मटकती गांड की चुदाई

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प्रेषक : राहुल

हैलो, मेरे प्रिय अन्तर्वासना के नियमित पाठको, भाभियों और आंटियों को मेरा नमस्कार।

मैं यूपी के वाराणसी जिले का रहने वाला हूँ। मैंने यहीं से पढ़ाई की है, आज कल मुंबई में नौकरी करता हूँ।

आज मैं आप लोगों को अपनी जिंदगी की सच्ची कहानी बता रहा हूँ। बात आज से एक साल पहले की है, जब मैं अपने गाँव से एमबीए की पढ़ाई करने के लिए मुंबई आया था।

अब कहानी पर आते हैं, मैं बिल्कुल नया आया था और मेरे पड़ोस में मेरे गाँव की एक भाभी जी रहती थीं।

उनका नाम पुष्पा था। गाँव के पद से भाभी लगती थीं। उनकी उम्र 34 साल थी और दूध से ज्यादा गोरी थीं। उनका फिगर था 40-36-44 और लम्बाई 5 फुट 3 इंच, चूचियाँ एकदम कड़क और खड़ी थीं।

जब साड़ी पहनती थीं, तो पूरे शरीर में बस उठी हुई पिछाड़ी और चूचियाँ ही दिखती थीं। पिछाड़ी इतनी चौड़ी थी कि जब चलती थीं तो दोनों कूल्हे ऐसे हिलते थे कि लंड टाईट हो जाता था।

उनको मैंने मुंबई में पहली बार देखा था क्योंकि गाँव में उनका घर मुझसे दूर था। जब मैं पहले दिन आया और अपने फ्लैट से बाहर निकला तो वो खड़ी होकर बाल सँवार रही थीं।

शायद नहा कर आई थीं। पहली बार देखते ही जब नजरें मिलीं, तो मैं तो शरमा गया।

उन्होंने पूछा- गाँव में घर पर सब कैसे हैं?

मैंने कहा- ठीक हैं और आप अपना बताइए, भैया कहाँ गए हैं? नजर नहीं आ रहे हैं?

तो उन्होंने बताया कि उनकी तो 12 घंटे की नौकरी रहती है, प्रोडक्शन में हैं। कभी-कभी तो 24 घंटे नौकरी हो जाती है।

मैंने कहा- आप क्या अकेली रहती हैं?

तब इस पर नजर मिलाकर वे हँस पड़ी और पूछा- क्यों?

मैंने कहा- बस यूँ ही पूछ लिया।

इतने में भाभी जी ने कहा- अन्दर आ जाइए।

मैंने कहा- अरे नहीं रहने दीजिये, यहीं ठीक हूँ।

तो उन्होंने बोला- आ जाइए न ! अपना ही घर समझिए !!

मैंने कहा- नहीं शाम हो गई है, मैं भैया के साथ रहता हूँ और अभी वो सब्जी लेकर आते ही होंगे। मैं बाद में कभी आऊँगा।

उन्होंने कहा- आना जरूर।

मैं ‘हाँ’ कहकर अन्दर आ गया। तभी भैया आए, सब्जी का थैला दिया और कहा- मैं अब जा रहा हूँ। मेरी नाईट ड्यूटी है। कल 9 बजे तक आऊँगा। तुम बना कर खा लेना और सो जाना।

मैंने कहा- ठीक है भैया।

पर मेरे दिमाग में तो भाभी की पिछाड़ी का सीन नाच रहा था। जैसे ही भैया गए, मैंने अपना दरवाजा लॉक किया और भाभी की डोर-बेल बजा दी।

भाभी ने दरवाजा खोला और मुझे सेक्सी नजरों से देखते हुए कहा- मैं तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।

मैंने कहा- क्या सोच रही थीं?

तो वो शरमा गईं और बोलीं- बैठिए मैं पानी लाती हूँ।

कहकर हँसते हुए फ्रिज की ओर बढ़ीं, जैसे ही वो पलटीं, मेरी नजर उनकी पिछाड़ी पर टिक गई। क्या चूतड़ थे? ऊपर से ही दोनों फाँकें नजर आ रही थीं।

जब चल रही थीं तो दोनों कूल्हे गजब के मटक रहे थे। मैं तो देखता ही रहा और ऊपर से उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी।

मेरा तो लंड खड़ा हो गया। मैंने कसम खा ली कि जब तक इस गांड में लंड नहीं डालूँगा मैं पूरी रात न सोऊँगा।

भाभी ने पानी दिया और गिलास देते वक़्त मेरे हाथ छू लिए। मैं समझ गया कुछ तो बात है। रात के आठ बजने वाले थे।

तभी फोन बजा, भाभी ने उठाया और बोला- ठीक है ! अगर आते भी तो बस खाकर सो जाते रोज के जैसे तुम्हें मुझसे तो मतलब ही नहीं रहता है।

फिर दोनों में झगड़ा हुआ, फोन भाभी ने रख दिया, फिर बड़बड़ाने लगीं।

मैंने पूछा- किसका फ़ोन था?

उनने बताया कि तुम्हारे भैया थे। आज रात को ड्यूटी पर ही रहेंगे। यह सुनते ही मेरे दिल में तूफ़ान उठ गया। आज भाभी को चोद कर ही रहूँगा।

मैंने कहा- भाभी मैं चलता हूँ, खाना बनाकर खाना है, भैया कल सुबह तक आने के लिए कहकर गए हैं।

भाभी ने कहा- बैठो मैं बना दूँगी खाना, आज यहीं खा लेना।

और वे गिलास उठाने के लिए नीचे झुकीं तो उनका पल्लू गिर गया और बड़ी-बड़ी गोरी चूचियाँ दिखने लगीं।

अभी देख ही रहा था कि भाभी उठीं और पूछा- शादी हुई है तुम्हारी?

मैंने कहा- नहीं भाभी।

तब उन्होंने कहा- कभी नंगी चूची नहीं देखी क्या?

मैं शरमा गया, तब उन्होंने कहा- छुप कर मेरी गांड और चूची देख रहे हो और अब शरमा क्यों रहे हो, बोलो?

मैं चुप रहा।

उन्होंने कहा- तेरे भैया से मैं संतुष्ट नहीं हूँ। आज जब मैंने तुझे देखा, तभी सोचा कि आज तुमसे दिल की बात बता दूँगी।

इतना कहते हुए, उन्होंने मेरे हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रखकर दबा दिया।

मैंने भी होश खो दिया और तुरंत दोनों चूचियों को मसलने लगा।

वो मुझे अन्दर बेडरूम में ले गईं और बोलीं- रुको, मैं अभी आती हूँ।

फिर पाँच मिनट बाद केवल पैन्टी और ब्रा में मेरे सामने खड़ी हो गईं। मैं तो चूचियाँ देखकर दंग रह गया। गोरी सफेद चूचियाँ काली ब्रा में जान मार रही थीं।

मैं उठकर उनको पकड़कर बिस्तर पर लाया और लिटा दिया। मैंने उनकी पैंटी और ब्रा उतार दी। अब वो मेरे सामने नंगी पड़ी थीं, फिर मैंने उनके दोनों कबूतरों को हाथ से सहलाना चालू कर दिया।

उनके मुँह से सीत्कार निकलने लगी, “अह हह उई उउ उ प्लीज राहुल मुँह में ले लो न।”

फिर मैंने अपनी जीभ की नोक उनकी दोनों चूचियों की घुंडी पर फिराना चालू कर दिया। इतने पर भाभी मुझे अपनी बाँहों में कसकर पकड़ने लगीं।

उनके मुँह से लगातार उहह उई उउहा हा अह अह की आवाज से बेडरूम सेक्सी लगने लगा।

फिर मैंने धीरे-धीरे अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लंड 6.5″ मोटा और 2.5″ गोलाई का है।

मेरा लंड देखते ही भाभी ने उसे हाथ में पकड़कर सहलाना चालू कर दिया। लेकिन आज मैं पूरे मूड में था कि भाभी को पागल करके तब इनकी बुर और गांड में लंड पेलूँगा।

मैंने भाभी के पेट और नाभि को जीभ से सहलाना चालू किया तो वो ऐंठने लगीं और बोली- प्लीज मुझे पेलो राहुल, प्लीज मेरी बुर गरम हो गई है।

पर मैं न रुका मैं जीभ को धीरे-धीरे उनकी बुर तक ले गया और जमकर आधे घंटे तक बुर चाटता रहा। वो पागलों की तरह ऐंठती और चिल्लाती रहीं, “प्लीज राहुल मत चाटो, अब पेल दो अपना लंड, इस बुर को ठंढा कर दो।”

पर मैंने एक न सुनी। फिर मैंने उन्हें पेट के बल लिटा दिया और उनकी गांड के दोनों कूल्हों को दबा-दबा कर उन पर जीभ लगा कर और होंठों से काटने लगा।

इस पर भाभी पलटीं और मेरा चेहरा पकड़कर मेरे होंठों को जोर-जोर चूसती हुई, मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और सीधा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।

और थोड़ी देर बाद मुझे नीचे लिटाकर मेरे लंड पर अपनी चूत रखकर पूरा लंड एक ही झटके में निगल गईं।

लंड इतना तगड़ा था कि तुरंत बाहर निकाल दिया और मुँह से, ‘अह उह अह ह्ह्ह उई ईइ ईइइ इ’ की आवाज़ निकालने लगीं। फिर धीरे-धीरे पूरा लंड अन्दर लिया और खुद ही अपनी गांड चलाना चालू कर दी और धीरे-धीरे इतनी तेज स्पीड पकड़ ली कि बेडरूम में केवल ‘धप्प-धप्प’ की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी।

भाभी ‘उह ह्ह अह ह्ह्ह्ह उई मा ह्ह्ह सशस हस हस शस फाड़ डालो मेरी बुर राहुल प्लीज और जोर चुदाई करो’ कहते हुए वो झड़ गईं।

पर मेरा लंड तो खड़ा ही रह गया। मैंने उन्हें पेट के बल लिटा दिया और गांड के कूल्हों को मसलना चालू किया।

भाभी ने कहा- तू चाहे तो मेरी गांड में डाल सकता है, पर धीरे से पेलना।

मैंने लंड पर थूक लगाकर एक ही झटके में मटकते हुए कूल्हों वाली गांड में आधा लंड पेल दिया।

“आई मर गई ! उह्ह्ह अश श शस हँस श ह्श्ह ! प्लीज राहुल निकाल ले ! मर जाऊँगी।”

मैंने दूसरे झटके में पूरा घुसा दिया और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। कुछ देर बाद भाभी भी अपनी गांड उठा-उठा कर मटकाने लगीं। और मजे से पूरे लंड को अंदर लेकर गांड हिलाकर पिलवाने लगीं।

कुछ देर बाद मैंने स्पीड तेज कर दी और भाभी के दोनों दुद्दुओं को आगे से हाथ में पकड़कर पूरे दम से मसलने लगा।

कुछ ही देर में मैं झड़ गया और पूरा बीज भाभी की गांड में ही छोड़ दिया। इसके बाद भाभी उठकर गईं, नहा ली, मैंने भी नहा कर कपड़े पहने और भाभी के साथ किचन में खाना बनाते समय फिर से भाभी को एक बार किचन में झुकाकर चोदा।

इस बार अपना मोटा लंड उनकी बुर में घुसाया। मेरे लंड की ताकत से उस रात मैंने भाभी को उनके ही बेडरूम में कई बार चुदाई की और भाभी एकदम से लस्त होकर ठंडी हो गईं।

मैं भी थक चुका था। भाभी का चेहरा मुस्कान से खिल उठा था। मेरी चुदाई से अब तो भाभी मेरी दीवानी हैं। जब तक मुझसे चुदवाती नहीं लेतीं, मुझे खोजती रहती हैं।

मेरी कहानी कैसी लगी, तो मुझे मेल करें-

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