साक्षी संग रंगरेलियाँ-6

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अभी तक :

साक्षी बोली- मंजू तेरा सब काम ठीक हुआ ना? मजा आया ना?

मंजू बोली- मजा आया, इतना मजा आया कि यह अंदर था तब तक ठीक लगा, अब चूत दुख रही है।

साक्षी बोली- जवाहरजी मुझे आपने नंगी कराया था ना, अब चलिए मुझे चोदिए।

मैं बोला- क्या यार, मुझे लग रहा है कि परायों के बीच हूँ, अपनों के नहीं।

साक्षी बोली- क्यों, ऐसा क्या कर दिया हमने?

मैं बोला- तुमने अपनी सहेली से तो पूछ लिया कि ठीक हैं कि नहीं। पर मुझसे नहीं पूछा कि आप कैसे हैं।

साक्षी बोली- ओह… भूल गई थी जस्सूजी, आप मेरे साथ वाशरूम आइए।

यह बोलकर उसने अपने बैग से एक छोटी सी डिब्बी ली। मैं और वो वाशरूम आए। यहाँ जाकर उसने लौड़े को साबुन से अच्छे से साफ किया, फिर पानी डालकर उसे धोया। इसके बाद अपने साथ लाई डिब्बी के केमिकल को लौड़े में पूरा लगाया। केमिकल डालने से बहुत ठंडा लगा, मैंने पूछा- क्या है यह?

साक्षी बोली- इससे आपका लौड़ा उस क्रीम और बाकी सभी खतरों से दूर है।

हम दोनों नंगे ही बाथरूम से निकले। बिस्तर पर पहुँचकर साक्षी बोली- चलिए मैंने अपना काम पूरा किया। अब आपने ही मुझे नंगी किया था ना, अब अपना लौड़ा मेरी चूत में डालिए।

मैं बोला- डाक्टर साहिबा, लगातार चुदाई से मेरा लण्ड थक गया है। वह भी थोड़ा सुस्ताना चाहता है।

साक्षी बोली- जस्सूजी, आपके लण्ड को हम नहीं जानते हैं क्या? इसे चोदने को कोई माल चाहिए बस। तुरंत टनटना जाता है।

मैं बोला- एक पुराने कवि ने अपने प्राण छोड़ने से पहले मुझे ऐसी ही स्थिति में फंसा हुआ देखकर बहुत दुखी होकर कहा था-

“चोदन चोदन सब कहें, चोद सके ना कोय, जब चोदन की बारी आई लण्ड खड़ा न होय।”

साक्षी बोली- यानि?

मैं बोला- यानि यह कि प्रिये, अभी चोदकर थका हुआ है मैं और मेरा लण्ड ! थोड़ी देर रूको, फिर करता हूँ। तब तक चुदाई की ही कोई बात बताओ। जिससे पता लगे कि हमारी इस एवरग्रीन दोस्त के सैक्स का अनुभव कैसा रहा है।

साक्षी बोली- मैंने आपसे कहा था ना कि जिन लड़कों से मैंने चुदवाया है, उनके बारे में बताऊँगी। तो अब एक और के बारे में बताती हूँ। यह उससे चुदाई की बात तो नहीं हैं पर यह मंजू की एकदम खास सहेली की बात है।

मंजू बोली- मेरी खास सहेली? कौन है यार?

साक्षी बोली- मुझे उसकी बात बताने दे, फिर तू भी जान जाएगी।

मंजू व मैं बोले- हाँ बताओ।

साक्षी बोली- मैंने यह देखा हूँ कि किसी भी लड़के को चुदाई के लिए तैयार करती हूँ, तो वह भोसड़ी का चुदाई करके अलग हटने के बदले मेरे साथ शादी करने के ही चक्कर में आ जाता है और हमारा कोर्स ऐसा है कि मैक्सिमम लड़के-लड़कियाँ डाक्टरी की पढ़ाई करते हुए ही शादी तक पहुँच जाते हैं। यही नहीं इधर डिग्री लिए और उधर शादी भी कर लेते हैं। पर अभी मैं जिस लड़के की बात कर रही हूँ उसका नाम नितिन है, वह भी मुझसे सीनियर रहा है, अब डाक्टर हो भी चुका है। तो उसने हमारे कालेज की जिस लड़की से शादी की, वह बहुत चुदक्कड़ थी। उसके शहर से तो उसे चोदने लड़के आते ही थे, यहाँ के भी कई लड़कों से वह चुदवा चुकी थी।

पर जैसा हम लोगों को पता चला था कि अपनी चुदाई को छुपाने ही बहुत शरीफ बनकर उसने नितिन को अपने जाल में फंसाया।

यह नितिन वर्जिनिटी चेक करने में स्पेस्लाइजेशन किया हुआ था। वो भी गधा भोसड़ी का शादी करने की जल्दी में उसे लेकर हॉस्टल से ही भाग गया और दूसरे शहर में जाकर उन दोनों ने शादी कर ली।

बाद में जब हम दोनों मिले, तो मैंने नितिन से पूछा कि कैसी गुजर रही हैं आप दोनों की लाइफ?

तो उसने बताया कि वो बहुत अच्छी हैं, और वो मुझसे कोई बात नहीं छुपाती।

मैं चौंकी कि कहीं इसने अपनी चुदाई के किस्से तो नहीं बता दिए हैं इसे। मैंने पूछा कि क्या क्या बताया है वो बताइए ना?

वह बोला- उसके शहर में और यहाँ भी लड़के कैसे लट्टू थे उसके यह पूरा बताई।

अब मेरी उत्सुकता बढ़ी कि इसने कैसे चूतिया बनाया इसे, यह तो जानू। इसलिए मैं उसके हनीमून की बात को शुरू की, मैंने पूछा- सुहागरात कैसी रही आपकी?

वह बोला- बहुत बढ़िया। उसने मुझे इस रात को, बेड पर लेटने से पहले ही सब बता दी।

मैंने पूछी- कैसे? क्या बताई उसने?

वह बोला- मुझे उस पर पहले ही विश्वास था कि वह मुझसे कुछ नहीं छुपाएगी। सो हनीमून पर जब हम बेड पर मिले तो मैंने उसे कहा- तुम तो मेरी चांद हो जानू।

तो वह बोली- तुम मेरे एडविन एलडरिन।

मैंने पूछा- क्या मतलब? कौन है यह? उसने बताया कि यह चांद पर चढ़ने वाला दूसरा आदमी था। देखो उसने कैसे इतनी बड़ी बात को एकदम सिंपल वे में बता दिया। इसके बाद उसने मुझे बताई कि कैसे रमेश ने उसे बेवकूफ बनाकर, इसके सोते समय इसके साथ सैक्स कर लिया था।

मैं मन में सोची- अबे गोबर गणेश। उसकी ढीली चूत से तुझे इसके चुदक्कड़ होने का भान न हो इसलिए इसने पहले ही अपने चुदे होने की कहानी गढ़ दी। अब करते रह तू वरजिनिटी टेस्ट। पर खुले में मैंने इनकी तारीफ की- क्या मस्त अंडरस्टैंडिग हैं आप लोगो में और कितने अच्छे इंसान हैं आप।

यह बात बताकर साक्षी बोली- अब समझे आप मेरे कालेज की आबो-हवा?

मैं बोला- हाँ बहुत अच्छे से ! मजेदार कालेज हैं तुम्हारा, और बहुत टैलेंटेड स्टुडेंट हैं यहाँ।

यह बोलकर हम तीनों ने खूब ठहाके लगाए।

मंजू बोली- मैं समझ गई, रोमा के बारे में बता रही हो आप यह बात।

साक्षी बोली- मैं पहले ही कह चुकी हूँ कि तेरी सबसे अच्छी दोस्त की कहानी है।

कुछ ऐसी ही बातें हमारे बीच और हुई।

अब साक्षी मेरे जांघ के पास लेटी और लौड़े को पकड़कर बोली- अब फ्रेश हुआ या नहीं तू?

उसके स्पर्श से लौड़ा तनने लगा तो उसने उसे अपने मुँह में ले लिया। इससे लण्ड पूरा टनटना गया। मैं साक्षी के मस्त उरोज़ों को सहलाने लगा।

मंजू साक्षी से बोली- मेरी हेल्प भी चाहिए क्या?

वह बोली- नहीं तू बैठी रह, तू आराम कर माँ की लौड़ी !

साक्षी ने लौड़े को बाहर निकाल कर चाटना जारी रखा। मैंने उसे बिस्तर पर सीधे होने कहा और उसके ऊपर आ गया। होंठों को अच्छे से चूसने के बाद मैं उससे बोला- यह क्रीम तो बहुत बढ़िया है। क्यूं ना इससे तुम्हारे गाण्ड की सील खोली जाए?

साक्षी बोली- यही तुम सभी मर्दों की आदत हैं बहनचोदो। बस लौड़ा खड़ा हुआ नहीं, कि उसे डालना है। चूत का काम निकल गया तो गाण्ड में डालो, फिर गांड मार ली तो मुँह में घुसा दो।

मैं बोला- तो गलत क्या है मादरचोद? ऊपर वाले ने हमें एक लण्ड दिया है और तुम्हे डलवाने को तीन छेद। किसी में भी नहीं जाएगा, तो बुरा नहीं लगेगा, तुम्हें?

साक्षी बोली- अरे यार, वो सब छोड़ ,बाद में बात करना मेरी गांड मारने की, अभी तो मेरी चूत को चोद !

मैं उसके निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा।

तब वह फिर बोली- अबे ओ, अब ये चुस्स चुस्स बाद में करियो, पहले लौड़े को डाल।

उसकी उत्तेजना देखकर मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत पर रखा और झटका मारा। वह उछली, फिर थोड़ी ही देर में उसने भी नीचे से झटके लगाने शुरू कर दिए। इस बार मैंने ध्यान रखा कि साक्षी की चूत में मेरा पूरा लण्ड रहे। जमकर चली इस चुदाई से वह जल्दी ही ठंडी पड़ गई। मैं उसके ऊपर ही लेट गया।

थोड़ी ही देर में साक्षी पेशाब करने उठी, मंजू वैसे ही लेटी थी, साक्षी बाहर निकलते ही उसे बोली- मंजू, चल जल्दी, टाइम हो गया है। मंजू उठकर मूतने गई। अब मैंने अपने बैग से साक्षी के लाया हुआ गिफ्ट निकाला व उसके पास जाकर बोला- यार, स्नेहा ने यह तुम्हारे लिए भेजा था, पर आज मंजू भी मिल गई है। यदि तुम बोलो तो इसे मंजू को दे देता हूँ क्यूंकि उसने आज पहली बार चुदवाई है और तुम्हारा गिफ्ट ड्यू रहा मुझ पर !

साक्षी बोली- अरे मेरे लिए टेंशन क्यों पाल रहे हैं? मुझे इतनी अच्छी ड्रेस तो ले दी है आपने, मंजू को इसे बाद में दे देना।

मैं बोला- नहीं यार, आज देने की बात अलग होगी।

कुछ देर में मंजू आई, साक्षी उसे बोली- ये ले यार, तेरा दूल्हा तेरी नथ उतराई की रस्म अदा करना चाहता है।

मंजू भी बहुत ना-नुकुर करने के बाद वह गिफ्ट बाक्स ले लिया। इसके बाद दोनों तैयार हुई और होटल से बाहर निकल ली। उन्हें छोड़ने मैं भी टैक्सी स्टैंड तक गया।

तो दोस्तो ऐसा गुजरा देहरादून में मेरा साक्षी और मंजू के साथ यह दूसरा दिन। मेरी यह आपबीती आपको कैसी लगी कृपया बताएँ।

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