चूत शृंगार-7

मैं किस्सना को अपने मम्मों में दबा कर लेटी रही तो चैन मिला। मैंने पूछा- चोदने के लिए बुलाऊँ तो आकर चोदेगा? “हाँ !” वो बोला- मस्त चोदूंगा। कब चुदेगी? मैं बोली- बुलाऊँगी ! जरूर चुदूँगी तेरे से !

और मैं उठ कर नहाने चली गई। जब मैं नहा रही थी तो बाई आई और अपने बच्चों को लेकर चली गई। शाम को जब भैया आए तो मैं सिर्फ़ ब्रा और कच्छी में उसका इन्तजार कर रही थी।

भैया तो देखते ही उत्तेजित हो गए बोले- हाय, मेरे लिए मम्मे खोल कर बैठी है। और भैया ने दोनों हाथों से मेरे दोनों मम्मे पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मुझे अच्छी तरह दबोच कर मुझे खूब चूमा और मेरा मुँह और गला चाट चाट कर मेरा मुँह, गला, कंधे और मम्मे सब गीले कर दिए।

फिर मेरे मम्मे दबा कर मेरे मुँह में जीभ डाल कर मेरे मुँह को अपनी जीभ से खूब चोदा। और ऐसा करते-करते भैया ने मेरे मुँह में हल्का सा थूक दिया। भैया ने मुँह में थूक ठीक ऐसे ही डाला जैसे जीभ नहीं लंड हो और चोदते-चोदते उसका रस निकल गया हो। प्यार से मुँह में चोदा हुआ थूक मैं प्यार से खा गई।

मैंने भैया से पूछा- तुमने मेरे मुँह में थूका क्यों? वो बोला- पगली, यह थूक नहीं प्रेम-रस है। “वो तो मुझे मालूम है !” मैंने कहा- पापा भी मम्मी के मुँह में थूका करते थे और जब वो थूक खा जाती मतलब उस रात खूब चुदेगी वो पापा से। भैया हैरान हो कर बोले- अच्छा तूने देखा है? मम्मी को चुदते हुए देखा है? “तो और क्या ऐसे ही कह रही हूँ !” मैं बोली- तुम तो हमेशा हॉस्टल में रहे, तुम्हें क्या पता घर में क्या क्या होता था? “बता, बता न, कैसे-कैसे क्या-क्या देखा?” भैया बड़े उत्तेजित हो कर पूछने लगे। मैंने कहा- सब बताऊँगी, पहले मेरा मजा तो ले ले।

भैया ने इन्कार नहीं किया कि प्रेमी की थूक चाटने से उनका मतलब चोदना है। मुझे लगा आज तो ये चोदेगा। मैंने पक्का करने के लिए कहा- मेरे मुँह में अपना थूक दे ना। उसने मम्मे दबा कर मेरे होंठ चूसे और मेरे मुँह में फिर थूका और मैं चाट गई। और मैंने कहा- मम्मी जितना ज्यादा थूक चाटती थी, मतलब उतनी ज्यादा लम्बी चुदेगी।

भैया ने और मम्मे दबाए और चूमा और मेरे मुँह में कई बार थूक दिया। मुझे यकीन हो गया कि आज रात तो ये मुझे जी भर के चोदेगा। मेरे पति मुझे चोदने से पहले मेरी चूत को खूब सजाते थे। आज मैं फिर से चुदने वाली थी तो मैंने भी सोचा क्यों न चूत को सजाया जाए।

मैं गुसलखाने में जाने लगी तो भैया भी पीछे-पीछे हो लिए। मैंने भैया से ही चूत का श्रृंगार करवाया। मैं टांगें फैला कर बैठ गई और भैया ने अपनी शेव करने वाली क्रीम मेरी चूत के चारों और लगाई। फिर भैया ने रेज़र से चूत की अच्छी सी शेव की। चूत खूब चिकनी हो गई। तब भैया ने चूत को अच्छी तरह धो कर पोंछा और चूत के चारों ओर क्रीम लगाई और उस क्रीम से चूत की खूब मालिश की। चूत चिकनी और चमकदार हो गई। फिर मेरे कहने पर भैया ने मेरी चूत पर लिपस्टिक लगाई, ठीक उसी तरह जैसे होंठों पर लगाते हैं। उसके बाद भैया ने चूत के ऊपर सिन्दूर से टीका लगाया।

चूत एक नई-नवेली दुल्हन की तरह सज गई और अपनी चूत में अपने लंड के गृह-प्रवेश कराने को तैयार हो गई। मैं भैया के साथ बिस्तर में गई। आज मैं बिल्कुल नंगी थी, खुले मम्मे खुली चूत, पूरी तरह से चुदने को तैयार। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैंने भैया से कहा- मुझे कल की तरह चूमो-चाटो।

भैया ने मुझे पिछले रोज की तरह चूत से लेकर मुँह तक खूब चूमा और चाटा। पिछली रात तो मैं सोने का बहाना कर रही थी, इसलिए अपनी साँसों को दबा रही थी, पर आज मैं खुल कर मजा ले रही थी। लंबी-लंबी साँसें ले रही थी, मीठी-मीठी ‘आँहें’ भर रही थी और ‘आह… उह… हाय…’ वगैरह बोल कर अपनी खुशी भी जाहिर कर रही थी। चाट-चाट कर भाई ने मुझे खूब गर्म कर दिया। मैं बोली- चोद ले, चोद मुझे, नहीं तो मर जाऊँगी।

पर ये क्या ! चुदने को मेरी जान निकली जा रही है और वो मेरी चूत में लंड ही नहीं दे रहा। बार-बार मिन्नत की, मेरी चूत मार ले, चोद ले मुझे, लंड दे दे ! पर उसने चूत नहीं मारी। बोला- तेरी चूत में लंड कैसे दे दूँ? तू तो मेरी बहन है।

मैं बोली- और यह जो इतनी चुम्मा-चाटी कर के मुझे चूत मरवाने के लिए गर्म किया तब भी तो मैं तेरी बहन थी? उसने कहा- देख, शरीर को छूना अलग बात है और चूत में देना अलग बात है। मैं बाहर से सब मजा दूँगा पर चूत मरवाने पर जोर मत दे। मैं समझ गई कि यह चूत नहीं मारेगा, सोचा, कमला बाहर से ही मजा ले ले। मैंने कहा- अच्छा लंड तो दिखा दे।

उसने पजामे में से लंड निकाला। बहुत सुन्दर था मैं देखती ही रह गई। मैंने मुँह में लेकर चूसा और चूसती ही रह गई। भैया सिसकारियाँ लेकर मजा ले रहे थे। मैंने कहा- भैया, तूने तो बहन को चोद लिया। भैया हड़बड़ाए, “क्या ! क्या ! क्या बोली तू?” मैंने कहा- तूने अपने लंड से मेरा मुँह चोद लिया।

भैया बोले- अब मैं तेरे मम्मे भी चोदूँगा। भाई ने अपना तना हुआ लंड मेरी चूची पर रख कर दबा दिया। चूची के दबते ही मम्मे चारों तरफ से उभर आए, जैसे लंड को चारों ओर से कैद कर रहे हों। लंड को अच्छी तरह से दबा कर, उसने मम्मों के बीच घुमाया। मम्मों के मांस को लंड के चारों तरफ नाचते देख भाई को बहुत मजा आया।

उसने पूछा- कैसा लग रहा है मम्मे चुदवा कर? मैंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसे लग रहा है, मैं उड़ जाऊँगी। तुम मुझे थाम लो। मेरे ऊपर लेट जाओ और मुझे जोर से दबा लो। भैया ने लंड पजामे में डाला और मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा।

मैंने कहा- मुझे चोद ले प्लीज़। वो बोला- हम चोद तो नहीं सकते, पर जब तू कहती है चोद ले तो बहुत प्यारी लगती है। मैंने कहा- अच्छा चोद मत पर चोदने का नाटक तो कर सकता है। लंड को पजामे में छुपा रहने दे और धक्के मार।

भैया ने एक धक्का मारा तो खड़े लंड से चूत पर ठोकर लगी। पजामे से ही सही पर लंड ने चूत से बात तो की। मुझे तो तसल्ली सी हुई। चूत का श्रृंगार बेकार नहीं गया। मुझे मजा आया। मैंने कहा- और चोद।

उसने और धक्के मारे, कभी धक्का ऐसे भी लगता कि लंड चूत के द्वार पर ठोकता मानो पजामे से निकल कर चूत के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा हो। मैं बोलती गई और वो लंड को ठोकता गया। “चोद और चोद ! चोद मुझे, मेरी चूत ठोक दे, जोर से और जोर से मार, जोर से मार, बहुत जोर से !” और मैं ‘आधी-चुदी’ सी इतने में ही खुश होती रही।

अगले दिन मैंने सोचा अब यह तो मेरी चूत के अंदर अपना लंड देगा नहीं और कौन है जो मुझे चोद लेगा। मेरी निगाह में दो जने थे– एक तो काम वाली बाई का बेटा किस्सना और दूसरा होटल का मालिक चंदू या दिल से कहूँ तो मेरा चोदू।

मैंने भाई से कहा- चंदू ने हमें अपने होटल आने का न्योता दिया था, आज चलें? भाई ने कहा- ठीक है, तुम फ़ोन पर उससे बात कर लेना और डिस्काउंट की भी बात कर लेना। जरूर चलेंगे।

भैया दफ़तर चले गए तो मैंने चंदू को फ़ोन किया, मैंने पूछा- पहचाना या याद दिलाऊँ? “अरे तेरे मम्मों में मेरी जान है ! पहचानूँगा कैसे नहीं !” “उस दिन जब तुमने मुझे अपना नाम बताया तो मैंने गलती से तुम्हारा नाम ‘चोदू’ समझा था । “तुमने गलत नहीं समझा, मैंने चोदू ही बताया था। मैं दुनिया के लिए चन्दू हूँ, तेरे लिए चोदू।” “सच कब चोदेगा?” ‘अभी आ जा।”

“ऐसे कैसे आऊँ, उसके साथ ही आऊँगी।” “कब आएगी?” “आज शाम को, खाने पे, कितना डिस्काउंट देगा?” “खाना फ़्री।” “मैं उसके साथ होऊँगी, चोदेगा कैसे?” “अपना होटल है। कोई रास्ता निकल ही आएगा।” “ठीक ! पर मुझे चोदना जरूर। मैं खाना खाने नहीं आ रही, सिर्फ चुदने आ रही हूँ।” “फ़िक्र ना कर ठोक-ठोक कर चोदूँगा, तेरी चूत फाड़ कर रख दूँगा।”

कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]