फेसबुक सखी-3

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स्नेहा रीमा से बात करने लगी।

स्नेहा अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी, मैं गया वैसे ही बोली- क्या हुआ, अभी दिन में ही शुरू कर दिया क्या?

मैं बोला- अरे वो अभी कहाँ। अभी तो रश्मि अपने मंगेतर के बारे में बता रही थी।

स्नेहा बोली- देखिए, रश्मि तो आपको चोदने नहीं देगी, और रीमा को आपको चोदना नहीं हैं तो अब चुदाई की बात छोडकर वो जिस काम से यहाँ आई हैं उसे करवा दीजिए बस।

स्नेहा को हमारे इस प्रेमालाप के बारे में पता नहीं चला है, यह सोचकर मैं खुश हुआ, पर रश्मि को चोदने से पहले स्नेहा को भरोसे में लेना होगा, नहीं तो चुदाई कर ही नहीं पाऊँगा, यह सोचकर मैंने स्नेहा से कहा- रश्मि बहुत सुंदर है यार, उसे चोदने का बहुत मन हो रहा है।

स्नेहा बोली- उसकी शादी तय हो गई है, अब वह अपने आदमी से चुदवाएगी।

मैं बोला- वो तो ठीक है पर तुम थोड़ा ट्राई मारो ना, हो सकता है तैयार हो जाए।

स्नेहा बोली- नहीं मैं उसे इस बारे में नहीं बोलूंगी।

मैं बोला- स्नेहा खड़े लंड को धोखा दे रही हो ना?

वो बोली- आप जो समझो।

मैं बोला- ठीक है, फिर मैं ट्राई करता हूँ, अच्छा यदि सेट हो गई तो फिर इसे चोद सकता हूँ ना?

स्नेहा बोली- हाँ, ठीक है।

अब मैंने स्नेहा को सब बताने का फैसला किया और उसे बताया कि यहाँ आने से पहले मैं रश्मि के चुच्चे दबा रहा था और हममें चुम्बन का भी लंबा दौर चल चुका है।

स्नेहा आश्चर्य से उछल पड़ी, और उठकर मुझे पकड़ी और कही- आप सही बोल रहे हो?

मैं बोला- हाँ, उसे मुझसे चुदना है, इसलिए वह रीमा के साथ यहाँ आई है।

स्नेहा बोली- तो उसने मुझसे झूठ कहा कि मेरी शादी तय हो गई है?

मैं बोला- नहीं, यह सही है कि उसकी शादी तय हो गई है, पर इसकी शादी जिससे तय हुई है, वह इसे बिल्कुल पसंद नहीं है।

स्नेहा ने अपना सिर पकड़ लिया।

मैं बोला- अब उसकी बात छोड़ो, रात को कैसे करना है, ये बताओ?

स्नेहा बोली- अब मैं क्या बोलूं? जैसा करना है, आप देख लो। पर मैं इससे पहले एक बार रश्मि से बात करना चाहती हूँ।

मैं बोला- कर लो, पर कोई ऐसा मंतर मत देना कि अब वो चुदने से इंकार कर दे। स्नेहा बोली- नहीं, जब आपसे उसकी बात हो गई है तो भला मैं इसमें अड़चन क्यूं बनूंगी।

मैं बोला- अभी चलें गेस्ट रूम?

वो बोली- नहीं, शाम को नाश्ते के समय होगी बात।

मैं बोला- तो मैं जाऊँ वहाँ?

स्नेहा बोली- जाइए।

मैं तेजी से बाहर की ओर लपका।

दोनों बेड पर ही लेटी हुई थी। मुझे देख रीमा ने पूछा- क्या हुआ? क्या बोलीं?

मैं बोला- वो कोई दूसरा काम था, अपनी कोई बात नहीं थी।

यह बोलकर मैं फिर पलंग पर दोनों के बीच आ गया।

रीमा बोली- आप जब चुदाई करते हो तब यह चूत में पूरा अंदर हो जाता है ना।

मैं बोला- हाँ।

“और दर्द भी नहीं होता?”

मैं बोला- दर्द नहीं होता बल्कि अच्छा लगता है।

रीमा बोली- आज आप रश्मि को चोदेगें ना? मैं बोला- ये मुझे क्या पता, रश्मिजी ही बता सकती हैं कि वो आज मुझे चोदने देंगी या नहीं।

रीमा- रश्मि बोल ना रे, अब क्या शरमा रही है।

मैंने रश्मि की ओर देखा। रश्मि मेरे हाथ को दबा कर बोली- मैं तो आपको पहले ही हाँ कह चुकी हूँ, पर हम अकेले ही करेंगे रीमा के सामने नहीं।

रीमा बोली- मैं सामने नहीं रहूंगी, तो क्या तू पहले चुदवा चुकी है, ये बात छुप जाएगी। चार-चार लड़कों से खुद चुदवाती थी तब कोई बात नहीं, बस मेरे सामने चुदाई नहीं होनी चाहिए ना।

रश्मि बोली- हाँ चार लड़कों के सामने चुदवाया है, तू भी अपना लंड दिखा तेरे सामने भी चुदवा लूंगी।

मैंने दोनों को शांत कराया और कहा- तुम लोग भी यार झगड़ा करने बैठ गए। अपन शाम तक का माहौल देखते हैं, फिर ये सब बात करते हैं ना।

रश्मि और रीमा बुदबुदाते हुए चुप हुईं, पर इनकी बातों से मुझे एक बात कन्फर्म हो गई कि रश्मि चुदाई की शौकीन हैं और एक साथ कई लंड लेने का दम भी रखती है। मैंने रीमा को अपनी ओर करने उसके स्तन पर हाथ रखा तो उसने मेरा हाथ झटक दिया, बोली- उसे ही करिए, उसे जरूरत है इस सब की।

मैं बिस्तर से उठा और खड़ा होकर बोला- मैं अभी जा रहा हूँ, प्लीज़ आप लोग अपना टेंपर शांत रखिए। शाम को हम लोग नाश्ते की टेबल पर बात करेंगे ओके ! तब तक आप लोग आपस में मीठी बातें कीजिए। यह बोलकर मैं अपने कमरे में आ गया। यहाँ स्नेहा लेटी हुई थी, मैंने उसे बताया कि अभी रीमा व रश्मि के बीच जैसी बातें हुई हैं उससे तो रश्मि पुरानी चुदक्क्ड़ लग रही है। बात को विस्तार से भी बताया। स्नेहा बोली- तभी मैं सोच रही थी कि इसकी शादी तय हो गई है फिर ये चुदाई कराने को कैसे तैयार हो गई।

मैं बोला- अब ये सब बातें छोड़ो, रात की चुदाई कहाँ होगी, यह तय करो।

स्नेहा बोली- रीमा आप लोगों को करते हुए देखना चाहती है पर रश्मि इसके लिए तैयार नहीं है ना। आप ऐसा करिए कि इनकी सब

बातें मुझे पता हैं यह दोनों को नहीं बोलना, रात को रीमा को यहाँ मेरे पास सो जाएगी, और आप गेस्ट रूम में रश्मि के पास चले जाना।

मैं बोला- हाँ, यही ठीक रहेगा।

शाम को नाश्ते में दोनों के बीच सामान्य बातें होने लगी। बाद में स्नेहा दोनों के साथ बाजार गई, और कुछ सामान खरीदकर दिया। रात को खाने के समय स्नेहा ने रीमा को अपने पास सोने को कहा, मुझे बाहर व रश्मि को गेस्टरूम में अकेले सोने कहा। यह कहते हुए उसने रश्मि से पूछा भी कि अकेले सोने में डरोगी तो नहीं। रश्मि ‘अकेले ही सोने की आदत है’ बोलकर मुस्कुरा दी।

मैं भी खुश हो गया कि सारा काम जैसा सोचा था वैसा बन गया।

रात को सब अपने बिस्तर पर आ गए। बारह बजे के करीब सन्नाटा देखकर मैं गेस्टरूम की ओर बढ़ा। भीतर रश्मि मेरा ही इंतजार कर रही थी। कमरे का दरवाजा भीतर से बंद करके मैं बिस्तर की ओर बढ़ा, वैसे ही रश्मि बोली- कपड़े उतार लीजिए ना।

मैंने अपनी लुंगी, टीशर्ट, बनियान, अंडरवियर उतारकर किनारे की मेज पर रखा और बिस्तर पर आ गया। अब तक रश्मि भी कपड़े उतार चुकी थी। हम दोनों एकदम नंगे हो गए थे।

मैं बोला- तुम रहने देती, मैं तुम्हारे कपड़े उतार देता।

रश्मि बोली- क्या मतलब? उसमें भी समय खराब होता। अब ऐसे में करते हैं मस्ती। यह बोलकर वह मुझसे आकर चिपक गई। मैंने रश्मि के होंठों को अपने होंठ जमा दिए। चुम्बन के दौरान ही उसके उरोजों को सहलाता रहा, फिर उसके निप्प्ल को चूसते समय मैंने अपने कंधे पर उसके हाथ का दबाव नीचे की ओर महसूस किया। एक को छोड़ दूसरे निप्पल को मुंह में लिया तभी रश्मि बोली- ये सब बाद में करना, पहले अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ।

लिहाजा मैं उसके ऊपर आया, उसके होंठों को अपने होंठ से लगाया और उसके दोनों पैरों को फैलाकर हाथ चूत पर ले गया। उसकी चूत से रज छूट रहा था। एक बार तो ऐसा लगा कि इसका अभी एक बार गिरा है, यानि चूत पूरी गीली थी।

मैं समझ गया कि यह पूरी तरह से चुदवाने के मूड में है, अभी इसे कोई रोकने भी आ गया तो यह नहीं मानेगी। मैंने अपना लंड इसकी चूत के ऊपरी हिस्से में लगा कर रगड़ा। रश्मि ने मचलते हुए मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा व उसे चूत के छेद में रखकर उछाल मारी। लंड करीब आधा अंदर घुसा। अब मैंने भी ऊपर से शाट लगाने शुरू किए, एक दो झटके में ही लंड पूरा अंदर घुस गया।अब रश्मि के मुँह से आह व सैक्सी कराह निकलने की आवाज तेज हो गई थी। तभी उसने मुझे पलटने का प्रयास किया, तो मैं झुककर तिरछा हो गया।

उसने मुझे नीचे लेटाया व मेरे ऊपर आ गई। अब बाहर हो चुके लंड को अपनी चूत के छेद में रखकर सीधे बैठ गई। यानि एक बार में ही पूरा लौड़ा अंदर। अब वह मुझे तेजी से चोदने लगी। कुछ देर बाद मैं झड़ने की स्थिति में पहुँचा, मेरे मुंह से निकला- मैं होने वाला हूँ।

वह बोली- अभी रूको… औ…र… अंदर… डालो…आह्ह्ह्ह… !

मेरे साथ ही रश्मि का भी गिर गया। वह मेरे ऊपर ही बेफिक्री से लेटी हुई थी। तभी

उसका हाथ मेरे सोए हुए लंड को पकड़कर सहलाने लगा, लंड में हल्का सा तनाव आया। रश्मि मेरे घुटने पर बैठी और मेरे लौड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी।

रश्मि कहाँ तो उस समय मेरे प्रयास के बावजूद मेरे लंड को अपने मुंह में नहीं ले रही थी, और अब !

मुझे अब तक जितनी भी मिली हैं, उन सबसे अच्छे ढंग से यह लौड़ा चूस रही है। लौड़े को जीभ से चाटने के बाद इसने लौड़े को अपने मुंह में लिया, उसे मुंह में अन्दर तक लिया, और इसे मुंह में ही रखकर मानो उसका स्वाद आत्मसात किया।

उसके मुंह से बाहर निकलते ही मेरा लौड़ा अपने पूरे जोश में आ गया।

यह देखकर उसने कहा- अब मैं लेटती हूँ, आप ऊपर आना।

मैंने हाँ में मुंडी हिलाई और उसके होंठ व बूब्स को चूसने लगा। थोड़ी देर में मैं उसकी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा। रश्मि ने अपनी कमर ऊपर उठा दी, ऐसे जैसे वह अपनी चूत को मेरे मुंह में ही घुसा देना चाहती हो।

मैंने भी पहले उसके चूत की ऊपरी फली को चूसा, फिर छेद में जीभ डालकर घुमाया। रश्मि ने अपने हाथों से मेरे सिर के दोनों ओर से बाल पकड़कर जोर से खींचे कि अब मेरा नीचे रहना मुश्किल हो गया। मैं उसके ऊपर आया और चूत में अपना लंड डाल दिया।लौड़े के चूत में घुसते ही रश्मि ने नीचे से उछालें मारना शुरू कर दिया। इस बार वह न सिर्फ कमर उछाल कर लौड़े को जल्दी व ज्यादा भीतर कर रही थी, बल्कि अपने हाथों से मेरी कमर को भी दबाए हुए थी ताकि लंड पूरे समय अंदर ही रहे।

कुछ देर बाद उसके झटकों की गति बढ़ गई और अचानक उसने कमर ऊपर ही रखी। मैं समझ गया कि यह झड़ गई हैं, इसके दो तीन शाट बाद ही मेरा भी गिर गया।

अब वह एकदम बेसुध नींद में सो गई। तड़के वह पेशाब करने उठी, तब मैं भी जाग गया था। वह नंगी ही बाथरूम से होकर आई और मुझे बोली- तो जवाहरजी, लगें एक बार और?

मैं भी मूत करने गया और आकर हम फिर से चुदाई में लग गए। इस प्रकार एक ही रात में हमने तीन बार चुदाई की, हालांकि रश्मि का कहना था कि उसका चार बार गिरा।

उसने बताया- छ: माह तक गर्भ न ठहरे उसने ऐसी दवाई खाई हुई है, ताकि सैक्स में सिर्फ मजा मिले कोई टेंशन ना रहे। उसने बताया कि सैक्स की उसकी आदत उसके घर वाले जानते हैं, इसलिए उसका रिश्ता ऐसे लड़के से तय किया है जिसकी पहली बीवी ने उसे तलाक दे दिया है। वह लड़का खुद होमोसेक्सुअल है। पुलिस भी उसे गांड मराते हुए गिरफ्तार कर चुकी है। सो ऐसी जगह रिश्ता तय करने से वह बहुत दुखी है और सैक्स के किसी भी मजेदार मौके को गंवाना नहीं चाहती है।

तो यह हुई रश्मि की बात, दूसरे दिन स्नेहा के साथ रीमा को कोचिंग इंस्टीट्यूट लेकर गया। वहाँ उसने अपना काम किया, जानकारी ली, व शाम की ट्रेन से इन्हें वापस होना था। सो मेरे अनुरोध पर मैं व रीमा दोनों पूरी तरह से नंगे होकर गले मिले, व एक दूसरे को चूमा-चाटा। इस तरह फेसबुक पर बनी अपनी मित्र से मैंने यह नायाब उपहार पाया।

कहानी आपको कैसी लगी, कृपया बताएँ।

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