आगे-पीछे की एक साथ शानदार चुदाई-2

प्रेषक : श्रेयस पटेल

उसने मुझे देखा, मैं मुस्कुराई और उसके सिर पर हाथ रख कर अपनी चूत पर दबा दिया। वो जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा। मेरी चूत को वो पूरी तरह से चाट रहा था। उसकी जीभ मेरी चूत में घुस कर मेरी चूत के अंदर आग लगा रही थी। तभी ना जाने कब उसने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और मेरी चूत को फैला कर चाटने-चूसने लगा।

मेरी कमर अपने आप मटकने लगी थी। मैं आज उसे खूब मज़ा देना चाहती थी। मैंने उसे अपनी चूत पर से हटाया और उसके लण्ड के लिए मैं उसके घुटनों के पास पहुँच गई, उसका लण्ड काफ़ी तगड़ा नज़र आ रहा था।

मैं उसके लण्ड को देख कर थोड़ा शरमा गई, उसका लण्ड मेरे पति के लण्ड से बहुत बड़ा था। मैंने उसको हाथों से छुआ और उस निहारने लगी। नीलेश ने अपने लण्ड को लेकर मेरे मुँह के पास किया ताकि मैं उसे चूस लूँ।

मैंने बिना देर किए उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और उसे जीभ से चूसने लगी। मेरी जीभ जब उसके लण्ड के निचले भाग पर लगती तो नीलेश तड़प जाता और उसकी सीत्कार निकलती- अया… एये…ए… ह्म्म…

मैं जान रही थी कि यह स्थान उसका संवेदनशील था, जिसे वो झेल नहीं पा रहा था।

मैंने उसके लण्ड को चूस-चूस कर चिकना कर दिया था। उसका लण्ड बहुत शक्तिशाली दिखाई पड़ रहा था। अब नीलेश ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगों को थोड़ा ऊपर किया। मैंने अपनी टाँगों को पूरा खोल दिया जिससे नीलेश मेरी टाँगों के बीच में आकर मेरी चूत को अच्छी तरह से चोद सके।

मेरी चूत उसको मुस्कुरा कर बुला रही थी।

उसने अपना लण्ड अपने हाथ से सहलाते हुए मुझे देखा और बोला- क्यों भाभीजी? चोद दूँ?

“हाँ भैया। मैं तुम्हें क्या शक्ल देखने के लिए यहाँ लाई हूँ? अब मुझसे और इन्तजार ना करवा ! जल्दी से चुदाई कर दे मेरी ! मेरी चूत बहुत भूखी है, देख तेरे लण्ड के लिए कैसी तरस रही है।” मैंने यह कह कर अपनी चूत के दोनों होंठों को अपनी हाथ की उंगलियों से खोल दिया।

उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया और मेरे कंधे पर झुक के मेरे कन्धों को पकड़ कर अपने लण्ड को मेरी चूत की फाँक पर दबाने लगा। मेरी चूत की दीवारें रस से भीग चुकी थीं, उसका लण्ड मेरी चूत में धीरे-धीरे सरकता चला गया।

मैं सिसक उठी- आआह… हआ… ह्म… उफ… फफ्फ़…आआ…

उसने अपने लण्ड को अंदर तक घुसा दिया था, मेरी चूत की दीवारें चिरने लगी थीं, मैं कराह रही थी- आ…अहह… ह्म…

मेरा अंग-अंग मचलने लगा था, वो मेरी चूचियों को दबा कर पीने लगा और अपनी कमर उचकाने लगा जिससे उसका लण्ड मेरी चूत के अन्दर-बाहर जाने आने लगा। मुझे अब मज़ा आने लगा था।

हाय… कितना आनन्द आ रहा था ! उसके धक्के धीरे-धीरे तेज़ होने लगे… आहह…!

अब मैं पूरी तरह से उसके वश में थी। मैं आज जी भर के चुदना चाह रही थी। उसका लण्ड सटासट मेरी चूत में जाने-आने लगा था। उसके लण्ड ने मेरी चूत में आग सी भर दी थी। पूरा कमरा मेरी सिसकारी और उसकी ‘आहों’ से गूंजने लगा था।

“आह… हाअ… अहम्… तब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ।

तभी एक धमाका हुआ और दरवाज़ा खुल गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरे पड़ोस का लड़का अंदर आ गया था। वो शायद बहुत देर से हम दोनों को चुदाई करते हुए देख रहा था। हम दोनों उसे देख कर हक्के-बक्के रह गए थे। यह क्यों आ गया था?

मैं कुछ कह पाती, वो बोला- देखो भाभीजी बहुत हुआ, आज तक रोज़ तुम मुझे नखरे दिखाती रही हो और दूसरों को ‘प्रसाद’ बाँट रही हो। मुझे भी चाहिए !

नीलेश ने मुझे देखा, मैं अभी उन्माद पर पहुँच गई थी, मुझे चुदाई अच्छी लग रही थी।

“क्या कहती हो भाभीजी?”

“इसे बुला लो !”

मेरे पास और कोई चारा नहीं था, मैंने उसको देखा और बोली- ठीक है, इसे भी कर लेने दो।

तब वो लड़का जिसका नाम राजू है, वो भी हम दोनों के साथ आ गया। उसको गर्म करना मेरा पहला कर्तव्य था। उसने फ़ौरन अपनी पैन्ट और शर्ट उतार फैंकी, वो भी नीलेश की तरह सुडौल बदन का था।

मैंने उसका लण्ड देखा वो तो नीलेश से भी अच्छा लग रहा था। मैंने उसको अपने पास बुलाया और उसके लण्ड को लेकर लेट गई और उसे चूसने लगी धीरे-धीरे उसका लण्ड तगड़ा करारा और खड़ा हो गया।

इसी बीच नीलेश पीछे से मेरी चुदाई कर रहा था। उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में धूम मचा रहा था। अब मेरी चूत की दीवारें दर्द करने लगी थीं, खुजली बढ़ने लगी थी। उसका लण्ड मेरी चूत के अंदर सटासट जाने लगा था।

मेरी चूत की पूरी दीवारें भीग गई थीं। उसका लण्ड चिकना हो कर चूत में हाहाकार मचा रहा था। उसके लण्ड की टापें ‘फ़च्चा-फ़छ’ की आवाज़ों के साथ निकल रही थीं, वो मुझे मज़े ले लेकर चोद रहा था। मैं राजू के लण्ड के साथ खेलने में खुश थी।

तभी अचानक राजू बोला- चलो नीलेश, आज भाभीजी को सैंडविच बनाते हैं।

मैं कुछ समझ नहीं पाई, तभी नीलेश सामने पड़े सोफे पर बैठ गया और बोला- आओ भाभीजी, अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रख कर बैठ जाओ।

मैंने वैसा ही किया, मैं उसके पास गई और मैंने अपनी टाँगों को फैला कर उसके कमर के पास बैठने लगी। मैंने अपनी चूत उसके खड़े लण्ड पर रखी और अपनी चूत को फैला कर बैठना शुरू कर दिया।

इससे नीलेश का लण्ड मेरी चूत में घुसने लगा। मैं पूरी तरह से उसके लण्ड पर बैठ गई और पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में समा गया। मैं खुश थी क्योंकि मैं आज वो चीज़ करने वाली थी जिसकी मैं तमन्ना कर रही थी।

तभी मेरी गाण्ड में कुछ महसूस हुआ, मैंने पीछे देखा तो राजू ने मेरी गाण्ड पर लण्ड रख के अंदर धक्का देने लगा। उसका लण्ड जब मेरी गाण्ड में घुसा, मुझे बहुत दर्द हुआ।

मैं चीख सी उठी- आआहह… ई… आआ… अरे मादरचोद… क्यों दर्द भरी चुदाई कर रहे हो… आअँ…!

लेकिन तब तक दोनों लोगों ने मुझे चोदना शुरू कर दिया। अब मैं दोनों तरफ से चुदने लगी थी। थोड़ी देर में मुझे भी मज़ा आने लगा था। नीलेश मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूस भी रहा था और मेरी चुदाई भी कर रहा था।

कस-कस कर धक्के, मेरी गाण्ड और मेरी चूत पर पड़ने लगे। मैं अपनी चुदाई का जम कर मज़ा ले रही थी। थोड़ी ही देर में मेरी कमर की हालत खराब हो गई, दोनों तरफ की चुदाई से मेरी गाण्ड थक रही थी और चूत की खुजली और भड़क गई थी।

“अया… अहम्म… आहह… सीसी…” इन आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था। दोनों मुझे चोदने में मस्त थे। मैं भी दोनों का पूरा-पूरा साथ दे रहती थी। मैं हवा में उछल रही थी। जब मेरी गाण्ड पर धक्का पड़ता तब मैं आगे बढ़ जाती, जिससे मेरी चूत में लण्ड घुस जाता था। मैं पूरा मज़ा ले रही थी।

राजू बोला- नीलेश, अब तुम इसकी गाण्ड मारो, मैं अब चूत को चोदूँगा।

यह कह कर उन दोनों ने मेरी चूत और गाण्ड से अपने लण्ड निकाल लिए और मुझे बोले- भाभीजी, तुम अब घूम जाओ।

मैं घूम गई। अब मेरी चूत राजू की ओर और मेरी गाण्ड नीलेश की ओर हो गई, मैं नीलेश के लण्ड पर अपनी गाण्ड को रख कर बैठ गई और मेरी गाण्ड में उसका लण्ड पूरा घुसता चला गया। मैंने अपनी पीठ नीलेश के सीने से लगा दी, उसने मुझे बड़े प्यार से अपने से चिपका लिया, और तब राजू ने मेरी चूत को फैलाई और अपना लण्ड उसके मुँह पर रख कर मुझे देखा, मैं उससे शरमा गई तभी राजू ने धक्का मार दिया और उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ मेरी चूत मैं धँस गया।

“आ… आआई…यइ… उफ्फ़… अया…” मैं चीख उठी।

अब फिर से दोनों ने मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं खुशी से पागल हो रही थी। तब उन दोनों ने मुझे कस कर चोदा और इस तरह लगभग 6-7 बार बदल बदल कर मेरी चुदाई के बाद उनका सारा का सारा वीर्य मैंने अपने अंदर ही गिरवा लिया था।

मुझे बहुत मज़ा आया था, मैं आज भी उस दिन को याद करती हूँ क्योंकि उस जैसी चुदाई मेरी फिर कभी नहीं हो पाई। जब कि मैंने नीलेश को कई बार मौका दिया और उसने मुझे कई बार चोदा मगर दो लोगों की चुदाई की तो बात ही निराली थी।

काश ! फिर मुझे ऐसा मौका मिले। आप लोग मेरे लिए दुआ करें कि मैं दुबारा वैसे ही चुदवा पाऊँ।

यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करें-