इन्जेक्शन

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खुशबू

मेरा नाम सुषमा है, मैं शादीशुदा हूँ और मेरे तीन बच्चे हैं, मैं बहुत सुन्दर हूँ एकदम दूध सी गोरी !

मेरी कहानी एक डॉक्टर के साथ मेरे चक्कर की है, हम लोग गाज़ियाबाद की एक कॉलोनी में नये नये आए थे, मेरे पति ने वहाँ पर एक फ्लैट खरीदा था। मेरे पति एक कम्पनी में मैनेजर हैं।

मेरे छोटे वाले बच्चे की तबीयत कुछ खराब रहती थी तो उसको इन्जेक्शन लगवाने पड़ते थे, हम लोगों को अपने छोटे बेटे को इन्जेक्शन लगवाने के लिए काफी दूर डॉक्टर के पास जाना पड़ता था जिसमें काफ़ी परेशानी होती थी इसलिए हमारी गली के बाहर ही एक डॉक्टर से मेरे पति ने बात की- आप क्या मेरे बेटे को इन्जेक्शन लगा दिया करेंगे?

डॉक्टर साहब राज़ी हो गये मेरे बेटे को इन्जेक्शन लगाने के लिए, मेरे पति ने मुझे घर पर आकर बताया- मैंने एक डॉक्टर को बोल दिया है, वो घर पर आकर ही बच्चे को इन्जेक्शन लगा दिया करेगा।

मैं बोली- चलो यह तो अच्छा हुआ, बड़ी परेशानी होती थी इन्जेक्शन के लिए !

फिर अगले दिन मेरे पति के ऑफ़िस जाते हुए बोले- सुनो सुषमा, डॉक्टर को बोलते हुए जाऊँगा कि वो बच्चे को इन्जेक्शन लगा दे, उसका नाम कुमार है।

मैं बोली- ठीक है !

फिर वो चले गये। करीब 11 बजे के आस पास किसी ने हमारा मुख्य दरवाजा खटखटाया।

मैं- कौन है?

आवाज़ आई- मैं डॉ कुमार हूँ, बच्चे को इन्जेक्शन लगाने आया हूँ।

मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि एक स्मार्ट गोरा सा आदमी है बिल्कुल क्लीन शेव्ड, उसने नजर का चश्मा लगाया हुआ था।

मैं बोली- आइए !

वो अंदर आ गया तो मैंने उसे बैठने के लिए कहा।

वो कुर्सी पर बैठ गया और बोला- आपके पति ने बच्चे को इन्जेक्शन लगाने के लिए बोला था, बच्चा कहाँ है?

मैं बोली- वो अंदर बिस्तर पर लेटा हुआ है, चलिए देख लीजिए और इन्जेक्शन भी लगा दीजिए।

वो मुझे देखते हुए अंदर बेडरूम में मेरे साथ आ गया और बच्चे को देखने लगा।

मैं बोली- आप बच्चे को देखिए, मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ।

वो मुझे देखते हुए बोला- ठीक है।

मैं रसोई में आ गई और चाय बनाते हुए सोचने लगी कि डॉक्टर तो स्मार्ट है, सुन्दर भी है। और मुझे ना जाने उसकी नज़रों में एक अज़ीब सी बात दिखाई दी। सोचते सोचते मेरे दिल की धड़कन बढ़ने सी लगी।

फिर मैं चाय ले कर बेडरूम में आ गई और एक शीशे के गिलास में चाय डॉक्टर को देते हुए उसकी उंगलियाँ मेरी उंगलियों से छू गई। मेरा दिल तो एकदम से धड़क उठा। फिर चाय पी कर और बच्चे की जांच करके वो बोला- चाय के लिए धन्यवाद।

मैं बोली- कितने पैसे दूँ?

वो बोला- रहने दीजिए।

फिर वो दूसरे–तीसरे दिन आकर हमारे बच्चे को देखने लगा, मेरे बच्चे को भी उसे इलाज़ से काफी आराम था, उसमें और मेरे पति में भी काफ़ी दोस्ती हो गई थी, पर वो पता नहीं मुझे कैसी नज़रों से देखता था, और वो तभी घर पर आता था जब मेरे पति नहीं होते थे, लगता था वो मुझसे कुछ कहना चाहता है।

और एक दिन उसने बोल ही दिया। वो हमारे घर पर आया और बच्चे को देखने लगा, मैं फिर चाय बना कर लाई तो बोला- रहने दो अभी मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।

फिर वो बाहर वाले कमरे में कुर्सी पर आ कर बैठ गया और बोला- तुम बहुत सुन्दर हो। पूरी कॉलोनी में आपसे सुन्दर कोई औरत नहीं है, मैं आपको प्यार करने लगा हूँ।

मैं बोली- पर मैं तो आपको प्यार नहीं करती, और मैं तो शादीशुदा भी हूँ।

वो बोला- वो तो मैं जानता हूँ, पर क्या करूँ, मुझे नहीं पता कब तुमसे प्यार हो गया।

मैं बोली- मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ।

और चाय बनाने चली गई।

वो मेरे पीछे रसोई में आ गया और बोला- प्लीज बुरा मत मानो, तुम सचमुच मुझे बहुत अच्छी लगती हो।

मेरे दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था, वैसे वो था तो स्मार्ट और बोलता भी बड़े प्यार से था।

मैं बोली- लो चाय लो !

चाय देते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- क्या तुम मुझे नहीं चाहती? क्या मैं तुम्हें अच्छा नहीं लगता? मुझे तुम्हारी आँखों से पता चलता है कि तुम भी मुझे पसंद करती हो।

मैं बोली- छोड़ो ना, मेरा हाथ तो छोड़ो !

उसने कहा- नहीं, पहले बताओ, तुम मुझे पसंद करती हो ना?

मैं बोली- मुझे नहीं पता।

वो बोला- बोलो ना? प्लीज़ बताओ ना? तुम मुझे चाहती हो ना?

मैं बोली- मैं नहीं जानती ! अब जाओ ! कोई ना कोई मेरे यहाँ आता रहता है पड़ोस से।

वो जाने लगा तो मैं उसे दरवाजे तक छोड़ने आई। तभी उसने एकदम से मेरे गोरे गालों पर एक पप्पी कर दी।

मैं कुछ नहीं बोली और वो चला गया।

अब वो रोज रोज यही बात करने लगा, कभी मेरा हाथ पकड़ लेता, कभी मुझे गले लगा लेता, कभी मेरे गालों पर पप्पी कर देता !

एक दिन तो हद हो गई उसने मेरे रस भरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं तो कुछ बोल ही नहीं पाई, बस आप लोग यह समझिए कि एक तरह से यह मेरी खामोश रज़ामंदी थी।

फिर वो और आगे की बात करने लगा, बोला- सुषमा बहुत मन कर रहा है।

मैं बोली- किसका?

वो बोला- सेक्स करने का !

मैं बोली- नहीं कोई आ गया तो?

और उठ कर झाड़ू लगाने लगी।

वो मेरे पास आया, मुझे गोदी में उठा लिया और लेकर बेडरूम में आ गया और मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे चेहरे को चूमने लगा।

मैं बोली- यह क्या कर रहे हो?

कुमार- प्यार कर रहा हूँ।

वो मेरे गोरे गालो को चूसने लगा और मेरे चूचों को हल्के हल्के दबाने लगा।

मुझे अच्छा लग रहा था, मैंने भी उसको अपनी गोरी बाहों से पकड़ लिया और उसकी कमर को सहलाने लगी।

तभी वो खड़ा हो गया और अपनी कमीज़ और पैंट उतारते हुए बोला- कपड़े उतार देता हूँ, सिलवटें आ जाएँगी तो कपड़े पहनने के लायक नहीं रहेंगे।

फिर उसने अपनी पैंट और शर्ट उतार दी और मेरे साथ लेट कर फिर मेरे गालों को चूसने लगा और बोला- तू बहुत सुन्दर है सुषमा ! तेरे गाल तो बिल्कुल सेब जैसे हैं।

मैं बोली- अच्छा जी?

फिर उसने अपने सीधे हाथ से मेरी सारी में हाथ डाल कर मेरी गोरी मांसल जाँघो और कूल्हों को सहलाने लगा।

मुझे अच्छा लग रहा था और मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया था।

फिर वो बोला- तुम भी अपने कपड़े उतार दो ना?

मैं बोली- नहीं ! ऐसे ही कर लो ना ! कोई आ गया तो एकदम से साड़ी नहीं बाँध पाऊँगी। लो अपना ब्लाऊज़ ऊपर कर देती हूँ।

और मैंने अपना ब्लाऊज़ और ब्रा ऊपर करके अपने चूचों को बाहर निलाल लिया।

वो मेरे चूचुक को पीने और चूसने लगा।

मैं- आह…आह…सस्सस्स…आह !

फिर उसने एकदम से मेरे चुचे के दाने पर अपने दांतों से काटा।

मैं- उउउइ…ईईई…..काटो मत !

कुमार- जानू बड़े प्यारे है तुम्हारे चुच्चे ! जानू मेरा लंड पकड़ो ना !

मैंने उसके अंडरवीयर में हाथ डाल कर उसका लंड पकड़ लिया।

उफ़्फ़… क्या बताऊँ, वो तो एकदम गर्म हो रहा था। मैं उसके लंड को अपने मुलायम गोरे हाथों से सहलाने लगी। वो भी धीरे धीरे अपनी उंगलियों से मेरी चूत को सहलाने लगा।

मैं- आह… उह…आह…

फिर वो बोला- जानू मुँह में लो ना !

मैं बोली- नहीं नहीं ! मैं मुँह में नहीं लूँगी।

कुमार- प्लीज लो ना एक बार !

मैं- नहीं ना ! मैं नहीं लेती मुँह में !

कुमार- प्लीज बस एक बार !

मैं- छी ! गंदा होता है ये ! मैं नहीं लूँगी मुँह में।

कुमार- बस एक बार प्लीज !

मैं उसकी बात मान गई और उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

आह ओ…आऊ… ववूऊओ… आअक्क… आओ !

मैं- ओफफो… कितने बाल बढ़ा रखे हैं तुमने ! मुँह में आ रहे है मेरे !

कुमार- चिंता मत करो जानू अगली बार साफ करके आऊँगा।

मैं फिर उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।

उसका लंड बड़ा गोरा था और करीब 6 इंच लंबा और 1.5 इंच मोटा रहा होगा। मुझे प्यारा लगा उसका लंड और प्यार से उसे चूसने लगी ! भले ही मुझे उसके बड़े हुए बालों से बार बार परेशानी हो रही थी।

फिर वो मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करके, अपना अंडरवीयर घुटनों से नीचे करके मेरे ऊपर आ गया और गालों, होंठों, गले पर, और चुच्चों पर और… और पेट पर प्यार करता हुआ मेरी गोरी मांसल जाँघों पर अपने होंठों से प्यार करने लगा।

मैं आ…आह…उहह… उहह… ससस्स करने लगी।

उसने मेरी जाँघ पर एक तिल देखा और उस पर एक पप्पी लेते हुए बोला- जानू तिल भी एकदम सही जगह पर है।

वो मेरी चूत पर अपना हाथ फहराते हुए बोला- चूत भी तुम्हारी कितनी चिकनी है जानू !

मैं बोली- जल्दी कर लो ! कोई आ गया तो बड़ी परेशानी हो जाएगी।

फिर वो मेरे ऊपर आ गया और एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसने मेरी चूत में डाल दिया।

मैं- आईईइ…आह…तुमने तो एकदम से डाल दिया जान !

कुमार- आह… सुषमा मेरी जान !

फिर वो अपने लंड से मेरी चूत में धक्के लगाने लगा और मेरे गालों को अपने होंठों में भरके चूसने लगा।

मैं भी उसकी बनियान ऊपर करके अपने हाथों से उसकी कमर, चूतड़ सहलाने लगी।

वो बड़े प्यार से मुझे चोद रहा था, मुझे भी मज़ा आ रहा था, मुझे उसका लंड अपनी चूत में अंदर–बाहर आता-जाता महसूस हो रहा था।

मेरी सिसकारियाँ निकल रही थी, मैं आहह..आईईइ…आह.. ओउ उउई उहह…सस्स्स…..आह..कर रही थी और अपने चूतड़ों को भी उठाते हुए उसका बराबर साथ दे रही थी।

मेरे माथे, गर्दन, कंधे, कमर, कूल्हों और जाँघों तक पर पसीना आ गया था।

मैं बोली- जानू, मैं तो पसीने में भीग गई हूँ।

कुमार- मज़ा आ रहा है मेरी रानी तुम्हें?

मैंने हाँ में अपना सर हिलाया तो वो और जोरदार तरीके से मेरी चूत अपने लंड को घुमा घुमा कर धक्के लगाने लगा।

मैं उई… मा….आईई….ह…उफ्फ़…उईईईई आह…आह… करने लगी। क्या बताऊँ कि उसके लंड से मुझे भी मज़ा आ रहा था।

उसने अपनी बाहों में मुझे ज़कड़ रखा था, मैं भी उसको अपनी बाहों से कस के पकड़े हुई थी।

उसकी भी कमर, माथे पर पसीना आ गया था, उसके चूतड़ भी पसीने में भीग गये थे।

फिर वो बोला- सुषमा अब तुम पलट जाओ !

मैं बोली- क्यूँ?

वो बोला- पीछे से मतलब तेरी गाण्ड में डालूँगा !

मैं बोली- नहीं नहीं… पीछे से नहीं !

वो बोला- क्यों?

मैं बोली- नई बाबा ! पीछे से नहीं ! मेरे बहुत दर्द होता है !

और सचमुच में मुझे गाण्ड में लंड डलवाने में बहुत दर्द होता है। मैं उसको मना करने लगी पर वो कहाँ मानने वाला था।

आदमी को भी उस चीज़ में ज़्यादा मज़ा आता है जिसमें औरत को दर्द होता है। ऐसा मैं समझती हूँ।

वो बोला- कुछ नहीं होगा जानू ! धीरे धीरे करूँगा, चलो अब पलटो !

मैं पलट गई तो वो मेरे चूतड़ों पर पप्पी लेता हुआ बोला- एकदम चिकनी है तू ! बड़ी गोरी है। पसीने में तो तेरा बदन लाइट मार रहा है।

फिर वो अपने लंड को मेरी गाण्ड में घुसाने लगा पर वाक़ई मेरी गाण्ड बड़ी टाइट है, मेरे पति ने भी बस दो या तीन बार ही मेरी गाण्ड ली होगी।

उसका लंड मेरी गाण्ड में जा ही नहीं रहा था, वो बार बार कोशिश करता पर अपने लंड को मेरी गान्ड में नहीं घुसा पाया तो मैं बोली- तेल लगाना पड़ेगा, तभी जाएगा।

वो बोला- जाओ, ले आओ तेल !

मैं रसोई से सरसों का तेल ले आई।

वो बोला- अब लगाओ भी ना जानू तेल को मेरे लन्ड पर !

मैंने थोड़ा तेल लिया और उसके लंड पर मलने लगी। उसने भी थोड़ा तेल लेकर मेरी गाण्ड में मला।

अरे यह क्या ! उसने एकदम से अपनी उंगली मेरी गाण्ड में तेल लगाते लगाते घुसा दी।

मैं एकदम से चीख पड़ी- आईई ईई…उईईई ई ई ! उंगली मत डालो।

वो हंसने लगा और बोला- लेट जाओ !

फिर मैं उल्टी लेट गई तो वो मेरी गाण्ड में अपना लंड डालने की तैयारी करने लगा।

मैं बोली- धीरे धीरे डालना जानू, बहुत दर्द होता है।

वो बोला- तू चिंता मत कर, धीरे से ही डालूँगा !

और उसने अपना लंड मेरी गाण्ड के छेद के ऊपर लगाया और एक धक्का मारा, उसका पूरा का पूरा लंड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ अंदर चला गया। मैं एकदम से चीख पड़ी और खड़ी हो गई। मैं दर्द से बिलबिला उठी और एक थप्पड़ उसको मार दिया।

मेरी आखों से आँसू निकल गये थे।

मैं बोली- मैं कह रही हूँ कि धीरे से डालो और तुमने पूरा एकदम से डाल दिया।

वो बोला- सॉरी जानू ! अब ग़लती नहीं करूँगा, धीरे से ही डालूँगा ! सॉरी अगेन !

मैं फिर उल्टी लेट गई और वो धीरे धीरे मेरी गाण्ड में अपना लंड डालने लगा।

मैं कह रही थी- आई ईईई…उई ईईई मा…मां री ! आई ईइआ…उउ…सस्स…

फिर वो अपने लंड को मेरी गुदा में घुसाते हुए धक्के लगाने लगा, मैं दर्द को सहन करने लगी।

मुझसे दर्द सहन तो नहीं हो रहा था पर उसका मन रखने के लिए मैं अपनी गाण्ड में उसका लंड डलवा रही थी।

मैं बोली- बस जानू ! बस करो ! निकाल लो इसे ! बहुत दर्द हो रहा है।

वो बोला- बस जानू थोड़ा सा ! बड़ी टाइट है तेरी गाण्ड ! आ…एयेए….आह…

और यह कहता हुआ वो धक्के लगा रहा था।

जब काफ़ी देर हो गई तो मुझसे सहन नहीं हुआ और बोली- बस अब नहीं ! आगे से कर लो ! मुझसे सहन नहीं हो रहा है।

फिर उसने अपना लंड निकाल लिया।

मैं बैठ गई पर मुझे अभी भी अपनी गाण्ड में उसका लंड महसूस हो रहा था। मैंने देख उसके लंड के ऊपरी सिरे पर थोड़ी सी टट्टी लग गई थी।

फिर उसने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा।

मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी, मुझे उसके लंड से मज़ा आ रहा था, मेरी सिसकारियाँ, आहें, आवाज़ निकल रही थी- आहह… राजा… ह… उई ई…जानू !

वो भी मस्त हो रहा था और मैं भी !

फिर वो बोला- जानू, मैं झड़ने वाला हूँ…

और यह कहते हुए वो अपना पानी मेरी चूत में गिराने लगा। मैं भी तभी झरने लगी।

उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मैं भी उससे कस कर लिपट गई। हम दोनों पसीने में नहा चुके थे।

मुझे उसके लंड का पानी अपनी चूत को अंदर तक भिगोता हुआ महसूस हो रहा था।

फिर वो खड़ा हो गया, मैं भी खड़ी हो गई और उसको पीने के लिए पानी दिया। उसने अपने कपड़े पहन लिए।

मैं बोली- अब जाओ जानू ! ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है, कोई आ गया तो परेशानी होगी।

वो मुझे गले लगाते हुए और प्यार करते हुए बोला- मज़ा आया जानू?

मैं मुस्करा कर बोली- हाँ !

फिर वो चला गया।

उसने मुझे थका डाला था और मैं सोने चली गई।

हम दोनो में काफ़ी दिनों तक यही चक्कर चलता रहा। कॉलोनी में गुपचुप बातें भी होने लगी थी।

एक दिन उसने अज़ीब सी फरमाइश कर दी।

वो कहानी बाद में सुनाऊँगी।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताइएगा। 2908

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