दु:खी मकान मालकिन चुद गई

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मेरा नाम तरुण है। मैं अहमदाबाद का रहना वाला हूँ। मैं 20 साल का हूँ। यह कहानी तब की है, जब मैं कॉलेज की है। जब मैं पहले साल में था। मैं पढ़ाई करने के लिए जालंधर, पंजाब गया था। मैं वहाँ पर इंजीनियरिंग कर रहा हूँ, किराये पर रूम लेकर रहता हूँ।

मेरी मकान मालकिन बड़ी सुन्दर हैं। उनका फिगर 38-22-36 हैं। वो दिखने में बड़ी सुन्दर हैं, एकदम माल लगती हैं। उनकी उम्र 32 साल है। भाभी जी का नाम संजना है। घर में सब उन्हें संजू कहकर बुलाते हैं, मैं भी उन्हें संजू भाभी कहकर बुलाता था।

उनके घर में उनके पति, उम्र 46 साल है, वो एकदम बुड्डे दिखते हैं और दिन भर दारू पीकर टुन्न रहते हैं। भाभी जी का एक जो 8 साल का बेटा भी है।

मैं भाभी को चाहता तो था पर उनको कह नहीं सकता था। मैं अक्सर उनको देखता था, वो हमेशा उदास रहती थीं।

मुझे वहाँ पर रहते हुए लगभग एक महीना हो गया, तब मुझे पता चला कि उनके पति उनको छूते भी नहीं हैं। दरअसल उनका खड़ा ही नहीं होता था।

भाभी हमेशा चुदने के लिए बेताब रहती थीं। मैं हमेशा उनको लाइन मारता था। भाभी मेरे से खूब मजाक करती थीं। हम दोनों रात भर बैठ कर बात करते रहते थे।

मैं अक्सर भाभी को चोदने के चक्कर में रहता था। मैं बातें करते समय इधर-उधर भाभी को छू लेता था।

मैंने कितनी ही बार भाभी को नहाते हुए देखा था। भाभी के नितम्ब एकदम मस्त मोटे थे। मैंने बहुत बार उनकी पिछाड़ी पर हाथ मारे थे।

भाभीजी भी में मस्ती में मेरे लंड पर अपना हाथ रखती थीं। मैं अक्सर भाभी की तारीफ करता था। भाभी मुझसे बहुत प्यार करती थीं।

एक दिन रात को मैंने भाभी जी को उनके सेक्स लाइफ के बारे में पूछा। मुझे पता तो था, पर मैं उनके मुँह से सुनना चाहता था।

भाभी जी उदास हो गई और रोने लगीं।

मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ?

तब उन्होंने बताया कि उनकी सेक्स लाइफ एकदम बुरी है। उनके पति उन्हें छूते भी नहीं हैं, उनका खड़ा भी नहीं होता।

फिर मैंने उनको सांत्वना देते हुए कहा- भाभी जी कोई बात नहीं, मैं हूँ ना !

तब धीरे-धीरे मौके का फायदा उठाते हुए मैंने धीरे से अपने होंठ भाभी के होंठ पर रख दिए।

और हम एक दूसरे से लिपट गए और एक दूसरे को चूमने लगे। यह काम कम से कम 15 मिनट चला होगा।

बाद में भाभी जी को मैंने पूछा- आगे बढ़ें या फिर कभी बाद में !

भाभी ने बोला- अभी, बाद में क्यों?

मैंने कहा- आपके पति आ जायेंगे इसलिए !

तो उन्होंने कहा- वो दारूबाज कहीं पीकर पड़ा होगा, तुम उसकी टेंशन ना लो, बस आज मुझे खुश कर दो।

फिर मैं और भाभी दोनों उनके बेडरूम में चले गए। उधर पर मैंने भाभी के एक के बाद एक कपड़े उतारने चालू कर दिए और उन्होंने मेरे।

कुछ ही पलों में हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे। फिर मैंने भाभी को पकड़ा और उनको लबों पर चुम्बन करने लगा और दूसरे हाथ से उनके मम्मे को दबाने लगा।

भाभी जी को बड़ा मजा आ रहा था। वो सिसकारियाँ ले रही थीं।

मैं उनके चूचों को जोर-जोर से भींचने लगा और उनके मटर के दाने जैसे भूरे चूचुकों को दांतों से काट रहा था और चूस रहा था। उन्हें बहुत मजा आ रहा था, वो मेरे बालों में हाथ फिरा रही थीं।

मैंने फिल्म आगे बढ़ाई और उनकी चूत की तरफ बढ़ा और अपने हाथों से उनकी चूत को मसलने लगा और अपनी उंगलियों से चूत को कुरेदने लगा।

भाभी जी एकदम मस्त हो गई थीं।

मैंने उनकी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटने लगा, मैं उनकी सुरंग को अच्छी तरह चाट रहा था।

थोड़ी देर में भाभी जी ने मेरे सर को पकड़ा और जोर-जोर से पकड़ कर मेरा मुँह चूत पर दबाने लगीं, थोड़ी ही देर में वो झड़ गईं, फिर वो लेटी रहीं।

मैंने अपना लण्ड उनके हाथ में दे दिया। लण्ड अब तक पूरी तरह अपना रूप ले चुका था। वो 6.5 इंच लम्बा और 3 इन्च मोटा है।

फिर भाभी अपने हाथों से उससे हिलाने लगीं।

मैंने उनको लण्ड मुँह में डालने को कहा। वो तो जैसे यही चाह रही थीं उनने लपक कर मेरे लौड़े को लॉलीपॉप की तरह अंदर-बहार करके चचोरना आरम्भ कर दिया।

थोड़ी देर बाद भाभी फिर से तैयार हो गईं और मुझे कहने लगीं- अब रहा नहीं जाता तरुण, जल्दी से अपने लण्ड को मेरी चूत में डालो।’

पर मैं भी कमीना हूँ, मैंने उनको और तड़पाया फिर मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर ऊपर रगड़ा, पर मैंने उससे डाला नहीं।

वो एकदम पागल सी हो गई थीं।

‘डाल न ! क्यों तरसाते हो, मेरे राजा।’

फिर मैंने अपना लंड भाभी की चूत में डाल दिया। फिर मैं धीरे-धीरे शॉट मारने लगा, और भाभी जी भी मेरे साथ उचक-उचक कर साथ दे रही थीं। वो अपनी गांड को खूब उछाल-उछाल कर मेरे लौड़े को पूरा खा जाना चाहती थीं।

उनकी इस चाहत को देख कर मैंने भी धीरे-धीरे अपने गति तेज़ कर दी। अब मैं झड़ने वाला था।

मैंने भाभी से पूछा- मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?

तो उन्होंने कहा- बहुत दिनों से मेरी चूत में पानी नहीं छूटा है, तुम अन्दर ही छोड़ दो।

फिर मैं उनकी चूत में ही झड़ गया और भाभी के ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद हम वापिस खेल के लिए तैयार हुए और उस रात मैंने भाभी की तीन बार मारी।

फिर सुबह उठ कर भाभी बड़ी खुश थीं। उठते ही भाभी ने मुझे एक चुम्मी दी और फिर मैं तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल गया।

अब मैं हर रोज रात को भाभी जी की चूत मारता था, और वो खूब मजे से मरवाती भी थीं।

फिर एक दिन हमारी यह बात भाभी जी की सहेली को पता चल गई। भाभी जी ने मुझे उनकी दुःख भरी कहानी सुनाई और उनको चोदने के लिए कहा।

फिर मैंने उनको कहा- मैं उनको चोद तो दूँगा पर उनसे बदले में पैसे लूँगा।

भाभी जी बोली- मतलब अब तुम कॉल-बॉय बनोगे?

मैंने हंसते हुए कहा- भाभी जी अब आपके लिए तो फ्री में करता हूँ ना ! और आपकी सहेली मेरी भाभी थोड़ी हैं।

फिर वो मान गईं और उन्होंने अपने सहेली को बताया और वो भी राजी हो गई।

मैंने उनकी सहेली को कैसे और कहाँ चोदा? आपको अगली कहानी में लिखूँगा और मुझे कितने पैसे मिले? यह भी बताऊँगा। आप सबको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताना। 3768

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