बारिश ने गांड की खुजली बढ़ाई

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आपका : सनी गांडू

प्रणाम दोस्तो, आपका सनी गांडू गांड की चुदाई लेकर आपके सामने फिर से हाज़िर है।

लंड देखते ही मुझे कुछ कुछ होने लग जाता है ऊपर से आजकल में अकेला रह रहा हूँ।

बात ज्यादा पुरानी नहीं है, बहुत दिनों की कड़क गर्मी के बाद शाम को जब आसमान में काले बादल मंडराते देखे तो रूह खुश हो गई, सोचा क्यूँ ना घर से निकल बाहर सैर के लिए निकला जाए, सफ़ेद रंग की बारीक सी टीशर्ट लाल रंग की लड़कियों वाली पैंटी उसके ऊपर छोटी सी निक्कर पहनकर में घर को लॉक करके मैं बाहर निकल आया।

मौसम बेहद सुहाना था, पहले भी लिख चुका हूँ, जिस सड़क पर मेरा किराए का घर है वो बहुत सूनी है, शांत सी है और वहाँ आशिक जोड़े अक्सर शाम को रंगरलियाँ मनाने आते, कोई कार में, कोई झाड़ों में छुप कर चूत मारते हैं। कुछ मेरे जैसे गांडू भी आते रहते हैं।

मैं वहाँ से निकला, काफी आगे निकल आया था कि तेज़ बारिश होने लगी।

मैं गीला हो चुका था और कपड़े जिस्म से चिपक गए थे, मेरी मशीन बार बार कपड़ा खींच रही थी, मैं खींच कर बाहर निकाल फिर चलने लगता !

ऐसे मौसम में गीला बदन किसी मर्द का स्पर्श चाहता था। मैंने आसपास नज़र मारी, कोई नहीं था जिसको अपने जलवों से फंसा सकूँ, मन कर रहा था कि बारिश में घुटनों के बल बैठ किसी का लंड चूस डालूं !

थोड़ी आगे आया, सामने से दो बंदे चले आते देखे, अपने काम से लौट रहे थे शायद ! वो भी गीले थे, पजामे सफ़ेद थे, चिपके हुए थे, मेरी नज़र दूर से ही उनके चिपके लंड पर थी।

मैंने चाल मस्तानी कर दी, वो मुझे देख रहे थे, मेरी लाल पैंटी उनका ध्यान खींच रही थी।

मैं मुस्कुरा दिया, उनके लंड की तरफ देखा, हल्के से जुबां होंठों पे फिराई !

मैं आगे चलकर रुक गया। बारिश और तेज़ हो गई, हवा तेज़ थी, बदल घने काले थे। मैंने टीशर्ट उतार उसे निचोड़ा, पीछे देखा, वो दोनों भी एक पेड़ के नीचे खड़े थे।

जब मुझे देखा, उनकी नज़र मेरी नरम नरम छातिओं पर थी, बारिश की वजह से निप्पल भी कड़क होकर तने थे। बाल मैंने साफ़ किये हुए थे।

अँधेरा बादलों से काफी था, ऊपर से रात होने लगी थी, दोनों ने पजामे के ऊपर से लंड सहलाए, ना इधर कोई था, न उधर कोई था। तभी एक कार आते देख मैंने टीशर्ट पहन ली, सीधा होकर चलने लगा।

थोड़ा आगे चलकर रुक कर देखा, वो दोनों भी मेरी तरफ ही चलने लगे थे। मैंने सड़क को त्याग दिया और झाड़ियों के पीछे चला आया। सड़क की दोनों तरफ घने पेड़ हैं, इन दिनों घास काफी हो चुका है, सड़क से काफी आगे जाकर साफ़ सी जगह देख बैठ गया।

वो भी वहीं पहुँच गए।

मैंने कहा- मेरे पीछे क्यूँ आ गए?

बोले- यह तेरी बाप की खरीदी जगह थोड़े ही है? वैसे बहुत चिकना है, तेरी गांड बहुत गोल मोल सी है !

मैं खड़ा हुआ, उनके करीब गया, एक हाथ से एक के लंड को सहलाया, दूसरे से दूसरे को !

“वैसे मेरी गांड तो गोल मोल है, तुम दोनों के लंड कौन से कम बड़े हैं !”

“हाय मेरी जान !” यह कह मैंने टीशर्ट उतारी, घास पर लेट गया, दोनों बराबर लेट गए, एक मेरा एक निप्पल, दूसरा दूसरा निप्पल चूसने लगा।

हाय सी सी करके मैं दोनों के लंड दबाने लगा। मैंने निक्कर भी उतारी, उल्टा लेट गया, दोनों मेरी पीठ पर होंठ रगड़ने लगे। मुझे लड़की की फीलिंग आने लगी, मदहोश होकर लेटा रहा मैं।

एक ने मेरी पैंटी खिसकाई, दोनों अपने होंठों से चूतड़ों को चूमने लगे। साफ़ गोल चिकने चूतड़ हैं मेरे !

बारिश काफी कम हो गई थी, अँधेरा भी था, वो मेरे चूतड़ों से खेलने लगे।

मैं सीधा हुआ तब दोनों ने मेरी पैंटी पूरी उतार डाली, दोनों के लंड मेरे सामने थे। क्या ज़बरदस्त काले रंग के कातिल लंड देख मेरी गांड में और हलचल होने लगी। अँधेरा होते उस साइड पेट्रोलिंग वाले घूमते रहते थे, मुझे डर सा भी लगने लग गया पर हवस हावी थी। पागलों की तरह लंड चूसे जा रहा था, वो दोनों पागल हो रहे थे मेरी इस हरक़त से !

उन्होंने सोचा भी नहीं था कि मैं लंड चूसूँगा !

जब मैं घोड़ी बनकर एक का लंड आगे चूस रहा था, दूसरे ने अपने होंठ मेरी गांड के छेद पर लगाए, चूमने लगा।

उसकी इस हरक़त ने मुझे और पागल किया, जुबां घुमा कर मेरे छेद को चूमने लगा और फिर उसने ढेर सार थूक लगाया और लंड घुसाने लगा।

हाय क्या कहूँ ! मजा आ गया ! गीला बदन ! जवान दो मर्द मुझे मसल रहे थे !

उसने पूरा लंड घुसाया और धक्के देने लगा। मैं जोर जोर से आगे वाले का लंड चूसने लगा। उसकी जांघें जब मेरे चूतड़ों से टकराती, मुझे बहुत मजा आता।

पांच छह मिनट की चुदाई के बाद वो लुढ़क गया। जब उसका झड़ने वाला था, उसने मानो राजधानी की रफ़्तार पकड़ी, मेरे घुटने खिसक गए, मैं गिर गया था। उसने आखिरी बूँद तक मुझे पेल दिया। वो पास में लेट गया, दूसरे ने मेरी गांड को साफ़ किया और मुझे कहा- सीधे लेट जा !

मैं कौन सा नया था, मैंने दोनों टाँगे उठा कर उसके कन्धों पर रख दोनों चूतड़ों को हाथ से फैला चौड़े कर दिए, उसने मजे से अपना काला लंड गांड में डाल दिया, दोनों चूचियों को दबाते हुए पेलने लगा।

“हाय और करो मेरे राजा ! फाड़ डालो इस गांड को !”

उसने मेरे होंठ चूमते हुए झटके तेज़ कर दिए, बीच बीच में मेरे निप्पलों को मुँह में भर भर कर चूसता, इसको चुदाई में मजा लेना आता था !

“साली छिनाल ! क्या माल मिल गया आज ! सारे दिन की थकान उतर गई !”

इतने में पहले वाले ने अपना सोया लंड मेरे मुँह में फिर से घुसा दिया।

मैंने निकाल दिया- हट परे ! अब नहीं !

“साली छिनाल कुतिया ! खड़ा कर बाप अपने का लंड !” दूसरे वाले ने तेज़ तेज़ झटके लगाने शुरु किये।

“साली !” उसने मेरे बालों से पकड़ा लंड मुँह में घुसा दिया, थोड़े नखरे करने के बाद मैंने उसका लंड चूसना किया। मैंने ऊपर वाले को लंड निकालने के लिए कहा और उसको सीधा लिटा उसके लंड पर बैठ गया। इस बन्दे में दम था, स्टेमिना !

दो मिनट उछलने के बाद अचानक से उसने डाले डाले मुझे पटक नीचे किया, जोर जोर से झटके देते हुए मेरी गांड में गर्म गर्म पानी निकालते हुए मेरे ऊपर गिर हांफने लगा। दूसरे वाला मुझे एक बार और चोदना चाहता था।

मैंने कहा- देखो, बारिश रुक गई है, यहाँ पेट्रोलिंग वाले बहुत गश्त लगाते हैं। आगे इंद्रा कॉलोनी में मेरा कमरा है, कल मुझे यहीं मिलना, हम मिलकर पूरी आजादी से चुदाई का मजा लेंगे !

दोनों बोले- ठीक है रानी !

अगले दिन पूरी रात मेरी गांड का हलवा बनाया !

यह थी मेरी नई चुदाई जिसको आपके सामने रखा !

जैसे ही किसी और नए से चुदवाऊँगा, आपके साथ शेयर करूँगा।

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