मेरी दीदी के कारनामे -4

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क्या मस्त चूतड़ थे दीदी के ! दिल तो कर रहा था कि पूरी जिंदगी दीदी की गाण्ड ही चाटता रहूँ..

मैं वहीं बैठा दीदी को बातें करता देख रहा था और अपना लंड सहला रहा था..तभी छत पर आवाज़ हुई और दीदी ने फोन काट दिया.. सामने से वो हैवान आता दिखाई दिया… सिर्फ़ एक लुँगी लपेट कर आया था..

रात के अंधेरे में छत पर एक लाइट जल रही थी..जिसमे वो दोनों साफ साफ दिख रहे थे..

वो आकर दीदी के बाजू में बैठ गया और किसी फूल की तरह दीदी को उठाकर अपनी गोद में कर लिया.. अब दीदी का सिर उसकी गोद में था..

वो नीचे झुका और दीदी के होंठ पर अपने होंठ रख दिए..फिर दोनों फ्रेंच किस में खो गये। वो दोनों एक दूसरे की जीभ चूस रहे थे, तभी उसने दीदी के निचले होंठ को अपने होंठ के बीच लेकर चूसना शुरू किया और अचानक से उसने दीदी के होंठ काट लिया…

दीदी चिंहुक उठी.. मगर फिर वो और ज़ोर से उस पुलिस वाले के होंठ चूसने लगी..

देखने से लग रहा था कि दोनों के बदन की गर्मी अब तेज़ी से बढ़ती जा रही थी… दोनों की चूमना चूसना बहुत उत्तेजक हो रहा था, पागलों की तरह चूम रहे थे दोनों.. तभी उसका हाथ दीदी के ब्लाउज़ के ऊपर से चूचियों को दबाने लगा..

दीदी के मुँह से एक कामुक आहह निकल गई.. इतनी कामुक कराह थी कि मैं तो झड़ने वाला था…

वो दोनों एक दूसरे को खाने वाले इरादे से चाट रहे थे.. फिर दीदी ने अपना हाथ उसकी लुँगी के अंदर दे दिया.. और तभी उस आदमी के कराहने की आवाज़ आई.. शायद दीदी ने उसके लंड को दबा दिया होगा ज़ोर से..

दोनों के मुँह से कामुक आवाज़ें आ रही थी.. आहह म्‍म… ओह्ह…

फिर उसने दीदी के ब्लाउज के हुक खोल दिए और दीदी की दोनों चूचियाँ बाहर आ गई..

दूध सी गोरी चूचियाँ.. मसली जाने की वजह से लाल हो गई थी.. उनकी की घुंडियाँ एकदम भूरी और कड़क हो गई थी.. फिर उसने ज़ोर ज़ोर से चूचियो को मसलना शुरू कर दिया..

अब दीदी के मचलने की बारी थी..

वो बस कसमसा रही थी.. बेचैन हो रही थी.. आहह… ओह्ह्ह… आइ… ई… यई…

और कामुक आवाज़ में कुछ कुछ बोल रही थी… अम्म आह.. और.. आउच हह.. आराम से… एम्म्म… हाँ पियो इन्हे.. दूध निकालो इनमें से.. निचोड़ लो सब कुछ आज.. आअहह…

तभी वो आदमी खड़ा हुआ और अपनी लुँगी खोल दी…

उसका लौड़ा एकदम खड़ा था.. शाम जैसे ही भयानक दिख रहा था.. लंबाई ऐसा लगा मानो एक इंच और बढ़ गया था। बिल्कुल काला.. और सुपाड़ा एकदम लाल.. बल्ब की रोशनी में एकदम चमक रहा था… अब वो वहाँ से उठ कर दीदी के पैरों की तरफ आने लगा और तभी उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और वो हल्के से मुस्कुरा दिया..

मैं भी अनायास ही मुस्कुरा दिया..

अब वो इस तरफ से दीदी पर चढ़ रहा था.. इस वक़्त उसकी पीठ मेरी तरफ थी और वो दीदी की टाँगों के बीच था..

उसने दीदी के पेटिकोट खोलना चाहा लेकिन दीदी ने मना कर दिया, बोली- आज नहीं अगली बार ! आज ऐसे ही करो…

अब वो समय आने वाला था जिसका मैं बड़ी बेसबरी से इंतजार कर रहा था..

उसने पेटीकोट को ऊपर उठाया, अब दीदी की टांगें एकदम नंगी थी और मैं कुछ फुट दूर से देख रहा था यह सब लेकिन दीदी की चूत नहीं देख पा रहा था.. तभी उसने पीछे मुड़ कर मुझे आगे आने का इशारा किया..

मुझे काफ़ी डर लगा रहा था लेकिन पास से चुदाई देखने के लिए मैं मरा जा रहा था, मेरा पाजामा घुटने तक था और मैं ऐसे ही नंगे हालत में कुत्ते की तरह चुपचाप उनकी तरफ जाने लगा..

आगे जाकर मुझे बात समझ आई कि क्यूंकि यह इतने बड़े शरीर वाला है.. और जब ऊपर से ये दीदी पर आ जाए तो दीदी को कभी नहीं पता चलेगा कि उसके पीछे खाट के नीचे कौन बैठा है।

अब उसने दीदी की टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया।

सच कहूँ दोस्तो, आज तक इतना कामुक हसीन नज़ारा किसी ने नहीं देखा होगा जो आज मैं देख रहा था।

सिर्फ़ कुछ इंच की दूरी पर मेरी दीदी की पावरोटी जैसे फूली हुई चूत थी.. दोनों फांकों पर हल्के बाल थे.. चूत बहुत पनियाई हुई थी.. और लबलबा रही थी… मानो चीख चीख कर लंड माँग रही हो।

चूत का मुँह बार बार अपने आप खुल रहा था और बंद हो रहा था…

उधर वो पुलिस वाला दीदी पर चढ़ कर उनके होंठ को चूसने लगा, इधर उसका हैवानी लंड दीदी की चूत पर आकर रगड़ने लगा।

दीदी की साँस अब बहुत तेज़ चलने लगी थी- ..आहह..एम्म ! चोदो मुझे.. ! प्लीज़ मुझे चोदो…आह ह्ह्ह्ह.. और मत तड़पाओ…

दीदी की गाण्ड अपने आप ऊपर की तरफ उठ कर लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी मगर उस पुलिस वाले को दीदी को तड़पाने में मज़ा आ रहा था..

अब तो दीदी की पनियाई चूत और जोर से बहने लगी और उनका चूतरस उनकी चूत से बहता हुआ उनकी गाण्ड के छेद तक चला गया..

चूत और गाण्ड पर चूतरस लगे होने की वजह से बहुत चमक रही थी ऐसा लग रहा था मानो मेरे आगे जन्नत की सबसे सुंदर चूत और गांड है…

तभी उसने अपना लंड हाथ में पकड़ा और दीदी की चूत के मुहाने पर रख कर चूत और चूत का दाना रगड़ने लगा..

एक ही रगड़ ने दीदी के मुँह से चीख निकलवा दी.. ओइं आह्ह्हह्ह ! आअहह प्लीज़ और मत तड़पाओ मुझे ईईए ! अह.. इस…म्‍मम…

साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी दीदी की !

इधर उनकी गाण्ड और जोर से मचल मचल कर लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी… और तभी उसने लंड को चूत पर टिका कर एक ज़ोरदार झटका दिया.. और आधा लंड दीदी की पनियाई चूत के अंदर उतार दिया..

“आह ह्ह्ह्ह…” वो आदमी दीदी की चूत की गर्मी का एहसास पाते ही कराह उठा..

उधर दीदी भी दर्द और काम से मचल कर चीख उठी.. …उई माँ …आई ईई ई…

फिर तो उस आदमी ने 2-3 झटके और मारे और पूरा लंड मेरी दीदी की नाज़ुक चूत के अंदर उतार दिया। उस वक़्त तो ऐसा लग रहा था मानो किसी ने ज़बरदस्ती यह लंड चूत में फंसा दिया और अब यह नहीं निकलेगा नहीं।

तभी उसने धीरे से अपने लंड बाहर खींचना शुरू किया।

उसका लंड चूत में इतना कस कर फंसा था कि लंड वापिस खिंचते वक़्त ऐसा लगा रहा था मानो चूत भी ऊपर खींची जा रही है..

तभी दीदी का शरीर अकड़ने लगा और उनके पैर कांपने लगे।

मैं त… त..तो… तो… गा… ग… गाइइ..

और दीदी झड़ गई ! उस हैवानी लंड के बस एक वार ने एक औरत की चूत का पानी निकाल दिया..

उसके बाद उसने फिर से झटके से चूत में लंड घुसा दिया और अब वो चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगा- आह… आह… आह… आह उहह… आ… उहह आ…

एक ही मिनट बाद दीदी फिर से अकड़ने लगी.. और तभी फिर से उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो ज़ोर से चीखी- अह ह्हह ..आ… आ..अया…आ गई मैं फिर से…

इधर उसके लंड पर दीदी के चूत का गाड़ा सफेद पानी तेल की तरह लिपट कर चमक रहा था और अब उसका लंड की मशीन की तरह अंदर बाहर हो रहा था..

करीब 10 मिनट की धमाकेदार चुदाई हुई और दीदी करीब 3 बार और झड़ी.. नीचे बिस्तर पर एक बड़ा हिस्सा गीला हो चुका था…

तभी उस आदमी के जोरदार गुर्राहट के साथ उसने दीदी के चूत में अपना वीर्य भरना शुरू किया और यहाँ दीदी की चूत से उनका चूत रस और वीर्य मिलकर बाहर बहने लगा।

उसने अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाला.. मेरी दीदी की नाज़ुक सी चूत का कचूमर निकल चुका था.. करीब एक इंच छेद बन चुका था.. जो लपलपा रहा था और पूरी तरह से वीर्य से भरा हुआ था।

तभी मुझे इशारे से पीछे जाने के लिए बोला और मैं फिर से अपनी पुरानी जगह वापिस चला गया।

फिर उस रात एक बार और चुदाई हुई, इस बार तो दीदी दर्द से चीखने लगी.. दूसरी चुदाई बहुत लंबी चली करीब 20 मिनट तक..

बीच में उसमें दीदी को को बिस्तर के सहारे झुका कर चोदना चाहा मगर इतनी जोरदार लंड से चुदने के बाद और करीब 8-9 बार झड़ने के बाद उसमें जान नहीं बची थी, उसके बाद वो फिर से दीदी की चूत में अपना वीर्य डाल दिया..

फिर कुछ देर वो वैसे ही पड़े रहे और कुछ होने के आसार नहीं दिखे तो मैं भी नीचे आ गया।

सुबह जब दीदी मुझे जगाने आई तो उनके कटे हुए होंठ को देख कर मेरी लंड ने एक बार फिर ज़ोरदार ठुमका मारा..

दीदी की चेहरे पर एक अलग ही रौनक दिख रही थी..

उस दिन मुझे यह एहसास हुआ कि अगर औरत की चुदाई उसकी संतुष्टि तक हो जाए तो सुबह उसके चेहरे पर रौनक देखते ही बनती है…

खैर अगले दिन रक्षाबन्धन था, और फिर शाम को ही मुझे वहाँ से अपने घर वापिस आना पड़ा मगर यह घटना मैं आज तक नहीं भूला..

उम्मीद है कि मेरी दीदी के कारनामे आप सभी को पसंद आ रहे हैं.. मेल में ज़रूर बताएँ।

आपका रोहित पुणे वाले skype id : secret.dewar 3229

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