मेरी डार्लिंग सिस्टर-10

‘मॉम, ये मेरे लिए एक पाप ही है। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं आपको क्या जवाब दूँ और कैसे ये सब करूँ, मम्मी मुझे आपके साथ ये सब करने में बहुत झिझक हो रही है। क्या आ आप…?’

‘साले हरामी बहनचोद, तुम्हें अपनी फूल सी बहन को चोदने में कोई झिझक नहीं आई और तुमने बेशर्मी से मुझे सारी कहानी भी सुना दी, और अब तुम शर्माने का नाटक कर रहे हो, मेरे बेटे क्या मैं तुम्हें सुंदर नहीं लगती?’

‘नहीं मम्मी तुम ऐसा कभी नहीं सोचना, तुम बहुत सुंदर हो और तुम्हें देख कर मुझे हमेशा जूही चावला याद आ जाती है। कोई भी मेरी उमर का लड़का तुम्हें प्यार करना चाहेगा। मैं हमेशा से सोचता रहता था कि मेरी मम्मी और बहन से अधिक खूबसूरत कोई भी नहीं है। बहन के साथ प्यार करने के बाद मेरे मन में कई बार यह इच्छा उठी कि मैं तुमसे भी प्यार करूँ, पर आज अचानक…’

मम्मी को खुद की तुलना जूही चावला से करने पर वे बहुत खुश हो गईं और इठलाने लगीं।

‘तुमने जब अपनी बहन को चोदने का पाप कर लिया है तो फिर इस पाप के लिए भी अपने आप को तैयार कर लो… मुझे अपना प्यारा हथियार दिखाओ जिससे तुम दोपहर में अपनी बहन चोद रहे थे।’

‘ओह, माय डार्लिंग मम्मी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे अपने ही घर में ऐसा आनन्द मिलने वाला है!’ कहते हुए मैंने मम्मी की चूचियों को दोनों मुट्ठियों में भर कर कस कर दबाया और अपने आप को उनके ऊपर झुका कर उनके होंठों पर एक जोरदार चुम्बन लिया।

मम्मी की चूचियाँ मेरी बहन की चूचियों की अपेक्षा ज्यादा बड़ी थीं। जहाँ सोनू की चूचियाँ मेरे हाथों में पूरी तरह से फिट हो जाती थीं, वहीं मम्मी की स्तन थोड़े भारी और बड़े थे।

मम्मी के पतले गुलाबी होंठों को चूसते हुए मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में घुसा दी और उनकी चूचियों को कस कर दबाने लगा। मम्मी ने भी मुझे अपने से चिपका लिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे चूतड़ों को दबाने लगी।

चूचियों को दबाना छोड़ कर उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए, मम्मी ने ब्रा नहीं पहनी थी, उनकी नंगी गुदाज चूचियों को मैं अपने हाथों से दबाते हुए उनके होंठों से अपने होंठों को अलग किया।

मम्मी भी थोड़ा उठ कर बैठ गई अपने ब्लाउज को पूरी तरह से उतार दिया, उनकी चूचियाँ सोनिया की चूचियों से बड़ी थीं मगर उनमें ज़रा सा भी ढलकाव नज़र नहीं आ रहा था। बहुत ही खूबसूरत उरोज थे मम्मी के।

तभी मम्मी ने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे मुँह को अपनी चूचियों पर दबा दिया। मैंने चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और निप्पलों को मुँह में भरते हुए ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। एक चूची को चूसते हुए दूसरी चूची को कस कस कर दबाने लगा।

मम्मी अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थीं और सिसकारते हुए बोलीं- ओह माय लवली सन, ऐसे ही चूसो अपनी मम्मी की चूचियों को, उफ़फ्फ़… तुम बहुत मजा दे रहे हो अपनी मम्मी को।’

मैं पूरे जोश के साथ के दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसता रहा। ऐसा लग रहा था जैसे मैं उनका दूध पीने की कोशिश कर रहा हूँ।

‘ओह बेटे, तुम तो कमाल की चूचियाँ चूसते हो, इसी तरह से मेरे निप्पलों को चूसो प्यारे। तुम्हारे डैडी ने भी कभी इस तरह से नहीं चूसा। मुझे लगता है कि तुमने अपनी बहन की चूचियों का रस पी-पी कर काफ़ी प्रैक्टिस कर ली है।’

‘मम्मी, तुम्हारे चुच्चे ज्यादा रसीले हैं। सोनू की चूचियाँ तुमसे छोटी हैं। इसलिए तुम्हारे आमों को चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा है। तुम्हारे निप्पल भी काफ़ी नुकीले और रसीले हैं। डैडी सच में बहुत लकी हैं।’

‘तुम भी कम लकी नहीं हो, मैं तुम्हारी सगी मम्मी नहीं हूँ तो तुमने इनसे दूध तो नहीं पिया है पर इनका रस पीते हुए मजा कर रहे हो और अपना लंड खड़ा कर रहे हो।’

मैंने दोनों चूचियों को चूसते-चूसते लाल कर दिया था। मम्मी के दोनों स्तन मेरे थूक से पूरी तरह से गीले हो गए थे, तभी मेरे होंठ फिसल के उनके हाथ और कंधे के जोड़ तक जा पहुँचे और मेरे नकुओं में उनकी कांख से निकलती हुई मादक खुश्बू भर गई।

मैंने मम्मी के हाथ को पकड़ कर अलग किया और अपने चेहरे को उनकी कांख में घुसेड़ दिया।

उनको हल्की सी गुदगुदी का अहसास हुआ तो वो हँस पड़ी और बोलीं ‘ईईई सस्स्स्ससी सी ये क्या कर रहे हो बेटे, उफ्फ़, क्या तुम अपनी बहन की काँखों को भी चाटते हो, साले शैतान?’

मैं उनकी काँखों की मदमाती खुश्बू से एकदम मदहोश हो चुका था और, फिर मैंने उनकी दूसरी कांख को भी चाटा और नीचे की तरफ बढ़ता चला गया। उनकी नाभि को और पेट खूब अच्छी तरह से चाटा, नाभि के गोलाकार छेद में अपनी जीभ को डाल कर घूमते हुए मैंने उनके पेटीकोट के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया और अपने हाथों को उनकी जाँघों के बीच ले जा कर उनकी चूत के उभार को अपनी हाथों में भर कर मसलने लगा।

उनकी चूत एकदम गीली हो गई थी इसका अहसास मुझे पेटीकोट के ऊपर से भी हो रहा था। मैंने हाथ बढ़ा कर उनकी पेटीकोट ऊपर उठा दिया और उनकी जाँघों को फैला कर उनके बीच आ गया। मम्मी की जाँघें मोटी केले के तने जैसी, मांसल और गोरी थीं। उनकी गोरी मांसल जाँघों के बीच हल्की झांटें थीं और झांटों के झुरमुट के बीच उनकी गोरी चूत चाँद के जैसे झाँक रही। उनकी चूत के गुलाबी होंठ गीले थे और ट्यूब लाइट की रोशनी में चमक रहे थे।

उनकी गोरी जाँघों में मुँह मारने की मेरी हार्दिक इच्छा हुई और मैंने अपनी इस इच्छा को पूरा कर लिया। उनकी जाँघों को हल्के से दाँत से काटते हुए मैं जीभ से चाटने लगा। चाटते चाटते मैं उनकी रानों के पास पहुँच गया और उनके जाँघों के ज़ोर को चाटने लगा।

तभी मेरी नाक में उनकी पानी छोड़ती हुई चूत से आती खुश्बू का अहसास हुआ और मैंने अपना मुँह उनकी चूत की मखमली झांटों पर रख दिया। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मम्मी ने भी अपने पैरों को फैला दिया और मेरे सिर के बालों पर हाथ फेरते हुए मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबाया। मैंने भी जीभ निकाल कर उनकी चूत को ऊपर से नीचे एक बार चाटा, फिर चूत के गुलाबी होंठों को अपने हाथों से फैला दिया।

मम्मी की चूत अपने ही रस से एकदम गीली थी और चूत की भग्न जो मूंगफ़ली की गिरी जैसी लाल दिख रही थीं, मैंने अपनी जीभ को उस क्लिट के ऊपर हल्के से फेरा तो मम्मी का पूरा बदन कंपकंपा गया।

उनकी जाँघें काँपने लगी और वो सिसकारते हुए बोली- ओह बेटे, क्या कर रहे हो? आआआः हह बेटे बहुत अच्छा कर रहे हो.. ओह सही जा रहे हो… ऐसे ही अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराते रहो और चूसो मेरी चूत को…

मैंने चूत के होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और चूत के दाने को अपने होंठों में दबा कर थोड़ी देर तक चूसा, फिर उनके पनियाई हुई चूत के छेद में अपनी जीभ को नुकीला करके पेल दिया और तेज़ी के साथ अपनी जीभ को नचाने लगा।

कहानी जारी रहेगी। इस कहानी के सम्बन्ध में आप अपने विचार व्यक्त करने के लिए मुझे लिखें- [email protected]