दीप के स्वप्नदोष का उपचार-2

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निधि बजाज

मैं उसके लौड़े को पकड़ कर आगे पीछे हिला हिला कर उसकी मुठ मारने लगी और उसे बताती रही कि ऐसा करने से वह उतेजित हो जाएगा और उसके अंदर का वीर्य बाहर आ जाएगा !

तब दीप ने पूछा- इससे क्या होगा, जो नया रस बनेगा उसके निकलने से भी तो पजामा गीला हो सकता है !

तब मैंने उसे बताया कि अगर एक बार रस निकाल दो तब नए रस के लिए अगले एक सप्ताह तक के लिए जगह बन जाती है और फिर ना तो वह बाहर निकलेगा ना ही उसका पजामा गीला होगा ! यही स्वप्नदोष का उपचार है।

कह कर मैं चुप हो गई और उसकी मुठ मारती रही ! लगभग दस मिनट मुठ मारने के बाद दीप आह्ह… आह… आह्ह्ह… करने लगा और उसका बदन अकड़ने लगा, उसकी आँखें बंद हो गई और फिर इसने एक झटके के साथ लौड़े में से रस की फुहार छोड़नी शुरू कर दी!

दीप की आँखें बंद देख कर मैंने झट से अपना मुँह खोल कर उसके लौड़े को मुँह में ले लिया और उस रस को पी लिया। मेरी इस हरकत को दीप ने देख लिया और इससे पहले वह कुछ बोले या पूछे मैंने उसके लौड़े को अच्छी से दबा कर उसमें से बचा हुआ रस भी निचोड़ दिया तथा उसे धो कर तौलिए से पोंछ दिया।

इसके बाद मैंने दीप को हिदायत दी कि वह इस क्रिया के बारे में किसी से भी जिक्र नहीं करेगा और सप्ताह में सिर्फ एक ही बार करेगा या मुझे ही करने को कहेगा !

इतना कह कर मैं बाथरूम से बाहर आ गई और मुँह में बचे-खुचे रस का स्वाद लेने लगी !

दीप कपड़े पहन कर असमंजस में कुछ सोचता हुआ बाथरूम से बाहर आया और मेरे पास बिस्तर पर लेट गया तथा मुझे पूछने लगा कि जो रस उसके लौड़े में से निकला था वह मैंने क्यों पिया !

तब मैंने उसे बताया कि जब उसने रस की पहली फुहार छोड़ी थी वह मेरे मुँह पर आ कर गिरी थी, क्योंकि मुझे रस बहुत स्वादिष्ट लगा इसलिए मैंने अपना मुँह आगे करके सारा का सारा रस पी लिया।

इसके बाद दीप ने मुझसे पूछा कि अगली बार उपचार कब करेंगे, तो मैंने कह दिया कि शनिवार रात को करेंगे और उसे अपने पास खींच के उससे लिपट कर सो गई।

अगले छह दिन रोज की तरह निकल गए और शनिवार शाम को जब दीप कालेज से घर आया तो काफी खुश था। जब मैंने उससे खुशी का कारण पूछा तो उसने कहा कि पिछले पूरे सप्ताह उसको स्वप्नदोष नहीं हुआ था और आज उसका अगले सप्ताह के लिए उपचार भी होना था इसलिए वह खुश था !

फिर उसने मुझ से पूछा कि उसकी मुठ कब मारूंगी तो मैंने कहा कि पिछले सप्ताह की तरह सोने से पहले मार दूँगी ! रात को लगभग दस बजे दीप ने मुझे बाथरूम में चलने के लिए आग्रह किया, तब मैंने उसे बाथरूम में ले जाकर उसके सारे कपड़े उतरवाए और उसे एक जगह खड़ा कर दिया, फिर मैं उसके सामने बैठ गई और उसके आठ इंच के लौड़े को मसलने और उसकी मुठ मारने लगी।

दस मिनट के बाद दीप का बदन अकड़ने लगा, उसकी आँखें बंद हो गई और उसने आह… ओह… आःह… करते हुए अपने वीर्य-रस की पिचकारी छोड़ी !

मैं इसके लिए तैयार थी और झट से अपना मुँह खोल उसके लौड़े पर लगा दिया और उसका रसपान करने लगी। जब उसने पिचकारी छोड़ना बंद कर दी तब मैंने लौड़े में बचे हुए रस को चूस लिया और उसे चाट कर साफ कर दिया।

मेरे ऐसा करने से दीप को जैसे बहुत आनन्द आया होगा इसलिए मेरे खड़े होते ही वह मुझ से लिपट गया और मेरे गालों पर चुम्बनों की बौछार कर दी ! इसके बाद दीप ने कपड़े पहन लिए तथा हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए और सोने के लिए बिस्तर पर जा कर लेट गए! बातों ही बातों में मैंने दीप से पूछा कि उसने मुझे इतना चूमा क्यों था तो उसने बताया आखिर में जब मैंने उसके लौड़े में से बचे हुए रस को चूस कर खींचा था तब उसे बहुत ही आनन्द आया था !

इसके बाद बातें करते हुए हम दोनों को कब नींद आ गई यह पता ही नहीं चला।

रविवार सुबह सात बजे जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि दीप सीधा सो रहा था और उसके लौड़ा खड़ा हुआ था तथा पजामे को एक तम्बू की तरह उठा रखा था। मैं कुछ देर तो वह नज़ारा देखती रही फिर अपने मोबाइल फोन से उस दशा की कुछ फोटो खींच ली, फिर मैंने चाय बना कर उसे जगाया, मुस्करा कर गुड-मोर्निंग कही और हम दोनों ने बिस्तर पर ही बैठ कर चाय पी !

हम इधर उधर की बातें कर रहे थे कि तभी दीप ने करनाल लेक पर घूमने जाने की योजना बना दी और हम जल्दी से उठ कर तैयारी करने लगे। मैंने खाने पीने का सामान बनाया अथवा इकट्ठा करके एक बैग में रखा और दीप ने बाकी ज़रूरत की सब वस्तुएँ इकट्ठी कर के दूसरे बैग में रख ली। इसके बाद दीप नहाने चला गया और मैं पहनने के कपड़े निकालने लगी।

जैसे ही दीप नहा कर बाहर आया तब मैं बाथरूम में घुस गई और अपनी नाइटी, ब्रा और पेंटी उतार कर नहाने लगी। कुछ देर के बाद जब मैं नहा चुकी और तौलिए लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो मैंने पाया कि मैं जल्दी में तौलिया लाना ही भूल गई थी। मैंने दीप को तौलिया देने के लिए आवाज लगाई और उसका इन्तज़ार कर ही रही थी कि अचानक दीप बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर तौलिया हाथ में पकड़े हुए अंदर आ गया !

मुझे बिल्कुल नंगा देख कर वह खुले दरवाजे के पास ही खड़ा हो कर मुँह फाड़े मुझे देखने लगा। शायद मेरे नंगे बदन की मनमोहक सुंदरता ने उसके होश उड़ा दिए थे !

मैंने जब दीप को आँखे फाड़े मुझे देखते हुए देखा तो मैंने उससे पूछ लिया- इस तरह क्यों घूर रहा है?

तो वह सकपका गया और बाथरूम से बाहर चला गया। फिर मैं अपना बदन पोंछ कर ब्रा और पेंटी पहन कर कमरे में आई और अलमारी में से कपड़े निकाल कर पहन लिए। मैंने देखा कि इस बीच दीप सामने कुर्सी पर बैठा यह सब देख रहा था।

मुझ से रहा नहीं गया, मैंने उससे फ़िर पूछ लिया- क्या देख रहा है दीप?

तो उसने कहा कि वह मेरे बदन को देख रहा था जो की बिना कपड़ों के बहुत ही खूबसूरत लगता है !

मेरे पूछने पर कि उसे मेरे बदन में उसे क्या अच्छा लगा तो वह बिना झिझके बोल उठा कि सब कुछ अच्छा लगा, लेकिन जो जगह सबसे ज्यादा अच्छी लगी, वह थी मेरी चूचियों के ऊपर की गहरे भूरे रंग की चूचुक और मेरी नाभि के नीचे वाले हल्के हल्के से काले बाल ! फिर उसने मुझ वह उनको छूने की इच्छा ज़ाहिर की तो मैंने यह कह कर मना कर दिया कि अभी तो कपड़े पहने हुए हैं, रात को जब नाइटी पहनी होगी तब छू लेना !

इसके बाद हम दीप की मोटर साइकल पर बैठ कर करनाल चले गए और सारा दिन लेक पर, करनाल के मॉल और बाजार में घूमते रहे और देर रात को खाना खाकर घर पहुँचे !

दिन भर के थके होने के कारण घर पहुँचते ही मैंने कपड़े बदले और सोने के लिए बिस्तर पर लेट गई। तभी दीप कपड़े बदल कर मेरे पास आकर बैठ गया और मेरे कान में फुसफसाया कि वह मेरी चूचुक छूना चाहता था!

मेरी अनुमति देने पर उसने नाइटी के ऊपर से ही उन्हें पकड़ने की कोशिश करी लेकिन मैंने उसे रोक दिया और अपनी नाइटी उतार कर एक ओर रख दी तथा उसे पास में लिटा लिया, क्योंकि मैंने जान बूझ कर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी इसलिए दीप मेरे नग्न बदन को देख कर बहुत खुश हो गया और बड़े प्यार से वह अपने हाथों से मेरी चूचियों और चूचुक को सहलाने लगा।

मुझे उसका ऐसा करना बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि करीब सात वर्ष के बाद ही कोई उन्हें सहला रहा था !

जल्द ही मेरे चूचुक सख्त हो गए, तब दीप ने पूछा कि यह सख्त और खड़े से क्यों हो गए हैं?

तो मैंने उसे समझाया कि जैसे उसका लौड़ा सख्त और खड़ा हो जाता है उसी तरह यह भी सख्त और खड़े हो जाते हैं।

फिर दीप ने एक हाथ से चूचियाँ दबाता-मसलता रहा और दूसरे हाथ से मेरी नाभि के नीचे बालों को सहलाना शुरू कर दिया।

दीप के इस तरह दो जगह पर एक साथ सहलाने से मैं थोड़ी देर में ही गर्म होना शुरू हो गई और मेरी चूत में हलचल होने लगी। मैंने दीप के हाथों को पकड़ कर रोका और उसे चूचियाँ चूसने को कहा। तब वह बारी बारी से मेरी दोनों चूचियों को चूसने लगा !

दस मिनट में मेरी चूत में से पानी रिसने लगा और मुझसे जब अधिक बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए मैंने दीप के मुँह से चूचियाँ छुड़वा दी और उसका सिर पकड कर उसका मुँह अपनी चूत में लगा दिया तथा उसे चूसने व चाटने को कहा !

दीप तत्काल अपनी जीभ मेरी चूत में डाल कर घुमाने लगा जिससे मेरी चूत में से तेज़ी से पानी बहने लगा, वह उस पानी को पीने लगा और साथ साथ चूत के होंटों तथा छोले को भी चाटने लगा !

जब मैं कुछ ज्यादा गर्म हो गई तब मैंने दीप का पजामा और जांघिया उतरवा कर उसके लौड़े को मुँह में लिया और चूसने लगी, वह मेरी चूत चूसता रहा !

कुछ ही मिनटों ज़ोरदार चुसाई से दीप का लौड़ा लोहे की तरह सख्त हो गया था और उसका प्री-कम भी निकलना शुरू हो गया था।

जब मुझ से अधिक सहन नहीं हुआ तब मैंने दीप को मुझे चोदने को कहा तो वह पूछने लगा- चाची, चुदाई कैसे करते हैं?

तब मैंने उसे पीठ के बल नीचे लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई, अपनी दोनों टाँगें उसके अगल बगल में करके मैंने नीचे हो कर उसके लौड़े को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह से लगा कर उस पर बैठ गई, इसके बाद मैं धीरे धीरे नीचे की ओर दबाव डालने लगी जिससे लौड़ा मेरी चूत में घुसने लगा। दीप का सुपारा फूल कर तीन इंच मोटा हो गया था इसलिए मेरी पिछले सात वर्ष से अनचुदी कसी चूत में घुस ही नहीं रहा था !

मैंने थोड़ा कमर को हिला कर झटके से नीचे को ओर बैठी तो वह घुस तो गया लेकिन मेरी दर्द के मारे मेरी उइ ईई माँ…उइई ईमाँ… उइईई माँ… चीखें निकलने लगी !

दीप घबरा गया और लौड़े को बाहर निकालने के लिए मुझे पकड़ कर ऊपर करने लगा। तब मैंने उसे ऐसा करने से मना कर दिया तथा एक और झटका लगा कर आधा लौड़ा चूत के अंदर घुसा लिया !दर्द और झटकों की वजह से मैं हांफने लगी थी इसलिए थोड़ी देर के लिए वैसे ही रुकी रही और दर्द कम होने का इन्तज़ार करने लगी।

मेरी शादी के बाद सुहागरात को जब पहली बार सील तुड़वाई थी तब भी मुझे इतनी दर्द नहीं हुई थी जितनी उस समय हो रही थी !इसका कारण यह था कि मेरे पति का लौड़ा सिर्फ छह इंच लम्बा और एक इंच मोटा था और मेरे पति का सुपारा फूल कर सिर्फ सवा इंच मोटा होता था।

करीब पांच मिनट रुकने के बाद मुझे दर्द कम हुआ तब मैंने फिर से झटके मारने शुरू किये और आहिस्ता आहिस्ता पूरा लौड़ा चूत के अंदर घुसेड़ लिया !

मुझे चूत के अंदर दीप के लौड़े का कड़कपन और गर्मी महसूस हो रही थी और मैं रगड़ाई के लिए तैयार थी !

मैं धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी और फिर निरंतर अपनी गति बढ़ाती गई जिससे मेरी चूत सिकुड़ने लगी और मुझे लौड़े की रगड़ का आनन्द आने लगा।

दीप को भी अब आनन्द आना शुरू हो गया था क्योंकि वह भी हर धक्के पर मेरी तरह उन्ह्ह्ह्ह… उन्ह… आह ह्ह्ह्ह… आह… आह ह… उन्ह ह्ह… उह… ओह… की आवाजें निकालने लगा था ! कमरे में हम दोनों की आवाजों के शोर को कोई बाहर वाला ना सुन ले इसलिए मैं अपने होंट दीप के होंटों पर रख कर उसे चूमने लगी !

पन्द्रह मिनट की ज़बरदस्त चुदाई में मैंने चार बार पानी छोड़ा जो बाहर बह कर दीप के टट्टों को गीला कर रहा था। इसके बाद मैंने झटकों की गति बहुत तेज कर दी और कुछ मिनटों में ही मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरी चूत दीप के लौड़े को जकड़ने लगा !

उसी समय दीप का लौड़ा भी फड़कने लगा और एकदम फूल गया तथा एक ज़ोरदार फुहार छोड़ी ! मुझे ऐसे लगा कि जैसे मेरी चूत में किसी जवालामुखी का विस्फोट हुआ हो और उसके अंदर गर्म गर्म लावा बहने लगा है !

उस लावे की गर्मी को कम करने के लिए मेरी चूत ने भी अपनी जलधारा खोल दी।

इसके बाद दीप के लौड़े और मेरी चूत में जैसे एक होड़ सी लग गई, जैसे ही लौड़ा फुहार मारता, चूत जलधारा की लहर छोड़ देती ! देखते ही देखते मेरी चूत दोनों के रस के मिश्रण से लबालब भर गई और झरने की तरह बाहर की ओर बह निकली !

पांच मिनट के बाद जब हमें सुध आई तो मैं बहुत थकी थकी महसूस करने लगी और उसी तरह लौड़े में फंसी हुई दीप के ऊपर लेट गई।

दीप ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे कान में पूछा- क्या इसे ही चुदाई कहते हैं?

तो मैंने सिर हिला कर हाँ कह दिया।तब उसने पूछा कि मुझे यह चुदाई कैसी लगी तो मैंने उसे बताया कि मेरी जिंदगी की अभी तक की सबसे बढ़िया चुदाई थी !

उसने जब पूछा कि मैं यह कैसे कहती हूँ तो मैंने उसे बताया कि शादी के बाद उसके चाचा ने मुझे छह माह तक खूब चोदा था लेकिन मेरी चूत में आज जैसी खिंचावट पहले कभी नहीं हुई थी। फिर मैं उठ कर दीप से अलग हुई और दोनों बाथरूम में जाकर एक दूसरे को अच्छी तरह साफ़ किया और वापिस कमरे में आ कर दोनों उसी तरह नग्न ही लेट गए !

दीप मेरे साथ चिपक कर लेट गया और उसका हाथ मेरी चूची पर था तथा टांग का घुटना मेरी चूत के बालों के पर था! मुझे अपनी जांघ पर उसके लौड़े की स्पर्श महसूस हो रहा था इसलिए मैंने अपना एक हाथ से उसके लौड़े को पकड़ लिया और हम दोनों निद्रा के आगोश में खो गए !

क्योंकि गर्मियों के दिन थे, सुबह पांच बजे ही मेरी नींद खुल गई, मैंने अपनी आँखें खोली तो मुझे पास में सोये हुए दीप पर नज़र पड़ी जो कि दूसरी ओर मुँह किये हुए सो रहा था। खिड़की के पर्दों में से छन कर आती हुई बाहर की रोशनी में उसका नंगा बदन मुझे बिल्कुल साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था, उसकी सफ़ेद पीठ, उसके गोल गोल नितम्ब और उन नितम्बों के बीच की दरार, उसकी लंबी सुडौल टांगें !

इतना सब देखने के बाद मेरा मन मचल उठा और ना चाहते हुए भी मैंने दीप के नितम्बों के बीच की दरार में अपनी उंगली डाल कर उसकी गांड को टटोला और फिर उसमें घुसेड़ दी।

मेरी इस हरकत से दीप चौंक कर उठ बैठा तथा मुझे आश्चर्य से मुझे घूरने लगा !

मैंने उसके असमंजस का उत्तर जोर से हँसते हुए उसके कन्धों को पकड़ लिया और अपनी ओर खींचते हुए उसके होंटों पर अपने होंट रख कर एक ज़बरदस्त चुम्बन से दिया !

दीप ने मेरे चुम्बन का जवाब भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर और मेरी जीभ को चूस कर दिया। जब हम अलग हुए तब उसने मुझे ध्यान से देखा और आगे बढ़ कर अपना मुँह मेरे वक्षस्थल पर लगा कर मेरे चूचुक चूसने लगा, तब मुझे बोध हुआ कि मैं भी नग्न थी और पांच घंटे पहले सम्भोग करने के पश्चात हम दोनों उसी अवस्था में सो गए थे !

मैं भी उसे स्तनपान कराते हुए उसके टांगों के बीच में अर्धचेतना की दशा में पड़े हुए लौड़े को पकड़ लिया और पहले तो मसला, फिर झुक के मुँह में लेकर चूसने लगी।

दीप ने जब मेरी ओर जिज्ञासा से देखा तब मैंने उसे कहा कि पांच घंटे पहले डाला गया ईंधन समाप्त हो गया है और अब मुझे और ईंधन की ज़रूरत है।

मेरी इस बात पर दीप मुस्करा पड़ा और मेरी चूचियों को जोर जोर से चूसने अथवा मसलने लगा ! उसकी इस क्रिया के कारण मैं उत्तेजित होना शुरू हो गई और मैं भी उसके लौड़े को जोर जोर से चूसने लगी !

तब दीप ने मेरे स्तनों को चूसना छोड़ दिया और घूम कर मेरी जांघों के बीच आ गया, मेरी चूत को चाटने लगा !

उसने मेरी चूत के अंदर अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगा जिससे मैं बहुत उत्तेजित हो गई और आह… आह… करते हुए मैंने अपना पानी छोड़ दिया।

दीप ने बड़े मजे से मेरा सारा पानी पी लिया और मेरी चूत को चाटता रहा !

लगभग तीन-चार मिनट तक इसी तरह एक दूसरे को हम चूसते व चाटते रहे और जब मैंने दूसरी बार अपना रस छोड़ा तब दीप ने भी अपना वीर्य रस मेरे मुँह में छोड़ दिया।

दीप ने मेरा और मैंने दीप का सारा रस पी लिया और फिर हम दोनों ने चाट चाट कर एक दूसरे को साफ़ किया तथा एक दूसरे से चिपक कर लेट गए।

दीप सीधा लेटा हुआ था और मैं उसे लिपटी हुई थी, मेरी चूचियाँ उसकी छाती के साथ चिपकी हुई थीं, मेरी एक टांग उसकी जांघों के ऊपर थी और दूसरी टांग उसकी जांघों के साथ सटी हुई थी। दीप का एक हाथ हम दोनों के जिस्म के बीच में था और वह मुझे उत्तेजित करने के लिए उस हाथ से मेरी चूत में उंगली कर रहा था तथा दूसरे हाथ से मेरी एक चूचुक को मसल रहा था।

मैं भी एक हाथ में उसका बैठे हुए लौड़े को पकड़ कर खड़ा करने के लिए ऊपर नीचे की दिशा में हिलाने लगी !

करीब आधे घंटे के बाद दीप का आठ इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा लौड़ा सख्त हो गया तब उससे चुदने के ख्याल मात्र से मेरी चूत में भी गुदगुदी होने लगी।

तब हम दोनों थोड़ा चौकन्ने हो गए और जैसे ही दीप के लौड़े से प्री-कम निकलने लगा और मेरी चूत से पानी रिसने लगा। मैं उठ कर दीप पर चढ़ गई और उसके लौड़े को अपनी चूत के मुँह के सामने फिट कर के उस पर बैठ गई, दीप का सुपारा तीन इंच मोटा हो गया था इसलिए उसको अंदर घुसने में कुछ समय लगा, लेकिन सुपाड़े के घुसते ही उसके प्री-कम और मेरे रस की वजह से उसका पूरा लौड़ा फिसलते हुए एक झटके में गोली की तरह मेरी चूत में गुम हो गया।

मैंने कुछ सेकंड इंतज़ार किया और फिर ऊपर नीचे उछल उछल कर लौड़े को अंदर बाहर करने लगी। दीप ने मेरी दोनों चूचियाँ पकड़ ली और वह भी नीचे से धक्के मारने लगा।लगभग पन्दरह मिनट की इस चुदाई में मैंने आह… ओह… उन्ह… उन्ह्ह… अह हम्म… उन्ह… करते हुए दो बार पानी छोड़ा तब दीप ने पलट कर मुझे नीचे लिटा दिया, मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरी टांगें चौड़ी कर के अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़ कर उछल उछल कर मुझे चोदने लगा !

वह तेज़ी से धक्के देने लगा था और उसके हर एक धक्के से मेरी चूत में खिंचावट बढ़ने लगी !

पांच मिनट के तेज धक्के ही लगे थे कि मेरी चूत के अंदर एक ज़बरदस्त अकड़ाहट हुई और मेरी चूत ने दीप के लौड़े को बहुत जोर से जकड़ लिया ! इस जकड़न की वजह से हम दोनों के अंगों को बहुत तेज रगड़ लगने लगी और हम दोनों के मुँह से तेज तेज आवाजें आने लगी। दीप के मुँह से उहुंह… उह… हुंह… की आवाजें और मेरे मुँह से आह… ह्ह… उन्ह… ह्ह… अह… उन्ह… की ! हम दोनों इस चुदाई का मज़ा ले रहे थे तभी मेरा जिस्म अकड़ गया और मेरे मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकली- उई ईईईई माआ आआआ… उईई ईईइ माआआ आआ…!

और मेरी चूत के अंदर तूफ़ान आया और मेरे रस की बाढ़ बह निकली !उसी समय दीप भी एकदम अकड़ा और उंह… उन्ह… अह… अहह… करते हुए मेरी चूत के अंदर ही अपने लौड़े से वीर्य-रस की पिचकारी चला दी !

उसके गर्म गर्म वीर्य-रस ने मेरी चूत के अंदर आग लगा दी और मुझे संसार के सबसे बड़े आनन्द का अनुभव हुआ तथा मैं आनन्दित हो कर दीप से चिपक गई और उस पर चुम्बनों की बौछार कर दी ! दीप जैसे थक गया था इसलिए उसने अपने लौड़े को मेरी चूत में ही रहने दिया और मेरी चूचियों को अपने नीचे दबा कर हांफते हुए मेरे ऊपर ही लेट गया।मैंने दीप को कस कर अपने आलिंगन में लिया और उसके माथे को चूमा और करीब आधा घंटा वैसे ही लेटे रही !

इसके बाद हम उठे और बाथरूम में जा कर एक दूसरे को साफ़ किया और फिर रोज की दिनचर्या में लग गए। पिछले एक सप्ताह में हमने हर रोज कम से कम दो बार तो चुदाई ज़रूर की और छुट्टी के दिन तो तीन बार भी की !

मेरी सात वर्ष की प्यासी चूत की प्यास बुझने में तो अभी समय लगेगा, लेकिन दीप को मस्त चुदाई करना सीखने में सिर्फ एक दिन और एक रात ही रात लगी।

अब तो ऐसी मस्त चुदाई करता है कि आप उसके लौड़े की दीवानी हो जायेंगीं, और 24 घंटे चुदने की फिराक में रहेंगी क्योंकि मैंने अभी दीप से बहुत चुदना है इसलिए मैं उसे अभी तो मेरे सिवाय किसी और को चोदने नहीं दूँगी !

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