तीसरी न्यूज़ एंकर की चुदाई- 2

सेक्स की सची कहानी में पढ़ें कि पहली एंकर ने मुझे अपने फ्लैट में बुलाया कहा कि वहां तीसरी वाली एंकर भी आयेगी. मैं उनके फ़्लैट में गया तो क्या हुआ?

तीन दिन के बाद होटल से विदा लेने का वक़्त आ गया था. चेक आउट करके हम सब अपने अपने घर चले गए.

इसके पश्चात चार दिनों तक रोज़ कई कई बार व्हाट्सएप्प पर बातें होती रहीं दोनों रानियों से. वे वीडियो कालिंग नहीं करती थीं क्यूंकि उनकी सूरत किसी को दिख सकती थी.

चार दिन के बाद बेबी रानी ने फोन पर कहा- राजे आज घर आ जा. दो दिन हम दोनों फ्री हैं और वह पिंकी ने भी छुट्टी ले ली है. उसको तेरे में काफी दिलचस्पी हो रही है. तेरी सब कहानियां पढ़ लीं उसने. अब वह मिलना चाहती है. चुदेगी या नहीं यह तो नहीं मालूम मगर मिलना चाहती है.

मैंने कहा- ठीक है. मैं दोपहर तीन चार बजे तक पहुँच जाऊंगा.

बेबी ने अपना एड्रेस भेज दिया इस ताकीद के साथ कि उसका एड्रेस सौ प्रतिशत सीक्रेट रहना चाहिए.

जैसा तय हुआ था, उसी दिन मैं दोपहर करीब सवा तीन बजे नॉएडा पहुँच गया. यह एक पॉश सोसाइटी है जिसके निकट ही कई टीवी स्टूडियो हैं. जिसके कारण टीवी में काम करने वाले बहुत लोग इस सोसाइटी में निवास करते हैं.

सोसाइटी गेट के बाहर ही गुड्डी रानी मेरा इंतज़ार कर रही थी. वो मेरी कार में बैठ गयी और हम सोसाइटी के भीतर चले गए.

रानी के साथ होने का कारण गेट पर मेरा नाम पता नहीं नोट किया गया. हालाँकि कार के नंबर की फोटो रिकॉर्ड हो गया होगा सीसी टीवी कैमरे में. रानी मुझे अपने वाले टावर के सामने विजिटर पार्किंग में ले गयी.

कार पार्क करके हम इनके आठवें माले पर फ्लैट में चले गए. भीतर घुस के मैंने फ्लैट का जायज़ा लिया. तीन बैडरूम का सुन्दर सा फ्लैट था. तीन तरफ से खुला हुआ. बीच में बनी हुई लॉबी की एक साइड में दो लिफ्ट थीं और सीढ़ियां. बाकी की तीन साइड में एक एक फ्लैट. इस प्रकार हर फ्लैट तीन तरफ से खुला था. फ्लैट अंदर से अच्छा सजा हुआ था.

बेबी रानी ने बताया कि गुड्डी को घर को अच्छे से सेट करके रखने का शौक है. हॉल में 6 आराम कुर्सियां थीं जो काफी पुराने ज़माने वाले डिज़ाइन की थीं. जैसी आराम कुर्सियां अक्सर फाइव स्टार होटलों की लॉबी में देखने को मिलती हैं उस किस्म की थीं.

एक सुन्दर सा दीवान था और एक कश्मीरी गलीचा. कई छोटी छोटी सी सेण्टर टेबल हर इजी चेयर के पास और दीवान के पास रखी हुई थीं. दीवारों पर कुछ पेंटिंग्स, कुछ वाल हैंगिंग्स और कुछ फोटो लगे हुए थे. काफी खूबसूरत तरीके से सब कुछ सेट किया हुआ था.

गुड्डी रानी का टेस्ट बहुत अच्छा था.

एक बैडरूम इन दोनों का था. वह भी काफी सुन्दर तरीके से सजा हुआ था. चद्दर तकियों के कवर इत्यादि उच्च क्वालिटी के थे. फर्स्ट क्लास सफाई भी थी.

बाक़ी के दो बैडरूम इन दोनों के परिवार वालों के आने पर ठहरने के काम आते थे. डाइनिंग टेबल नहीं थी. इन्होने ज़मीन पर डाइनिंग एरिया में चार बड़ी बड़ी चौकियाँ लगा रखी थीं. हर चौकी के सामने एक मोटा सा कुशन था. शुद्ध भारतीय स्टाइल का भोजन कक्ष बनाया हुआ था.

बेबी रानी ने पिंकी तो फोन करके बता दिया कि राजे आ गया है. थोड़ी देर में पिंकी आ गयी.

मैंने ध्यान से उसको निहारा. काफी अच्छी थी देखने में. ज़्यादा गोरी नहीं थी परन्तु चेहरा खूबसूरत था और फिगर सेक्सी. नाक नक़्शा बढ़िया था.

पिंकी ने एक फूल पत्तियों का प्रिंटेड स्कर्ट नुमा पजामा जो उसके टखनों और घुटनों के बीच तक लहराता हुआ आता था और एक काला स्लीवलेस टॉप पहन हुआ था. स्लीवलेस टॉप में से दिखती उसकी बांहें भी सुडौल और हसीन थीं. चाटने की तबियत करने लगती थी.

चूचे ज़्यादा बड़े नहीं थे, ठीक ठाक थे. यारो, चूचे तो मज़ा देते ही हैं चाहे बहुत बड़े हों या छोटे. पिंकी के तो छोटे भी नहीं थे मध्यम साइज के थे और कसे हुए लगते थे. उसको ब्रा लगती होगी मेरे अंदाज़ से 34 या 36 की! और यह अंदाज़ा बाद में सही भी निकला. 36 की ब्रा कुछ ढीली रहती थी और 34 की टाइट.

उसके पैरों में राजस्थानी जूती नुमा चप्पल थी. बाएं टखने के ऊपर एक मोटा सा काला डोरा बंधा हुआ था. ये काला डोरा उसकी टांगों की खूबसूरती और बढ़ा रहा था. कलाइयों में सोने का एक एक कंगन और गले में मोतियों की माला.

कुल मिलाकर एक मस्त लौंडिया थी जिसमें कामुकता कूट कूट के भरी हुई थी. उसकी सूरत एक मशहूर टीवी सीरियल की हीरोइन से बहुत मिलती थी.

पिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा- हेलो राजे … नाइस मीटिंग यू … आपके कारनामे तो बहुत पढ़ लिए कहानियों में … और मोबाइल पर देख भी लिए … इसलिए दिल ने चाहा कि आपसे एक बार मिलूं तो सही … कैसे हैं आप? पिंकी ने अपना हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ा दिया.

मैंने पिंकी का हाथ हाथ में लेकर कहा- पिंकी, मुझे भी तुमसे मिल कर बहुत अच्छा लगा … तुम बहुत सुन्दर हो … तुम्हारे हाथ भी कितने अच्छे हैं … दिल करता है कि चूम लूँ … चूमता ही जाऊं … तुम्हारी शक्ल वो टीवी सीरियल वाली **** से बहुत मिलती है … तुम उसकी बहन हो क्या?

पिंकी ने हंसकर कहा- नहीं नहीं, मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं है … जो भी मुझसे मिलता वो यही पूछता है … ये सिर्फ एक संयोग है कि उसकी और मेरी शक्लें सगी बहनों जैसी मिलती जुलती हैं. अच्छा ही है ना … इस बहाने मैं भी प्रसिद्ध हो जाउंगी … अब आप मेरा हाथ छोड़ेंगे भी मिस्टर राजे?

उसके मुलायम हाथ छोड़ने का मन तो नहीं हो रहा था, फिर भी छोड़ने से पहले मैंने घुटनों पर बैठ कर उसके हाथों पर ऐसे चुम्बन लिया जैसे लड़के लोग फिल्मों में अपनी माशूका को प्रोपोज़ करने के लिए करते हैं.

पिंकी ने हँसते हुए कहा- ओह हो मिस्टर … अभी से शैतानी? लेकिन अच्छा लगा तुम्हारा हाथों को किस करने का अंदाज़. मैंने भी हँसते हुए कहा- जान ए मन … अभी तुमने मेरा पूरा अंदाज़ देखा ही कहाँ है … मौका देकर तो देखो मैडम … अगर कोई शंका हो तो इन दोनों रानियों से पूछ लो.

“नहीं उनसे तो पूछना कुछ नहीं है … मैं सब देख ही चुकी हूँ … हाँ तुमसे ज़रूर कई बातें पूछनी हैं.”

फिर वह बेबी रानी और गुड्डी रानी से मुखातिब होकर बोली- अगर तुम दोनों को ऐतराज़ न हो तो … मैं राजे के साथ अकेले में कुछ बातचीत कर लूँ? बेबी रानी ने कहा- जा जा कर के अपनी तसल्ली … तब तक मैं और गुड्डी मज़े लेते हैं … अच्छे से ठोक बजा के देख लियो कि यह तेरे स्टैंडर्ड पर सही बैठता है कि नहीं … जब फ्री हो जाओ तो हमारे बेडरूम में आ जाना.

इतना कह कर वे दोनों उनके बैडरूम में चली गयीं और पिंकी मुझे दूसरे बैडरूम में ले गयी.

पिंकी बेड पर नीचे टाँगें फैला कर बैठ गयी. मैं भी उसके बगल में बैठ गया. तो उसने कहा- सुन राजे … ध्यान से सुनियो जो मैं कह रही … तेरे जवाब सुन कर मैं फैसला करुँगी कि तू मेरी चुदाई की ज़रूरतें पूरी कर पाएगा कि नहीं … वैसे जो जो मैंने तेरी कहानियों में पढ़ा और जो जो बेबी और गुड्डी की चुदाई का शो देखा … उससे मुझे लगता तो है कि शायद तू मेरे लिए सही रहेगा … वर्ना तो तू मेरे से मिल ही नहीं पाता.

मैं बोला- पिंकी, तुम कहो क्या कहना चाहती हो … सुन रहा हूँ ध्यानपूर्वक … मेरी गारंटी है कि तुम्हारी सब ज़रूरतें पूरी कर दूंगा … मुझे खुद पर पूरा विश्वास है.

“पहले सुन ले फिर गारंटी देना … देख मुझे लड़कों से पूरी पूरी गुलामी पसंद है … अगर तुझे मेरे बदन को भोगना है तो मेरा गुलाम बनना पड़ेगा … जो मैं हुक्म दूंगी, वो तू बिना सवाल के करेगा … अकेले में तू मुझे मेमसाब कह के बुलाएगा … मैं कई ऊटपटांग हुक्म दूंगी चुदाई के मामलों में जिन्हें तू बिना हील हुज्जत के करेगा … अच्छे से सोच ले मुझे चोदना कोई हंसी खेल नहीं है … एक पति और शादी से पहले तीन बॉय फ्रेंड छोड़ चुकी हूँ क्यूंकि वो मेरे कहे पर नहीं चल पाते … जो मैं आर्डर देती वो पूरे नहीं कर पाते … इन दोनों के सामने तू नार्मल बर्ताव करेगा … और हाँ जब तक मैं न कहूं तू मुझे छुएगा भी नहीं … मैं बताउंगी कब छूना, कब चूसना, कब कहाँ चाटना, कब चोदना … मतलब ये कि हर छोटी बड़ी चीज़ मेरे हुक्म से होगी. आयी बात समझ में तो बोल, नहीं तो चलता बन.”

मैंने तुरंत कहा- जो हुक्म मेमसाब … कहिये इस दास के लिए क्या आर्डर है? पिंकी खुश हो गयी- मतलब तू सब शर्तें मानता है न? मैंने कहा- जी हाँ मेमसाब.

“तो फिर ठीक है पहले अपनी मालकिन के सामने बैठने का तरीका सीख … गुलाम क्या मालकिन के सामने बिस्तर पर बैठा करते हैं या नीचे पैरों के पास?” मैं लपक कर बिस्तर से उठा और नीचे कारपेट पर बैठ गया और बोला- जैसी आपकी आज्ञा मेमसाब … दास के लिए क्या हुक्म है?

पिंकी बोली- मैं बहुत थकी हुई हूँ … अपनी मेमसाब के पैर दबा … पहले चप्पलें उतार के उन पर नाक रगड़ते हुए मेरा धन्यवाद दे कि तेरी मेमसाब ने तुझ पर इतनी कृपा करके तुझको पाने पांव दबाने का सौभाग्य दिया. एक बात दोनों कान खोल के अच्छे से सुन ले … तू एक बहुत ही तुच्छ चीज़ है … सिर्फ एक तुच्छ सी चीज़ … मेरे सामने तेरी हैसियत बिलकुल ज़ीरो के बराबर है … तू सांस भी लेगा तो मेरी अनुमति से … जियेगा भी और मरेगा भी मेरे आदेश से. मैं बहुत कठोर किस्म की मालकिन हूँ. ज़रा सी भी गलती की तो हंटर से मारूंगी.

मैंने मस्तक झुकाकर आदरपूर्वक अर्ज़ किया- मेमसाब चिंता ना करें … दास अपनी औक़ात समझ गया है … मेमसाब को शिकायत का मौका नहीं मिलेगा. मैं इस गुलाम मालकिन के ड्रामे से बहुत उत्तेजित हो चला था. यह मेरे लिए एक नया अनुभव था. किन्तु बहुत आनंद भी आ रहा था.

मैंने पिंकी के पैरों से चप्पल उतार के प्यार से उनको सूंघा. चमड़े के साथ पिंकी के पैरों की गंध मिल कर बहुत मस्त लगी.

दोनों चप्पलें सूंघ के मैंने उनको चूमा और फिर पिंकी के पैरों को थाम से सहला सहला कर दबाने लगा.

मुलायम चिकने हसीं पैर. उसकी लम्बाई पांच फुट पांच इंच के हिसाब से पांव कुछ छोटे थे किन्तु थे सुन्दर और बहुत अच्छी तरह से रखे हुए. अंगूठे के पास वाली उंगली थोड़ी सी बड़ी थी. नाख़ून थोड़े थोड़े बढ़े हुए और हल्के से गुलाबी नेल पोलिश से रंगे हुए.

मैंने पैरों के पास नाक लेजाकर सूंघा. सुड़क सुड़क सुड़क. आह … नशीली सुगंध थी … ये चूतनिवास मस्त हो गया और हल्के हल्के हाथों से उन नाज़ुक पांवों को दबाने लगा. मैं ऊपर मुंह उठाये पिंकी रानी की आँखों में आंखें डाल कर उसको निहार रहा था.

उसके चेहरे पर एक मंद सी मुस्कान खेल रही थी. बहनचोद बहुत दिलकश लग रही थी यूँ मुस्कुराते हुए. सफ़ेद त्रुटिहीन दांतों की माला उसके मुंह को शोभित कर रही थी. बड़ी बड़ी आँखों में वासना की तड़प से गुलाबी डोरे तैर रहे थे.

उसने अपना टॉप उतार के बगल में डाल दिया.

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सेक्स की सची कहानी जारी रहेगी.