अकबर और बीरबल: गडरिया

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प्रस्तुतकर्ता : छुपा रुस्तम अकबर के दरबार में नौ रत्न थे जिनमें राजा बीरबल ही ऐसा था जो न सिर्फ अकबर को प्यारा था वरन अकबर की रानियों का भी मुंहलगा था।

रानियाँ अक्सर बीरबल को चुहलबाजी हेतु जनानखाने में बुला लेती थी।

इस बात को लेकर अकबर के अन्य रत्न विशेषकर मल्ला दोप्याजा ओर हकीम हुमाम बहुत जलते थे और बीरबल के खिलाफ अक्सर साजीशन महाराजा अकबर को भड़काते थे। किन्तु बीरबल अपनी हाजिरजवाबी से उनके मंसूबे नाकाम कर देता था।

एक बार अकबर के दरबार में एक गूंगी बुढ़िया ने अपनी फरियाद इशारों में राजा को बताई, अकबर ने बुढिया के इशारों को समझकर उसकी समस्या का उचित समाधान कर दिया। सभी दरबारियों ने इस बात के लिए राजा की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

अचानक मल्ला दोप्याजा के दिमाग में एक साजिश आई, उसने अकबर से कहा- जहांपनाह! बीरबल अपने को इशारेबाजी में बहुत उस्ताद समझता है, आप उसकी परीक्षा लें!

अकबर ने ताव मे आकर तुरन्त बीरबल को बुलवा कर हुक्म सुनाया कि अगले दरबार में मैं तुमसे दो सवाल इशारों में पूछूँगा और उनके जवाब इशारे में आने चाहिएँ, जवाब गलत होने पर तुम्हारी गर्दन काट दी जाएगी!

अब बीरबल घर आया तो वह बहुत परेशान था, बीवी और बेटी के पूछने पर उसने महाराज के हुक्म के बारे में बताया, बीरबल ने कहा- जुबान से तो मैं किसी भी प्रश्न का जबाब दे सकता हूँ लेकिन बेजुबान/इशारे की भाषा का मुझे कोई ज्ञान नहीँ है।

बीरबल को उसकी बेटी ने समझाया- अगला दरबार सात दिन बाद होगा, तब तक आप कहीं दूर एकान्त में घूम फिर आएँ, शायद इस समस्या का कोई समाधान आपको सूझ जाए।

अगले दिन बीरबल घूमने निकल पड़ा। तीन दिन भटकने के बाद वह एक गांव में पहुँचा तो उसने देखा कि एक गडरिया लगभग चार सौ भेड़ों को इशारों में हांक रहा था।

बस बीरबल को उपाय सूझ गया, उसने गडरिये को एक सौ सोने की अशर्फियाँ जो कि उसकी भेड़ों की कीमत के बराबर थी।

देकर अपने साथ दरबार में चलने के लिए राजी कर लिया और गडरिये को समझाया कि बादशाह के दो सवालों का जबाब इशारों में देना है!

अब वो दिन आ ही गया जब बादशाह अकबर का दरबार सभी नवरत्नों और दरबारियों से खचाखच भरा था। मल्ला दोप्याजा और हकीम हुमाम बहुत खुश थे क्योंकि उनको यकीन था कि आज बीरबल की गर्दन कटकर ही रहेगी।

जबकि मान सिंह, टोडरमल आदि बीरबल के प्रति चिंतित थे।

दरबार में सनसनी सी फैली थी, लोग खुसुर-पुसुर कर रहे थे कि तभी हरकारे की आवाज गूंज उठी- बा-अदब.. बा-मुलाहिजा हौशियार! जिल्ले-शुभानी, शहंशाह ए हिन्दूस्तान, मौहम्म्द मद-जलालुद्दीन-अकबर… दरबार में.. जलवा अफरोज हो रहे हैं…

शहंशाह शान से सिंहासन की ओर बढ़ने लगे, सभी दरबारी उठ-उठकर बादशाह को सलाम बजाने लगे, सिर्फ संगीत सम्राट तानसेन ने ही बादशाह को बांये हाथ से सलाम बजाया!!!

पूरे दरबार में जानलेवा सन्नाटा पसरा हुआ था, मानो काटो तो खून नहीं, शहंशाह ने बीरबल से कहा- क्या तुम परीक्षा के लिए तैयार हो?

बीरबल ने कहा- जहांपनाह, मैं इम्तिहान के लिए तैयार हूँ लेकिन गुस्ताखी माफ हो! आपके सवाल का जबाब तो एक मामूली गडरिया भी दे सकता है!

यह सुनकर शहंशाह ने गुस्से से तमतमाकर कहा- कहाँ है वो गडरिया? उसे पेश किया जाए, यदि वो सही उत्तर ना दे पाया तो बीरबल, तुम्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा!

यह सुनकर मल्ला दो प्याजा और हकीम हुमाम मन ही मन कुढ़ गये कि यह भौसड़ी वाला बीरबल अपने बचने के रास्ते कहां-कहां से ढूढ निकालता है!

अब भरे दरबार में गडरिया और अकबर आमने-सामने थे, जबकि बीरबल सोच रह था कि आज उसकी नौकरी तो निश्चित चली गई है, पर शुक्र यह है कि उसकी जान बच गई है।

शहंशाह अकबर ने अपने पहले सवाल के रूप में हवा में एक अंगुली उठाकर गडरिये को इशारा किया।

गडरिये ने तुरन्त बादशाह को सलाम बजाकर हवा में दो अंगुली उठाकर जबाब दिया!

दरबार में किसी की समझ में कुछ नहीं आया!

बादशाह अकबर ने तुरन्त खड़े होकर घोषणा की कि इस गडरिये को पचास हजार सोने की अशर्फियाँ ईनाम में दी जाती हैं!

50000 सोने की अशर्फियाँ!

यह सुनकर दरबारी कानाफूसी करने लगे! जबकि मल्ला दो प्याजा ने खड़े होकर कहा- हजूर यह क्या हो रहा है? आप बीरबल की चाल में आकर इस दो कौड़ी के गडरिये को इतना पैसा दे रहे हो जो हमारी तो पांच महीने की पगार के बराबर है!

अब शहनशाह अकबर के गुस्से का ठिकाना न था, उन्होंने हुक्म सुनाया- महामंत्री कानाफूसी करने वाले सभी दरबारियों की 15 दिन की तनख्वाह काट दी जाए और मल्ला दो प्याजा की दो माह की तन्खवाह काट ली जाए! ये लोग बिना मेरे हुकुम के दरबार में इस तरह गुस्ताखी कर रहे हैं।

अब सभी दरबारी डरकर शांत होकर बैठ गये।

शहंशाह अकबर ने दूसरे सवाल के रूप में अपनी एक अंगुली को हवा में गोल-गोल घुमाकर काल्पनिक वृत/गोला बनाकर गडरिए की ओर इशारा किया!

अब गडरिये ने जो कारनामा किया वो इससे पहले मुगल इतिहास में कभी नहीं हुआ था!गडरिये ने भरे दरबार में बादशाह की ओर लंगोट खोलकर अपना फनफनाता लंड लहरा दिया!

यह देखकर सभी दरबारी गुस्से मे खड़े हो गये जबकि मल्ला दो प्याजा और हकीम हुमाम ने अपनी तलवार म्यान से बाहर निकाल ली।

अब तो बादशाह अकबर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया, उनके गुस्से को देखकर सभी लोग डरकर चुपचाप अपने-अपने आसनों पर बैठ गये।

बादशाह अकबर ने अत्यंत गुस्से से कहा- ऐसा वाकया तो हिन्दुस्तान की सल्तनत में पहली बार हुआ है कि बिना शहंशाह के हुकुम के सभी दरबारी अपने आसनों से खड़े हो गये और कुछ ने तो अपनी तलवार निकालने की भी हिमाकत कर डाली!

बादशाह ने फैसला सुनाया- महामंत्री, सभी दरबारियों की दो माह की तनख्वाह और काट दी जाए एवं हकीम हुमाम, मल्ला दो प्याजा की चार माह की तनख्वाह काट दी जाये!

फिर बादशाह ने कहा- इस गडरिये को दो लाख सोने की अशर्फियाँ ईनाम देकर शाही बग्घी में बिठाकर घर तक छोड़ दिया जाए!और बीरबल को इतने विद्वान आदमी को दरबार में लाने के ऐवज मे छह माह की अतिरीक्त तनख्वाह दी जाए!

दरबार में घोर आश्चर्य और सनसनी फैल गई! सभी दरबारियों की गांड फटी पड़ी थी कि आखिर यह हो क्या रहा है?खुद बीरबल का भी सर चकरा रहा था!

गडरिये की विदाई के बाद सभी दरबारियों ने बादशाह को सलाम बजाकर अर्ज किया- हजूर चाहे आप हमारी दो माह की तनख्वाह और ले लो लेकिन हमें यह बता दो कि भरे दरबार में नंगा होकर गडरिये ने जो दरबार और इस्लाम तक का अपमान किया है, उसको आपने ईनाम क्यों दिया है?

बादशाह अकबर ने हंसकर कहा- इसका जबाब आपको बीरबल देगा।

अब बीरबल की भी फट गई किन्तु उसने हाजिर-जबाबी से कहा- खुद बादशाह के होते हुए यह नाचीज कैसे गुस्ताखी कर सकता है!

अब बादशाह ने बताया- मैंने एक उंगली उठाई कि अल्लाह, ईश्वर या ऊपरवाला एक है तो गडरिये ने मुझे सलाम बजाकर बताया कि एक ऊपर वाला है और एक आप अन्नदाता हो जो मुझे मार या बचा सकते हो।

बादशाह बोले- फिर मैंने हवा में अंगुली घुमाकर पूछा कि इस दुनिया का सार क्या है? यह दुनिया किससे कायम है?

तो गडरिये ने हमें नंगा सच बताया कि यह दुनिया लण्ड से ही कायम है, भले ही ऐसा करना हमारे धर्म के खिलाफ था पर गडरिये के पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था।

सबने बादशाह की वाह वाही की, दरबार बर्खास्त किया गया।

मल्ला दो प्याजा और हकीम हुमाम सबसे ज्यादा भन्नाये हुए थे क्योंकि उनकी गाण्ड और आण्ड ही सबसे ज्यादा छिली थी।

अब बीरबल घर पहुँचा तो उसे नींद नहीं आई कि आखिर गडरिया इतना समझदार कैसे निकला!

मामले की तह तक जाने के लिए बीरबल रात को ही गडरिये के घर पहुँचा तो उसने देखा की गडरिया और उसकी चार सौ भेड़े अशर्फियों के ढेर पर सोये पड़े हैं।

बीरबल ने गडरिये को जगाकर पूछा- तूने बादशाह की एक अंगुली के जबाब में दो अंगुली क्यों उठाई?

तो गडरिया बोला- बादशाह ने मुझे इशारा किया कि मुझे एक भेड़ चाहिए! तो मैंने बादशाह को सलाम बजाया और इशारा किया कि आप तो राजा हैं, दिक्कत क्या है, आप एक क्या दो भेड़ ले लो।

अच्छा! बीरबल का सर चकराया, फिर बीरबल ने पूछा- गडरिये, तूने भरे दरबार मे अपना लण्ड क्यों लहराया?

गडरिया बोला- बादशाह ने इशारा किया कि मैँ तुम्हारी सारी भेड़ें ले लूँगा तो मैने इशारा किया कि भौसड़ी के! सारी लेगा? मादरचोद ले मेरा घंटा पकड़!

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