औरतों का सेवक

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प्रेषक : रोहित

दोस्तो नमस्कार !

मैं गत चार सालों से सभी कहानियाँ पढ़ रहा हूँ, अब मुझे भी अपनी एक सच्ची कहानी बतानी है। मेरा नाम रोहित है, मेरी उम्र 26 है, अपनी उम्र से बड़ी उम्र की लड़कियों और आँटियों से मेरे शारीरिक सम्बन्ध रहे हैं।

यह भी कह सकते हैं कि मैंने हमेशा उन महिलाओं की इच्छाओं का सम्मान किया है और औरतों का सेवक बन कर उनकी सेक्स सेवा की है, जो उनके पति ने कभी नहीं की।

मैंने अपने जीवान में अभी तक 38 महिलाओं की सेवा की है और जैसे उन्होंने चाहा, वो किया है। ऐसी ही एक महिला की कहानी है,

दो साल पहले मैं एक बस में सफर कर रहा था, मेरे बगल में एक महिला बैठी थी। तीन घन्टे के सफ़र के बाद अचानक उससे मेरी बात शुरु हो गई। वो उतरने वाली थी कि अचानक उसने मुझसे मेरा फोन का नम्बर मांगा और मैंने भी उसे दे दिया।

देखने में वो अविवाहिता लग रही थी और उसकी उम्र लगभग 25 वर्ष लग रही थी।

दो दिन बाद उसका फोन मेरे पास आया, उसने कहा कि वो मुझसे दोस्ती करना चाहती है।

मैंने भी हाँ कर दी। जैसा सभी औरतों में मैंने पाया कि वो अपने दिल की बात किसी से नहीं कर पाती हैं और एक दोस्त तलाशती है। मेरे सारे अनुमान धरे के धरे रह गए जब मैंने उसके बारे में जाना।

वो एक अच्छे स्कूल की प्रधानाचार्या थी, उसके 3 बच्चे थे और उसका पति भी एक कालेज में प्रधानाचार्य था। उसके बच्चे बोर्डिंग में पढ़ते थे, उसकी उम्र 32 साल थी, वो शरीर से तो जवान थी पर अकेलेपन में मन से जवानी खत्म हो रही थी।बात करते करते हमारे बीच में सेक्स की भी बातें होने लगी।

एक दिन उससे बात करते करते उसने मुझसे सम्भोग की बात की और मैंने भी हाँ कर दी। हम दोनों ने तय कर लिया कि अब मिलना है।वो अपनी कार से आई और मुझे पिक करके अपने घर ले गई। उस दिन उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी। उस दिन उसने काली साड़ी पहनी थी।

शाम के 8 बजे थे, वो मुझे अपने बेडरुम में ले गई। पहले तो उसने बातें की और बताया कि वो बहुत अकेली है। फ़िर एक दोस्त की तरह मैंने उसे सहारा दिया और जब वो रो रही थी तो उसके आँसू पौंछ कर उसे गले से लगा लिया।

थोड़ी देर में मुझे यह एहसास हुआ कि जैसे वो मेम मुझे अपनी बाहों में जकड़ रही है और उसकी सांसें तेज हो रही थी, वो मुझसे चिपकती जा रही थी, उसका सीना मेरे सीने से दबता जा रहा था, उसके हाथ मेरी कमर से होते हुये मेरे कूल्हों पर थे। मैंने उसको अपने से अलग किया तो उसके चेहरा मेरे चेहरे के सामने था। उसकी आँखों में अब आँसू नहीं बल्कि मस्ती थी, चेहरे पर हंसी थी।

मैंने पूछा तो उसने कहा- इस हंसी का कारण तुम नहीं समझोगे। इस एहसास को एक औरत ही समझ सकती है।

और उस मेम ने अपने नरम होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया, उनके रस भरे होंठों का रस मैं पीने लगा। करीब 15 मिनट की चूमाचाटी में हम कब बेड पर आ गये, पता ही नहीं चला। वो एक जंगली बिल्ली की तरह मेरे ऊपर चढ़ रही थी। मैंने भी उसे उसकी इच्छा पूरी करने दी और उसका साथ निभाता रहा। उसने मेरे ऊपर चुम्बनों की बारिश कर दी।

वो मेरे कपड़े खोलती गई और किस करती गई।

जल्दी से उसने मेरे लण्ड को पकड़ लिया। मेरा 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा लण्ड देख कर उसके चेहरे पर एक अलग सी चमक थी।उसने मेरे लण्ड को चाटा और फ़िर मुँह में ले लिया। जिस कदर मेम ने मेरा लण्ड चूसा, मैं पागल हो गया।

फ़िर क्या, मर्द बेचारा कब तक बर्दाश्त करे। मैंने उसे पकड़ कर बेड पर डाल कर उसकी सवारी की तो वो उठ कर भाग गई।

मैं उसे पकड़ने भागा, उसकी साड़ी मेरे हाथों में आई और वो उसके शरीर से अलग हो गई। यह मस्ती उसे भी पसन्द थी और मुझे भी। साड़ी हटते ही उसका यौवन मेरे सामने था, 34-30-36 और गोरा तन।

मैंने उसे पकड़ा और मस्त मम्मे अपनी हथेलियो में ले लिये। पता नहीं कब हम दोनों पूर्णनग्न हो गये। उनके मम्मे मेरे मुँह में थे और बदन मेरी बाहों में ! निप्पल मेरे होंठों में थे और मेरी उंगली उसकी चूत में !

वो सिसकारियाँ ले रही थी- सी…सी…

हम अब 69 पोजीशन में थे, मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था, वो मदहोश हो रही थी, उसने कहा- अब मेरी ले लो !प्लीज नाओ फ़क मी…

मैंने उसे बेड पर लिटाया और दोनों पैर अपने कन्धे पर रख कर अपना लण्ड उसकी गहराई में उतार दिया।

अभी केवल 5 मिनट ही चोदा था कि वो झड़ गई पर मेरा बाकी था।

मेम ने मुझसे कहा- अभी पिक्चर बाकी है मेरे दोस्त…

पोजीशन बदल कर वो ऊपर आई और मेरे लण्ड पर बैठ गई और मुझे चोदने लगी। मैं उसके मम्मे दबा रहा था।

करीब 20 मिनट बाद वो फ़िर झड़ गई और कहने लगी- मैं हार गई पर ये लण्ड नहीं हारा।

और मेरे ऊपर लेट गई। पाँच मिनट बाद उसकी आँखे एक झटके से खुल गई क्योंकि मेरी बड़ी उंगली उनकी गाण्ड में थी।

वो बोली- तो ये मजा भी लोगे।

मैंने कहा- हाँ !

उसको घोड़ी बनाया और उसकी गाण्ड में बॉडी लोशन डाला और थोड़ा अपने लण्ड पर लगाया।

लण्ड थोड़ा गया था कि वो चिल्लाने लगी- मैं मर जाऊँगी ! बाहर निकालो ! आह आआ आआह !

मैंने उसकी चूत में दो उंगली डाल दी और रगड़ने लगा और धीरे धीरे लण्ड उनकी ग़ाँड में डालता चला गया।

वो पहले तो चिल्लाती रही, फ़िर अपनी गाण्ड आगे पीछे करने लगी- ऊऊउ ………ऊऊउ आह आआह !

15 मिनट चोदने के बाद मेरा सैलाब फ़ट पड़ा, सारा वीर्य उसकी गाँड में डाल दिया और उसके ऊपर ही मैं ग़िर पड़ा।

हम दोनों लिपट कर सोते रहे।

2 दिन हम दोनों ने मस्ती की। फ़िर जब मुझे वापिस आना था तो उसने मेरे पर्स में 5000 रुपये रख दिये। रास्ते में जब मैंने अपना पर्स देखा तो उससे फोन पर पूछा- आपने मेरे पर्स में रुपये क्यों रखे?

तो उसने कहा- आपके लिये हैं, फ़िर कब मिलोगे?

मुझे लगा कि वो मुझे खरीद रही है। आज भी वो 5000 रुपये मेरे पास हैं और मैं उससे मिलने नहीं गया, आज भी वो मुझे बुलाती है लेकिन मैं यह फ़ैसला लेने में असमर्थ हूँ कि मैं जाऊँ या नहीं।

आपकी राय के इन्तजार में आपका दोस्त रोहित !

[email protected]

प्रकाशित : 13 नवम्बर 2013

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