बात शुरु करते ही वो बोली- तूने फिल्म के बीच में अपना हाथ मेरी जांघों के बीच में क्यों रखा था? मैं बोला- मुझे अच्छा लग रहा था, अगर तुम्हें बुरा लगा तो मैं सॉरी बोलता हूँ। तो वो बोली- ऐसी बात नहीं है, एक तो मुझे शरम आ रही थी और दूसरे मेरी सहेलियाँ साथ थी, वो देख लेती तो?

मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूमने लगा। मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे, मैं धीरे धीरे दबा रहा था और मैं उसके चेहरे को चूम रहा था।

थोड़ी देर में मैं अपने ऊपर से नियंत्रण खोता जा रहा था, मैं कुछ अलग से अनुभव कर रहा था। मेरे हाथ नीचे फिसलने लगे थे, उसके नितंब पर फिसल रहे थे, उसकी आँखें बंद हो रही थी और मैं अजीब सा उन्माद का अनुभव कर रहा था।

मैं सब कुछ हासिल कर लेना चाहता था। अभी तक मैं जो कुछ भी कर रहा था, कपड़ों के ऊपर से ही कर रहा था, लेकिन अब मेरा मन उसे बिना कपड़ों के देखने का हो रहा था। अब मैंने अपना हाथ उसके टॉप के अंदर डालना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

थोड़ी देर मनाने के बाद आख़िर उसने हाथ अंदर डालने दिया मैंने उसकी प्यारी चूचियों को दबाना शुरू किया।

कहते हैं कि जितना मिलता है मन उतना ही और चाहता है। अब मेरी इच्छा उसके टॉप को उतारने की हो रही थी, मैंने धीरे धीरे उसका टॉप उठाना शुरू किया, अब उसकी हालत भी ऐसी नहीं थी कि मना कर पाती। वो भी पूरी तरह उत्तेज़ित हो चुकी थी।

मैंने उसके टॉप को ऊपर किया, काली ब्रा में उसकी चूचियाँ मस्त लग रही थी, मेरा तो ईमान पहले ही खराब हो चुका था अब तो मेरा कोई नियंत्रण नहीं रहा।

मैंने अपना हाथ पीछे ले जाकर उसकी चूचियों को बंधन से मुक्त किया, अब मेरे सामने उसकी अन्छुई चूचियाँ थी, मैं पहली बार किसी की चूचियों का दीदार कर रहा था। मैं तो मंत्रमुग्ध सा देखता रहा।

मैंने उन्हें धीरे धीरे दबाना शुरू किया और फिर धीरे धीरे चूसने लगा, उसे थोड़ा दर्द हो रहा था। थोड़ी देर चूसने के बाद वो आँखें बंद करके मज़े ले रही थी।

अब मैं अपना हाथ उसके जीन्स पर ले गया और उसे नीचे सरका दिया और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से धीरे धीरे सहलाने लगा।

अब तक वो काफ़ी उत्तेज़ित हो गई थी, वो कोई विरोध नहीं कर रही थी। अब मैं आज़ाद था कुछ भी करने को !

अब मैंने उसका जीन्स पूरी उतार कर उसकी पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी। मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि कल रात में उसने चूत के बाल साफ़ किए हैं।

मैं पहली बार चूत देख रहा था, मेरी उत्तेजना चरम पर थी, मैंने उसे लिटा दिया और उसके पैर फैला दिए।

मैं उसकी चूत देख रहा था, मैंने अपने उंगली से उसकी चूत को फैलाया, उसकी अंदर से लाल थी, मैंने अपनी उंगली को अंदर डाला अजीब सा सुखद अहसास हुआ थोड़ा और अंदर डाला तो उसे दर्द हुआ मैंने उंगली बाहर निकाल ली।

मैं नीचे बैठ गया और वो बेड के किनारे लेती थी, मैंने उसके पैरों को उपर उठा दिया। मैंने अन्तर्वासना पर काफ़ी सेक्स की कहानियाँ पढ़ी थी, इसलिए मुझे पता था सेक्स के बारे में और मैं जब कहानी में पढ़ता चूत चाटने में बारे में, तो मुझे काफ़ी अच्छा लगता था और आज मौका मिला तो मैंने उसकी चूत का चुम्बन किया और फिर धीरे धीरे चाटने लगा।

मैं उसके कूल्हों को दोनो हाथ से पकड़े था और उसकी चूत चाट रहा था।

वो धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी।

मैंने अब अपनी पैंट भी उतार दी और लंड अब सामने था, वो मेरा लण्ड देख कर सिहर सी गई, बोली- अरे इतना बड़ा कैसे जाएगा मेरी चूत में।

मैं बोला- लंड चाहे कितना बड़ा भी क्यों ना हो, किसी भी चूत में आराम से चला जाता है।

मैंने अपना लंड उसके हाथ में दिया, वो हाथ में लेकर बड़े प्यार से देख रही थी, मैंने उसे चूसने को बोला तो वो मना करने लगी। मैंने भी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया, अक्सर ऐसा होता है, लड़कियाँ पहली बार जब सेक्स करती है तो लंड चूसने से मना कर देती हैं और वही बाद में मज़े ले लेकर चूसती हैं।

खैर मैं फिर से उसकी चूत चाटने लगा, एक जुनून सा छा रहा था मेरे ऊपर, लगता था जैसे दुनिया की सारी दौलत मिल गई।

सेक्स ऐसी चीज़ है जहाँ कोई अहं नहीं रहता, सेक्स एक पूजा की तरह है, जहाँ सिर्फ़ समर्पण का भाव होता है, इसका अहसास उस पल तो मुझे नहीं हुआ पर बाद में मुझे अनुभव हुआ।

अब वो समय आ गया था जब मैं अंतिम लक्ष्य के करीब था, आतुर हो रहा था वहाँ पहुँचने को। मैंने देखा स्वाति भी उन्माद के चरम पर थी, उसकी आँखें नशीली हो रही थी, जो उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था, उसका वो रूप मेरे आँखों में आज भी है।

मैं भी पहली बार सेक्स करने जा रहा था, मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, थोड़ी ही अंदर गई कि उसे दर्द हुआ, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, बोली- जब उंगली डालने से इतना दर्द हो रहा है तो यह कैसे अन्दर जाएगा?

मैंने उसे समझाया- पहली बार थोड़ा दर्द तो होगा। कोई क्रीम है क्या?

उसने मुझे बोरोप्लस क्रीम दी, मैंने उसे थोड़ा अपने उंगली पर लगाया और थोड़ा उसकी चूत में और फिर धीरे धीरे उंगली अंदर डालने लगा, थोड़ा दर्द हुआ पर थोड़ी देर में उसकी चूत थोड़ी चिकनी और थोड़ी ढीली हुई।

मैं बेड से नीचे खड़ा था और वो बेड के किनारे लेटी थी, मैंने उसके पैर उपर उठा रखे थे, मैंने उसकी चूत को थोड़ा फैलाया और अपने लंड में क्रीम लगा कर उसकी चूत में रखा। अब मैंने धीरे से थोड़ा दवाब बनाया, वो दर्द से कराह उठी और मेरा लंड फ़िसल गया।

मैं जब भी कोशिश करता, वो दर्द से कराहने लगती, रोने लगी बोली- छोड़ दो, मुझे ये नहीं करना।

मैं भी अपने लंड में खिंचाव महसूस कर रहा था, लंड का ऊपरी भाग एक धागे जैसी संरचना से नीचे वाले हिस्से से जुड़ा होता है, मैं जब भी दवाब बनता मैं भी थोड़ा दर्द महसूस कर रहा था।

मैंने उसे काफ़ी मनाया और फिर से कोशिश शुरू की, इस बार मैंने लंड उसकी चूत फैला कर अंदर रखा और थोड़ा आगे पीछे करके अचानक एक धक्का लगाया, वो ज़ोर से चिल्लाई और मेरा लंड अपने मुकाम पर पहुँच चुका था।

मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि बाहर आवाज़ ना जा सके। उसकी आखों में आँसू थे, थोड़ी देर तक वैसे ही लंड अंदर रखा, मुझे में लंड में दर्द अनुभव हो रहा था, बेडशीट खून फैलने लगा था।

अब मैंने लंड बाहर निकाला तो मैंने देखा मेरे लंड में धागे जैसी जो संरचना थी, वो टूट चुकी थी और वहाँ से खून निकल रहा था और उसकी चूत से भी खून निकल रहा था।

हम दोनों का कौमार्य भंग हो चुका था, अब वो दुबारा अंदर डालने देने के लिए तैयार नहीं थी, काफ़ी देर के बाद मैंने उसे तैयार किया और फिर से क्रीम लगा कर लंड अंदर डाला, उसे दर्द तो हुआ पर थोड़ा कम। मैं उसकी कसी हुई चूत को अपने लंड पर महसूस कर रहा था।

मैं अब धीरे धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा।

कुछ देर में उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी नीचे से अपने नितंब उठा उठा कर साथ देने लगी।

मैं अब अपने स्पीड बढ़ा कर चुदाई कर रहा था, मैं जो अब तक नीचे था बेड पर उसको लिटा कर उसके ऊपर आ गया और उसके पैरों को फैला कर लंड अंदर डाल कर चुदाई शुरू कर दी।

थोड़ी देर तक मैं ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत चोदता रहा, वो शांत हो गई, वो स्खलित हो गई थी, मैं अपने लंड में दर्द महसूस कर रहा था। कुछ देर की चुदाई के बाद मैं भी स्खलित हो गया और मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसे चूमता रहा।

कुछ देर के बाद हम उठे, बेडशीट रक्तरंजित थी, वो बता रही थी कि उसकी चूत में जलन और दर्द हो रहा है।

मैं भी दर्द महसूस कर रहा था, खैर हम बाथरूम गये, मैंने पानी में डिटोल डाल कर उसकी चूत और अपने लंड को धोया। डिटोल लगते ही हम दोनों को बहुत चिरमिराहट हुई।

फिर हमने बेडशीट को धोया और इसके पहले कि कोई आ जाए मैं वापस अपने कमरे में चला गया। अगले दिन वो कॉलेज नहीं गई, बाद में जब वो मिली तो बताया कि उसे काफ़ी जलन हो रही थी चूत में।

मैं इस घटना के बाद करीब दो साल उसके यहाँ रहा और काफ़ी रातें रंगीन हुई। मैं अपनी वो कहानी भी आपके सामने रखूँगा। मैं इंतजार करूँगा आपकी राय का। [email protected] 3070

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000