नमस्ते दोस्तो, मैं श्रेया आहूजा फिर से आपके सामने पेश हूँ नई कहानी लेकर! मेरी अपनी और मेरी भाभी की…
मेरी भाभी शिल्पी मेरे साथ इंदौर में रहती हैं, भैया अक्सर टूर पर रहते हैं और भाभी छोटी बेटी के साथ घर पर रहती हैं! मम्मी पापा देवास में रहते हैं।
मेरे घर पर एक माली काका भी रहते है मुरली जी! उम्र में यही कोई 62-64 के सांवले से, पतले और लम्बे कद के! बाल पक चुके है सच बताऊँ तो एकदम चूसा हुआ आम…
एक रात जब मैं रसोई की तरफ पानी लेने पहुँची तो मैं हैरान रह गई: मुरली जी भाभी के मम्मों को चूस रहे थे… भाभी नीचे पेटीकोट पहने थी पर ऊपर से बिल्कुल नंगी थी। मुरली काका एक हाथ से एक मम्मा मसल रहे थे, दूसरा मुम्मा चूस रहे थे!
भाभी- आह्ह काका! चूसो ना! दूध निकालो ना! अहह जोर लगाओ… काका- चूस तो रहा हूँ मालकिन! एक बूंद भी नहीं आ रहा है।
फिर काका मम्मों की मालिश करने लगे… पुरजोर लगा कर चूसने लगे। भाभी- आह, निकल रहा है… चूसो काका! काका- छोटी मालकिन, आने लगा दूध…
तभी मैं बोल पड़ी- भाभी, आपको शर्म है या नहीं? इस बूढ़े से…? अभी मैं भईया को…!!! भाभी- चुप कर… काका से तमीज़ से बात कर.. इन्हीं के चलते आज छोटी दूध पी पा रही है! मैं- मतलब?
भाभी- अगर काका चूसें नहीं तो दूध नहीं आयेगा! तेरे भइया तो हमेशा बाहर ही रहते हैं! बड़ी आई! भैया को बता देगी!!! मैं- लेकिन.. भाभी- लेकिन क्या? जब तेरे बच्चे होंगे और दूध नहीं निकलेगा, तब पता चलेगा!
काका- बिटिया ठीक कहती है, मुन्नी चूस नहीं पाती जोर से, तभी मैं दूद्दू चूस कर देता हूँ! मैं- चुप कर साले ठरकी… कल ही मैं भईया को बताती हूँ!
अगले दिन भाभी ने बताया- श्रेया, तू कभी बुड्ढों के साथ सेक्स करके देखना! बहुत मज़ा आयेगा…!! यह बात मेरे जहन में बैठ गई और मैं भी सोचने लगी!
अगले दिन एक भिखारी मुझे दिखा। उस भिखारी को मैंने अन्दर बुला लिया… फिर उसके सामने मैं अपनी ब्रा खोल कर खड़ी हो गई! मैंने नीचे जीन्स पहनी हुई थी! मैंने उसके सामने अपने उरोज पेश किए और एक चूचा उसके मुँह में डाल दिया! वो चुपचाप चूसने लगा।
मैं- चूसो बाबा! मन भर कर चूसो… “चोदोगे मुझे? बोलो बाबा!” बाबा- बेटी, अब कहाँ! मेरी उम्र अस्सी बरस की है, अब कहाँ से चोद पाऊँगा। मैं- बेटी तो मत बोलो…
मैंने उसकी लुंगी उतार दी… काली पतली टांगें.. छोटा सा सिकुड़ा हुआ खजूर सा लंड..
मैंने बाबा को बिस्तर में लेटा दिया…अपनी जींस उतारी, उसकी लण्डी को खींच कर सीधा किया और उस पर बैठ गई।
मैं सिर्फ़ पेंटी पहने हुए थी और बाबा बिल्कुल नंगे पड़े थे। उसकी सूखी लंड, उसके चूसे हुए टट्टे, उन पर थोड़े भूरे झांट थे। मैं- बाबा चोदो ना मुझे जमकर आज… बाबा- अरे बेटी, अब मैं इसका इस्तेमाल सिर्फ़ मूतने के लिए करता हूँ।
मैं- बाबा कभी चोदा है किसी को? बाबा- क्या बताऊँ बेटी! लाज आती है! जब जवान था, तब की बात है मेरी बीवी हुआ करती थी, पाँच घंटों तक लगातार चुदाई की है मैंने! रात में कभी कभी पाँच बार भी चुदाई की है.. ये जो सूखी हुई गेंदें देख रही हो लटकती हुई, कभी ये सफेद पानी की झील हुआ करती थी! अब ना बीवी है ना उमर!!
मैंने अपनी पेंटी उतार दी और बाबा को अपने ऊपर लेटा लिया, उसके मुँह को अपने मुम्मों में दबा दिया और अपनी मोटी जाँघों के बीच उसे समा लिया। मैं- कभी मेरे जैसी लड़की की चुदाई की है?
बाबा- हाँ! तेरी जैसी ही थी वो पंजाबन… मैं माली था उसके बागान में अमृतसर में… वो तेरी जैसी ही थी गोरी.. भरा हुआ जिस्म.. गोल गोल मम्मे… साहब बाहर रहते थे और मैं, ड्राइवर और गार्ड तीनों मिलकर चुदाई करते थे… उसकी बुर भी तेरी जैसी उभरी हुई थी… गुलाबी… तू भी वैसी ही है… मैं- ओह बाबा, फिर चुदाई करो ना!! बाबा- तेरी चूत से वही बू आ रही है, गीली हो गई है… चोद पाता तो ज़रूर करता…
मैंने बाबा के लंड को जोश में खींचा, उसकी गोलियों को मसल दिया। बाबा- आई ईई ईई… मैं मरा रे… मैं- चुदाई कर ना… घुसा ना इस चूत में… खड़ा कर ना इसको… बाबा- आह! मेरे लॅंड में बहुत दर्द हो रहा है…
मैंने पूर ज़ोर से उसके टट्टे और लण्ड को दबाया… और फिर कस के अपने मोटे घुटने को उसके लॅंड टट्टों पर मारा। बाबा- आह! जाने दे मुझे.. मार डालेगी क्या?
भाभी सच कही थी… किसी मर्द हो इस तरह तड़पते देख सच में मज़ा आता है! मैंने उसे लेटा कर घस्से मारने शुरू किए। मैं- चोद… चोद मुझे! बहन के लौड़े चोद! अब कहाँ गया तेरा जोश?
ऐसा लग रहा था कि मैं उससे जबरदस्ती कर रही थी… उसे बेसहारा देख मुझे जीत की फीलिंग आ रही थी। बाबा दर्द से करह रहे थे, शायद जब कोई बेसहारा लड़की दर्द से कराहती है तो वही मज़ा मिलता है जो अभी मुझे मिल रहा था!
मैं दोनों हाथ से लंड-टट्टे मसल रही थी… बाबा इतने कमज़ोर थे कि चीख भी नहीं निकल रही थी..
मेरी मोटी और भारी कमर के नीचे बेचारे सूखे हुए चूसे हुए आम के जैसे तड़प रहे थे… बाबा ने हाथ जोड़ दिए…
फिर मैंने बाबा के दोनों पैर को फैलाये … अपने गोल गोल चूतड़ों पर उनके हाथ रखे और अपनी एड़ी से उसके टट्टे को ज़मीन से रगड़ के पीस दिया… बाबा- अह अह अह… मैं- अह मज़ा आया.. अब मेरी चूत को चाट…
बाबा के दांत नहीं थे… पोपले मुँह और होंटों से वो चूस रहे थे मेरी चूत! मैंने जान कर उसके मुँह में मूत की धार छोड़ दी और उसे अपना मूत पिलाया। बाबा ने फिर अपने को संभाला।
उसे मैंने डाइनिंग टेबल पर बिठा कर खाना खिलाया कुछ पैसे दिए। मैंने भाभी को सारी बात बताई और कहा- बहुत मज़ा आया मुझे!
भाभी- मैंने सब देखा, बहुत मस्त चुदाई करती है तू… हम अमीर लोग जब सबसे चुदा लेते हैं, तब चोदने का दिल करता है। “इन बेसहारों को चोद कर बहुत मज़ा आता है…” मैं- भाभी, मेरी खुशियों की चाभी!