बुआ को मिला असली लिंग

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बुआ का कृत्रिम लिंग-2

लेखक : विवेक सहयोगी : तृष्णा बुआ के अपने कमरे में जाने के बाद मैंने भी टीवी बंद कर दिया और बत्ती बंद करके अपने कमरे की ओर जाने ही लगा था तभी बुआ ने मुझे आवाज़ लगाई!

मैं ‘जी हाँ!’ कहता हुआ उनके कमरे में गया तो देखा कि उन्होंने गाउन उतार के नग्न होकर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थीं।

मुझे देख कर उन्होंने कहा कि अब से मैं उनके पास ही सोया करूँ क्यूंकि रात को उन्हें अगर डिल्डो की ज़रूरत पड़े तो उनको कोई दिक्कत ना हो!

जब मैंने उनसे कहा कि मैं कपड़े बदल के आता हूँ तो उन्होंने बोला कि जब नग्न ही सोना है तो कपड़े बदलने की क्या ज़रूरत है, इसलिए सारे कपड़े यहीं पर उतार कर उनके पास ही लेट जाऊँ!

मैंने ‘हाँ जी’ कह कर उनके सामने सारे कपड़े उतार कर उनके बिस्तर पर उन्हीं के साथ सट कर लेट गया!

मेरे लेटते ही उन्होंने मेरी ओर करवट कर ली और मेरे होटों से अपने होंट लगा कर चूमने लगी। जिस तरह से वह चुम्बन ले रहीं थी, मैं भी वैसे ही करने लगा। जब हमें चुम्बन करते हुए पांच मिन्ट बीत गए तब बुआ ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिया और मेरा दूसरा हाथ अपनी जांघों के बीच में योनि के पास घुसा दिया तथा मेरे सात इंच के लिंग को अपने हाथों में जकड़ लिया फिर चुम्बन करने लगी।

मैं भी उनके बड़े और सख्त, लेकिन रेशम जैसे मुलायम स्तनों को कस के दबाने तथा मसलने लगा और चुचूकों को मरोड़ने लगा!

शायद उनको दर्द हुई होगी इसलिए उन्होंने मेरे कान में बोला कि यह तो अब मेरे ही उपभोग की चीजें हैं इसलिए इन्हें थोड़ा नरमी से मसल!

उनकी यह बात सुन कर मेरा मन गदगद हो गया और मैंने अपने हाथ थोड़े नर्म कर दिए और उनके स्तनों को मसलने के मजे लेने लगा। नीचे वाला हाथ को मैं कभी उनकी योनि के बालों में फेरता और कभी योनि के होटों पर रगड़ता!

शायद बुआ को मजा नहीं आ रहा था इसलिए उन्होंने मेरे कान में कहा- उंगली क्यों नहीं करते!

मैंने जब एक उंगली डाल कर हिलाने लगा तो उन्होंने कहा- एक नहीं, दो उँगलियाँ डाल कर तेज तेज हिलाओ!

जब मैंने पूछा कि ‘दो उँगलियाँ डालने से उन्हें तकलीफ तो नहीं होगी?’ तो बोली- घिसी-पिटी और फटी हुई फ़ुद्दी है, इसे कुछ नहीं होने वाला, बस तुम मुझे पूरे मजे दे दो और खुद भी लो!

फिर क्या था, मैंने उनकी योनि के अंदर अपनी दो उँगलियाँ डाल कर तेज़ी से हिलाना और अंगूठे से उनके भगांकुर को रगड़ना शुरू कर दिया! बस फिर बुआ को इतना मजा आने लगा था कि उन्होंने पूरे बेड को उछल उछल कर हिला दिया तथा उनका बदन ऐंठ गया और उनकी योनि ने पानी छोड़ दिया!

मेरा हाथ उँगलियाँ समेत उस पानी से भीग गया था, मैंने अपनी उन ऊँगलियों को चूसा तो बुआ का हल्का नमकीन पानी बहुत ही स्वादिष्ट लगा।

उधर बुआ भी मेरे लिंग को खूब हिला रही थी, उसमें से निकल रहीं रस की बूंदों को वह थोड़ी थोड़ी देर बाद अपनी उँगलियों से उठा कर अपने मुँह में डाल रही थी और चटकारे लेते हुए चाट रही थी!

कुछ देर तक यह सब देखने के बाद मैंने उनके कान में कहा- आप मेरे लिंग को मुँह में लेकर उसका रस क्यों नहीं चूस लेती?

तो उन्होंने कहा- तेरे को भी मेरी चूत चाटनी पड़ेगी!

मैं तो यही चाहता था इसलिए मैं फुर्ती से पलटी हो गया और उनकी टाँगें चौड़ी कर उनकी योनि पर अपना मुँह लगा कर उसे चूसने लगा। बुआ ने भी मेरा पूरा लिंग अपने मुँह में समा लिया, उसे गले तक उतार कर चूसने लगीं!

मेरा लिंग तो एकदम तन कर लोहे की छड़ जैसा हो गया और उनके मुँह में फड़फड़ाने लगा! तब बुआ ने लिंग को चूसते हुए मेरे अंडकोष को मसला जिससे मेरा बाँध टूट गया और मेरे लिंग में से रस की तेज धारा छूटने लगी। बुआ ने मेरे लिंग से निकले सारे रस को पी लिया और फिर मेरे लिंग को चाट कर साफ़ किया। मैंने भी बुआ की योनि को और उनके भगांकुर को खूब तेज़ी से चाटा तथा योनि के अंदर जीभ भी मारी जिससे उनकी योनि एकदम से सिकुड़ी और फिर उन्होंने उन्ह्ह्ह… कह कर अपना पानी छोड़ दिया!

मैं उनके उस पानी को पी कर डकार मारने के बाद ही उनसे अलग हुआ!

इसके बाद हम दोनों सीधे होकर लेट गए और मैंने बुआ की स्तनों को और बुआ मेरे लिंग को पकड़ कर एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए।

रात को दो बजे होंगे, जब मेरी नींद खुल गई और मैंने महसूस किया कि कोई मेरा लिंग सहला रहा था तथा वह खड़ा भी हो रहा था। मैंने अपना सिर थोडा सा ऊँचा करके जब देखा तो पाया कि बुआ मेरे लिंग को अपनी जीभ से चाट रही थी। मैंने जब उनसे इतनी रात में ऐसा करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि योनि में खुजली हो रही थी इसलिए उसे मिटाने के लिए वह डिल्डो को तैयार कर रही थी।

तब मैं भी उठ कर उल्टा-पलटा के आसन में आकर उनकी योनि को चाटने एवं चूसने लगा और बुआ ने मेरे लिंग को चूसना शुरू कर दिया! कुछ देर में बुआ बहुत गर्म हो गई और ऊँह… आह्ह्ह… उनह्ह… आह्ह्ह्ह… की आवाजें निकालने लगी तथा अपनी योनि को मेरे मुंह पर रगड़ने लगी। साथ में बुआ मेरे लिंग को चुबाके मार मार कर चूस लगी थी, मेरे मुंह से भी आहंह… आहंह्ह… की आवाजें निकलनी शुरू हो गई थी।

तब बुआ ने कहा- विवेक, अब और नहीं रहा जाता, तुम मेरे अंदर हो रही खुजली को जल्दी से मिटा दो!

मैं उनका मतलब समझ गया और उठ कर उन्हें सीधा लिटा दिया, फिर उनकी टाँगें चौड़ी कर के बीच में बैठ गया और अपने लिंग को उनकी योनि के मुँह पर रख कर उनके भंगाकुर को रगड़ने लगा। उनकी आग और भड़क गई तो वह चिल्ला पड़ी- हरामी साले, मैंने तुझे खुजली मिटाने को कहा है आग लगाने के लिए नहीं! लगता है तूने तो इस साली चुदक्कड़ फ़ुद्दी में पैट्रोल डाल कर आग लगा दी है, बुआचोद, अब इस आग को बुझा तो दे!

बुआ की गालियों ने मुझे उत्तेजित कर दिया और तब मैंने उनकी योनि में प्रविष्टि मारी और एक हलके झटके से अपने लिंग के सुपारे को योनि के अंदर धकेल दिया। सुपारे के अंदर जाते ही बुआ बोली- लोड़ू प्रसाद, क्या तेरे में ताकत नहीं है जो इतने हल्के झटके लगा रहा है? मर्द बन और कस के एक धक्का मार जिससे पूरा लिंग एक बार में ही मेरी योनि में चला जाए और फिर देख मैं कैसा मजा देती हूँ तुझे!

उनकी बात सुन कर मैं बहुत ताव में आ गया और अपना पूरा जोर लगा कर ऐसा धक्का दिया कि मेरा पूरा लिंग खटाक से उनकी योनि में घुसता हुआ उनकी बच्चेदानी की दीवार से जा टकराया, तब बुआ चिल्लाई ‘मार दिया, हरामी लौड़े, तू एक कमसिन औरत को चोद रहा है किसी कुतिया को नहीं जो इस लोहे जैसे डंडे को इतना घुमा के मार रहा है!

उनकी यह बात सुन कर मुझ से रहा नहीं गया और बोल पड़ा- बुआ, आपने ही तो एक बार में सारा घुसेड़ने को कहा था और मैंने तो वैसा ही किया था! आपकी योनि ने भी तो मेरे लिंग को एक कुतिया की योनि की तरह जकड़ रखा है!

तब बुआ ने कहा- अच्छा अब ये बातें छोड़ कर चुदाई पर ध्यान दे!

मैं शुरू में तो अहिस्ता से अपने लिंग को थोड़ा बाहर निकालता और फिर तेज़ी से योनि के अंदर घुसेड़ता रहा लेकिन कुछ देर के बाद मैं अपने लिंग को तेज़ी से योनि के अंदर बाहर करने लगा। बीस पच्चीस धक्कों के बाद मैंने अपनी गति बढ़ा कर खूब तेज़ी से सम्भोग करने लगा। अब बुआ को बहुत मजा आने लगा था और वह भी मेरे धक्कों से लय मिला कर नीच से उछल उछल कर धक्के लगाने लगी थी।

कुछ देर इसी गति से सम्भोग करते हुए बुआ एकदम से ऐंठी, उनकी योनि ने मेरे लिंग को जकड़ा और उम्मह… आंहह… उनह्हह… आहह… उइ माआ आअह… की आवाज़ निकलते हुए अपनी योनि का पानी छोड़ दिया!

मुझे ऐसा लगा जैसे कि उनकी योनि में बाढ़ आ गई थी और मेरा लिंग उसमे डुबकी लगा रहा था। योनि के गीली हो जाने की वजह से वह थोड़ी चिकनी हो गई थी और अब उसमें मेरा लिंग बड़े मज़े से फिसल कर अंदर बाहर हो रहा था। तब मैंने अपने गति बहुत ही तेज़ कर दी और बुआ के ऊपर उछल उछल कर उनसे सम्भोग करने लगा! बुआ ने भी अपने उछलने के गति बढ़ा दी और मेरी गति से मेल करते हुए मेरा साथ देने लगी!

दस मिनट के बाद एक बार फिर बुआ ऐंठी और उनकी योनि ने मेरे लिंग को जकड़ लिया तथा उन्होंने उम्मह आहँह्ह्ह्ह उनह्हह आहह उईमाँ आ आ अह… की आवाज़ निकलते हुए तड़पी तथा अपना पानी छोड़ दिया।

लेकिन मैं फिर भी उसी तरह पूरी गति से धक्के लगाता रहा!

अगले दस मिनट पूर्ण गति के सम्भोग के बाद इधर बुआ ने एंठ कर उईमाँ आअह… उईमाँ आ आ अह… मार डाला! चिल्लाते हुए और उधर मैं फड़फड़ाते लिंग के साथ अह्ह… उम्मह… आहंह… उनह्हह… चिल्लाता हुआ बुआ की योनि में दोनों ने एक साथ ही अपना पानी और पिचकारी छोड़ दी!

बुआ की योनि की बाढ़ तो आई और चली गई लेकिन मेरी पिचकारी तो पूरे आधा मिन्ट तक चलती रही तथा बुआ की टंकी पूरी तरह भर कर उसे ओवर फ्लो भी कर दिया!

हम दोनों बहुत थक गये थे इसलिए मैंने लिंग को बुआ की योनि में ही रहने दिया बुआ के ऊपर ही लेट गया! अगले पांच मिनट ऐसे पड़े रहने के बाद जब मैं उठने लगा तब बुआ ने मुझे पकड़ कर अपने साथ भींच लिया और एक बहुत लंबा चुम्बन किया और कहा- आज तुम ने मेरा दिल बहुत खुश कर दिया है, मेरी कई सालों की प्यास भी बुझा दी है! अब अपने लिंग को बाहर निकाल कर उस पर लगे रस से मेरी मांग को भर दो और मुझसे वादा करो कि तुम मेरा डिल्डो बन मेरी इस योनि की प्यास और खुजली को इसी तरह हमेशा बुझाते रहोगे!

मैंने उनके कहे अनुसार उनकी मांग को लिंग पर लगे रस से भर दी और फिर उसी लिंग को उनके मुँह में डाल दिया। उन्होंने मेरे लिंग को चूस एवं चाट कर साफ कर दिया। लगभग आधे घंटे के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम में गए और एक दूसरे को पानी से खूब अच्छे तरह से धोकर साफ़ करने के बाद वापिस बेड पर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए और हमें पता ही नहीं चला कि कब हमें नींद आ गई!

अगले दो दिन और दो रात (यानि शनिवार और रविवार) को मम्मी और पापा के वापिस आने से पहले तक मैंने बुआ का डिल्डो बन कर उनके साथ छह बार यौन संसर्ग किया और उनकी योनि की खुजली तथा प्यास मिटाई! पिछले एक साल में उस दिन से लेकर आज तक सिर्फ मासिक धर्म वाले दिनों को छोड़ कर बाकी हर दिन बुआ ने मुझे अपना डिल्डो बना कर संतुष्टि ली है और मुझे यौन सहवास के असीम आनन्द का सुख भी प्रदान किया है।

प्रिय मित्रो, कृपया बताइए कि आप सब को मेरे जीवन में घटित उक्त घटना का विवरण पढ़ कर कैसा लगा?

मेरा अनुमान है कि कई मित्रगण तो मेरे और मेरी बुआ के बीच के इस यौन सम्बन्ध को मात्र एक स्त्री और पुरुष के बीच के स्वाभाविक सम्बन्ध ही समझते होंगे लेकिन कुछ अन्य मित्र तो मेरे इस तरह के यौन सम्बन्ध को घृणा की दृष्टि से देख रहे होंगे!

अन्त में मैं अपनी पूज्यनीय गुरु श्रीमती तृष्णा जी के प्रति अपना आभार प्रकट करना चाहूँगा, जिन्होंने मेरी इस रचना को सम्पादित किया और उसमे सुधार करके आप सबके लिए अन्तर्वासना पर प्रकाशित कराने में मेरी सहायता की!

आप सबसे अनुरोध है कि आप अपने दिल से जो भी सच्ची प्रतिक्रिया है, उसे लिख कर हमें ज़रूर भेजें! मेरा ई-मेल आई डी है [email protected] तथा मेरी गुरुजी का ई-मेल आई डी है [email protected]

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