एक उपहार ऐसा भी- 19

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दोस्तो, गर्लफ्रेंड की सहेली की चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने जाना था कि मेरी दोस्त की सहेली प्रतिभा दास के साथ डांस की रिहर्सल से मेरे अन्दर उत्तेजना दौड़ गई थी.

अब आगे गर्लफ्रेंड की सहेली की चुदाई की शुरुआत:

फिर हम सभी एक साथ खाना खाने बैठ गए. मजे लेकर देर तक खाना खाया, बहुत सी बातें हुईं और हम अपने अपने कमरों की तरफ रूख कर गए.

खाना खाने के दौरान मैं नोटिस कर रहा था कि खुशी प्रतिभा और सुमन से ठीक से बात नहीं कर रही थी. पर इसका कारण जानना मेरे लिए ज्यादा जरूरी नहीं था.

जब हम लोग अपने कमरे में जाने के लिए खुशी से विदा ले रहे थे तो मैंने उसकी आंखों में नमी देखी.

हो सकता है ये मेरा वहम हो, पर मेरे दिल को लगा कि कुछ तो बात है. और थोड़ा दिमाग दौड़ाने पर समझ आया कि खुशी मुझे प्रतिभा और सुमन को सौंप रही थी. जिसकी वजह से वो दुखी थी. पर मैं भी क्या कर सकता था. मैं तो खुशी को ही दिया वचन निभा रहा था.

मैं अपने कमरे में पहुंचा और कपड़े बदलकर फ्रेश हो होने लगा. पायल की शरारत मेरे मन को अब भी गुदगुदा रही थी, पर मुझे प्रतिभा की कमर को छूने का अहसास भी बेचैन कर गया था.

प्रतिभा ने कहा था कि वो निशा संग आएगी. मैं ये सोचने लगा कि ये नया किरदार कौन है. फिर बिस्तर पर लेट कर मैं आराम करने लगा.

हम नीचे से ही लगभग दस बजे ऊपर आए थे. रात हो चुकी थी, तो मेरी नींद भी लग सकती थी, इसलिए प्रतिभा के आने के लिए मैंने दरवाजे को लॉक नहीं किया.

कुछ देर बाद चोरी छुपे किसी के आने की आहट हुई. अभी प्रतिभा के आने का समय हो चुका था, तो मैंने जानबूझ कर आंखें मूंद लीं. फिर आहट पर गौर किया. तो पता चला कि आने वाले शख्स ने दरवाजा लॉक भी कर दिया है.

आंखें मूंद कर कुछ पल इंतजार करने के लिए शाबासी और उपहार स्वरूप मुझे होंठों पर एक गहरा और मादक चुंबन मिला.

पहले मैंने चुंबन करने वाली को बांहों में भर लिया और बिस्तर पर लिटाते हुए उसके चेहरे पर नजर गड़ा कर आंखें खोलीं, तो मेरी बांहों में प्रतिभा ही थी, जिसे देखते ही पहली नजर में ही मैंने ख्वाब बुनने शुरू कर दिए थे.

प्रतिभा दास छरहरे सुडौल बदन की बंगाली बाला थी. उसका अंग-अग तराशा हुआ था, उसे बांहों में भरते ही मेरा रोम रोम पुलकित हर्षित हो उठा.

वैसे जब मैंने प्रतिभा को डांस सीखने दौरान छुआ था, तब भी मन मचल उठा था, पर उस समय मैं असहाय था और मन की कामाग्नि को दबा लेने के सिवाए मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था.

पर अभी तो प्रतिभा मेरे अन्दर धधकते ज्वाला कुंड में ही कूदने आई थी. अब भला किस बात का डर था. मैंने प्रतिभा को बांहों में और कस लिया. साथ ही उसके पूरे बदन पर अपने हाथों को एक बार सरपट दौड़ा दिया.

मैंने कुछ देर बाद अपनी पकड़ ढीली की और प्रतिभा से पूछा- तुम किसी निशा के साथ आने वाली थीं, वो कहां है?

प्रतिभा को संभलने का थोड़ा मौका मिला, तो उसने पहले कहा- अरे … बाप रे … तुम तो बहुत बचैन हो. लगता है मुझको तो निचोड़ ही डालोगे … और ठरकी कहीं के! निशा कोई लड़की नहीं है. मैंने तो कहा कि मैं रात होने पर आऊंगी. तुम साहित्यकार हो, इसलिए थोड़े अलग अंदाज में बात कह दी थी कि प्रतिभा निशा के संग आएगी.

मैंने कहा- ओह … सॉरी यार … मैं समझ नहीं पाया. और रही निचोड़ डालने वाली बात, तो प्रतिभा जबसे तुम्हें देखा है … बस एक ही ख्वाब देखा है कि कब मौका मिले और मैं तुम्हें अपने प्रेम रंग में नहलाकर सराबोर कर दूं. प्रतिभा ने कहा- अच्छा तो ये बताओ … दोपहर को बैचलर पार्टी के लिए बुलाई गई रंडियों के साथ ऐश करते समय जनाब को हमारी याद नहीं आई.

अब मैं थोड़ा हकला गया, मुझे नहीं पता था कि वहां की बात यहां तक आ जाएगी. मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि खुशी को भी तो ये बात पता नहीं चल गई.

मैंने प्रतिभा से तुरंत पूछा- क्या खुशी भी इस बात को जान गई? प्रतिभा ने मुँह मटका के कहा- वाह जी वाह … मैं जान गई और तुमसे कह भी दिया, तो कोई फर्क नहीं पड़ा और खुशी जान गई होगी, ये सोचकर ही तुम्हारे चेहरे का रंग बदल गया.

मैंने फिर कहा- नहीं यार तुम गलत समझ रही हो … मैं तो सिर्फ ये जानना चाह रहा था कि मेरी बदनामी की आग कहां तक फैली है. प्रतिभा खिलखिला उठी और गाना गाने लगी- जो है नाम वाला … वही तो बदनाम है. फिर मैंने चेहरा लटका कर कहा- मेरी बेबसी का इस कदर मजाक ना बनाओ.

अब शायद उसे भी तरस आ ही गया था. उसने कहा- खुशी इस बारे में कुछ नहीं जानती. तुम चिंता मत करो, खुशी तुमसे बहुत प्यार करती है. मैं उसे ये बताकर उसका दिल नहीं दुखाऊंगी. फिर मैंने कहा- और अगर वैभव ने बता दिया तो? प्रतिभा ने कहा- मैंने पहले ही वैभव से ये बात किसी को ना बताने के लिए कह दिया है.

ये सुनकर मैंने खुश होकर एक बार फिर से प्रतिभा को बांहों में भर लिया और कहा- तुम बहुत अच्छी हो. मैंने उसके ऊपर चुम्बनों की झड़ी लगा दी. प्रतिभा भी मेरा पूरा साथ देने लगी.

वो वन पीस सिल्की नाइटी पहन कर आई थी, जो सामने से खुली रहती है और एक तरह से सुविधाजनक ही रहती है. मुझे उस जगह से उसके चिकने कामुक बदन को सहलाते बन रहा था, पर मैं प्रतिभा को निर्वस्त्र करते बांहों में समेटने की चाह करने लगा.

लेकिन जैसे ही मैंने प्रतिभा की नाईटी खोलनी चाही, उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोक दिया. उसने कहा- संदीप, वासना का ये खेल कुछ ही समय का होता है. तुम ही बताओ संदीप … क्या सिर्फ कामक्रीड़ा से आत्मा की तृप्ति होती है, क्या एक दूसरे को समझने, चाहने और प्रेम सुख देने के लिए थोड़ा सा वक्त काफी है? और संदीप मैं तो तुम्हारे साथ एक ही रात में पूरी जिंदगी जी लेना चाहती हूँ. तुम्हें समझ लेना चाहती हूँ, तुम्हें पा लेना चाहती हूँ. सिर्फ तन से नहीं मन से भी और रूह से भी!

मैंने कहा- तुम्हारी चाहत लाजिमी है. जब वासना में प्रेम का समावेश हो जाता है, तब कामक्रीड़ा एक खेल से ऊपर उठकर उपासना का रूप धर लेता है. मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि मुझसे तुम वो चाहती हो, जो देते हुए भी उतना ही आनन्ददायक होता है, जितना लेते हुए.

प्रतिभा को मैंने बांहों में भर लिया और प्रेम से उसके मस्तक पर किस करते हुए कहा- प्रतिभा, तुम खूबसूरत हो और जितना लाजवाब तुम्हारा बदन है, उससे कहीं ज्यादा सुंदर तुम्हारा अंतर्मन है. उसने कहा- रूकिए जनाब … इतनी जल्दी मेरे प्रति राय मत बनाइए, मुझे तुमको कुछ और भी बताना है. मैंने कहा- हां कहो ना … कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ, तभी तो ये रात यादगार होगी.

प्रतिभा ने कहा- संदीप तुम्हारे अन्दर जादू है, तुम्हारे शब्द किसी मोहपाश की तरह लोगों को अपनी ओर खींच लेते हैं … दुनिया को देखने का तुम्हारा नजरिया भी बेहतरीन है और तुम्हारा व्यवहार भी शानदार है. तुम हैंडसम भी हो और तुम.

मैंने प्रतिभा को रोकते हुए कहा- क्या यार … तुम तो मेरी झूठी प्रशंसा करने लगीं. मैं एक साधारण व्यक्ति हूं … मुझे अपने लिए इससे ज्यादा कुछ भी सुनना पसंद नहीं. प्रतिभा ने फिर कहा- यही तो तुम्हारी खासियत है.

मैंने फिर टोका- यार ये गलत बात है, तुम मेरी तारीफ करना बंद करो और जो कहने वाली थीं, वो कहो.

प्रतिभा ने कहा- हां, मैं जो कहना चाहती हूँ … उसकी शुरूआत ही यहीं से होती है. खुशी सुमन और मैं एक साथ ही पढ़े हैं. हम तीनों शुरू से ही अच्छी सहेलियां हैं. पर हम तीनों का व्यवहार बिल्कुल अलग हैं. सुमन पढ़ाकू है. तो मैं बिंदास हूँ और खुशी पढ़ाकू भी है … बिंदास भी. पर खुशी सिर्फ दिखावे के लिए बिंदास है, असल में खुशी भावुक और संस्कारी लड़की है. पढ़ाई के समय मैंने एक बॉयफ्रेंड बना लिया, खुशी ने भी एक बॉयफ्रेंड बनाया पर सुमन इन चीजों से दूर रही थी.

फिर हमारे बॉयफ्रेंड हमें छोड़कर चले गए, खुशी ने उसको हद पार करने नहीं दिया था. वो उसे छोड़ कर चला गया तो उसके चले जाने से खुशी को बहुत सदमा लगा.

‘फिर?’

प्रतिभा- तब हमने जाना कि वो कितनी भावुक है. दूसरी तरफ मैंने बॉयफ्रेंड के जाने के बाद दूसरा चुन लिया, फिर तीसरा … फिर चौथा. और सबके साथ मैंने वासना के सागर में गोते भी लगाए. इसी दौरान मेरे एक बॉयफ्रेंड ने मुझको अन्तर्वासना पर सेक्स कहानी पढ़वाई. फिर तो जैसे मुझे इसकी आदत ही लग लग गई और जब भी मुझे कोई सेक्स कहानी ज्यादा अच्छी लगती, तो उसकी लिंक मैं सुमन और खुशी को भी सेंड कर देती थी.

धीरे-धीरे सुमन भी सेक्स कहानी पढ़ने लगी, पर खुशी पढ़ती थी या नहीं … ये पता ही नहीं चला.

कुछ समय बाद मेरी शादी एक अच्छे जॉब वाले लड़के से हो गई, मेरी शादी के समय सुमन ने वैभव और खुशी को मिलाया था. वैभव के आ जाने से खुशी की जिंदगी में बहुत कुछ बदल गया था. घर वालों तक उनके प्रेम प्रसंग की बात पहुंची और उनकी शादी भी तय हो गई.

किस्मत का खेल देखो … मैं बिंदास थी लेकिन मुझे हैंडसम लेकिन झंडू पति मिला … और खुशी को हैंडसम और रोमांटिक पति मिला. खुशी वैभव को बहुत ज्यादा चाहती थी इसलिए उसने उसके साथ सारी हदें शादी के पहले ही लांघ डालीं.

इसी बीच तुम्हारी स्टोरी आधी हकीकत आधा फसाना अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई. मैंने कहानी पढ़ी और तुम्हारी लेखन शैली की दीवानी हो गई. मैंने उसकी लिंक खुशी और सुमन को भी भेजी थी. वो पढ़ी या नहीं … मुझे नहीं पता.

फिर एक दिन अन्तर्वासना और उनके राइटरों के बारे में खुशी से बातचीत हो रही थी. तो मैंने कहा- सभी मर्द ठरकी होते हैं. अन्तर्वासना से जुड़े किसी भी व्यक्ति पर भरोसा करना मतलब अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना है.

इस पर खुशी ने कहा- नहीं यार वो भी अच्छे होते हैं, उन पर भी भरोसा किया जा सकता है. मैंने पूछा- तुम्हें कैसे पता!

तब खुशी ने बताया कि वो संदीप से फेक आईडी बनाकर चैट करती है, संदीप उसे जेंटल लगता है और वो संदीप को दिल से पसंद करने लगी है.

खुशी ने मुझे एक बात और बताई कि वैभव भी संदीप के बारे में जान चुका है और उसने संदीप से बात करने और अपनी पहचान बताने के लिए छूट भी दे दी है. वैभव ने खुशी से ये वादा भी किया कि वो एक बारे संदीप से नार्मल मीटिंग कराएगा.

लेकिन वैभव ने उसके लिए एक शर्त रखी थी … और वो शर्त ये थी कि वैभव खुशी को स्वैपिंग के लिए कह रहा था. खुशी ने उस शर्त को संदीप के लिए स्वीकार लिया. संदीप खुशी ने इतनी बड़ी बात तुम्हारे लिए स्वीकार ली, तुमसे केवल औपचारिक मुलाकात के लिए स्वीकार ली. अब सोचो कि वो तुमसे कितना प्यार करती है संदीप.

प्रतिभा की बात सुनकर मुझे लगा कि खुशी और मेरी वार्तालाप को मैं ही समझ सकता था, प्रतिभा केवल सुनी हुई बात जानती थी. तब भी प्रतिभा के मुँह से ख़ुशी की बात सुनकर मेरी आंखें भर आई थीं.

मैंने प्रतिभा से पूछा- और तुम्हारे और वैभव के बीच का क्या माजरा है? तो प्रतिभा ने बताया- खुशी तुमसे बात करने के बाद मुझसे तुम्हारे बारे में बात करके मन हल्का करती थी. उसकी बातें सुनकर मैं भी तुम्हें पसंद करने लगी … चाहने लगी. पर खुशी के मन की बातों को जानकर मैं इतना तो समझ चुकी थी कि उसकी चाहत के सामने मेरी चाहत कुछ भी नहीं.

चूंकि मेरा पति झंडू है, इसलिए मैं भी खुशी के सामने अपनी प्यास और तड़प की बातें रख देती थी … और ये बातें वैभव तक भी पहुंच गई थीं.

वैभव तो मुझ पर पहले ही मरता था. और इस बात का पता चलते ही उसने मुझ पर डोरे डालने शुरू कर दिए. वैभव हैंडसम है और रोमांटिक भी, इसलिए मैंने भी उसे लिफ्ट देना शुरू कर दिया.

अब तक तो तुम समझ ही चुके होगे कि हमारी सोसायटी में सेक्स कितना कॉमन है. लेकिन मैं सेक्स के लिए अपनी बेस्टफ्रेंड को चोट नहीं पहुंचाना चाहती थी. फिर मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना एक तीर से दो निशाने लगाए जाएं.

मैंने वैभव से कहा- तुम अपनी शादी में संदीप को बुला लो. मैं उससे मिलना चाहती हूँ और उसके बाद ही तुमसे मिलूंगी. मेरा जिस्म तुम्हारी शादी का उपहार होगा … और संदीप का लंड मेरे लिए रिटर्न गिफ्ट.

मैं संदीप, प्रतिभा की बात सुनकर हैरान सा होने लगा था. मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो मुस्कुरा दी.

प्रतिभा ने आगे बताया कि मैंने वैभव से कहा- पर ये रिटर्न गिफ्ट तुम्हें खुशी ही देगी. तुम संदीप को बुलाने के बदले खुशी से मुझे मांग लेना. और उसकी बात मानने के बदले मैं खुशी से संदीप का लंड मांग लूंगी.

इधर प्रतिभा ने मुझे पाने का ताना-बाना बुना था, वो सामने आ रहा था. गर्लफ्रेंड की सहेली की चुदाई कहानी के अगले अंक में प्रतिभा की चुत का भोसड़ा बनाने की विधि का वर्णन करूंगा, तब आप मजे से अपने लंड चुत में जो भी करना हो, सो कर लेना. मगर मेल करना न भूलना.

[email protected] गर्लफ्रेंड की सहेली की चुदाई कहानी जारी है.

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