मेरी दीदी की ननदें

लेखक – रजत

हाय ! मैं रजत छत्तीसगढ़ से आपकी सेवा में हाजिर हूँ। मेरी उम्र 28 साल, ऊँचाई 5.9, रंग गोरा है। मैं अपनी कहानी पर आता हूँ, मेरी कहानी का आधार 3-4 साल पहले से बनना शुरू हो गया था। और जिस घटना ने कहानी को मूर्त रूप दिया, वो एक माह पहले मेरे दीदी के घर में होने वाली शादी में हुआ।

मेरी दीदी की शादी हमारे ही गाँव में हुई है, उसकी पाँच ननदें हैं, जिसमें से सबसे छोटी ननद की शादी चार साल पहले ही कर दी गई थी। उससे पहले हम दोनों एक दूसरे को मन ही मन पसंद करने लगे थे। वो मुझसे एक साल बड़ी थी, इसी कारण हमारी शादी नहीं हो सकी। पर हम लोग छुप-छुप कर मिलते थे और कभी चूमाचाटी करते या मैं उसके मम्मे को दबा देता था पर उससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ था। ज्यादा समय अकेले मिल नहीं पाते थे, बस समय के इंतजार में थे। हम चाहते थे कि एक पूरी रात हमें कोई अलग न करे।

इसके लिए हमने एक योजना बनाई। मैंने उसकी बड़ी बहन को पटाने की सोची, वो मुझसे करीब 7-8 साल बड़ी है और दिखने में भी सेक्सी लगती है, कोई भी उसे दो बच्चों की माँ नहीं कहेगा, जो भी उसे देखेगा, उसका लण्ड खड़ा हो जाएगा।

मैंने उसे पटाने के लिए उसकी छोटी बहन यानि अपनी जुगाड़ का साथ लिया।

मैंने छोटी को अपनी बड़ी बहन को पटाने के लिए कहा। उसने अपनी बहन को मेरे बारे में बताया कि मैं उसे पसंद करता हूँ। फिर मैंने मौका देख कर उसे इशारा किया और अपने पास बुलाया और अकेले में मिलने के लिए कहा, वो झट से मान भी गई। मैं डर रहा था कि कहीं वो अपने पति को न बता दे, पर ऐसा नहीं हुआ।

मैंने उसे छोटी के साथ उसके छोटे भैया के घर बुलाया, जो दीदी के घर शादी के कारण बंद था।

शादी वाले दिन, किसी बहाने से वो दोनों शादी से निकल कर छोटे भैया के घर आ गई और सामने से ताला लगा कर मुझे पीछे से घर में घुसाया। घर पर अब हम तीन ही थे। मेरे इशारे पर छोटी मुझे और अपनी बहन को अकेला छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गई।

मैंने बड़ी को सीने से लगा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। वो भी चुदासी हो रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी। थोड़ी देर उसको चूमने के बाद मैंने उसकी साड़ी खींच कर उतार दी। उसने भी मेरी शर्ट उतार दी। अब मैं उसके मम्मे ब्लॉउज के ऊपर से ही चूम रहा था। फिर मैंने उसका पेटीकोट और ब्लॉउज भी उतार दिया, अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी।

उसने भी मेरी पैंट उतार दी, मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया। मेरा लंड खड़ा था। उसने मेरा हथियार देखा तो उसकी आँखों में चमक आ गई। वो मेरे लौड़े को अपने हाथों में लेकर मसलने लगी, फिर मुँह में लेकर चचोरने लगी। मैं बता नहीं सकता कि उस समय मैं कैसा महसूस कर रहा था।

मैंने उसकी चोली और पैंटी उतार कर नंगी कर दिया और उसकी चूत चाटने लगा। उसके मुँह से कामुक आवाजें निकल रहीं थीं। कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए।

कुछ देर बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया, मैं फिर से उसे चूमने लगा। वो अब कह रही थी कि अब और ज्यादा न तड़फाओ, अंदर डाल दो। मैंने अपना लण्ड को अपने हाथ से सहलाया और उसके पैरों को फैलाया और उसकी चूत पर अपना लण्ड रख कर एक धक्का मारा तो मेरा लण्ड 2″ अन्दर गया, उसे दर्द होने लगा था।

मैंने उसके मुँह को दबाया और एक और झटका मारा, मेरा लण्ड पूरा अन्दर था। शायद उसका पति उसे रोज चोदता था, जिसके कारण कोई ज्यादा तकलीफ नहीं हुई। फिर मैंने झटके तेज़ किए, वो भी मेरा साथ दे रही थी। कुछ देर बाद वो पलट कर मेरे ऊपर आ गई और ऊपर नीचे होने लगी।

करीब 20 मिनट के बाद वो फिर मेरे नीचे आ गई, मुझे जोर से जकड़ने लगी और झड़ गई। कमरे में हम दोनों की चुदाई की आवाज़ गूँज रही थी। फिर कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने पूछा तो वो अन्दर ही छोड़ने को कहने लगी।

झड़ने के बाद हम ऐसे ही लेटे रहे, कब मेरी आँख लग गई, पता ही नहीं चला।

रात के करीब 2 बजे मुझे मेरे लण्ड पर हाथ महसूस हुआ। मैं खामोश था, पर बड़ी मेरे बगल में लेटी थी तो और कौन हो सकता था। मैंने उठ कर देखा तो छोटी मेरे लण्ड से खेल रही थी।

कुछ देर बाद बड़ी भी जग गई पर छोटी और बड़ी के बीच में कुछ बात हुई और बड़ी वहाँ से चली गई। फिर छोटी मेरे पास आई।

मैं उसे पकड़ कर चूमाचाटी करने लगा, वो मदहोश होने लगी। उसे पता ही नहीं चला कि कब मैंने उसकी साड़ी निकाल दी। मैं तो वैसे ही नंगा था। अब हम दोनों एक दूसरे को होठों पर चूम रहे थे। दस मिनट बाद हम अलग हुए।

इस बार मैंने छोटी के ब्रा, पेटीकोट, पैन्टी सब एक साथ निकाल दिए। अब हमारा सपना पूरा होने जा रहा था। हम दोनों अकेले थे और कोई नहीं था।

हम 69 की स्थिति में थे, वो मेरा लण्ड और मैं उसकी चूत चाट रहा था। पन्द्रह मिनट बाद वो झड़ गई। हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। कुछ देर बाद उसने मेरे लण्ड को फिर चूस कर खड़ा कर दिया और लण्ड अन्दर डालने को कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने उसके पैरों को अपने कंधे पर रखा और लण्ड का सुपारा चूत पर टिका कर झटका दिया। लण्ड थोड़ा सा ही अन्दर गया था, वो चिल्लाने लगी, मैंने तुरंत उसका मुँह बंद कर दिया।

वो बोली- जरा धीरे करो।

मेरे पूछने पर वो बोली- मेरे उनका लंड छोटा है। वो मुझको पूरा खुश नहीं कर पाते हैं।

मैंने धीरे-धीरे पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।

अब मैंने अपने झटके तेज़ कर दिए। वो भी साथ देने लगी। उस रात में मैं दूसरी बार चुदाई कर रहा था और तीन बार झड़ चुका था। इस कारण मेरा माल जल्दी छूटने वाला नहीं था।

पर वो 15 मिनट में ही झड़ गई। मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा और पीछे से उसकी चूत में अपना लौड़ा डाला। करीब दस मिनट तक उसको धकाधक चोदने के बाद मेरा भी निकलने वाला था, मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?

उसने अन्दर ही छोड़ने को कहा तो दो तीन धक्कों में ही मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया। हम दोनों शिथिल हो गए थे तो जल्द ही उसी अवस्था में सो गए।

सुबह पाँच बजे मैं उठ कर अपने घर चला गया।

मेरी दो संतानें उन दोनों की कोख में पलने लगीं।

ये मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना है, झूठ नहीं है। आप मुझे मेल जरूर करना।