पड़ोसन ने मुझे चोद दिया

दोस्तो, मैं एक खूबसूरत और स्मार्ट लड़का हूँ, मेरा नाम सौरभ है मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता था।

मेरे घर से थोड़ी दूर एक घर में एक लड़की रहती थी, मैं उसे जानता था। उसका नाम सुनीता था। वो अक्सर मुझे गली में आते जाते देखती थी लेकिन मैं सब जानकर भी अनजान बन रहा था क्योंकि मैं इन बातों में नहीं पड़ना चाहता था इसलिए मैं उससे दूर ही रहता, लेकिन शायद उसका प्यार और इन्तजार सच्चा था। मैं उससे जितना दूर जाता, खुद को उसके उतना ही करीब पाता।

ऐसे ही थोड़ा वक्त और गुजर गया लेकिन ना तो वह कुछ कहती थी और ना ही कभी मुझे देखे बिना रहती।

ऐसे ही एक दिन शाम को मैं उसके घर के पास से गुजर रहा था तो अचानक से वहघर से निकली और मेरे सामने एक कागज फेंक कर चली गई। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या करुँ।

आखिर मैंने वो कागज उठा कर अपनी जेब में रख लिया और घर आकर उसे पढ़ा तो उसमें लिखा था कि वह मुझसे प्यार करती है।

और उस कागज में कुछ शायरी भी लिखी हुई थी।

लेकिन मैं भी थोड़ा शरारती था और उसे और तड़पाना चाहता था। तीन चार दिनों तक मैंने उसे कुछ भी जवाब नहीं दिया तो वह एक दिन मेरे घर आई। उस वक्त मैं घर पर अकेला ही था और अपने कमरे में टीवी देख रहा था।

वो सीधे मेरे कमरे में आ गई तो उसे देखकर मैं बेड पर से खड़ा हो गया।

तभी वह बोली- गर्मी बहुत है, इसलिये आज बाजार नहीं जा सकी ! अगर तुम्हारे पास कोई अच्छी सी सीडी है तो थोड़ी देर के लिये चाहिए।

लेकिन मेरे पास एक ही सीडी थी जिसे मैं देख रहा था। मैंने उससे यह कहा तो वह बोली- चलो साथ में बैठ कर देख लेते हैं।

यह कहते हुये वह थोड़ा मुस्कुरा दी जिसे मैं समझ रहा था।

और हम दोनों साथ बैठ कर मूवी देखने लगे। मेरा ध्यान टीवी की ओर ना होकर उसकी तरफ ही था।

तभी अचानक उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया। मुझे झटका सा लगा लेकिन उसने हाथ नहीं हटाया। थोड़ी देर बाद वह मेरे नजदीक सरक आई और अपनी टांगें भी मेरी टांगों से सटा दी। मेरे लिये अब यह सहना बड़ी मुश्किल बात हो गई थी, मैंने अपना हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा। वह इस वक्त घर में पहनने वाला टीशर्ट पजामा पहने थी, मुझे अपने हाथ पर गर्म सा महसूस हुआ।

मैंने अपना हाथ जांघ पर से हटाकर उसके कन्धे पर रख दिया। तभी वह उठी और अपने होंठों से मेरे होंठों से जकड़कर मुझे बेतहाशा चूमने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं रहा था कि क्या करूँ।

आखिर मैंने उसे बेड पर अपने नीचे ले लिया और उसकी टीशर्ट उतारने लगा। वह अब भी मेरे होंठों को चूस रही थी।

इसी दौरान मैंने उसकी टीशर्ट उतार दी और पजामे को नीचे सरकाने लगा। अचानक मेरा ध्यान उसके स्तनों की तरफ गया तो मैं दंग रह गया। अभी तक उस ओर मेरा ध्यान ही नहीं गया था क्योंकि वह मेरे चेहरे को चूम रही थी। पूरे 36″ के थे उसके चुच्चे और मेरे सीने के नीचे बुरी तरह दबे हुये थे। अब मैं सब कुछ छोड़कर उसके चुच्चों को चूसने और दबाने लगा।

सुनीता मेरी पैंट के बटन जिप खोलने लगी। यह सब क्या हो रहा है, इसका हमें होश ही नहीं था।

मैं लगातार उसकी चूचियाँ दबा रहा था जिससे उसे काफी दर्द हो रहा था। आखिर काफी देर बाद सुनीता बोली- अब बस करो, बहुत दर्द होने लगा है।

मैं जैसे नींद से जागा, देखा कि सुनीता ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये थे और मेरे आठ इन्च के लौड़े को हाथ से सहला रही थी।

अब सुनीता ने मेरा हाथ उठाकर अपनी चूत पर रख लिया जिसे मैं सहलाने लगा। उसकी चूत भट्टी की तरह तप रही थी। हम दोंनो की सिसकारियाँ निकलने लगी।

जब सुनीता से अपनी चूत का उबाल सहा नहीं गया तो उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लौड़े को मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी।

मैंने उसकी चूत को देखा तो मेरा मन भी उसकी चूत का स्वाद लेने को हुआ। अब हम दोनों ने 69 की अवस्था की और एक दूसरे के लन्ड और चूत को चूसने लगे। थोड़ी देर बाद ही वह अकड़ गई और एक लम्बी सिसकार के साथ उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया जिससे बेडशीट भीग गई।

इधर सुनीता मेरे लौड़े को जोर जोर से चूस रही थी जिससे वह फ़नफ़ना रहा था। आखिर मैंने अपना लौड़ा छुड़वाया तो वह लेट गई और बुरी तरह हाँफने लगी।

तो मैं भी देर ना करके उसके ऊपर आ गया। मैंने उसके मोटे मोटे चूतड़ों के नीचे दो तकिये रख दिये जिससे उसकी चूत काफी ऊपर उठ गई।

अब मैं उसके ऊपर आ गया व उसकी चूत पर लौड़ा रखकर अपना सारा भार उस पर डाल दिया पर उसकी कसी चूत से मेरा लौड़ा सरक गया।

मैंने अपना लौड़ा दोबारा से चूत से सटाकर जोर से झटका मार दिया जिससे लन्ड का आधा हिस्सा अन्दर चला गया और वो दर्द से चिल्लाने लगी और छोड़ने को कहने लगी।

लेकिन मैंने लौड़ा बाहर ना निकाल कर धीरे धीरे और अन्दर कर दिया और थोड़ी देर रूक गया। उसका दर्द कम हुआ तो सुनीता ने खुद ही कमर ऊपर करनी शुरु कर दी।

अब मैं जोर-जोर से धक्के लगाने लगा था और वह ‘उई माँ उई माँ’ चिल्लाने लगी।

थोड़ी देर बाद उसकी चूत ने फ़िर पानी छोड़ दिया। लेकिन मैं था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। थोड़ी देर बाद मैं कुछ अकड़ा और एकाएक हाँफता हुआ उस पर गिर गया, मेरे लौड़े से पिचकारी सी छुट गई और वह भी लम्बी लम्बी साँसें भरने लगी।

कुछ देर बाद मैंने अपना लौड़ा निकाला तो वह पूरा उसके खून से सना हुआ था और चादर पर भी काफ़ी खून था।

हम दोनों ने एक दूसरे को चूमकर अपने कपड़े पहने और मिलकर बेड व खुद को साफ किया।

इसके बाद मैंने उसे घर जाने को कहा तो वह मुस्कुराते हुये अगले दिन मिलने को कहकर चली गई।

मैंने देखा कि उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। मैंने उसे रोककर दर्दनिवारक गोली दी और उसे बाहर तक छोड़ आया।

अगले दिन वो मिली तो उसने अपनी चूत दिखाई वह काफी लाल हो गई थी और सूज गई थी। मैंने उसे गर्म पानी से धोया जिससे उसे कुछ आराम मिला।

कुछ दिनो के बाद मैंने उसकी गाण्ड भी मारी, यह अगली कहानी में लिखूँगा। तब तक अपनी प्रतिक्रिया निम्न इमेल पर भेजें।